क्या दीदी ने टाटा मोटर्स को हरी झंडी दे दी?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
सोमवार को शेयर बाजार की घंटी पड़ते ही अगर टाटा मोटर्स के भाव उछाला मारने लगे, तो ताज्जुब न मानियेगा। टाटा मोटर्स के लिए सबसे बड़ी खबर यह है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टाटा मोटर्स के संबंध सुधरने के संकेत मिलने लगे हैं। कोलकाता के युवाभारती क्रीड़ांगन में वीसीआईएम की कार रैली का उद्गाटन किया दीदी ने।इस रैली का आयोजन तो राज्य सरकार और सीआईआई ने साझा तौर पर किया,पर इस आयोजन का ज्यादातर खर्च ही नहीं उठाया टाटामोटर्स ने बल्कि बांग्लादेश, चीन और म्यांमार के अलावा पूर्वोत्तर भारत में वाणिज्यिक दरवाजे खोलने के लिए सीआईआई की इसकार रैली में शामिल बीस कारों में से दस टाटा मोटर्स की हैं, जो दक्षिण एशिया के चार देशों से होकर गुजरेंगी।
दीदी के मिजाज जानने वाले इसे टाटा मोटर्स के लिए हरी झंडी मान रहे हैं।राजनीतिक जीवन में पलटी मारने के अनेक उदाहरणों को दखते हुए टाटा मोटर्स के बारे में उनकी राय बदलना कोई बहुत बड़ी अनहोनी भी नहीं है।
अभी कल ही मातृभाषा दिवस पर वामपंथी नेताओं से मुलाकात जिस चु्स्ती के साथ टाली उन्होंने और खुलेआम उनकी पार्टी जिस तरह विरोधियों के बहिष्कार का आह्वान करती है, इसे देखते हुए टाटा मोटर्स के इस कार्यक्रम को हरी झंडी देने का मतलब विवादित सिंगुर कारखाने के लिए सकारात्मक भी निकल सकता है।
गौरतलब है कि टाटा मोटर्स ने सिंगर की अधिग्रहित जमीन का कब्जा अभी नहीं छोड़ा है और राज्य सरकार से उसकी अदालती लड़ाई चल रही है।दूसरी ओर, नंदीग्राम लालगढ़ सिंगुर आंदोलन की नींव पर सत्ता में आनेवाली ममता बनर्जी के लिए सिंगुर के किसानों का सामना करना मुश्किल हो रहा है।
बहरहाल यह मसला सुलझ गया तो दीदी और बंगाल दोनों के लिए सुखद परिवर्तन होगा। टाटा मोटर्स को और चाहिए भी क्या? एअर एशिया से गठजोड़ के बाद विमानन क्षेत्र में प्रवेश की तैयारी कर रहे टाटा समूह के लिए सिंगुर प्रकरण एक लगातार रिसता हुआ नासुर है, इसमें दो राय नहीं है।वैसे भी टाटा मोटर्स को भारतीय परिचालन में लागत दबाव और जेएलआर में कम मार्जिन वाले उत्पादों की अधिक बिक्री के साथ साथ लागत वृद्घि की वजह से मुनाफे में बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा है। भविष्य में भी कंपनी के भारतीय परिचालन के परिदृश्य में सुधार की संभावना नहीं दिख रही है, हालांकि जेएलआर के लिए उत्पादों की मांग मजबूत बनी हुई है और इसे नए लॉन्च से मदद मिलेगी।हालांकि जेएलआर के लिए मार्जिन में जल्द सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि कम मार्जिन वाले उत्पादों की बिक्री अनुपात ऊंचे स्तरों पर बने रहने का अनुमान है। कुल मिला कर जेएलआर के प्रदर्शन का असर इस शेयर पर बना रह सकता है। बिक्री बढ़़ाए जाने के लिए कंपनी की क्षमता सीमित है जिसे देखते हुए यह शेयर सीमित दायरे में बना रह सकता है। हालांकि 2013 के अंत तक चीनी इकाई के शुरू हो जाने के बाद या कंपनी द्वारा मौजूदा क्षमता में सुधार लाए जाने पर मांग को पूरा किए जाने की संभावना सीमित ही है।
