Saturday, January 28, 2012

आधी आबादी को नहीं मिलेगा आधार परिचय, जैसा कि हम लगातार आगाह करते रहे हैं। इससे कारपोरेट लूटखसोट के लिए मुलनिवासी बहुजनों, खासकर आदिवासियों, घूमंतू जातियों, शरणार्थियों, शहरी गरीबों और अल्पसंख्यकों को नागरिकता के ​​अधिकार से वंचित करने की तैयारी है। इ


आधी आबादी को नहीं मिलेगा आधार परिचय, जैसा कि हम लगातार आगाह करते रहे हैं। इससे कारपोरेट लूटखसोट के लिए मुलनिवासी बहुजनों, खासकर आदिवासियों, घूमंतू जातियों, शरणार्थियों, शहरी गरीबों और अल्पसंख्यकों को नागरिकता के ​​अधिकार से वंचित करने की तैयारी है। इस गैरकानूनी योजना को आखिर कारपोरेट बहुआयामी आक्रमण का मौलिक हथियार बनाकर ​​मनुस्मृति शासन को सशक्त करने का माध्यम बनाया जारहा है।​प्रस्तावित यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर (यूआईडी) किसी कर्मचारी का भविष्य निधि (पीएफ) खाता नंबर भी होगा। जिसकी बदौलत कर्मचारी के किसी संस्थान बदलने पर नया पीएफ खाता खोलने की जरूरत नहीं होगी और कम समय में पीएफ की रकम ट्रांसफर हो सकेगी। यह कार्ड आने के बाद कर्मचारी के पूरे कार्यकाल के दौरान पीएफ नंबर एक ही रहेगा।

संसद की स्थायी समिति ने उस परियोजना को खत्म करने की सिफारिश की है, जिसके तहत देश के हरेक नागरिक के लिए 'आधार' नाम से विशिष्ट पहचान प्रणाली के कार्ड दिए भी जा रहे थे।ओबीसी की गिनती के लिए संसदीय सहमति का उल्लंघन हुआ , उसी तरह आधार  परियोजनापर संसद को बायपास किया जा​
​रहा है।

​​
​पलाश विश्वास

http://palashbiswaslive.blogspot.com/

संसद की स्थायी समिति ने उस परियोजना को खत्म करने की सिफारिश की है, जिसके तहत देश के हरेक नागरिक के लिए 'आधार' नाम से विशिष्ट पहचान प्रणाली के कार्ड दिए भी जा रहे थे।ओबीसी की गिनती के लिए संसदीय सहमति का उल्लंघन हुआ , उसी तरह आधार  परियोजनापर संसद को बायपास किया जा​
​रहा है।आज हुई कैबिनेट की बैठक में इसके तहत जून 2013 तक और 40 करोड़ लोगों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया। फिलहाल इसके तहत मार्च 2012 तक 20 करोड़ लोगों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में योजना के लिए 5500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट मंजूर किया गया है। बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक, जून 2013 बायोमेट्रिक डाटा इकठ्ठा करने का काम पूरा होगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में समिति की बैठक हुई। इसमें गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच खींचतान दूर करने की कोशिश हुई।

ऩागरिक की निजता और गोपनीयता अब खारपोरेट की मुनाफाखोरी के हवाले है। मूलतः नाटो की य़ह योजना अमेरिका के आतंकवाद ​​के खिलाफ  युद्ध का हिस्सा है, जिसे उसके सहयोगी देशों ने ठुकरा दिया है।इंग्लैंड में तो इसके खिलाफ सरकार का तख्ता ही पलट गया और नई सरकार ने इस जनविरोधी परियोजना को सिरे से खारिज कर दिया है

वर्ष 1991 में भारत सरकार के वित्त मंत्री ने ऐसा ही कुछ भ्रम फैलाया था कि निजीकरण और उदारीकरण से 2010 तक देश की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी, बेरोज़गारी खत्म हो जाएगी, मूलभूत सुविधा संबंधी सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी और देश विकसित हो जाएगा. वित्त मंत्री साहब अब प्रधानमंत्री बन चुके हैं.

देश के सभी नागरिकों को विशिष्ट पहचान नंबर देने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की ओर से जुटाए जा रहे बायोमीट्रिक आंकड़ों को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि इन आंकड़ों को एकत्रित किए जाने की प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित (फूलप्रूफ) नहीं है और इसके गलत इस्तेमाल की आशंका है।यूआइडीएआइ का मामला एकदम ताजा है। नागरिक अधिनियम के तहत सरकार के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर रखने और सभी को एक राष्ट्रीय पहचान पत्र देने की आवश्यकता का प्रावधान रखा गया है। लेकिन योजना आयोग के हस्तक्षेप से आधार संख्या की अवधारणा सामने आई है।खुद गृह मंत्रालय लगातार इस पर सवाल उठा रहा है। संसद की स्थायी समिति भी यूआइडीएआइ विधेयक को अव्यावहारिक मानते हुए इसे नामंजूर कर चुकी है। यूआइडीएआइ अब तक 12 करोड़ लोगों को आधार संख्या वितरित कर चुकी है। अगर यह परियोजना बीच में रुकती है तो बांटे जा चुके आधार संख्या का क्या होगा, इस बारे में सरकार ने अब तक कुछ स्पष्ट नहीं किया है।

प्रस्तावित यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर (यूआईडी) किसी कर्मचारी का भविष्य निधि (पीएफ) खाता नंबर भी होगा। जिसकी बदौलत कर्मचारी के किसी संस्थान बदलने पर नया पीएफ खाता खोलने की जरूरत नहीं होगी और कम समय में पीएफ की रकम ट्रांसफर हो सकेगी। यह कार्ड आने के बाद कर्मचारी के पूरे कार्यकाल के दौरान पीएफ नंबर एक ही रहेगा।विवाद की मुख्य वजह लोगों का बायोमैट्रिक डाटा है। एक तरफ़ गृह मंत्रालय का कहना है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर की मदद से आंकड़े जुटाने का अधिकार है। यूआईडीएआई के प्रमुख नंदन नीलकेणी को भी सरकार ने सूचना इकट्ठा करने का काम सौंपा गया है।


विशिष्ट पहचान संख्या आधार को लेकर गृह मंत्रालय, यूआईडी प्राधिकार और योजना आयोग के बीच विवाद का पटाक्षेप करते हुए सरकार ने इसके दायरे को तीन गुना बढ़ाकर देश की आधी आबादी तक इसकी पहुंच बढा दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद तीनों पक्ष एक मंच पर आ गए और यूआईडी आधार के दायरे, बायोमेट्रिक डाटा तथा कार्ड बनाने की प्रक्रिया पर सहमत हो होने की जानकारी दी। सरकार ने विशिष्ट पहचान संख्या आधार को लेकर विवाद का पटाक्षेप करते हुए इसके दायरे को तीन गुना कर 60 करोड लोगों को इसकी पहुंच में लाने का फैसला किया है आधार कार्ड बनाने को लेकर गृह मंत्रालय . भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण . यू आई डी ए आई . और योजना आयोग के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी यू आई डी ए आई से संबंधित केंद्रीय मंत्रिमंडल की समिति की आज यहां हुई बैठक में विस्तृत विचार विमर्श के बाद इस बात पर सहमति बनी कि आधार कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर . एन पी आर . का काम एक साथ चलेगा लेकिन इसमें आंकडों के दोहराव को रोकने के लिए जरूरी उपाय किए जाएंगे

स्पष्ट लक्ष्य, ध्यान निशाने पर
नंदन नीलेकणि मानते हैं कि उनकी कामयाबी का एक प्रमुख कारण यह रहा है कि उन्होंने इन्फोसिस की स्थापना के पहले अपना लक्ष्य तय कर रखा था और उसी पर अपना सारा ध्यान केंद्रित भी कर लिया था। 'हम सभी इस बात पर एकमत और दृढ़ थे कि हमें किस इंडस्ट्री में जाना है और उसके किस क्षेत्र पर ध्यान टिकाना है। हमारा बिजनेस मॉडल क्या होगा और हम किस वैल्यू सिस्टम को अपनाएंगे। हमारे मुखिया कौन होंगे, उनके क्या अधिकार होंगे और किन बातों का फैसला वह अपने सहयोगियों से पूछे बिना नहीं करेंगे।

...स्पष्ट लक्ष्य के कारण ही इन्फोसिस नास्दाक में लिस्टेड पहली भारतीय कंपनी बनी। अपने कर्मचारियों को स्टॉक ऑप्शन देने वाली पहली कंपनी भी बनी। अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहने के कारण ही केवल दस हजार रुपये और एक फ्लैट के ड्रॉइंग रूम से शुरू  होने वाली यह कंपनी 2004 में एक अरब डॉलर के कारोबारी लक्ष्य तक पहुंच सकी।'

नीलेकणि मानते हैं कि 60 व 70 के दशक में हम आबादी को चिंता के रूप में देखते थे। आज हमें लगता है कि वह मानव संपदा है। 'आज चीन व जापान सहित दुनिया के कई देशों में बुजुर्गों की संख्या बहुत ज्यादा है। भारत ही ऐसा देश है, जो युवाओं का देश है। हम उद्यमियों को अब शंका की निगाह से नहीं, विकास के सारथी के रूप में देखते हैं। अब हम अंग्रेजी को साम्राज्यवाद की भाषा नहीं कहते, बल्कि दुनिया से जुड़ने का औजार मानते हैं। आजादी के बाद बरसों तक हम अपने अधिकारों के प्रति उतने सजग नहीं थे, पर आज हैं। टेक्नोलॉजी  ने हमें पूरी तरह बदलकर रख दिया है।

समिति ने यू आई डी ए आई के तीसरे चरण की शुरुआत की मंजूरी दे दी उसने मार्च 2017 तक इस परियोजना को पूरा करने के लिए 8814 करोड 75 लाख रुपए की धनराशि की मंजूरी दी इस राशि में से 2412 करोड 67 लाख रुपए रोजमर्रा के संचालन खर्च के लिए और 6402 करोड आठ लाख रुपए परियोजना के बाकी खर्च के लिए होंगे अब सरकार जनसंख्या और आधार के आंकड़ों को आपस में मिलाने पर विचार कर रही है। इस पर अधिकारियों का एक समूह काम कर रहा है। सरकार के भीतर इस मसले पर मची खींचतान की भाजपा ने आलोचना की है। भाजपा ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। यूआइडीएआइ [यूनिक आइडेंटीफिकेशन अथारिटी ऑफ इंडिया] के चेयरमैन नंदन नीलकेणि के मुताबिक सरकार खुद राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और आधार के आंकड़ों को आपस में मिलाने पर विचार कर रही है। यह कब तक हो पाएगा, यह कहना मुश्किल है। शुक्रवार को बेंगलूरमें नीलकेणि ने कहा कि अब यह मामला कैबिनेट के समक्ष विचाराधीन है।

सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यूआईडीएआई के पास अगर कोई व्यक्ति अपना नाम, फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट और आंख की पुतलियों की फोटो उपलब्ध कराता है तो इसके सत्यापन (वेरीफिकेशन) का कोई प्रावधान नहीं है। इस बात की आशंका ज्यादा रहती है कि कोई व्यक्ति अपनी पहचान की गलत प्रोफाइल बनवा सकता है। उनका यह भी कहना है कि बिना किसी वेरीफिकेशन के दस्तावेज जमा कर यूआईडी हासिल की जा सकती है और मुंबई का रहने वाला कोई भी व्यक्ति दिल्ली से आसानी से यूआईडी नंबर हासिल कर सकता है।

सुरक्षा एजेंसियों की इस चिंता को लेकर समझा जाता है कि गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने योजना को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप किए जाने और यूआईडी पर बनी कैबिनेट कमेटी से राय-मशविरा करने को कहा है। गौरतलब है कि नंदन नीलेकणि की अगुवाई वाला यूआईडीएआई योजना आयोग के मातहत कार्य करता है।

बैठक के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने यू आई डी ए आई के प्रमुख नंदन नीलेकणि और योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की मौजूदगी में कहा कि आधार का दायरा बीस करोड से बढाकर 60 करोड किया गया है इसके अलावा बायोमेट्रिक डाटा एकत्र करने में दोहराव की गुंजाइश खत्म करते हुए तय गया है कि एन पी आर और आधार तैयार करने के लिए दो .. दो बार ये आंकडे नहीं लिए जाएंगे समिति के निर्णय के अनुसार एक एजेंसी द्वारा एकत्र डाटा को दूसरी एजेंसी स्वीकार कर लेगी

नीलेकणि ने कहा कि आधार कार्ड तैयार करने में सुरक्षा के मुद्दों को पूरी गंभीरता से लिया गया है इसकी प्रक्रिया में समुचित एहतियाती उपाय अपनाते हुए अप्रैल से कार्ड बनाने का काम फिर शुरू कर दिया जाएगा

आधार कार्ड के लिए बायोमेट्रिक डाटा लेने के मुद्दे पर गृह मंत्रालय ने सुरक्षा संबंधी मामले उठाए थे चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी

आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया मतभेदों के कारण अधर में लटकी लग रही थी ताजा सहमति के अनुसार यू आई डी ए आई 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आधार कार्ड बनाने के लिए पंजीकरण जारी रखेगा और शेष देश में ये आंकडे एन पी आर से लिए जाएंगे

अहलूवालिया ने इन आशय की खबरों को निराधार बताया कि आयोग इस मामले में किसी प्रकार की आपत्ति कर रहा था

गृह मंत्रालय ने आधार कार्ड और एन पी आर तैयार करने की प्रक्रिया सुचारू ढंग से चलाने के लिए एक अंतर मंत्रालय समन्वय समिति का गठन किया है जो इस संबंध में व्यापक प्रक्रिया तय करेगी

चालीस करोड अतिरिक्त आधार कार्ड तैयार करने पर होने वाले खर्च का प्रस्ताव व्यय वित्त समिति . ई एफ सी . के सामने रखा जाएगा इस बीच यू आई डी ए आई अपना काम जारी रखेगा ताकि इसकी रफ्तार को बरकरार रखा जा सके इस संबंध में 2012..13 के बजट में धन राशि का प्रावधान किया जाएगा

अन्य पहचान विकल्पों के साथ ही मोबाइल कनेक्शन के सिम कार्ड के लिए यूआईडी या विशेष पहचान नंबर 'आधार' भी जरूरी होगा। इस नंबर के माध्यम से मोबाइल कनेक्शन कैसे दिए जाएंगे, इसकी राह में किस तरह की बाधा आ सकती है, इसका अध्ययन करने के लिए जल्द ही सरकार दिल्ली, बेंगलुरू, हैदराबाद सहित कुछ अन्य शहरों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने वाली है। अगले तीन से चार महीने में प्रोजेक्ट शुरू होने के आसार हैं।

आतंकी और आपराधिक मामलों में मोबाइल फोन के बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय लगातार दूरसंचार मंत्रालय को सभी ग्राहकों के शत-प्रतिशत सत्यापन के बाद ही सिम जारी करने की सलाह देता रहा है। सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग और आधार ने इसके लिए निजी ऑपरेटरों से चर्चा शुरू कर दी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत दुकानों पर एक विशेष तरह का हाथ से चलने वाला उपकरण रखा जाएगा। जो आधार नंबर को सत्यापित करेगा। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को सिम कार्ड जारी कर दिया जाएगा। 'यह उपकरण पंद्रह सौ रुपए से लेकर ढाई हजार रुपए के बीच होगा। जिससे व्यापक स्तर पर इसका उपयोग हो पाए।


दायरा बीस करोड़ से बढ़ाकर 60 करोड़
गृहमंत्री पी चिदंबरम ने यूआईडी प्राधिकरण के प्रमुख नंदन नीलेकणि और योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की मौजूदगी में कहा कि आधार का दायरा बीस करोड़ से बढ़ाकर 60 करोड़ किया गया है। इसके अलावा बायोमेट्रिक डाटा एकत्र करने में दोहराव की गुंजाइश खत्म करते हुए तय किया गया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और यूआईडी आधार तैयार करने के लिए दो-दो बार ये आंकड़े नहीं लिए जाएंगे।

अप्रैल से कार्ड बनाने का काम फिर शुरू
कैबिनेट के निर्णय के अनुसार एक एजेंसी द्वारा एकत्र डाटा को दूसरी एजेंसी स्वीकार कर लेगी और दोहराव की गुंजाइश नहीं होगी। नीलेकणि ने कहा कि आधार कार्ड तैयार करने में सुरक्षा के मुद्दों को पूरी गंभीरता से लिया गया है और इसकी प्रक्रिया में समुचित एहतियाती उपाय अपनाते हुए अप्रैल से कार्ड बनाने का काम फिर शुरू कर दिया जाएगा।

मतभेदों के कारण बाधित हो गई थी प्रक्रिया
आधार कार्ड के लिए बायोमेट्रिक डाटा लेने के मुद्दे पर गृह मंत्रालय ने सुरक्षा संबंधी मामले उठाए थे और चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी। यूआईडी बनने की प्रक्रिया मतभेदों के कारण बाधित हो गई थी और पूरी परियोजना अधर में लटक गई थी। ताजा सहमति के अनुसार यूआईडी प्राधिकरण 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में आधार कार्ड बनाने के लिए पंजीकरण जारी रखेगा और शेष देश में ये आंकड़े एनपीआर से ले लिए जाएंगे।

कार्ड जारी करने का लक्ष्य जून 2013
एनपीआर तैयार करने और यूआईडी कार्ड जारी करने का लक्ष्य जून 2013 तय किया गया है। अहलूवालिया ने इन आशय की खबरों को निराधार बताया कि आयोग इस मामले में किसी प्रकार की आपत्ति कर रहा था।

संस्थान बदलने से नहीं बदलेगी पीएफ खाते की संख्या
केंद्रीय श्रम और रोजगार सचिव पीसी चतुर्वेदी ने सोमवार को इसकी बात की पुष्टि की लेकिन साफ भी किया कि यूआईडी में पीएफ खाता नंबर शामिल करने से पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों का कंप्यूटरीकरण जरूरी है। इसके लिए मार्च 2012 तक की समय सीमा तय की गई है। क्षेत्रीय कार्यालयों और उप-कार्यालयों के कंप्यूटरीकृत होते ही यूआईडी कार्ड का इस्तेमाल बतौर पीएफ नंबर भी हो सकेगा। ऐसा होने से कर्मचारी पीएफ खातों के बारे में ऑनलाइन जानकारी हासिल करने, पीएफ ट्रांसफर और खाते से रकम निकालने के लिए ऑनलाइन आवेदन जैसी सुविधाएं उठा सकेंगे।

मौजूदा समय में जब कोई कर्मचारी अपनी नौकरी बदलता है तो उसके पीएफ की रकम को पुराने खाते से नए खाते में हस्तांतरित करने में महीनों लग जाते हैं। इसी से ज्यादातर कर्मचारी पुराने खाते से रकम दूसरे खाते में ट्रांसफर करने के बजाए नई नौकरी के साथ नया खाता खोलना पसंद करते हैं। हालांकि एक कर्मचारी के दो तीन पीएफ खाते होने की वजह से ईपीएफओ को खातों के रखरखाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। संगठन को सालाना 60 लाख से ज्यादा दावों का निपटारा करना पड़ता है।

यूआईडीएआई से टकराव नहीं: चिदंबरम


मामल्लपुरम : अपने मंत्रालय और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के बीच किसी तरह के संघर्ष की रिपोर्ट को खारिज करते हुए गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के आवास पहचान कार्ड में भविष्य में आधार संख्या को शामिल करने पर विचार कर रही है।

तमिलनाडु के तटीय इलाके में पट्टीपुल्म गांव में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के तहत स्मार्ट कार्ड वितरीत करने के कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए चिदंबरम ने कहा, कुछ मीडिया रिपोर्ट में गृह मंत्रालय और यूआईडीएआई के बीच संघर्ष की स्थिति की खबरें आई लेकिन यह सही नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि आधार एक विशिष्ठ संख्या है जबकि स्मार्ट कार्ड समग्र ब्यौरा होगा।

उन्होंने कहा, आधार विशिष्ट पहचान संख्या है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पहचान कार्ड जारी करती है जिसमें सभी जरूरी सूचना होगी। अगर इसमें आधार संख्या को शामिल कर लिया जाता है जब इसे विशेष दर्जा प्राप्त हो जाएगा। चिदंबरम की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच संघर्ष की स्थिति की खबरें सामने आई है। यूआईडीएआई योजना आयोग के तहत आती है।

आधार कार्ड जारी करने में फर्जीवाड़े का खुलासा

रामकुमार/हरदीप लश्करी | नई दिल्ली, 24 जनवरी 2012 | अपडेटेड: 23:56 IST

टैग्स: पहचान योजना |  आधार कार्ड |  यूआईडी कार्ड |  धांधली |  फर्जीवाड़ा |  आजतक का खुलासा


