Monday, July 8, 2013

पचास लाख से ज्यादा युवाओं को इंतजार, न जाने कब होंगी शिक्षकों की नियुक्तियां!

पचास लाख से ज्यादा युवाओं को इंतजार, न जाने कब होंगी शिक्षकों की नियुक्तियां!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


पचास लाख से ज्यादा युवाओं को इंतजार, न जाने कब होंगी शिक्षकों की नियुक्तियां!


बंगाल में प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हुई परीक्षा में चरम अराजकता के बीच करीब  45 लाख बेरोजगार युवाओं ने तमाम तकलीफें बर्दाश्त करके परीक्षा हाल तक पहुंचे थे। लेकिन उनकी नियुक्ति का मामला अभी अटका हुआ है। जो उम्मीदवार परीक्षा में बैठ नहीं पाये, उनके लिए वैकल्पिक परीक्षा की घोषणा कर दी गयी। तीन महीने बीते, वह परीक्षा अभी नहीं हो सकी है। वैकल्पिक टेट परीक्षा अंततः होगी या नहीं, यह अनिश्चित है।इस बीच पूरे तीन महीने बीत चुके हैं।इसके अलावा स्कूल सर्विस कमीशन की परीक्षा के मार्फत पचास हजार नियुक्तिया होनी थी।साल भर हो गये, स्कूल सर्विस परीक्षा के नतीजे लटके हुए हैं।


मालूम हो  कि मां माटी मानुष की सरकार सत्ता में आते ही प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चमाध्यमिक स्कूलों में तोक पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरु की गयी, जो अभी तक अधूरी है। नौकरी की तलाश में लगभग निराश हो चुके युवाओं में जो उम्मीद पैदा हुई थी, साल भर बाद वह अब अनंत प्रतीक्षा में बदल गयी है। कोई नहीं बता सकता कि उनकी उम्मीदें कब पूरी होंगी।


प्राथमिक शिक्षकों के 35 हजार पदों के लिए 45 लाख परीक्षार्थी थे, जो एक रिकार्ड है।पिछले 31 मार्च को यह परीक्षा हुई। परीक्षा केंद्र तक न पहुंचने  वाले  उम्क्षामीदवारों के लिए परिषद के मुताबिक वैकल्पक परीक्षा के लिए अभी एडवोकेट जनरल की राय का इंतजार हो रहा है। कानूनी स्थिति स्पष्ट होने के बाद वैकल्पिक परीक्षा होगी।


पता चला है कि इसक लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है और सरकार अपने वायदे से पीछे हटती नजर आ रही है और अब दुर्गोत्सव से पहले इस परीक्षा का नतीजा निकालने परविचार हो रहा है।


स्कूल सर्विस कमीशन  की टेट  परीक्षा पिछले साल 29 जुलाई को हुई थी।पचास हजार रिक्तियों के लिए करीब सात लाक परीक्षार्थी थे, जिनमें से  एक लाख अस्सी हजार उत्तीर्ण भी हो गये। पर स्कूल सर्विस कमीशन यह नहीं बता सकता किसाल बीतते जानेके बाद इस सिलसिले में ली गयी टेट के परिणाम आखिर कब आधिकारिक तौर परघोषित किये जयंगे और कब नियुक्तिया होंगी। क्योंकि पचाससे अधिक मुकदमे अदालतों में विचाराधीन हैं।


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