Sunday, July 22, 2012

Fwd: भारतीय अर्थव्यवस्था: डगमगाते घोड़े की सरपट दौड़-2



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/7/22
Subject: भारतीय अर्थव्यवस्था: डगमगाते घोड़े की सरपट दौड़-2
To: aloks.jnu@gmail.com


किंगफिशर एयरलाइन एक एनपीए की बेहतरीन मिसाल है, जहां कंपनी दिवालिया हो गई लेकिन इसके मालिक विजय माल्या अपनी सात सितारा जीवन शैली को शराब और रियल एस्टेट से होनेवाली आमदनी से जारी रखे हुए हैं. एयरलाइन के ऊपर 7482 करोड़ का भारी कर्ज था जिसे एक डूब गए कर्जे यानी एनपीए के रूप में लिया जाएगा, बजाए इसके कि इसके मालिक की संपत्ति और मुनाफे को जब्त कर लिया जाए. बैंक इस एनपीए से पिंड छुड़ा लेंगे और सरकार बैंकों को इसके बदले में भुगतान कर देगी. बैंकों के डूब गए कर्जों (एनपीए) की भरमार से निबटने का यही तरीका हो गया है.

आज भी बड़े कर्जदार (जिनके ऊपर 10 करोड़ या इससे ज्यादा के कर्जे हैं) 47,000 करोड़ का भुगतान नहीं कर पाए हैं- और बैंकों ने उनमें से आधे से भी मांगने की जहमत नहीं उठाई है. जबकि बैंक किसानों और मध्यवर्ग से कर्जों की अदायगी के लिए सख्ती भरे तरीके अपनाते हैं, भारी रकमों वाले कर्जों की बात आते ही वे नरम पड़ जाते हैं.

भारतीय अर्थव्यवस्था: डगमगाते घोड़े की सरपट दौड़-2



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