री करने का काम देश में जोरों शोरों से चल रहा है. अब तक करीब 12 करोड़ लोगों को यूआईडी नंबर जारी भी किया जा चुके हैं. लेकिन इससे पहले कि यूपीए सरकार की सबसे चहेती और सुपर एडवांस्ड योजना परवान चढ़ पाती इसको लेकर गंभीर सवाल खड़े होने शुरू हो गये हैं.
इस खुलासे से आपके भी होश उड़ जायेंगे कि कैसे राजधानी दिल्ली में एमएलए और एमपी वोटों के चक्कर में देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रहे हैं. आजतक को पता चला कि देश का सबसे बड़ा पहचान पत्र बिना किसी पहचान के बांटा जा रहा है तो आजतक ने खुफिया कैमरे के साथ तहकीकात शुरू की तो एक खतरनाक तस्वीर सामने आई. हमने जाना कि कैसे कोई विदेशी आंतकी बिना किसी परेशानी के भारतीय होने की पहचान आसानी से हासिल कर सकता है.
दरअसल यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने आधार कार्ड को बनवाने के लिए ज़रूरी काग़जातों में छूट देने का अधिकार स्थानीय रजिस्ट्रार को दे दिया, जिसका सबसे गलत फायदा वोट बैंक के चक्कर में स्थानीय नेता उठा रहे हैं. ये लोग यूआईडी कार्ड बनवाने की जुगत लगे हैं. कोई पहचान पत्र नहीं है तो नेताजी के घर पर बंट रहे प्रमाण पत्र के लिए लाइन में लगे हैं. नेताजी के चमचे भी धड़ाधड़ साइन करने और ठप्पा मारने में लगे हैं. जितना ज्यादा प्रमाण पत्र बटेंगे, इलाके में नेताजी का उतना ही गुडविल बढ़ेगा. अब इसके लिए देश की सुरक्षा से समझौता करने पड़े तो भला किसे परवाह है.
दरअसल यूआईडी कार्ड बनवाने के लिए तीन दस्तावेज मुख्य तौर पर संलग्न करने ज़रूरी हैं. ये हैं 1. फोटो पहचान पत्र, 2. जन्म तिथि प्रमाण पत्र, 3. आवास प्रमाण पत्र. ऐसे में अस्थायी पते पर रहने वाले लोगों की परेशानी को देखते हुए यूआईडी अथॉरिटी ने आवास प्रमाण पत्र के लिए स्थानीय विधायक और सांसद के द्वारा जारी किये गये प्रमाण पत्र को मान्यता दे दी. बस यहीं से इस धांधली की शुरूआत हुई.
जनप्रतिनिधियों ने बिना किसी जान-पहचान और वेरिफिकेशन के लैटर हैड पर आवास प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया. हद तो ये है कि विधायकों और सांसदों ने पहले से ही लैटर पैड पर प्रमाण पत्र प्रिंट करा रख लिए हैं. जिनको पाने के लिए सुबह होते ही लोगों की लंबी कतार लग जाती है. बस इस प्रिटेंड लैटर हेड पर अपना पता भरिये और बन गया आवास प्रमाण पत्र.
यूआईडी केंद्रों में इस प्रमाण पत्र की दबंगई ऐसी है कि वहां बैठा कर्मचारी जन्मतिथि और आपकी पहचान के बारे में आपसे कोई सवाल-जवाब नही करेगा. कोई नहीं जानता कि इस तरीके से पहचान पत्र हासिल करने वालों की असली पहचान क्या है और इस बात की क्या गांरटी है कि कुछ विदेशी घुसपैठियों और आतंकियों ने इस तरीके से आधार कार्ड ना हासिल कर लिया हो.
आधार कार्ड के साथ हो रहे खिलवाड़ में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले सच हैं जनप्रतिनिधियों के नाम पर होते गड़बड़झाले. नेताओं के लेटर हेड पर बिना किसी पूछताछ के बन रहे हैं आवास प्रमाण पत्र. नेताओं के लेटर हेड पर फर्जी दस्तखत हो रहे हैं और उन्हीं के आधार पर बन रहे हैं आधार कार्ड.
पहचान पत्र बनवाने की तलाश में आजतक पहुंचा पश्चिमी दिल्ली से सांसद महाबल मिश्रा के निवास पर. वहां देखा कि नेता जी के लैटर हैड पर पहचान पत्र पाने के लिए पहले से ही लंबी लाइन लगी है. लेकिन अंदर बैठे मातहत कर्मचारी जल्दी काम निपटाने में लगे थे. बस हम भी लग गये लाइन में. नंबर आया तो वहां बैठे कर्मचारी ने बस हमसे एक फोटो और पता मांगा.
हमने फर्जी पता बताया. लेकिन उस शख्स ने बिना किसी जांच-परख किये पहले से प्रिटेंड लैटर पैड पर हमारा पहचान और आवास प्रमाण पत्र तैयार कर दिया. तुरंत ही लैटर पर साइन और ठप्पा लगाने के लिए पर्चा आगे बढ़ा दिया गया. मैंने एक और शख्स की फोटो देकर उसका भी फर्जी पहचान और आवास प्रमाण पत्र बनवा लिया. मुहर लगने के बाद वहां मौजूद दूसरे शख्स ने सांसद महाबल मिश्रा के हस्ताक्षर कर काम नक्की कर दिया.
सांसद महाबल मिश्रा का प्रमाण पत्र लेकर हम पहुंच गये यूआईडी सेंटर पर. वहां मौजूद कर्मचारियों ने कुछ खानापूर्ति की और मिनटों में ही बन गया हमारा यूआईडी कार्ड. बिना किसी वैरीफिकेशन के जारी किये जा रहे प्रमाण पत्र का सवाल जब हमने सांसद महाबल मिश्रा से पूछा तो उनका जवाब भी कम दिलचस्प नहीं है.
महाबल मिश्रा ने कहा, 'हिन्दूस्तान का कोई भी नागरिक हिंदूस्तानी है. आधार कार्ड से उसकी प्रामाणिकता होगी. आधार कार्ड से उसकी पहचान होगी. क्या नाम है, क्या व्यवसाय करता है, कहां का रहने वाला है. हम नहीं इश्यू करेंगे तो कौन करेगा. हमारा काम रिकमेंड करना है. पड़ताल करना सरकारी अधिकारी का काम है. जो मेरे क्षेत्र में दो साल से रहता है मैं उसे जानता हूं. हमारा काम रिकमेंड करना है.
दरअसल हमारे देश में कोई भी पहचान पत्र फर्जी तरीके से बनवाना बेहद आम बात है और यही समस्या यूनिक आइडेंटिफिकेशन कार्ड की योजना की शुरूआत करने का आधार बनी. किसी भी नागरिक की बायोमैट्रिक जानकारियों के आधार पर बनाये जाने वाला ये कार्ड एक बेहद विश्वसनीय और फर्जीवाड़े से दूर की चीज़ माना गया.
लेकिन देश के हरेक आदमी तक पहुंच बनाने के चक्कर में इसको बनाने के लिए ज़रूरी प्रमाण पत्रों को लेकर बेहद लचीला रवैया अपनाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में देश में घुसपैठ कर चुका कोई भी आंतकी आसानी से भारतीय होने की पहचान आसानी से हासिल कर सकता है. जाहिर है ये देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.
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और भी... http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/690062/Delhi-MPs-MLAs-turn-high-security-UID-cards-into-a-joke.html

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अवधारणाः
आधार- विशिष्ट पहचान का ब्राण्ड नाम एवं प्रतीक चिन्ह।

विशिश्ट पहचान संख्या का ब्राण्ड नाम आधार होगा। यूआईडीएआई द्वारा जारी किये जाने वाले विशिश्ट संख्या का नाम एवं प्रतीक चिन्ह संभावित परिवर्तनकारी कार्यक्रम को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। साथ ही यह पूरे देश में यूआईडीएआई के जनादेश के सार एवं भावना को सूचित करेगा।


यूआईडीएआई का जनादेश प्रत्येक भारतीय निवासी के विशिष्ट पहचान संख्या को उसके जनसांख्यिकीय एवं बायोमेट्रिक जानकारी के साथ जोड़ा जाना है ताकि वह भारत में कहीं भी अपनी पहचान स्थापित कर सके तथा लाभ एवं सेवाओं का उपयोग कर सके। विशिष्ट संख्या (जिसे अब तक यूआईडी कहा गया) जिसे आधार नाम दिया गया है, का अर्थ बुनियाद या आश्रय है। यह शब्द अधिकतर भारतीय भाषाओं में पाया जाता है अतः इसका उपयोग यूआईडीएआई के ब्राण्ड नाम एवं इसके कार्यक्रमों को भारत भर में प्रसारित करने में उपयोग किया जा सकता है।


जैसा कि, यूआईडीएआई के अध्यक्ष श्री नंदन नीलेकणी लिखते हैं ''आधार नाम यूआईडीएआई द्वारा जारी विशिष्ट संख्या के मौलिक योगदान को व्यक्त करता है, विशिष्ट संख्या सार्वभौमिक पहचान के बुनियादी ढांचे के रूप में एक नींव है। जिस पर निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियां सेवायें एवं अनुप्रयोग बनाकर देश भर के निवासियों को लाभ पहुंचा सकती हैं''।

आधार, विशिष्टता की गारंटी एवं केन्द्रीय सजीव (आनलाइन) पहचान सत्यापन ही इन बहु-सेवाओं, अनुप्रयोगों एवं बाजारों को अधिकतम कनेक्टिविटी का आधार प्रदान करेगा।

आधार, निवासियों को देश में कभी भी एवं कहीं भी इन संसाधनों एवं सेवाओं का उपयोग करने की क्षमता प्रदान करता है।

उदाहरण के लिये- आधार, वित्त-पोषण के लिये पूरे देश में पहचान की आधारभूत सुविधा प्रदान करता है। बैंक विशिष्ट संख्या को निवासियों के बैंक खातों को जोड़कर सजीव पहचान को प्रमाणित कर निवासियों को देशभर में कभी भी, कहीं भी खातों का उपयोग करने की अनुमति दे सकते हैं।

आधार, व्यक्तिगत अधिकार के प्रभावशील प्रवर्तन के लिये नीव भी हो सकेंगे। व्यक्ति के राज्य के साथ उसकी व्यक्तिगत पहचान की स्पष्ट मान्यता एवं पंजीयन उसके अधिकारों- जैसे रोजगार, शिक्षा, खाद्य आदि को लागू करने के लिये आवश्यक है। व्यक्ति के पंजीयन, मान्यता को सुनिश्चित कर राज्य इन अधिकारों को दे सकता है।

प्रतीक चिन्हः-

डिजाइन, जो कि आधार के प्रतीक चिन्ह के रूप में चुना गया है, में सूर्य लाल एवं पीले रंग में अपने केन्द्र के चारों ओर अंगुलियों के निशान लिये हुए है। प्रतीक चिन्ह आधार के दृष्टिकोण को प्रभावशाली ढंग से संचारित करता है। यह चिन्ह प्रत्येक व्यक्ति के लिये अवसरों की एक नई सुबह का प्रतिनिधित्व करता है। एक सुबह जो विशिष्ट पहचान से प्रत्येक व्यक्ति के लिये उभरकर आई है।

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प्रतिस्पर्धाः-

यूआईडीएआई द्वारा आधार के लिये फरवरी 2010 में एक राष्ट्रव्यापी प्रतीक चिन्ह प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। उन्हीं सप्ताहों में देश भर से 2000 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी।


विजेता प्रविष्टियों को तय करने के निम्नलिखित मानदंड थेः-

प्रतीक चिन्ह यूआईडीएआई के उद्देश्य एवं लक्ष्य का सार प्रदर्शित करने में सक्षम हो।

प्रतीक चिन्ह से यह संदेश मिलना चाहिए कि आधार, पूरे देश के निवासियों के लिये एक परिवर्तनकारी अवसर है एवं निर्धनों के लिये भी सेवाओं और संसाधनों का उपयोग समान रुप से करता है।

प्रतीक चिन्ह को देश भर में आसानी से समझा एवं संचारित किया जा सके।

प्रतीक चिन्ह प्रतियोगिता में प्राप्त अधिकांश प्रविष्टियां नवीन एवं अत्यंत उच्च गुणवत्ता की थीं। प्रस्तुत डिजाइनों का जागरूकता एवं संचार रणनीति सलाहकार परिषद संचार विशेषज्ञों से युक्त एक सलाहकारों के समूह द्वारा मूल्यांकन किया गया था।


