Friday, June 17, 2016

आदिवासी लड़की की पुलिस द्वारा बलात्कार के बाद हत्या के मामले पर साथी संकेत ठाकुर नें आज छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रिट दायर करी है

आदिवासी लड़की की पुलिस द्वारा बलात्कार के बाद हत्या के मामले पर साथी संकेत ठाकुर नें आज छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रिट दायर करी है 


Sanket Thakur
1 hr
The First PIL of My Life in High Court
The suspected encounter of Madkam Hidme has brought a serious blow in war against Maoists in decades old troubled Bastar division of Chhattisgarh.
On 13th June a victorious police officer informed the media that one woman Maoist Madkam Hidme killed in encounter between Maoists and District Reserve Guard & STF near Gompad and Gorkha Jungle of PS Konta in Sukma district of Bastar. Another jubilant police officer posted the photo of dead body of Madkam Hidme claiming her the Kistaram Area Platoon Commander.
This photo clearly depicts that Madkam's dress was changed after death and was dressed up with new Maoists uniform. Police claimed she suffered 10 bullets injury, however her dress was not affected at all ! How this miracle would have happened ?
On the otherhand, villagers of Gompad contacted AAP State Campaign Committee incharge Soni Sori, the fearless tribal leader of Bastar. The villagers told Soni Sori that 20 year old Madkam was captured by security forces at 4 pm while she was milling paddy at home. She was taken to nearby jungle where other women heard her screaming due to gang rape being done by forces. Later the forces shot her 10 bullets and next morning police informed the village panchyat secretary to collect Madkam's dead body from Sukama.
Family members of Madkam Hidme and villagers wanted fair probe of the incidence and refused to cremate her body. Soni Sori rushed to Sukama on 15th June with 4 members of party to visit the village and meet the villagers for primary investigation of the incidence. However the local police stopped the team and forced to not to go beyond district HQ. On 16th June AAP State team and Bastar Team members joined Soni Sori and made another attempt to visit Gompad, but again local police officer didn't allow them to go beyond Konta. The team stayed at Konta with determination to visit the village.
I spoke to Soni Sori last night and we decided to file a PIL in high court requesting postmortem of Madkam, medical examination reg rape traces, SIT constitution, Judicial enquiry and compensation of Rs 20 lakh to Madkam's family.
Today I went to Bilaspur for writ petition filing, and I was informed by Soni Sori that around 12 noon a group of sponsored mob attempted to attack the AAP leaders in the presence of police and SDM. The unprecedented behavior and desperate efforts to stop Soni Sori and other AAP leaders at Sukama and Konta indicates something fishy in Gompad. This appears to be acceptance of police forces being involved in unfortunate rape and murder of a young tribal girl of Bastar whose marriage was due in the coming month.
Tribals of Bastar are waiting for fair justice with their entire community. How long they will suffer no body knows because its just a dirty politics and lust for grabbing the natural enriched resources which seems to have become a curse to tribals !
My first PIL, I hope, will provide justice to Madkam and her family whom I never met but feel if I lost my younger sister.
Sorry Madkam ! Only this much I could do for you !! Be in peace where ever you are now Madkam !! and lets pray Bastar to be in peace soon !!

Sujatha Surepally Suspension on Prof. K.Y Ratnam and Tathagath is revoked!! This is the power of peoples movement and also perhaps another strategy to divert the issue as Apparao and all ministers, supporters are supposed to be arrested by now as Rohith was declares as dalit officially. They always want to test the pulse and they fail..‪#‎justiceforrohith‬

Sujatha Surepally
Suspension on Prof. K.Y Ratnam and Tathagath is revoked!! This is the power of peoples movement and also perhaps another strategy to divert the issue as Apparao and all ministers, supporters are supposed to be arrested by now as Rohith was declares as dalit officially. They always want to test the pulse and they fail..‪#‎justiceforrohith‬
-- 