गौरतलब है कि उद्योगपति और निवेशकों की आस्था पाने में अभी मां माटी मानुष की सरकार नाकाम ही है। अनास्ता की मुख्य वजह सिंगुर और नंदीग्राम के उदाहरण और राज्य सरकार की भूमि और उद्योग नीति है। राज्य सरकार गहरे आर्थिक संकट में फंसी हुई है और संकट के इस तिलिस्म में निकलने का रास्ता अमेरिकापलट अर्थशास्त्री वित्तमंत्री अमित मित्र को भी नहीं मालूम, जिनका सार्वजनिक दर्शन ईश्वर दर्शन से कम कठिन नहीं है। उद्योगजगत बार बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आग्रह करता रहा है कि टाटा मोटर्स के साथ सिंगुर विवाद को अदालत से बाहर सुलझा लिया जाये। इस दिशा में यह कार रैली कोई बड़ी पहल साबित होगी कि नहीं ,यह तो वक्त ही बतायेगा।
सिंगुर भूमि अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए टाटा मोटर्स को नोटिस जारी किया है। बंगाल सरकार ने अपनी याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके अंतर्गत न्यायालय ने 400 एकड़ भूमि को फिर से अपने कब्जे में लेने के लिए तैयार सिंगूर भूमि अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया था।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू व न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की खंडपीठ ने हालाकि कहा कि उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के तहत सिंगूर भूमि पर राच्य सरकार का कब्जा पूर्ववत बना रहेगा।
इससे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगूर भूमि पुनर्वास व विकास अधिनियम-2011 को 22 जून को असंवैधानिक करार देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में अपील के लिए दो महीने का समय दिया था।
अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा था कि बंगाल सरकार उसके इस फैसले को चुनौती दे सकती है और इस दौरान यह भूमि उसके कब्जे में ही रहेगी।
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बनर्जी सरकार को झटका देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगुर कानून को अवैध घोषित कर दिया। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति मृणाल कांति चौधरी की दो सदस्यीय उच्च न्यायालय की पीठ ने एकल पीठ के फैसले को रद्द करते हुए कानून को असंवैधानिक करार दिया। 28 सितंबर, 2011 को कानून को वैध ठहराते हुए लागू करने पर दो महीने की रोक लगा दी थी ताकी दूसरे पक्ष (टाटा मोटर्स) को किसी उच्च अदालत में अपील करने का मौका मिल सके। 3 नवंबर, 2011 को उच्च न्यायालय की पीठ ने मामले के निस्तारण तक कानून को लागू किये जाने पर रोक लगा दी।
माइक्रोसेक कैपिटल ने इस फैसले से जुड़े दस प्रमुख तथ्य जुटाए-
1. सरकार में रहते हुए वाम मोर्चा ने सिंगुर में टाटा मोटर्स को देश की सबसे सस्ती कार नैनो बनाने के लिए 997 एकड़ जमीन दी।
2. जमीन का अधिग्रहण 13,000 मालिकों से किया गया था।
3. इनमें से 2,000 लोगों ने अपनी 400 एकड़ जमीन के बदले मुआवजा लेने से मना कर दिया।
4. ममता बनर्जी ने किसानों को उनकी जमीन वापस दिलाने का वादा किया।
5. वामपंथी पार्टियों को हराकर मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने 14 जून, 2011 को सिंगुर भूमि पुर्नसुधार और विकास कानून, 2011 पारित कराया। जिसके जरिये सरकार को विवादित भूमि वापस लेने का अधिकार मिल गया। टाटा मोटर्स को बाकी बचे 600 एकड़ जमीन पर ही फैक्ट्री बनाने के लिए कहा गया।
6. टाटा मोटर्स ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया। कानून पारित होने के एक हफ्ते बाद ही कंपनी ने कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी।
7. अपने फैसला सुनाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कानून को वैध करार दिया। टाटा मोटर्स ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी। इसके बाद मामले को खंडपीठ को सौंपा गया लेकिन इसके पास भी ऐसे मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं था।