उल्लेखित मापदण्डों के आधार पर परिषद द्वारा अंतिम दौर में पहुंचे डिजाइनों की संक्षिप्त सूची बनायी गयी। परिषद के एक सदस्य श्री किरण खलाप ने कहा ''हमें फायनल में अंतिम विजेता का चयन करने में एक कठिन निर्णय का सामना करना पड़ा।'' शुक्र है! हम चयन के मानदंड के अनुरूप से सहमत थे जिसमें पूर्वाग्रह एवं आत्मीयता बिल्कुल कम थी।


अंतिम दौर के डिजाइनर थेः

माइकल फौली

सेफरन ब्राण्ड कंसलटेंट

जयंत जैन एवं महेन्द्र कुमार

अतुल एस. पाण्डे

विजेता अतुल एस. पाण्डे का डिजाइन नीचे दर्शाया गया है।


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प्रतीक चिन्ह प्रारंभ करना
* * *
26 अप्रैल 2010 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में यूआईडीएआई के पारिस्थितिकी तंत्र इवेंट के दौरान आधार प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया गया।

अतुल एस. पाण्डे को रू.100000/- का पुरस्कार दिया गया एवं अन्य 4 अंतिम विजेताओं को रू. 10000/- का पुरस्कार दिया गया। श्री पाण्डे ने इस अवसर पर कहा- ''मेरे लिए एक महान सौभाग्य की बात है कि मुझे यूआईडीएआई की परियोजना में योगदान देने का अवसर मिला। मेरा विश्वास है कि इस प्रतियोगिता से यूआईडीएआई द्वारा सभी के लिये समान अवसर का वादा और भी पुष्ट होगा क्योंकि हममें से बहुतों को एक सही परिवर्तनकारी परियोजना के लिए डिजाईन करने एवं इसके साथ जुड़ने का अवसर दिया''।

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http://uidai.gov.in/hindi/index.php?option=com_content&view=article&id=145&Itemid=2




भा.वि.प.प्रा. मॉडल की विशेषताऐं:-

आधार केवल पहचान प्रदान करेगा: भा.वि.प.प्रा. का कार्य क्षेत्र नागरिकों को उनके जनसांख्यिकीय एवं बायोमैट्रिक जानकारियों के आधार पर विशिष्ट पहचान संख्या (आधार) जारी करने तक ही सीमित है। आधार केवल पहचान की गारंटी प्रदान करता है, अधिकार, हितलाभ अथवा हकदारी की नहीं।

निर्धन समर्थक दृष्टिकोण: भा.वि.प.प्रा. देश के सभी निवासियों के नामांकन की कल्पना करता है, जिसमें भारत के निर्धनों एवं दलित/शोषित समुदाय के लोगों पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना मुख्य है। भा.वि.प.प्रा. अपने कार्य के प्रथम चरण, जैसे- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा), राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आर.एस.वी.वाई.) एव सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) में पंजीयकों को अपना साझेदार बनाने की योजना बना रहा है ताकि अधिक संख्या में निर्धनों एवं दलितों/शोषितों को विशिष्ट पहचान प्रणाली से जोड़ा जा सके। विशिष्ट पहचान के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया से निर्धनों को सेवा प्रदान करने की प्रक्रिया में सुधार होगा।

उचित सत्यापन के साथ निवासियों का नामांकन:- भारत में वर्तमान में विद्यमान पहचान डाटाबेस धोखाधड़ी एवं नकली लाभार्थियों से भरे हैं। इसे भा.वि.प.प्रा. के डाटाबेस में जाने से रोकने के लिये प्राधिकरण निवासियों के जनसांख्यिकीय एवं बायोमैट्रिक जानकारियों का उचित सत्यापन करने के उपरांत ही अपने डाटाबेस में नामांकन करने की योजना पर कार्य कर रहा है। यह कार्य यह सुनिश्चित करेगा कि संग्रहित डाटा कार्यक्रम के शुरूआत से ही सही एवं साफ सुथरा हैं। अधिकांश निर्धन एवं वंचित आबादी के पास पहचान संबंधी दस्तावेजों का अभाव है एवं विशिष्ट पहचान उनके पहचान का पहला प्रकार हो सकता है जिस तक उनकी पहुंच होगी। भा.वि.प.प्रा. यह सुनिश्चित करेगा कि ''अपना निवास जाने'' (के.वाई.आर.) मानक, निर्धनों को नामांकित करने में अवरोध न बने तथा उनके शामिल करने हेतु डाटा की उपयुक्तता के साथ बिना समझौता किये उपयुक्त प्रक्रिया हेतु उपाय करे।

भागीदारी मॉडल:- भा.वि.प.प्रा. का दृष्टिकोण पूरे भारत में उपलब्ध सरकारी एवं निजी एजेंसियों के पास विद्यमान बुनियादी सुविधाओं का लाभ प्राप्त करते हुए कार्य करना है। भा.वि.प.प्रा. नियामक प्राधिकारी होगी जो केन्द्रीय पहचान आकड़ा निक्षेपागार (सी.आई.डी.आर.) का प्रबंधन भी करेगी एवं आधार जारी करेगी, तथा आवश्यकता के अनुसार निवासियों के पहचान की जानकारी अद्यतन तथा प्रमाणीकृत करेगी।


इसके अतिरिक्त भा.वि.प.प्रा. केन्द्र, राज्य एवं निजी एजेंसियों के साथ भागीदारी करेगी जो प्राधिकरण के लिये पंजीयक होंगे। पंजीयक आधार आवेदनों को प्रोसेस कर सी.आई.डी.आर. से संबंध स्थापित कर दोहरी पहचान को दूर करेंगे एवं आधार प्रदान करेंगे। भा.वि.प.प्रा. सेवा प्रदाताओं को भी पहचान के प्रमाणीकरण हेतु भागीदार बनायेगी।

भा.वि.प.प्रा. पंजीयकों के लिये एक लचीला मॉडल पर जोर देगा:- पंजीयक प्रमाणीकरण प्रक्रियाओं में सार्थक लचीलापन सुनिश्चित करेंगे जिसमें कार्ड जारी करना, मूल्य निर्धारण, के.वाय.आर. के सत्यापन का विस्तार, अपनी आवश्यकता के लिये निवासियों का जनसांख्यिकीय डाटा का संग्रह आदि शामिल है। भा.वि.प.प्रा., पंजीयकों को कुछ निश्चित जनसांख्यिकीय एवं बायोमैट्रिक जानकारी एकत्रित करने में एवं मौलिक के.वाई.आर. की गतिविधियों में एकरूपता लाने के लिये मानक प्रदान करेगी। भा.वि.प.प्रा. द्वारा गठित के.वाई.आर. एवं बायोमैट्रिक समिति द्वारा इन मानकों को अंतिम रूप दिया जायेगा।

दोहरापन रोकने की प्रक्रिया सुनिश्चित करना:- पंजीयक आवेदकों के डाटा को केन्द्रीय पहचान आकड़ा निक्षेपागार सी.आई.डी.आर. दोहरापन रोकने हेतु भेजते हैं। सी.आई.डी.आर. नकल रोकने के लिये प्रत्येक नये नामांकन के जनसांख्यिकीय फील्ड एवं बायोमैट्रिक की जांच कर डाटाबेस से डुप्लिकेट को मिटाने/हटाने का कार्य करते हैं।


भा.वि.प.प्रा. एक स्वयं सफाई व्यवस्था प्रणाली लागू की ओर प्रतिबद्ध है। भारत में, एकाधिक डाटाबेसों में गड़बड़ी से व्यक्तियों को विभिन्न एजेंसियों को विभिन्न निजी जानकारी प्रदान करने का अवसर मिल जाता है जबकि भा.वि.प.प्रा. की प्रणाली में दोहरापन रोकने की प्रणाली के कारण व्यक्ति को सही डाटा भरने का केवल एक ही मौका मिलता है। यह पहल विशेष रूप से हितलाभ एवं अधिकारों को आधार से जोड़ने में शक्तिशाली हो होगी।

सजीव (ऑनलाइन) प्रमाणीकरण:- भा.वि.प.प्रा. सजीव प्रमाणन का पुख्ता दावा प्रस्तुत करेगा जहां एजेंसियां निवासियों के जनसांख्यिकीय एवं बायोमैट्रिक जानकारी को केन्द्रीय पहचान आकड़ा निक्षेपागार में संग्रहित आंकड़ों से मिलान कर सकेंगी। भा.वि.प.प्रा., आधार प्रमाणन प्रक्रिया को अपनाने में पंजीयकों एवं एजेंसियों की मदद करेगा एवं बुनियादी सुविधाओं को परिभाषित करने एवं उन प्रक्रियाओं जिनकी इस कार्य में आवश्यकता है, में भी सहायता प्रदान करेगा।


भा.वि.प.प्रा. निवासी डाटा साझा नहीं करेगा:- निवासियों से संबंधित जानकारियाँ एकत्र करने की प्रक्रिया में भा.वि.प.प्रा. ''गोपनीयता एवं प्रयोजन'' के बीच एक संतुलन की कल्पना करता है। नागरिकों के नामांकन के समय वही जानकारी एजेंसियां अपने पास संचित कर सकती हैं जिसके लिये वे अधिकृत हैं, लेकिन वे आधार डाटाबेस से जानकारी उपयोग नहीं कर सकेंगे। भा.वि.प.प्रा., पहचान प्रमाण से संबंधित सभी अनुरोधों का उत्तर ''हां'' या ''नहीं'' के माध्यम से ही देगा। भा.वि.प.प्रा., पंजीयकों के पास एकत्रित जानकारियों की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिये करार भी करेगी।

डाटा पारदर्शिता:- भा.वि.प.प्रा. सभी एकत्रित आंकड़ों को सूचना का अधिकार के अधीन जनता के उपयोग के लिये रखेगी। हालांकि निजी पहचान आंकड़ा आर.टी.आई. किसी भी व्यक्ति या संस्था के लिए सुलभ नहीं किया जायेगा।


प्रौद्योगिकी भा.वि.प.प्रा. प्रणाली का मजबूत आधार:- प्रौद्योगिकी प्रणाली की भा.वि.प.प्रा. के बुनियादी ढांचे में प्रमुख भूमिका होगी । आधार डाटाबेस एक केन्द्रीय सर्वर पर संग्रहित किया जायेगा। निवासियों के नामांकन कम्प्यूटरीकृत किये जायेंगे एवं पंजीयकों तथा सी.आई.डी.आर. के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान एक नेटवर्क पर होगा। निवासियों का प्रमाणीकरण सजीव होगा। भा.वि.प.प्रा. जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिये भी उपाय करेगी।

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अनुप्रयोग संरचना:



पात्रता एवं कर्त्तव्य:


भा.वि.प.प्रा.