नाश हो मुक्तबाजार के इस महाविनाश का!धर्मोन्माद का! ढाका के रामकृष्ण मिशन को भी उड़ाने की धमकी। यूरोप और अमेरिका की बेलगाम हिंसा और विकास की अंधी पागल दौड़ और फासीवादी धर्मोन्मादी मुक्तबाजार का यह अंजाम हम भारत में भी दोहराने की कगार पर हैं क्योंकि भारत की केसरिया सुनामी के बदले बांग्लादेश में जिहादी सुनामी चल रही है और वहां एक करोड़ हिंदुओं की जान माल दांव पर हैं और हिंदुत्व के सिपाहसालारों को उन हिंदुओं की कोई परवाह नहीं है। बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील तत्वों पर निरंतर हमले की संस्कृति वहां की सत्ता की राजनीति है तो अब यह भारत में हमारी भी राजनीति है। बांगलादेश में अल्पसंख्यकों के साथ वहीं हो रहा है जो भारत में होता रहा है या हो रहा है।वहीं हिंसक असहिष्णुता हमारी राष्ट्रीयता है। बांग्लादेश में धर्मोन्माद की सुनामी उतनी ही ताकतवर है जितनी हमारे यहां और विडंबना है बांग्लादेश के एक करोड़ हिंदी फिर शरणार्थी बनने की तैयारी में हैं और भारत की राजनीति और राजनय को कानोंकान खबर नहीं है। पहले से भारत में आ चुके पांच से लेकर सात करोड़ बंगाली शरणार्तियों के लिए यह बहुत बुरी खबर है क्योंकि बांग्लादेस में तेजी से बिगडते हालात के मद्देनजर अगर फिर शरणार्थी सैलाब आया तो पहले से बसे पुराने शरणार्थियों केलिए कोई रियायत या रहम नहीं मानेंगे भारत के बाकी नागरिक जैसे आदिवासी को भारत को कोई नागरिक नागरिक नहीं मानता वैसा ही सच बंगाली शरणार्थियों के भूत भविष्य और वर्तमान बारे में भी ज्वलंत सामाजिक राजनीतिक आर्थिक यथार्थ का रंगभेद मनुस्मृति दोनों हैं। इस अभूतपूर्व हिंसा और प्रतिहिंसा के दुष्चक्र से अंततः इस महाभारत में कोई नहीं बचेगा अगर हम अभी से मुक्तबाजार के खिलाफ लामबंद न हों। हमारा इहलोक परलोक हिंसा का बीज गणित और प्रतिहिंसा का रसायन शास्त्र है तो हमारी राष्ट्रीयता अभूतपूर्व अराजक हिंसा की भौतिकी है क्योंकि आतंक के खिलाफ साम्राज्यवादी महायुद्ध के महाबलि बनकर हम टुकड़ा टुकड़ा गृहयुद्ध के असंख्य कुरुक्षेत्र से घिरे हुए हैं।हम सारे लोग चक्रव्यूह में जाने अनजाने घुसे हुए लोग हैं और मारे जाने को नियतिबद्ध हैं।निमित्तमात्र हैं। पलाश विश्वास

नाश हो मुक्तबाजार के इस महाविनाश का!धर्मोन्माद का!

ढाका के रामकृष्ण मिशन को भी उड़ाने की धमकी।
यूरोप और अमेरिका की बेलगाम हिंसा और विकास की अंधी पागल दौड़ और फासीवादी धर्मोन्मादी मुक्तबाजार का यह अंजाम हम भारत में भी दोहराने की कगार पर हैं क्योंकि भारत की केसरिया सुनामी के बदले बांग्लादेश में जिहादी सुनामी चल रही है और वहां एक करोड़ हिंदुओं की जान माल दांव पर हैं और हिंदुत्व के सिपाहसालारों को उन हिंदुओं की कोई परवाह नहीं है।

बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील तत्वों पर निरंतर हमले की संस्कृति वहां की सत्ता की राजनीति है तो अब यह भारत में हमारी भी राजनीति है।

बांगलादेश में अल्पसंख्यकों के साथ वहीं हो रहा है जो भारत में होता रहा है या हो रहा है।वहीं हिंसक असहिष्णुता हमारी राष्ट्रीयता है।

बांग्लादेश में धर्मोन्माद की सुनामी उतनी ही ताकतवर है जितनी हमारे यहां और विडंबना है बांग्लादेश के एक करोड़ हिंदी फिर शरणार्थी बनने की तैयारी में हैं और भारत की राजनीति और राजनय को कानोंकान खबर नहीं है।


पहले से भारत में आ चुके पांच से लेकर सात करोड़ बंगाली शरणार्तियों के लिए यह बहुत बुरी खबर है क्योंकि बांग्लादेस में तेजी से बिगडते हालात के मद्देनजर अगर फिर शरणार्थी सैलाब आया तो पहले से बसे पुराने शरणार्थियों केलिए कोई रियायत या रहम नहीं मानेंगे भारत के बाकी  नागरिक जैसे आदिवासी को भारत को कोई नागरिक नागरिक नहीं मानता वैसा ही सच बंगाली शरणार्थियों के भूत भविष्य और वर्तमान  बारे में भी ज्वलंत सामाजिक राजनीतिक आर्थिक यथार्थ का रंगभेद मनुस्मृति दोनों हैं।

