Saturday, July 7, 2012

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है, गुर्र गुर्र गुर्र गुर्र

http://mohallalive.com/2012/07/07/a-poem-on-anna-movement-by-sanjay-jha-mastan/

आमुखशब्‍द संगतसंघर्ष

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है, गुर्र गुर्र गुर्र गुर्र

7 JULY 2012 NO COMMENT

♦ संजय झा मस्‍तान

हमेशा की तरह इस बार भी संजय भाई का एक मेल, जो सुबह सुबह मेरे इनबॉक्‍स में पड़ा मिला, लय से भीगा हुआ था। इससे पहले उन्‍होंनेमुंबई की कहानी हमें भेजी थी। अन्‍ना की अंतड़ी वाले इस मेल में वे एक ऐसे असमंजस की कहानी कह रहे हैं, जिसका रिश्‍ता पूरे भारत से है। आजादी के बाद कई सारे आंदोलनों से दो-चार होते हमारे समाज में हाशिये की आबादी को शायद ही कभी मुख्‍यधारा मिल पायी है। यही वजह है कि हमारे समय में प्रतिरोध की लड़ाइयों को देखने-समझने के रास्‍ते में हमारा असमंजस पत्‍थर की तरह पड़ा मिलता है। संजय भाई की इस कविता ने बाबा नागार्जुन की याद दिला दी। खास कर उनकी एक कविता, जब उन्‍होंने संपूर्ण क्रांति आंदोलन में जेल से लौटने के बाद लिखी थी, खिचड़ी विप्‍लव देखा हमने। यह तो तय है कि संजय भाई बाबा से बड़े मुत्तासिर रहे हैं। अपनी फिल्‍म स्ट्रिंग्‍स में उन्‍होंने बाबा की मंत्र कविता का बहुत ही सृजनात्‍मक इस्‍तेमाल किया था। आइए पढ़ते हैं उनकी कविता, अन्‍ना की अंतड़ी बोल रही है : मॉडरेटर

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है
गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र
गुर्र गुर्र, गुर्र गुर्र, गुर्र गुर्र, गुर्र गुर्र

देश की गठरी खोल रही है
गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़
गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है
गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र

अंजर पंजर, जंतर मंतर
अंदर अंदर, अंदर अंदर
जंतर मंतर, जंतर मंतर
बाहर बाहर, बाहर बाहर
अंजर पंजर, जंतर मंतर

अनशन फंक्शन, अनशन फंक्शन
अनशन फंक्शन, अनशन फंक्शन

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है
गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र
देश की गठरी खोल रही है
गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़

किल बिल, किल बिल, किल बिल, किल बिल
बिल बिल, बिल बिल, बिल बिल, बिल बिल
टिम टीम, टिम टीम, टिम टीम, टिम टीम
टीम टीम, टीम टीम, टीम टीम, टीम टीम

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है
गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र
देश की गठरी खोल रही है
गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़

जा जा, जा जा, जा जा, जा जा
बाबा बाबा, बाबा बाबा
आ जा, आ जा, आ जा, आ जा
वाह वाह, वाह वाह, वाह वाह, वाह वाह
बा बा, बा बा, बा बा,बा बा

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है
गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र
देश की गठरी खोल रही है
गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़

टोपी सीधी, टोपी सीधी, टोपी सीधी, टोपी सीधी
सिद्धि सिद्धि, टोपी सिद्धि, सिद्धि सिद्धि, टोपी सिद्धि

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है
गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र
देश की गठरी खोल रही है
गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़

जन का राजी, जनता राजी जन का राजी, जनता राजी
अन्न ना अन्न ना, अन्न ना अन्न ना
अन्न ना अन्न ना, अन्न ना अन्न ना

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है
गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र

कर अन्न सन्न, कर अप सन्न, कर संसोधन कर संसोधन
ठन ठन, ठन ठन, ठन ठन, ठन ठन
अन्न सन्न, अन्न सन्न, अन्न सन्न, अन्न सन्न
कर अप सन्न, कर अप सन्न, कर अप सन्न, कर अप सन्न
अन्न संसोधन, सन्न संसोधन, अन्न संसोधन, सन्न संसोधन
ठन ठन, ठन ठन, ठन ठन, ठन ठन

अन्ना की अंतड़ी बोल रही है
गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र, गर्र गुर्र
गुर्र गुर्र, गुर्र गुर्र, गुर्र गुर्र, गुर्र गुर्र
देश की गठरी खोल रही है
गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़
गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़, गुड़ गुड़

(संजय झा मस्‍तान। फिल्‍मकार। स्ट्रिंग्‍स, प्राण जाए पर शान न जाए और मुंबई चकाचक का निर्देशन। राष्‍ट्रीय नाट्य विद्यालय से रंग-अध्‍ययन किया। उनसे directorji@gmail.com पर संपर्क करें।)


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