भा.वि.प.प्रा. आधार संख्या जारी करेगा एवं सर्वत्र पालन किये जाने हेतु नामांकन तथा प्रमाणीकरण हेतु मानक स्थापित करेगा। प्रारंभ में, भा.वि.प.प्रा. सेवा प्रदाता की मदद से आधार अनुप्रयोग को डिजाइन, विकसित एवं तैनात करेगा, बाद में, सम्पूर्ण संचालन का विस्तार कर बाहरी सेवा प्रदाताओं द्वारा इसे संचालित किया जायेगा। उत्पाद एवं सेवाऐं प्रदान करने के अतिरिक्त भा.वि.प.प्रा. पंजीयकों को नियुक्त करने, नामांकन का अनुमोदन करने एवं अन्य के अलावा परिचय कराने वालों की सूची प्रदान करने के लिये भी जिम्मेदार रहेगा। अभियान को आगे बढ़ाते हुए भा.वि.प.प्रा. आधार प्रमाणीकरण पर निर्भर सेवाओं के सृजन के लिये भी मदद करेगा।


पंजीयक:-


ये सार्वजनिक और निजी संगठन है जो वर्तमान में निवासियों को सेवा प्रदान कर रहे हैं और भा.वि.प.प्रा. की ओर से प्राधिकरण की सेवाऐं (जैसे-नामांकन) अपने अधिकार क्षेत्र में प्रदान कर रहे हैं। उदाहरणार्थ पंजीयकों के प्रोफाइल में शामिल है, राज्य सरकारें, केन्द्र सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाऐं, दूरभाष कंपनियां आदि। पंजीयक भा.वि.प.प्रा. की सेवाऐं सभी निवासियों को प्रदान कर सकता है, जबकि उसको ऐसा करना आवश्यक नहीं है। पंजीयक, दस्तावेज जैसे-निवास का प्रमाण, पहचान का प्रमाण आदि निवासियों से एकत्रित कर सकता है एवं इस तरह के दस्तावेजों को संचित कर सकता है तथा बाद में जांच के समय उन्हें भा.वि.प.प्रा. को उपलब्ध करा सकता है। पंजीयक भा.वि.प.प्रा. द्वारा एकत्रित निवासियों के फोटोग्राफ, जनसांख्यिकीय के कुछ डाटा प्राप्त कर उपयोग कर सकता है। पंजीयक आधार को अपनी प्रणाली में रख सकता है एवं इसे कार्ड, पत्र पर मुद्रित भी कर सकता है। कुछ पंजीयक बायोमैट्रिक डाटा जैसे- अंगुलियों के निशान, आंख की पुतली की छवि एक सुरक्षित तरीके से स्मार्ट कार्ड पर निर्जीव (आफ लाइन) प्रमाणीकरण के उद्देश्य हेतु संग्रहित कर सकते हैं। इस डाटा को पंजीयक अपने सर्वर पर सजीव (आन लाइन) प्रमाणीकरण हेतु संचित नहीं कर सकते हैं। पंजीयन की प्रक्रिया को समाज के हाशिये पर पड़े लोगों के लिये सुगम करने हेतु पंजीयक परिचयदाताओं की सूची, जो कि के.वाई.आर. दस्तावेजों के लिये आवश्यक है, को कुछ सबूतों के साथ प्रदान कर सकते हैं। यह परिचयदाताओं की सूची सामान्य न होकर पंजीयक विशेष है। पंजीयक प्रमाणकर्ता भी हैं, तथा प्रमाणीकरण इंटरफेस का उपयोग कर उन निवासियों के विवरण की पुष्टि कर सकता है जिनका भा.वि.प.प्रा. के प्रणाली में पहले से नामांकन हो।

उपपंजीयक:-


कुछ विभाग अथवा संस्थाऐं ऐसी हैं जो विशेष पंजीयकों को रिपोर्ट करती है। उदाहरण के लिये, राज्य सरकार के विभाग जैसे ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज (आर.डी.पी.आर.) विभाग राज्य सरकार के पंजीयकों के लिये उपपंजीयक होंगे।

नामांकन एजेंसी:-


पंजीयक द्वारा अनुबंधित एवं भा.वि.प.प्रा. द्वारा प्रमाणित एजेंसियां अपने कर्त्तव्यों का पालन करेंगी। नामांकन एजेंसियां फील्ड में नामांकन स्टेशन हेतु आपरेटर एवं पर्यवेक्षक नियुक्त करेंगे तथा निवासियों के अधिकाधिक नामांकन हेतु आवश्यक परिस्थिति का निर्माण भी करते हैं? नामांकन एजेंसियों को नामांकन शुरू करने के पूर्व जनसांख्यिकीय आंकड़े आवश्यक रूप से एकत्रित करना होगा। उन्हें निवासियों एवं भा.वि.प.प्रा. को नामांकन की सूचना पहले से देनी चाहिऐ। नामांकन एजेंसियों को पंजीयकों के सहायतार्थ भा.वि.प.प्रा. के पेनल में शामिल किया जा सकता है, फिर भी, पंजीयक किसी अन्य एजेंसी को संलग्न करने के लिये स्वतंत्र है।

परिचयकर्ता:-


परिचयकर्ता, भा.वि.प.प्रा. अथवा पंजीयक द्वारा अधिकृत जाना पहचाना व्यक्ति होता है जो कि निवासियों का नामांकन हेतु परिचय देता है। यह तंत्र विशेष रूप से भा.वि.प.प्रा. द्वारा समाज में हाशिये पर पड़े लोगों एवं बाहर के निवासियों जिनके पास के.वाई.आर. मापदंडों के अनुरूप पहचान एवं पता साबित के लिये पर्याप्त दस्तावेज नहीं होते हैं, तक पहुंचने के लिये बनाया गया है। इस तरह एक परिचयकर्ता, आधार हेतु आवेदन देने वाले व्यक्ति के लिये अपने व्यक्तिगत ज्ञान के आधार पर पहचान का आश्वासन देता है। पंजीयक, परिचयकर्ताओं की सूची उनके नाम एवं आधार संख्या के साथ प्रदान कर सकते हैं। विभिन्न पंजीयकों से हम आशा करते हैं कि वे कर्मचारियों (राजपत्रित, निर्वाचित एवं अन्य) विद्यालय शिक्षक, प्रधानाध्यापक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इत्यादि को सूची में शामिल करेंगे। भा.वि.प.प्रा. अतिरिक्त पंजीयकों हेतु गैर सरकारी संगठनों एवं अन्य सामाजिक संगठनों की मदद लेगा ताकि हाशिये पर पड़े समुदाय के कवरेज को सुधारा जा सके। समाज के हाशिये पर पड़े लोगों तक पहुंचने के लिये सावधानी से एक नामांकन रणनीति तैयार की जानी है जो कि एक मजबूत विश्वसनीय पहचानकर्ता नेटवर्क पर निर्भर करेगी जिसे आगे आने वाली चुनौतियों के अनुसार तैयार करना होगा।

निवासी:-


भारत के निवासी, जो आधार प्राप्त करना चाहते हैं, से अपेक्षा की जाती है कि वे के.वाई.आर. मापदंडों के अनुरूप उपयुक्त दस्तावेज प्रदान करेंगे अथवा नियुक्त परिचयकर्ता द्वारा प्रस्तुत किये जायेंगे। आमतौर पर भारत में रहने वाले स्वभाविक व्यक्ति को निवासी के रूप में परिभाषित किया गया है। निवासियों से अपेक्षा की जाती है कि वे के.वाई.आर. मापदंडों के अनुरूप सच्ची जानकारी प्रदान करेंगे या परिचयकर्ता द्वारा प्रस्तुत किये गये होंगे। आगे यह भी अपेक्षा की जाती है कि निवासी भा.वि.प.प्रा. को बायोमैट्रिक जानकारी भी प्रदान करेंगे। वे नामांकन एजेंसियों के साथ एक सरल व सहज अनुभव की आशा कर सकते हैं तथा अपने विभिन्न मुद्दों के लिये त्वरित प्रतिक्रिया भी प्राप्त कर सकते हैं। निवासी अपने डाटा का उपयोग कर अपनी पहचान साबित करने की क्षमता भी हासिल कर पायेंगे। किसी अन्य निवासी के डाटा उपयोग करना भा.वि.प.प्रा. द्वारा प्रतिबंधित है।

प्रमाणकर्ता:-


यह एक एजेंसी है जो भा.वि.प.प्रा. की प्रणाली का उपयोग निवासी के प्रमाणन के लिये करती है। प्रमाणकर्ता निवासियों की आधार के अतिरिक्त जनसांख्यिकीय एवं/या बायोमैट्रिक जानकारी का उपयोग कर सकते हैं। प्रमाणकर्ता को प्रमाणीकरण हेतु किसी उचित तरीके का उपयोग करना चाहिए तथा कार्यवाही के लिए आवश्यक आश्वासन के उपरांत करना चाहिये। प्रमाणकर्ता को भा.वि.प.प्रा. के साथ पंजीकृत होना चाहिए एवं उसे एक अनुमानित उपयोग (मुख्य रूप से प्रावधान करने के लिये) प्रदान करना चाहिए। प्रमाणकर्ता कई स्थानों पर मौजूद हो सकता है जिनमें से प्रत्येक पर वे प्रमाणीकरण उपकरण लगा सकते हैं। भा.वि.प.प्रा. कुछ सेवा स्तरों के लिये प्रमाणकर्ता से बिल ले सकता है। इसके लिये अतिरिक्त डाटा की आवश्यकता होगी। प्रमाणकर्ताओं की संख्या भा.वि.प.प्रा. के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण सूचक है, क्योंकि निवासियों को विभिन्न प्रमाणकर्ताओं के जरिये से विभिन्न सेवाऐ उपलब्ध होती हैं। भा.वि.प.प्रा., प्रमाणकर्ताओं को आगे आने के लिये मानकों व सेवाओं हेतु मंच तैयार करेगा जिससे प्रमाणकर्ता आसानी से संपर्क में आ सकेंगे।

केन्द्रीय पहचान आकड़ा निक्षेपागार सी.आई.डी.आर. में आये आवेदनों की समीक्षा:-

सी.आई.डी.आर. द्वारा मांगे आवेदनों को मुख्य रुप से दो श्रेणियों- कोर आवेदन एवं सहायक आवेदन में रखा जा सकता है। कोर श्रेणी में नामांकन एवं प्रमाणीकरण से संबंधित सेवाओं को रखा गया है। जबकि सहायक श्रेणी में प्रशासन, विश्लेषण, प्रतिवेदन, फ्रॅाड डिटेक्शन, इन्टरफेसेस से लॅाजिस्टिक प्रदाता तक एवं संपर्क केन्द्र तथा पोर्टल को रखा गया है। आधार प्रदान करने हेतु क्लाइंट नामांकन के अनुरोध को नामांकन अनुप्रयोग सेवा प्रदान करता है। अनुप्रयोग, विभिन्न उप-प्रणालियों को एकीकृत कर नामांकन कार्य प्रवाह की प्रक्रिया को पूर्ण बनाते हैं। अपवादस्वरूप जो नामांकन अनुरोध स्वतः नहीं हो पायेंगे उन्हें हाथ से किया जा सकेगा। बुनियादी पत्र-मुद्रण एवं वितरण प्रक्रिया सामान्य कार्यप्रवाह के अपवादस्वरूप कार्य करने के लिये उपलब्ध है।