इस अभूतपूर्व हिंसा और प्रतिहिंसा के दुष्चक्र से अंततः इस महाभारत में कोई नहीं बचेगा अगर हम अभी से मुक्तबाजार के खिलाफ लामबंद न हों।

हमारा इहलोक परलोक हिंसा का बीज गणित और प्रतिहिंसा का रसायन शास्त्र है तो हमारी राष्ट्रीयता अभूतपूर्व अराजक हिंसा की भौतिकी है क्योंकि आतंक के खिलाफ साम्राज्यवादी महायुद्ध के महाबलि बनकर हम टुकड़ा टुकड़ा गृहयुद्ध के असंख्य कुरुक्षेत्र से घिरे हुए हैं।हम सारे लोग चक्रव्यूह में जाने अनजाने घुसे हुए लोग हैं और मारे जाने को नियतिबद्ध हैं।निमित्तमात्र हैं।

पलाश विश्वास

आईएस की धमकी : ढाका में रामकृष्ण मिशन की सुरक्षा बढ़ी
आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट के आतंकियों की फाइल फोटो

ताजा सिलसिला है बांग्लादेश में अल्पसंख्यक उत्पीड़न का जो वैश्विक जिहादी आंतकवाद की मजबूत होती नेटवर्किंग की वजह से थमने के आसार नहीं हैं।

पुरोहितों और मंदिरों पर हमलों की खबरों में बांग्लादेश में धर्मनिरपक्षता और पर्गति का आंदोलन थम सा गया है और भारतबंधु मुजीब की बेटी शेख हसीना की पार्टी के महासचिव शाहजहां हुसैन भी रजाकर तेवर में हिंदुओं को उनकी जमीन और जान माल से बेदखल करने की धमकी दे रहे हैं और शेख हसीना जैसे खामोश हैं वैसे ही खामोश है भारत में हिंदुत्व की राजनीति,राजनय और सैन्य सत्ता।यह बेहद खतरनाक है।

ढाका के रमना कालीबाड़ी पर बार बार हमले होते रहे हैं और इससे बांग्लादेश के हिंदुओं का मनोबल टूटा नहीं है और वे अबतक एकदम प्रतिकूल परिस्थितियों में रहते आये हैं लेकिन रोज रोज हिंदू होने की वजह से हमले का शिकार होने का रोजनामचा से बाहर निकलने के लिए उनके लिए तसलिमा नसरीन की लज्जा में दर्शाया भारत का रास्ता ही बचा है क्योंकि अब ढाका के रामकृष्ण मिशन को भी उड़ाने की धमकी मिली है।

नई दिल्ली से मीडिया की यह खबर है: बांग्लादेश सरकार ने ढाका स्थित रामकृष्ण मिशन के एक पुजारी को इस्लामिक स्टेट (आईएस) के संदिग्ध आतंकवादियों से मौत की धमकी मिलने के बाद मिशन की सुरक्षा बढ़ा दी है। इसके साथ ही पूरा सहयोग एवं संरक्षण का भरोसा दिया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश पुलिस और विदेश मंत्रालय, दोनों से संपर्क किया और रामकृष्ण मिशन के इस कर्मचारी को पूरा सहयोग व संरक्षण देने का आश्वासन दिया है।

स्वरूप ने कहा, "हम भी ढाका के रामकृष्ण मिशन के साथ सीधा संपर्क बनाए हुए हैं।" उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने भारतीय आध्यात्मिक आंदोलन के कार्यालय रामकृष्ण मिशन के आसपास पुलिस की तैनाती बढ़ा दी है। एक दिन पहले रामकृष्ण मिशन के एक पुजारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि आईएस की बांग्लादेश शाखा ने एक पत्र भेजकर जान से मारने की धमकी दी थी।

उल्‍लेखनीय है कि बांग्लादेश सरकार ने देशभर में अल्पसंख्यक नेताओं को निशाने पर लेकर हत्या किए जाने के बाद से आतंकवादियों के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई शुरू कर दी है। हाल में एक हिंदू मठ के स्वयंसेवी नित्यरंजन पांडेय की हत्या कर दी गई थी। पांडेय बांग्लादेश के राजशाही क्षेत्र में पाबना सदर स्थित श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र सत्संग आश्रम से जुड़े थे।

बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील तत्वों पर निरंतर हमले की संस्कृति वहां की सत्ता की राजनीति है तो अब यह भारत में हमारी भी राजनीति है।

