Tuesday, March 6, 2012

मायावती बनी 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाली पहली मुख्यमंत्री

Tuesday, 06 March 2012 17:26

लखनऊ, छह मार्च (एजेंसी) मायावती विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद संभवत: सचिवालय भवन स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय 'पंचम तल' छोड़ने जा रहीं हों लेकिन उन्होंने उत्तर प्रदेश में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली पहली मुख्यमंत्री होने का गौरव हासिल किया है। 
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में अपने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले से 206 सीटें हासिल करने वाली दलित नेता मायावती स्वतंत्रता के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली पहली मुख्यमंत्री रहीं हैं।
विरोधियों द्वारा अहंकारी होने के आरोपों से घिरी रहने वाली मायावती 2007 में चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुई थीं और इस तरह वह पूर्व मुख्यमंत्री चंदभान गुप्ता तथा कांग्रेस के एनडी तिवारी की श्रेणी में शामिल हो गयीं जो चार..चार बार इस पद पर बैठे।
प्रदेश का इतिहास साक्षी है कि यहां अब तक बने 31 मुख्यमंत्रियों में से कोई भी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। यहां तक कि गोविंद बल्लभ पंत, सुचेता कृपलानी, वीपी सिंह, कमलापति त्रिपाठी, कल्याण सिंह और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह जैसे दिग्गज भी इस गौरव से दूर रहे।
पंत 20 मई, 1952 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन दो साल बाद उनकी जगह संपूर्णानंद इस पद पर काबिज हुए। 1957 में अगले विधानसभा चुनाव में संपूर्णानंद के नेतृत्व में कांग्रेस ने जीत हासिल की लेकिन उनके निधन के बाद 1960 में चंद्रभान गुप्ता की ताजपोशी मुख्यमंत्री पद पर हुई।
1962 में जीत हासिल करने के बाद गुप्ता दूसरी बार मुख्यमंत्री बने लेकिन उन्हें एक साल के भीतर इस्तीफा देना पड़ा और 1963 में सुचेता कृपलानी स्वतंत्र भारत में किसी प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री बनीं।
कृपलानी 1967 में लोकसभा में चुनकर गयीं और गुप्ता फिर से एक महीने की अवधि के लिए मुख्यमंत्री चुने गये। उनके बाद 1967 में ही राज नारायण और राम मनोहर लोहिया के समर्थन से चौधरी चरण सिंह को यह पद मिला। चौधरी 1970 में भी इस पद पर काबिज हुए।
लेकिन जाट नेता चौधरी चरण सिंह का कार्यकाल दोनों ही बार एक साल से भी कम समय के लिए रहा। उसके बाद केंद्र की

कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।
1968 में पहली बार प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा था और 2007 तक नौ बार प्रदेश को इस स्थिति से गुजरना पड़ा।
1970 के बाद उत्तर प्रदेश में चंद्रभान गुप्ता, टीएन सिंह, कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा, एनडी तिवारी, वीपी सिंह, श्रीपति मिश्रा और वीर बहादुर सिंह मुख्यमंत्री रहे लेकिन कोई भी पांच साल तक पद पर बरकरार नहीं रह सका। इस दौरान गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री राम नरेश यादव तथा बनारसी दास ने भी कुछ समय के लिए प्रदेश की सत्ता संभाली।
मुलायम सिंह ने 1989 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन केवल दो साल तक इस पद पर रह सके। देश में मंदिर..मस्जिद विवाद के दौर में भाजपा के कल्याण सिंह ने भगवा लहर में 24 जून, 1991 को प्रदेश की कमान संभाली। उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद छह दिसंबर, 1992 को पद से इस्तीफा दे दिया और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
मुलायम सिंह 1993 में बसपा के सहयोग से एक बार फिर सत्ता में आये लेकिन सरकार करीब डेढ़ साल तक ही चली और मायावती ने समर्थन वापस ले लिया। मायावती पहली बार 1995 में भाजपा के सहयोग से प्रदेश की मुख्यमंत्री तो बनीं लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं।
कुछ समय तक राष्ट्रपति शासन लागू रहने के बाद मायावती 1997 में फिर से प्रदेश के शीर्ष पद पर काबिज हुईं। इस बार भाजपा और बसपा के बीच छह..छह महीने सत्ता में रहने का समझौता हुआ था।
समझौते के अनुसार कल्याण सिंह छह माह बाद मुख्यमंत्री बने लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 1999 में उनके स्थान पर रामप्रकाश गुप्ता और उनके बाद 2000 में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री बने।
मायावती 2002 के चुनाव में भाजपा के समर्थन से तीसरी बार मुख्यमंत्री पद पर बैठीं लेकिन एक साल के भीतर यह सरकार भी गिर गयी और मुलायम सिंह यादव 2003 में तीसरी बाद मुख्यमंत्री बने और 2007 तक इस पद पर रहे।
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 206 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाई और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

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