प्रमाणीकरण अनुप्रयोग, पहचान प्रमाणीकरण की सेवा प्रदान करता है। विभिन्न प्रकार के प्रमाणीकरण अनुरोध जैसे- जनसांख्यिकीय, बायोमैट्रिक साधारण एवं उन्नत प्रमाणीकरण इस अनुप्रयोग द्वारा समर्थित है। प्रस्तुत आधार का प्रयोग 1:1 के अनुपात में निवासियों के रिकार्ड के साथ मिलाना होगा। प्रविष्ट जानकारियों को निवासियों के बायोमैट्रिक डाटा बेस के साथ मिलाया जाएगा।


धोखाधड़ी का पता लगाने के अनुप्रयोग का उपयोग पहचान संबंधी धोखाधड़ी का पता लगाने एवं कम करने हेतु किया जाता है। उदाहरण के लिये- धोखाधड़ी परिदृष्यों की पहचान के लिये अनुप्रयोग को जिन पर नियंत्रण की आवश्यकता है, वे हैं- सूचना की गलत बयानी, एक ही व्यक्ति द्वारा एकाधिक पंजीयन, अस्तित्वहीन निवासी का पंजीयन, या छदम यानि किसी के न होने पर भी पंजीयन करना।


प्रशासनिक अनुप्रयोग, उपयोगकर्ता प्रबंधन, भूमिकाऐं एवं एक्सेस नियंत्रण, व्यापार प्रक्रिया स्वचालन एवं स्थिति रिपोर्ट का ध्यान रखता है एवं यह दोनों आंतरिक एवं बाहृय संस्थाओं में भरोसे को सुनिश्चित करता है। बाहृय संस्थाओं में पंजीयक, उप-पंजीयक, नामांकन एजेंसी, फील्ड एजेंसी, परिचयकर्ता एवं प्रमाणी क्लाइंट हो सकते हैं। उदाहरण के लिये इस अनुप्रयोग को पंजीयक के उपयोगकर्ता खातों अथवा दस्तावेज के अभाव में पहचान स्थापित करने वाले परिचयकर्ता के खातों का प्रबंधन करना होता है। आंतरिक संस्थाओं में प्रणाली प्रशासक, ग्राहक सेवा एजेंट या बायोमैट्रिक एवं धोखाधड़ी अनुसंधान एजेंट हो सकते हैं। अनुप्रयोग, प्रशासकों को अन्य आवेदनों की स्थिति का पता लगाने की अनुमति देता है तथा विफलता एवं देरी के लिये व्यवस्था प्रदान करता है।


विश्लेषण एवं प्रतिवेदन अनुप्रयोग, सार्वजनिक एवं भागीदारों दोनों के लिये नामांकन एवं प्रमाणीकरण से संबंधित आंकड़े प्रदान करता है। यह सांख्यिकीय आंकड़ों को दर्शाता है और इससे नीचे क्षेत्रीय स्तर पर आंकड़े भी देखे जा सकते हैं । इस अनुप्र्रयोग के लिये सभी जानकारी सकल स्वरूप में उपलब्ध रहती है तथा व्यक्तिगत जानकारी पूरी तरह से सुरक्षित रहती है।


सूचना पोर्टल आंतरिक उपयोगकर्ता, भागीदारों एवं सामान्यजन को प्रशासनिक एवं जानकारी उपयोग की व्यवस्था प्रदान करता है। उपरोक्त अनुप्रयोग के अतिरिक्त, प्रचालन-तंत्र एवं संपर्क केन्द्र के लिये इंटरफेस अनुप्रयोग भी सी.आई.डी.आर. में उपस्थित हैं।संपर्क केन्द्र इंटरफेस अनुप्रयोग, जानकारी एवं कार्यकरण की अद्यतन स्थिति प्रदान करता हैं।


प्रचालन-तंत्र इंटरफेस अनुप्रयोग, प्रचालन-तंत्र प्रदाता से पत्र मुद्रण एवं सुपुर्दगी हेतु जुड़ा रहता है। आन्तरिक और बाह्य संचार पर इसका उपयोग अंतिम डाटा भेजने एवं प्राप्त करने, पत्र मुद्रण हेतु आधार डाटा भेजने, सावधिक अद्यतन स्थिति प्राप्त एवं सुपुर्द करने में किया जाता है।


बायोमैट्रिक समाधान:-


बायोमैट्रिक समाधान प्रदायकर्ता भा.वि.प.प्रा. प्रणाली के बायोमैट्रिक घटकों को डिजाइन, आपूर्ति, संस्थापन, कंफिगर, उसे चलाने एवं समर्थन बनाये रखेगा। केन्द्रीय पहचान आकड़ा निक्षेपागार में तीन बी.एस.पी तक एक साथ काम कर सकते हैं। भा.वि.प.प्रा. प्रणाली में दो बायोमैट्रिक घटकों का उपयोग किया जाता है।

बायोमैट्रिक घटक हैं:


1.स्वचालित बायोमैट्रिक पहचान उपप्रणाली ए.बि.स. इसका उपयोग नामांकन सर्वर में बहु-पद्धति बायोमैट्रिक डी-डुप्लीकेशन समाधान में किया जायेगा। शुरूआती दौर में एबीआईएस का उपयोग प्रमाणीकरण सर्वर में सत्यापन हेतु भी किया जायेगा। एबीआईएस डी-डुप्लीकेशन के लिये अंगुलियों के निशान एवं आंख की पुतली की छवि (चेहरा टेम्पलेट्स विक्रेता के विवेक पर) के अपने डाटा बेस का रखरखाव करेगा एवं अंगुलियों के निशान तथा /अथवा आंख की पुतली की छवि के सत्यापन अनुरोध के जवाब में सक्षम होना चाहिए, साथ ही साथ आईएसओ/आईईसी-19794-2:2005 प्रारूप फिंगर प्रिंट सूक्ष्म फाइल के जवाब में भी सक्षम होगा । विक्रेता आई.एस.ओ./आई.सी.-19704-2:2005 के भीतर अंतर सक्रियता को भविष्य के सत्यापन क्लाइंट के साथ बढ़ावा देने के भा.वि.प.प्रा. के साथ कार्य करेगा।


2. बहु-विध साफ्टवेयर विकसित किट एस.डी.के.:- इसका उपयोग नामांकन क्लाइंट मानवीय पद्धति से जांच में (डुप्लिकेट हेतु) में, प्रमाणीकरण सर्वर (आगे के प्रदर्शन हेतु) एवं विश्लेषणात्मक माड्यूल में किया जायेगा। एसडीके में संकेत का पता लगाने, गुणवत्ता विश्लेषण, छवि चयन, छवि विलयन, विभाजन, छवि पूर्वप्रक्रिया, आकृति निष्कर्षण एवं फिंगर प्रिंट, आइरिस एवं चेहरे की रूपरेखा के लिये स्कोर गणना का सृजन इत्यादि सुविधाऐं होंगी।


भा.वि.प.प्रा. प्रणाली में उपयोग किये गये बायोमैट्रिक समाधान घटक हैं:-


• नामांकन सर्वर में बहु-विध डी-डुप्लिकेशन।

• प्रणालीकरण के भीतर सत्यापन की उप-प्रणाली।

• नामांकन साफ्टवेयर।

• मैनुअल जांच एवं अपवाद प्रबंधन।

• बायोमैट्रिक उप-प्रणाली, निगरानी एवं विश्लेषण


ऊपर उल्लेखित पांचों क्षेत्र की कार्यात्मक आवश्यकता का वर्णन दोनों बायोमैट्रिक घटकों की संपूर्ण कार्यप्रणाली के साथ किया गया है।


बायोमैट्रिक घटकों हेतु विशिष्ट पहचान प्रणाली की आवश्यकता:-

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(क) नामांकन सर्वर में बहुविध बायोमैट्रिक डी-डुप्लीकेशन:-


डी-डुप्लिकेट संबंधित कार्य के अपेक्षित आकार को ध्यान में रखते हुए विशिष्ट पहचान नामांकन सर्वर निम्न प्रणालियों का उपयोग करेंगे:-


1. बहुविध डी-डुप्लीकेशन, एकाधिक रूपरेखा जैसे कि अंगुलियों के निशान एवं आंख की पुतली की छवि का उपयोग दोहरेपन को रोकने के लिये किया जायेगा। चेहरे की छवि उपलब्ध कराई जायेगी यदि विक्रेता दोहरेपन को रोकने के लिये इसके उपयोग की इच्छा करता है जबकि कुछ जनसांख्यिकीय जानकारियां भी प्रदान की जाती है, फिर भी भा.वि.प.प्रा. इसकी उपयुक्त होने का आश्वासन प्रदान नहीं करता है। जनसांख्यिकी जानकारियों का उपयोग दोहरापन को रोकने की प्रक्रिया के दौरान छंटनी के लिये नहीं किया जायेगा। लेकिन इस क्षमता को भा.वि.प.प्रा. कार्यक्रम के अगले चरण में संभावित क्रियान्वयन के लिये संरक्षित किया जायेगा। प्रत्येक बहु-विध डी डुप्लीकेशन अनुरोध में एक अनुक्रमण संख्या (संदर्भ पहचान) होगी, यह बहु-विध, बायोमैट्रिक एवं जनसांख्यिकीय आंकड़ों के अतिरिक्त होगी। एक या अधिक डुप्लीकेट नामांकन पाये जाने की स्थिति में एबीआईएस डुप्लीकेट्स से संबंधित पहचान क्रमांक उपलब्ध करा देते हैं एवं जिस गुण पर डुप्लीकेट आधारित था उनकी तुलना करता है। प्राप्त प्रत्येक डुप्लीकेट एक रेंज (0,100) के साथ वापस प्रदर्शित होता है। 0 न्यूनतम समानता के स्तर को दर्शाता है तथा 100 अधिकतम समानता के स्तर को दर्शाता है।


2. बहु-विक्रेता: एक से अधिक विक्रेताओं का उपयोग बहु-विध समाधान के लिये किया जायेगा। आधार अनुप्रयोग डी-डुप्लीकेट अनुरोध के मार्ग का निर्धारण करेगा यह विशेष डी-डुप्लीकेट अनुरोधों को एक से अधिक बायोमैट्रिक समाधानों के पास भेज सकता है, यदि यह डी-डुप्लीकेशन अनुरोध को एक से अधिक समाधानों हेतु भेजता है तो यह अंतिम डी-डुप्लीकेशन अनुरोध का परिणाम तय करने के लिये जवाबदार होगा।


भा.वि.प.प्रा., ए.बी.आई.एस., ए.पी.आई., भा.वि.प.प्रा. अनुप्रयोग एवं एबीआईएस के बीच हस्तांतरण का विस्तृत विवरण रखता है। भा.वि.प.प्रा. अनुप्रयोग(ए.एस.ही.एम.एल.ए. द्वारा विकसित किया गया है) में मिडिलवेयर को शामिल करने का अभिप्राय है विक्रेताओं की स्वतंत्रता एवं मानकीकरण प्रदान करना। मिडिलवेयर की मुख्य विशेषताऐं हैं-


• पथ संचलन (रुटिंग) एवं मध्यस्थता

•गारंटी के साथ वितरण

•प्रणाली ठप्प होने से रोकना व कार्य का समान वितरण

• खुले मानक आधारित संदेश ए.एम.क्यू.पी. के लिये ओपन सोर्स रेबिट एमक्यू

• भा.वि.प.प्रा. अनुप्रयोग का प्रणाली निगरानी मॅाड्यूल्स एवं विश्लेषण हेतु पारदर्शी कनेक्टिविटी