बांगलादेश में अल्पसंख्यकों के साथ वहीं हो रहा है जो भारत में होता रहा है या हो रहा है।वहीं हिंसक असहिष्णुता हमारी राष्ट्रीयता है।

बांग्लादेश में धर्मोन्माद की सुनामी उतनी ही ताकतवर है जितनी हमारे यहां और विडंबना है बांग्लादेश के एक करोड़ हिंदी फिर शरणार्थी बनने की तैयारी में हैं और भारत की राजनीति और राजनय को कानोंकान खबर नहीं है।


पहले से भारत में आ चुके पांच से लेकर सात करोड़ बंगाली शरणार्तियों के लिए यह बहुत बुरी खबर है क्योंकि बांग्लादेस में तेजी से बिगडते हालात के मद्देनजर अगर फिर शरणार्थी सैलाब आया तो पहले से बसे पुराने शरणार्थियों केलिए कोई रियायत या रहम नहीं मानेंगे भारत के बाकी  नागरिक जैसे आदिवासी को भारत को कोई नागरिक नागरिक नहीं मानता वैसा ही सच बंगाली शरणार्थियों के भूत भविष्य और वर्तमान  बारे में भी ज्वलंत सामाजिक राजनीतिक आर्थिक यथार्थ का रंगभेद मनुस्मृति दोनों हैं।

1971 मे भारत में युद्धभूमि पूर्वी बंगाल से एक करोड़ शरणार्थी आये थे और उस अभूतपूर्व संकट को हम हमेशा बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की गौरवशाली उपलब्धि मानते रहे हैं।

1971 क उस युद्धोन्माद की वजह से भारत में कृषि संकट गहरा गया और मंहगाई मियादी बुखार बन गया है जो उतरता ही नहीं है।

1971 के उस युद्धोन्माद की वजह से आत्मरक्षा के नाम हमारा रक्षा खर्च इतना भढ़ता चला गया है कि हम परमाणु बम बना लेने के बाद भी राष्ट्र का लगातार सैन्यीकरण कर रहे हैं आंतरिक सुरक्षा की आड़ में अबाध पूंजी के हित में प्राकृतिक संसाधनों के साथ साथ लोकंत्र,संविधान,कानून का राज,अखंडता और एकता,विविधता और बहुलता,स्वतंत्रता और संप्रभुता ,नागरिकता,नागरिक और मानवाधिकार की नीलामी ही राजकाज है मुक्तबाजार का। बाकी धर्मोन्माद।नरसंहारी अश्वमेध। नतीजा महाविनाश।

1971 से लेकर 2016 की विकास यात्रा के मद्देनजर कल्पना करें कि बांग्लादेश में बाकी बचे एक करोड़ हिंदू और उनके साथ राजनीतिक उत्पीड़ने के शिकार करीब एक करोड़ मुसलमान भी भारत में बतौर शरणार्थी सैलाब उमड़ पड़े तो क्या होगा।हमने ही ये हालात बनाये हैं,समझ लें।

अभी फ्रांस शरणार्थियों के कब्जे में है जहां यूरो कप फुटबाल प्रतियोगिता चल रही है और आइफल टावर असुरक्षा के मद्देनजर बंद है तो देश भर में मेहनतकशों की हड़ताल से ट्रेन सेवा,परिवाहन से लेकर सफाई और बुनियादी सेवाएं बंद हैं।

फुटबाल मैचों का ब्यौरा छाप रहे मीडिया इन समाचारों से कन्नी काट रहा है कि फ्रांस के शहरों में पेरिस समेत सर्वत्र लाखों का हुजूम सत्ता के खिलाफ बदलाव के लिए मुक्तबाजारी सत्ता के प्रतिरोध में रोज सड़कों पर हैं।मेहनतकश हर अनाज का हिसाब मांग रहे हैं और मेहनतकश,युवा छात्र कटेहुए हाथ पांव वापस मांग रहे हैं तो स्त्रियां भी सड़कों पर हैं लेकिन भारत के मीडिया के लिए यह कोई खबर नहीं है।फ्रांस के इस अभूतपूर्व संकटमें उनका पोकस मुक्ता बाजार और विज्ञापन की चकाचौंध पर है तो समझ लें भारत में यथार्थ के प्रतिउकी प्रतिबद्धता कैसी और कितनी है।

संपूर्ण विनिवेश और संपूर्ण निजीकरण और सेवा क्षेत्र के जरिये बाजार के हवाले उत्पादन प्रणाली और अर्थव्यवस्था के साथ साथ पृथ्वी,प्रकृति और मनुष्यता को अबाध पूंजी की नरसंहारी संस्कृति के हवाले करने की परिणति यूनान है जिसका इतिहास भारत, चीन,मिस्र,रोम और मेसोपोटामिया से कम गौरवशाली नहीं है।

हम अच्छे दिनों की उम्मीद में यूनान,यूरोप और अमेरिका बनकर दुनियाभर की मौजमस्ती लूटने के फिराक में मौत को दावत दे रहे हैं।

मुक्तबाजार के तंत्र मंत्र तिलिस्म में यूरोप और अमेरिका बेतरह फंसा हआ है और दुनियाभर में हिंसा,मुनाफा,नशा,युद्ध और गृहयुद्ध का विनाश रचनेवाले तमाम देशों में उन्ही के रचे युद्ध और गृहयुद्ध के शरणार्थियों ने न सिर्फ धावा बोला है बल्कि चमचमाते उनके मुक्तबाजार में कीड़े मकोड़ों की तरह ये शरणार्थी ऐसे फैल गये हैं कि उनका सामान्य जनजीवन और बुनियादी जरुरतें संकट में हैं।
भारत का राजधर्म कुलमिलाकर हूबहू वही है और यह पूरे महादेश,पृथ्वी मनुष्यता और सभ्यता के लिए खतरा है।

यूरोप और अमेरिका की बेलगाम हिंसा और विकास की अंधी पागल दौड़ और फासीवादी धर्मोन्मादी मुक्तबाजार का यह अंजाम हम भारत में भी दोहराने की कगार पर हैं क्योंकि भारत की केसरिया सुनामी के बदले बांग्लादेश में जिहादी सुनामी चल रही है और वहां एक करोड़ हिंदुओं की जान माल दांव पर हैं और हिंदुत्व के सिपाहसालारों को उन हिंदुओं की कोई परवाह नहीं है।

मुक्तबाजार में अर्थव्यवस्था को गिरवी रखकर राष्ट्र  को सैन्य राष्ट्र बनाकर निरंकुश फासीवादी राजकाज और धर्मोन्मादी अंध राष्ट्रवाद अगर आपके लिए विकास है,अगर आदिवासी भूगोल का सफाया विकास है,अगर स्त्री आखेट विकास है,अगर मेहनतखसों के कटे हुए हाथ पांव विकास हैं,युवाओं की बेरोजगारी और भविष्य की अंधी सुरंग में उनके कटे हुए दिलदिमाग विकास है तो तनिक समझ लें कि रोम,मेसोपोटामिया,यूनान ,मिस्र का गौरवशाली इतिहास से न भविष्य बचा है और न वर्तमान।चीन में विकास का तिलिस्म तेजी सेढह रहा है।

अब सनातन इतिहास के मिथकों से कितना हमारा इहलोक परलोक बचेगा तो यूरोप अमेरिका का धर्म कर्म और चीन के मुक्त बाजार के साथ साथ मध्यपूर्व के तेलयुद्ध में स्वाहा मिस्र और मेसोपोटामिया की महान सभ्यताओं का हालचाल से समझ लें।लातिन अमेरिका का हश्र देख लें।

चाहे हम गली गली में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मंदिर बना लें या चाहे हम समूचे भारत को एक झटके से बौद्धमय बना दें,मुक्तबाजार के शिकंजे से हमारी मुक्ति नहीं है।यूनान ही नहीं,समूचा यूरोप और अमेरिका का हाल दिवालिया है और मुट्ठीभर सत्तावर्ग के मजबूत शिकंडे में दुनियाभर की संपत्ति.दुनियाभर की सरकारें,दुनियाभर की सियासतें,दुनियाभर की मजहबें और कायनात की तमाम बरकतें,नियामतें और रहमतें कैद हैं।

यही कयामत का असल मंजर है जिसे हम देख रहे हैं,लेकिन उसके मुकाबले के लिए शुतुरमुर्ग की तरह रेत की आंधी गुजर  जाने का इंतजार कर रहे हैं।

 हम ठीक ठीक जानते भी नहीं हैं मुक्त बाजार की जन्नत अमेरिका के हालचाल क्योंकि असल खबरें भारत में जैसे छपती या दिखती नहीं है वैसा ही यूरोप और अमेरिका का सच भी छपा हुआ  है और इस आत्मघाती सूचना बाजार का आयात हमने वहीं से किया है।