• वेब 2.0 आधारित भा.वि.प.प्रा. ए.बी.आई.एस. ए.पी.आई. एवं सी.बी.ई.एफ.एफ. डाटा फारमेट मानक का समर्थन।

• एबीआईएस घटकों का संपुटीकरण एवं अलगाव।


(ख) प्रमाणीकरण सर्वर के सत्यापन की उपप्रणाली:-


भा.वि.प.प्रा. सर्वर के प्रथम संस्करण में, बोयोमेट्रिक सत्यापन मॅाड्यूल प्रमाणीकरण सर्वर के अंतर्गत सत्यापन करता है। यह समाधान प्रत्येक नामांकन संदर्भ हेतु आई.एस.ओ./आई.ई.सी. 19794.2 के अनुसार अंगुलियों के निशान, आंख की पुतली या चेहरे की छवि या आई.एस.ओ./आई.ई.सी. 19794.2 के अनुरूप अंगुलियों के छोटे आकार में संग्रह को 1:1 के अनुपात में मिलान में सक्षम होना चाहिए।


भा.वि.प.प्रा. द्वारा वितरित प्रमाणीकरण के उद्देश्य हेतु, बाद के चरण में बायोमैट्रिक सत्यापन मॅाड्यूल एसडीके के उपयोग से बनाया जा सकता है, इससे सत्यापन की उप-प्रणाली की कार्यक्षमता प्रभावित नहीं होगी केवल आंतरिक संरचना बदल सकती है। भा.वि.प.प्रा. के प्रमाणीकरण सर्वर अनुप्रयोग द्वारा मेमोरी रेसीडेंट डाटाबेस में टेम्पलेट्स का रखरखाव किया जायेगा। यदि आने वाले अनुरोध में बायोमैट्रिक छवि होती है तो प्रमाणीकरण सर्वर विशिष्ट गुण के निष्कर्षण के लिये एस.डी.के. का उपयोग करेगा। एसडीके का उपयोग सेम्पल की तुलनात्मक गणना करने के लिये भी किया जायेगा। वितरित प्रमाणीकरण हेतु निर्णय भा.वि.प.प्रा. लेगा तथा बायोमैट्रिक सेवा प्रदाता (बीएसपी) के लिये बाध्य होगा।


भागीदार पोर्टल:-


भा.वि.प.प्रा. परियोजना भागीदारी पोर्टल माडल पर आधारित है जिसमें पंजीयक एवं उनसे संबंधित नामांकन एजेंसियां शामिल हैं। अन्य संस्थाऐं जैसे:- उपकरण आपूर्तिकर्ता, प्रशिक्षक, पत्र वितरण एजेंसियां, पूर्व-नामांकनकर्ता, आदि जो कि सभी 1.2 अरब निवासियों के नामांकन हेतु एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भागीदार पोर्टल समस्त भागीदार समुदाय की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।


यह पोर्टल उन्हें उनसे संबंधित सभी आंकड़े, प्रदान करता है साथ ही व्यक्तिगत मामलों में नज़र रखने की अनुमति भी देता है।


निम्न उपयोगकर्ता नजर रख सकेंगे:-


• प्रशासन एवं उपयोगकर्ता प्रबंधन- उपयोगकर्ताओं के रिकार्ड बनाना/हटाना।

• समस्त नामांकन पूर्व आंकड़े- संख्या, विलंबता, वैधता मामले (पंजीयक, उप-पंजीयक एवं नामांकन एजेंसियों हेतु)

• समस्त नामांकन आंकड़े- संख्या, विलंबता, अनुमोदन, निरस्तता के कारण (पंजीयक, उप पंजीयक एवं नामांकन एजेंसी)

• समस्त प्रमाणीकरण आंकड़े- संख्या, विलंबता, सफलता/असफलता (प्रमाणीकरण साफ्टवेयर हेतु)

• व्यक्ति विशेष निवासी जानकारी- नामांकन पूर्व, नामांकन एवं प्रमाणीकरण जिनसें वे संबंधित हैं।


विशेष सार्वजनिक पोर्टलः-


भा.वि.प.प्रा. एक राष्ट्रीय महत्व की परियोजना होने के कारण उसे इससे संबंधित विभिन्न डिजाइनों, विकास, क्रियान्वयन एवं प्रचालन प्रक्रिया को जन सामान्य के साथ निरंतर साझा करने की आवश्यकता होगी। जन शिकायत निवारण प्रणाली को भी शिकायत निवारण एवं नामांकन तथा प्रमाणीकरण प्रक्रिया में शिकायतों के समाधान के लिये पब्लिक पोर्टल के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता होगी। उपरोक्त आवश्यकताओं की पूर्ति भा.वि.प.प्रा. के सूचना पोर्टल द्वारा की जायेगी। यह पोर्टल सभी उपयोगकर्ताओं को भा.वि.प.प्रा. के बारे में जानकारी उपलब्ध करायेगा एवं उन्हें क्षेत्रीय आधार पर इसके प्रदर्शन को परखने की अनुमति भी देगा। यह उपयोगकर्ता को व्यक्तिगत मामलों में नज़र रखने की अनुमति नहीं देगा।


हालांकि, भा.वि.प.प्रा. के साथ शिकायत निवारण हेतु संपर्क करने के लिये एक प्रक्रिया उपलब्ध करायी जायेगी।


समस्त उपयोगकर्ता निम्नलिखित को देख सकेंगे:


•पंजीयकों की सूची, नामांकन एजेंसियां आदि।

• उस समय तक जारी किये गये विशिष्ट पहचान की संख्या (दिवस, माह, वर्ष) एवं क्षेत्र (देश, राज्य, जिला, शहर)।

• प्रदर्शन मात्रिक- एक समय विशेष पर पंजीयकों की संख्या, भा.वि.प.प्रा. के आवंटन में विलंबता,

शिकायतों की संख्या इत्यादि।

• प्रमाणीकरण अनुरोध- गणना, विलंबता सफलता/विफलता।

• भा.वि.प.प्रा. को की गयी शिकायतें एवं उनका निराकरण।



डाटा पोर्टल:-हम जनसामान्य के उपयोग करने योग्य जानकारी डाटा पोर्टल के माध्यम से दिखायेंगे जहां मशीन में सभी आंकड़े पढ़ने योग्य फारमेट में होंगे। यह पोर्टल तृतीय पक्ष के अनुप्रयोग विकासकर्ताओं को इस डाटा पर आधारित वेब 2.0 अनुप्रयोग विकसित करने की अनुमति देता है।


पंजीयक प्रणाली:- आधार प्रणाली के साथ कार्य करने के लिये पंजीयकों के पास अपनी स्वयं की सूचना प्रौद्योगिकी की बुनियादी सुविधा उपलब्ध होगी। इसमें निम्न कार्य क्षमताऐं शामिल हैं:-


• नामांकन प्रक्रिया के दौरान निरंतर अद्यतन होते रहना।

• वृहद मात्रा में जनसांख्यिकीय डाटा अपलोड करना।

• प्र्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसी (ए.यू.ए.) के रूप में कार्य करना।


जैसा कि हमने पहले भी देखा है नामांकन डाटा की एक प्रति नामांकन स्टेशन से पंजीयक प्रणाली को भेजी जाती है। सी.आई.डी.आर. भी पंजीयक प्रणाली को आधार के साथ अद्यतन करता है।


पंजीयक प्रणाली में भेजे जाने वाले आंकड़ों की गोपनीयता बनाये रखने के लिये पंजीयक द्वारा प्रदत्त पब्लिक- कुंजी के उपयोग से डाटा को इनक्रिप्टेड किया जाता है। पंजीयकों को अपनी प्राईवेट कुंजी प्राईवेट-कुंजी जोड़ी की सुरक्षा एवं आवश्यक आधारभूत सेवाओं का प्रबंधन करना होगा। आपस में संबंधित पंजीयक प्रणाली सुरक्षा को और मजबूत करना होगा। भा.वि.प.प्रा., पंजीयकों को क्रियान्वयन में सहायता देने के लिये सुरक्षा संबंधी आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करेगा, परन्तु स्वामित्व हमेशा पंजीयकों के पास ही रहेगा। भा.वि.प.प्रा., पंजीयक प्रणाली को सी.आई.डी.आर. के साथ पारस्परिक क्रिया के लिये इंटरफेसेस परिभाषित करेगा। लाइब्रेरी को एकीकृत नहीं किया जायेगा। चूंकि, पंजीयक भी नामांकन डाटा की प्रति अपने पास बनाए रखते हैं इसलिये उन्हें डाटा की सुरक्षा हेतु पर्याप्त उपाय करने होंगे। सार्वजनिक वितरण प्रणाली, ग्रामीण रोजगार एजेंसी या इसी तरह के अन्य निजी क्षेत्र के आवेदन पत्रों को आधार प्रमाणीकरण के साथ एकीकृत करने के उद्देश्य से भा.वि.प.प्रा., एपीआई की एक लाइब्रेरी प्रदान करेगा जिसके उपयोग से नये अनुप्रयोगों को विकसित कर लागू किया जा सकेगा।


प्रचालन तंत्र:-


यह सेवा डाक विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी। इस सेवा के दो भाग हैं:-


(i) आगमन हेतु प्रचालन तंत्र:- सुविधा केन्द्रों अथवा क्षेत्रीय कार्यालयों से नेटवर्क के द्वारा चुंबकीय मीडिया में अंतिम आंकड़े एवं नामांकन छवियां प्राप्त करना। सभी आने वाले डाटा सी.आई.डी.आर. डी.एम.जेड़. अनुप्रयोग द्वारा परिष्कृत किये जाते हैं।


(ii)बर्हिगमन प्रचालन तंत्र:- भा.वि.प.प्रा. परियोजना को आवेदकों तक पहुंचाना एवं अद्यतन स्थिति प्राप्त करना।



प्रचालन तंत्र सेवा प्रदाता की जिम्मेदारियों में शामिल हैं:-


•नामांकन/उपलब्ध डाटा को क्षेत्रीय कार्यालय/डाटा केन्द्र में भेजने हेतु नामांकन एजेंसी के लिये प्रचालन तंत्र स्थापित करना।

• सी.आई.डी.आर. को मुद्रण की आधारभूत संरचना एवं कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना। मुद्रण की आधारभूत संरचना को इलैक्ट्रॅानिक तरीके से आधार आवंटन पत्र, मुद्रण हेतु तथा नामांकित निवासी को भेजने हेतु प्राप्त होता है।

•नामांकित व्यक्ति को आधार आवंटन का मुद्रित पत्र भेजना।

• आधार नामांकनों एवं इसे तैयार करने पर सजीव नजर रखने के लिये ऑनलाइन ट्रेक एवं ट्रेस प्रणाली उपलब्ध कराना।

• काल सेंटर प्रदाता को नामांकन की स्थिति पर जानकारी हेतु समर्थन देना।

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सुरक्षा एवं आधारभूत प्रौद्योगिकी