बांग्लादेश में अब भी एक करोड़ हिंदू बचे हैं और भारत विभाजन के बाद इस महादेश में बांग्लादेश के उत्पीड़ित हिंदुत्व का सच भारत में लोकतंत्र के अवसान के साथ मुक्तबाजारी धर्मोन्मादी सुनामी से कितना भयंकर कितना आत्मघाती हो रहा है,उसका अंदाजा हो तो हम समझ सकते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनाने से किस तेजी से पूरी दुनिया के गुजरात में तब्दील होने की आशंका है और आतंक के खिलाफ युद्ध में शामिल होने की वजह से किस तेजी से हमने इस महादेश को अखंड तेलयुद्ध में झुलसता आखेटगाह में तब्दील कर दिया है।हमें झुलसने का अहसास भी नहीं है।

भारत में होने वाली हर हलचल बांग्लादेश में सबसे पहले सुनामी बनती है और बंगाल की खाड़ी में बन रही यह सुनामी दुनियाभर में हिंदुओं के जान माल के लिए सबसे बड़ी आपदा बन जाती है।चूंकि बांग्लादेश बनने से पहले पूर्वी बंगाल की हिंदू आबादी को हिंदू मानने से लगातार भारत और पश्चिम बंगाल की सत्ता ने इंकार किया है और राजनीति ने हमेशा सीमापार से आने वाले शरणार्थी सैलाब को बंधुआ वोट बैंक बनाया है तो बांग्लादेश में अल्पसंख्यक उत्पीड़न भारत या इसके किसी राज्य के लिए या पश्चिम बंगाल के लिए कभी सरदर्द का सबब रहा है।

विडंबना है कि महात्मा गौतम बुद्ध के सत्य और अहिंसा की भावभूमि में रवींद्र और गांधी का भारत तीर्थ हिंसा और प्रतिहिंसा का अखंड महाभारत है और भरतीयता के गौरवशाली इतिहास भूगोल का निर्णायक नरसंहारी निष्कर्ष ग्लोबल मुक्तबाजार है।

धर्म और नैतिकता का हमसे कोई दूर दूर का वास्ता नहीं है।अर्थशास्त्र की भाषा में कहे तो हमारी नागरिकता अखंड उपभोक्तावाद है और हम सीमेंट के जंगल में आबाद द्वीपों के इकलौते वाशिंदे हैं तो हमारा स्वजन भी कोई नहीं है।

उत्पीदन प्रणाली है ही नहीं है।जो है बाजार है और बाजार लबालब बेहतरीन ब्रांड का स्वादिष्ट जायका है और हमारी सारी लड़ाई इस बाजार में बने रहने के लिए अखंड नकदी का है और इस खातिर अबाध पूंजी की सैन्य सत्ता से हमारा नाभि नाल जुड़ा है।इसी वजह से चूंकि हमारे कोई उत्पादक संबंध है ही नहीं और न हमारा अब कोई कोई समाज है और न कोई संस्कृति है।सनातन और सत्य तो कुछ है ही नहीं।

हमारा इहलोक परलोक हिंसा का बीजगणित और प्रतिहिंसा का रसायनशास्त्र है तो हमारी राष्ट्रीयता अभूतपूर्व अराजक हिंसा की भौतिकी है क्योंकि आतंक के खिलाफ साम्राज्यवादी महायुद्ध के महाबलि बनकर हम टुकड़ा टुकड़ा गृहयुद्ध के असंख्य कुरुक्षेत्र से घिरेर हुए हैं।हम सारे लोग चक्रव्यूह में जाने अनजाने घुसे हुए लोग हैं और मारे जाने को नियतिबद्ध हैं।निमित्तमात्र हैं।

इस अभूतपूर्व हिंसा और प्रतिहिंसा के दुष्चक्र से अंततः इस महाभारत में कोई नहीं बचेगा अगर हम अभी से मुक्तबाजार के खिलाफ लामबंद न हो।

राजनीति और राजकाज लोकतांत्रिक व्यवस्था के मुताबिक हम जब चाहे तब बदल सकते हैं,लेकिन दसों दिशाओं में घृणा और हिंसा का जो मनुष्यविरोधी प्रकृति विरोधी पर्यावरण है,उसे बदलना असंभव है।

मैं किन्हीं अमूर्त अवधारणाओं की बात नहीं कर रहा हूं और न दर्शन और जीवन दर्शन का ज्ञान बघारने जा रहा हू।हमने विकास के बहाने जो रौरव नौरक का कुंभीपाक चुना है,उसका ब्यौरा पेश करके आने वाले संकट की तरफ आपका ध्यान खींच रहा हूं।

बांग्लादेश के मुख्य दैनिक जुगांतर ने रामकृष्ण मिशन पर हमले की धमकी पर भारत के प्रधानमंत्री और पश्चिम बंगाली की मुख्यमंत्री की फिक्र पर खबर बनाया है जो इस प्रकार हैः

ঢাকার রামকৃষ্ণ মিশনে আইএস হুমকিতে মোদী-মমতার উদ্বেগ
ঢাকার রামকৃঞ্চ মিশনের সহ-সম্পাদক স্বামী সেবান্দকে চিঠি পাঠিয়ে হত্যার হুমকি দিয়েছে সন্দেহভাজন জঙ্গি সংগঠন আইএস। এতে গভীর উদ্বেগ প্রকাশ করেছেন ভারতের প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী ও পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

কলকাতার বাংলা দৈনিক আনন্দবাজার পত্রিকার এক প্রতিবেদনে তাদের এ উদ্বেগের কথা তুলে ধরা হয়েছে।

প্রতিবেদনে বলা হয়েছে, চিঠি পাঠিয়ে ঢাকার রামকৃষ্ণ মিশনের সহ-সম্পাদক স্বামী সেবানন্দকে খুনের হুমকি দিল সন্দেহভাজন আইএস জঙ্গিরা।

এ ঘটনায় বাংলাদেশে যেমন আতংক ছড়িয়েছে, প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী ও মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ও উদ্বিগ্ন। প্রধানমন্ত্রীর দফতর থেকে ভারতীয় হাই কমিশনের মাধ্যমে ঢাকার রামকৃষ্ণ মিশনের সঙ্গে যোগাযোগ করে আশ্বস্ত করা হয়েছে।

বাংলাদেশের স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী আসাদুজ্জামান খান কামাল বিষয়টিকে রাজনৈতিক চক্রান্ত বলে উল্লেখ করেন। বলেন, সংখ্যালঘুদের নিশানা করে সরকার ও দেশের ভাবমূর্তি কলঙ্কিত করার চক্রান্ত হচ্ছে। বাংলাদেশ শুধু মুসলমানদের দেশ নয়। হিন্দু-বৌদ্ধ-খ্রিস্টানরাও এ দেশের সম্মাননীয় নাগরিক। সরকার তাদের পাশে রয়েছে।

বৃহস্পতিবার আইএস (ইসলামিক স্টেটস)-এর নামে এ বি সিদ্দিকের লেখা একটি চিঠি ঢাকার রামকৃষ্ণ মিশনে আসে। তাতে মিশনের সহ সম্পাদককে অবিলম্বে ভারতে চলে যেতে বলা হয়। না হলে ২০ থেকে ৩০ জুনের মধ্যে কুপিয়ে হত্যা করার হুমকি দেয়া হয় তাকে। মিশনের তরফে ঢাকার ওয়ারি থানায় ডায়েরি করে চিঠির একটি অনুলিপি তুলে দেয়া হয়। এর পরে পুলিশ মিশনের নিরাপত্তার জন্য বাহিনী মোতায়েন করেছে। ঢাকেশ্বরী মন্দিরের নিরাপত্তাও জোরদার করা হয়েছে।

ঢাকায় হুমকির পরিপ্রেক্ষিতে এ দিন বেলুড় রামকৃষ্ণ মিশনের সাধারণ সম্পাদক স্বামী সুহিতানন্দ প্রধানমন্ত্রী ও মুখ্যমন্ত্রীকে চিঠি দিয়ে উদ্বেগ প্রকাশ করেন। চিঠিতে বলা হয়, ‘বাংলাদেশে মিশনের ১৪টি কেন্দ্র রয়েছে। এগুলো সে দেশে বিভিন্ন সেবামূলক কাজ করে। কিন্তু গত কয়েক মাস ধরে সেই কাজে বার বার বিঘ্ন ঘটছে।’

চিঠিচিঠিতে বলা হয়েছে, গত কয়েক মাস ধরেই মিশনের সন্ন্যাসীদের ফোন করে বা চিঠি পাঠিয়ে ‘কোতল করার’ হুমকি দেয়া হচ্ছে। মানিকগঞ্জে মিশনের সাটুরিয়া বালিয়াটি মিশনে এর আগে গত ডিসেম্বরের ১৫ তারিখে চিঠি দিয়ে মহারাজকে খুনের হুমকি দেয়া হয়েছিল। বিষয়টি অবিলম্বে কেন্দ্রের গোচরে আনার নির্দেশ দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী।