प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसी



संपर्क केन्द्र:


संपर्क केन्द्र निवासियों एवं अन्य संस्थाओं, जो भा.वि.प.प्रा. के साझेदार हैं, को नामांकन के साथ एवं इसके बाद के चरणों हेतु संपर्क के लिये केन्द्रीय बिन्दु के रूप में सुविधा प्रदान करता है। यह केन्द्र निवासियों, पंजीयकों, नामांकन एजेंसियों एवं निवासी सेवा एजेंसियों को बहुभाषी सेवा प्रदान करता है। संपर्क केन्द्र का सेवा प्रदाता इस केन्द्र की स्थापना, संचालन एवं रख-रखाव करेगा साथ ही एजेंट को शामिल कर करेगा। संपर्क केन्द्र के सेवा प्रदाता से निम्नलिखित आशा की जाती है कि:-


•कार्य की मात्रा के अनुरूप संचालन को आवश्यक गति प्रदान करना।

• भा.वि.प.प्रा. को विश्लेषणात्मक समर्थन प्रदान करना।

• कार्य क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करना।

• प्रस्तुत प्रश्नों एवं समस्याओं के समाधान के लिये अंत तक की जिम्मेदारी लेना।

• विभिन्न पारस्परिक कार्यों का भागीदारों के साथ विश्लेषण करना तथा प्रक्रियाओं को पहचानना एवं प्रक्रिया मॉडल विकसित करना।


संपर्क केन्द्र हेतु अनुरोध प्रस्ताव आर.एफ.ई. में संपर्क केन्द्र की आवश्यकताओं की विस्तृत जानकारी है। इन दस्तावेजों को कृपया भा.वि.प.प्रा. की वेब साइट पर देखें। संपर्क केन्द्रों की स्थापना एवं संचालन हेतु भा.वि.प.प्रा. द्वारा सेवा प्रदाता के रूप में इन्टेलीनेट का चयन किया गया है। संपर्क केन्द्रों की संरचना रेखा-चित्र द्वारा नीचे दर्शायी गयी है:



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भा.वि.प.प्रा. बायोमैट्रिक्स योग्यता का केन्द्र यू.बी.सी.सी. एवं शोध:-


परिचय- भारत सरकार द्वारा भा.वि.प.प्रा. का गठन इस अनिवार्यता के साथ किया गया है कि देश के प्रत्येक निवासी को एक विशिष्ट पहचान संख्या जारी की जायेगी। आधार की मुख्य आवश्यकता पहचान के दोहरापन को कम/हटा कर सेवा देने की क्षमता को उन्नत बनाना है। बायोमैट्रिक्स की विशेषताओं का चयन विशिष्टता सुनिश्चित करने का प्राथमिक तंत्र है। किसी भी देश ने राष्ट्रीय रजिस्ट्री निर्माण का कार्य इस पैमाने और सटीकता पर नहीं किया है जैसी कि भा.वि.प.प्रा. ने पहल की है। भारत में रह रहें लोगों की प्रकृति एवं विविधता भी बायोमैट्रिक विशेषताओं के द्वारा प्राप्त करना एक दूसरी चुनौती है। अन्य प्रौद्योगिकी जैसे-दूरसंचार के समान प्रगतिशील राष्ट्रों की तरह हमें इस वृहद पैमानें पर बायोमैट्रिक प्रणाली विकसित करने व फायदा उठाने का अनुभव नहीं है। उदाहरण के लिये - विश्व में मौजूद विशाल बायोमैट्रिक डाटाबेस, भारत की आवश्यकता की तुलना में बहुत कम है।


अतः यह आवश्यक है कि एक यू.बी.सी.सी. का निर्माण किया जाये जो भा.वि.प.प्रा. के लिये आवश्यक विशिष्ट पहचान समाधान की चुनौती पर ध्यान केंद्रित कर सके।


अभियान:-


एक ऐसी बायोमैट्रिक प्रणाली डिजाइन करना ताकि भारत राष्ट्रिय पंजीकरण में विशिष्टता प्राप्त कर सके ।


एक ऐसी प्रणाली डिजाइन करने का प्रयास निरन्तर जारी रहने वाला कार्य है ताकि भारतीय परिस्थितियों के अनुरुप बायोमैट्रिक प्रौद्योगिक तैयार हो सके ।


लक्ष्य:-


यू.बी.सी.सी. का अभियान निम्न नियत लक्ष्य के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं:-


• विशिष्टताऐं:- यू.बी.सी.सी., प्रारंभिक बायोमैट्रिक प्रणाली को निर्देशित करेगा एवं नियमित अंतराल पर नई प्रौद्योगिकी एवं बेहतर प्रक्रियाओं को जोड़कर विशिष्टताओं को बढ़ायेगा।

• विश्लेषण:-यू.बी.सी.सी. प्रौद्योगिकी, उपकरण, एलगोरिथम एवं प्रक्रियाओं का विश्लेषण एवं मूल्यांकन करेगा जिससे कब और कहां विशेषताओं को बढ़ाने एवं संशोधित करने की आवश्यकता है, का निर्धारण कर सके।

• नवीनीकरण:- यू.बी.सी.सी., भा.वि.प.प्रा. के उद्देश्य को प्राप्त करने के बायोमैट्रिक की सर्वोत्तम तकनीक को बढ़ावा देगा।

• सहायता:- सी.आई.डी.आर., भा.वि.प.प्रा. के बायोमैट्रिक प्रणाली के अनुरूप अनुप्रयोगों को अन्य विभागों के लिये लागू करने में राष्ट्रीय संसाधन होगा।


कार्यनीति:-


यू.बी.सी.सी. निम्नांकित चार सूत्री कार्यनीति के द्वारा अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा:-


• प्रतिभा:-यह विश्वस्तरीय बायोमैट्रिक विशेषज्ञों को आकर्षित कर नियुक्त करेंगे। यू.बी.सी.सी. मात्रा से अधिक गुणवत्ता पर जोर देगा एवं असाधारण वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों के एक छोटे समूह का निर्माण करेगा।

• सहयोग:- यू.बी.सी.सी., तकनीकी विभागों, शैक्षणिक संस्थाओं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों एवं अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ संयुक्त ज्ञान आत्मसात करने के लिये निकट सहयोग स्थापित करेगा। यह राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाओं को अनुदान एवं वित्त पोषण के माध्यम से संयुक्त अनुसंधान एवं अन्वेषण हेतु प्रोत्साहित करेगा।

•त्वरित अंगीकरण:- यह संदर्भ संरचना एवं प्रारूप का निर्माण करेगा एवं भा.वि.प.प्रा. प्रणाली के लिये प्रारंभिक विकास एवं बाद में संचालन के समय त्वरित अंगीकरण के लिये आधार व प्रक्रिया तैयार करेगा। यह भा.वि.प.प्रा. की प्रचालनात्मक प्रणाली के कार्मिकों के साथ निकट एवं नियमित संपर्क बनाये रखेगा।

• बायोमैट्रिक प्रयोगशाला:- यह स्वतंत्र अनुसंधान एवं इंजीनियरिंग इकाई का संभावित निर्माण करके एक प्रयोगशाला तैयार करेगा एवं उसे संचालित करेगा।


http://uidai.gov.in/hindi/index.php?option=com_content&view=article&id=153&Itemid=13

40 करोड़ आधार कार्ड और बनेंगे

शुक्रवार, 27 जनवरी, 2012 को 21:28 IST तक के समाचार

इस मामले पर गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच खींचतान चल रही थी.

केंद्रीय मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में शुक्रवार को आधार कार्ड के लिए 5500 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बजट मंजूर किया गया है.
साथ ही यह भी फ़ैसला किया गया है कि अब 40 करोड और लोगों को आधार कार्ड दिए जाएंगे. पहले 20 करोड़ लोगों को यह विशिष्ट पहचान नंबर और पहचान पत्र दिए जाने थे.

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पिछले कुछ समय से इस मामले पर गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच खींचतान चल रही थी.
दरअसल विवाद सभी नागरिकों का बायोमेट्रिक आँकड़ा जुटाने और आँकडों की सुरक्षा को लेकर था.
बायोमेट्रिक यानी ऐसे शारीरिक या व्यावहारिक गुण जो व्यक्ति की विशिष्ट पहचान कराते हैं, जैसे उंगलियों के निशान और आंखों की पुतलियों की तस्वीर.
गृह मंत्रालय का कहना था कि भारत के महापंजीयक या रजिस्ट्रार जनरल को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के ज़रिए ये आँकड़े जुटाने का काम पहले ही दिया जा चुका है.
मगर नंदन नीलेकणी के नेतृत्त्व में विशिष्ट पहचान नंबर वाली 'आधार' योजना को भी ये आँकड़े जुटाने के लिए अधिकृत किया गया था.
बैठक में तय हुआ कि फिलहाल दोनों एजेंसियां काम करती रहेंगी.

"यूआईडीआई ने इसे गंभीरता के लिया है और सुरक्षा से जुड़ी सभी चिंताओं को दूर करने के लिए अगले कुछ सप्ताह में इसकी समीक्षा करेगा. अगर आधार और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में कोई विवाद होगा तो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को ही सही माना जाएगा"

पी चिदंबरम, गृहमंत्री

बैठक के बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अगर किसी ने आधार में पहले से ही यह आँकड़े दिए होंगे तो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को केवल उन्हें अपना कार्ड नंबर ही देना होगा.
गृह मंत्रालय इस बात से भी चिंतित था कि जो भी आँकड़े आधार योजना के तहत जुटाए जा रहे हैं वे बाहरी एजेंसी के ज़रिए जुटाए जा रहे हैं और ऐसे में उनकी विश्वसनीयता पूरी तरह सुनिश्चित नहीं की जा सकती.

सुरक्षा का मुद्दा

गृहमंत्री ने कहा, ''यूआईडीआई ने इसे गंभीरता के लिया है और सुरक्षा से जुड़ी सभी चिंताओं को दूर करने के लिए अगले कुछ सप्ताह में इसकी समीक्षा करेगा. अगर आधार और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में कोई विवाद होगा तो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को ही सही माना जाएगा.''
चिदंबरम से सहमति जताते हुए नंदन नीलेकणी ने कहा, ''मैं गृहमंत्री को बधाई देता हूँ कि उन्होंने ऐसा सुझाव दिया है जिसमें दोनों के सबसे अच्छी चीज़ों को रखा गया है. हमने बैठक में यह आश्वासन दिया है कि अप्रैल में हम अगला चरण शुरु करने से पहले अगले छह से आठ हफ्तों में सुरक्षा से जुड़े सभी मुद्दों का समाधान ढूँढ़ने का प्रयास करेंगे.''
योजना आयोग के तहत यूआईडी अथॉरिटी 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पाँच पैमानों पर नागरिकों के आंकडे जुटा रही है. जबकि गृह मंत्रालय के तहत जनगणना आयोग राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर तैयार करने जा रहा है जिसमें 15 तरह की जानकारियां ली जा रही हैं.
पहले इन्हें घर घर जा कर लिया गया था जबकि बाकी का काम खासतौर पर लगाए शिविरों में किया जा रहा है.
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http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/01/120127_uidcard_row_ac.shtml
--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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