প্রধানমন্ত্রী মোদীর সঙ্গে রামকৃষ্ণ মিশনের সম্পর্ক দীর্ঘদিনের। কিছু দিন আগেও মোদী কলকাতায় এসে বেলুড় মঠে ঘুরে গেছেন। তার দফতরে চিঠি পৌঁছানোর পরে প্রধানমন্ত্রী নিজে বিষয়টি নিয়ে তৎপর হন। দফতরের সহকারী সচিব ভাস্কর খুলবেকে বিষয়টি সমন্বয়ের দায়িত্ব দেয়া হয়। অবহিত করা হয় বিদেশমন্ত্রী সুষমা স্বরাজকেও। ঢাকায় ভারতীয় হাই কমিশনের তরফে সেখানকার মিশনের প্রধান স্বামী ধ্রুবেশানন্দের সঙ্গে যোগাযোগ করা হয়। বাংলাদেশের পরিস্থিতি নিয়ে ঢাকার হাই কমিশনার হর্ষবর্ধন স্রিংলা বিদেশ মন্ত্রককে একটি রিপোর্ট দেন, যা প্রধানমন্ত্রীর দফতরে পাঠানো হয়েছে।

বিদেশ মন্ত্রক সূত্রে খবর, তাদের রিপোর্টে বলা হয়েছে— জঙ্গি দমনে শেখ হাসিনা সরকার সম্প্রতি সর্বাত্মক অভিযান শুরু করেছে। এর ফলে মৌলবাদী ও জঙ্গিদের মনোবলে যথেষ্ট চিড় ধরেছে। এই কারণে সংখ্যালঘুদের ওপর চোরাগোপ্তা হামলা ও হুমকি দিয়ে আতংক ছড়ানোর কৌশল নিয়েছে জঙ্গিরা। গত দেড় মাসে হিন্দু, খ্রিস্টান, বৌদ্ধ ধর্মস্থানে বেশ কয়েকটি হামলা হয়েছে। কয়েক জন পুরোহিত ও ধর্মগুরুকে চোরাগোপ্তা হামলায় হত্যাও করা হয়েছে। বুধবারও মাদারিপুরে এক সংখ্যালঘু কলেজ শিক্ষকের বাড়িতে ঢুকে তার ওপর হামলা করা হয়েছে। কিন্তু বাংলাদেশ সরকার বিষয়টি যথেষ্ট গুরুত্ব দিয়েই দেখছে। জঙ্গিদের বিরুদ্ধে অভিযান শুরু করেছে। রিপোর্টে বলা হয়েছে, আইএস-এর নাম করে নাশকতা চালানো জেএমবি ও আনসারুল্লা জঙ্গিদের বহু নেতাকর্মীকে পুলিশ গ্রেফতার করেছে। পড়শি দেশে জঙ্গিবিরোধী এই অভিযান ভারতের নিরাপত্তার পক্ষেও বিশেষ গুরুত্বপূর্ণ।

বাংলাদেশের স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অবশ্য সংখ্যালঘুদের আশ্বস্ত করছেন। তিনি জানান, সংখ্যালঘুদের নিরাপত্তার দায়িত্ব সরকারের। তার ভাষায়, বাংলাদেশকে জঙ্গি অধ্যুষিত দেশ বলে তুলে ধরার জন্যই এই চোরাগোপ্তা হামলা চলছে, যার পেছনের রাজনৈতিক মাথাদের চিহ্নিত করা গেছে। এ বার ধরার পালা।

মাস দুয়েক পরে বাংলাদেশে আর এমন ঘটনা ঘটবে না, দাবি কামালের।
http://www.jugantor.com/online/national/2016/06/17/16551/%E0%A6%A2%E0%A6%BE%E0%A6%95%E0%A6%BE%E0%A6%B0-%E0%A6%B0%E0%A6%BE%E0%A6%AE%E0%A6%95%E0%A7%83%E0%A6%B7%E0%A7%8D%E0%A6%A3-%E0%A6%AE%E0%A6%BF%E0%A6%B6%E0%A6%A8%E0%A7%87-%E0%A6%86%E0%A6%87%E0%A6%8F%E0%A6%B8-%E0%A6%B9%E0%A7%81%E0%A6%AE%E0%A6%95%E0%A6%BF%E0%A6%A4%E0%A7%87-%E0%A6%AE%E0%A7%8B%E0%A6%A6%E0%A7%80-%E0%A6%AE%E0%A6%AE%E0%A6%A4%E0%A6%BE%E0%A6%B0-%E0%A6%89%E0%A6%A6%E0%A7%8D%E0%A6%AC%E0%A7%87%E0%A6%97

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcom

Website counter

Census 2010

Followers

Blog Archive

Contributors