8. इसके बाद मामले को मौजूदा पीठ को सौंपा गया।
9. टाटा मोटर्स का तर्क था कि कंपनी के लिए 600 एकड़ में फैक्ट्री का निर्माण कर पाना संभव नहीं और अक्टूबर 2008 में नैनो परियोजना को गुजरात स्थानांतरित कर दिया।
10. टाटा मोटर्स का दावा है कि सिंगुर में कंपनी ने 1,500 करोड़ रुपये का निवेश किया और हर्जाने की मांग की है।
गौरतलब है कि टाटा मोटर्स भारत में व्यावसायिक वाहन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। इसका पुराना नाम टेल्को (टाटा इंजिनीयरिंग ऐंड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड) था। यह टाटा समूह की प्रमुख कंपनियों मे से एक है। इसकी उत्पादन इकाइयाँ भारत में जमशेदपुर (झारखंड), पुणे (महाराष्ट्र) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) सहित अन्य कई देशों में हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है टाटा घराने द्वा्रा इस कारखाने की शुरुआत अभियांत्रिकी और रेल इंजन के लिये हुआ था। किन्तु अब यह कम्पनी मुख्य रूप से भारी एवं हल्के वाहनों का निर्माण करती है। इसने ब्रिटेन के प्रसिद्ध ब्रांडों जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया है। फरवरी 2010 में राल्फ स्पेथ को जगुआर-लैंड रोवर का नया मुख्य कार्यरकारी अधिकारी यानी सीईओ बनाया गया है।
दिसंबर 2012 की तिमाही के लिए 2,770 करोड़ रुपये के संभावित शुद्घ लाभ के विपरीत कंपनी ने 1,627.50 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया है जो सालाना आधार पर 52 फीसदी गिरावट है और तीन वर्षों में सबसे कम है। समेकित स्तर पर भी परिचालन से आय दिसंबर में 46,089 करोड़ रुपये पर रही जिससे सालाना आधार पर महज 1.8 फीसदी की वृद्घि का पता चलता है। मुनाफे में गिरावट की मुख्य वजह परिचालन मुनाफा मार्जिन में बड़ी गिरावट आना है। कंपनी के घरेलू और जेएलआर व्यवसाय दोनों के परिचालन मुनाफा मार्जिन में गिरावट दर्ज की गई है। इसकी वजह से समेकित परिचालन मुनाफा मार्जिन 16 फीसदी से घट कर सालाना आधार पर 13.3 फीसदी रह गया। घरेलू व्यवसाय का मार्जिन दिसंबर 2011 के 6.7 फीसदी से घट कर हाल में समाप्त हुई तिमाही में 2.2 फीसदी रह गया जबकि जेएलआर का मार्जिन 17 फीसदी से घट कर 14 फीसदी रह गया।
कम प्राप्तियों वाले मॉडलों और इवोक एवं फ्रीलैंडर के वैरिएंट की अधिक बिक्री की वजह से जेएलआर का मार्जिन घटा है। घरेलू मार्जिन में बढ़ती लागत, ऊंचे डिस्काउंट और मध्यम एवं भारी वाणिज्यिक वाहन (एमऐंडएचसीवी) खंड के कमजोर प्रदर्शन की वजह से गिरा है। घरेलू बाजार में उसके हलके वाणिज्यिक वाहन खंड का प्रदर्शन मजबूत रहा है। खासतौर पर उसे अपने मॉडल 'एसीईÓ की वजह से मजबूती मिली है। उसके यात्री वाहन (पीवी) खंड की बिक्री में 36 फीसदी तक की गिरावट आई जबकि निर्यात में सालाना आधार पर 18 फीसदी की कमी आई। इसलिए एकल आधार पर टाटा मोटर्स ने दिसंबर 2008 के बाद से पहली बार 458 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है।
घरेलू बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा बरकरार रहने का अनुमान है और एमऐंडएचसीवी सेगमेंट पर इससे दबाव महसूस किया जा रहा है। अधिक परिचालन लागत और कमजोर आर्थिक परिदृश्य की वजह से कम माल की उपलब्धता से घरेलू बिक्री पर दबाव पडऩे की आशंका है। टाटा मोटर्स के प्रबंधन ने यह स्वीकार किया है कि विपणन खर्च आने वाले महीनों में बढऩे का अनुमान है। इसे देखते हुए भविष्य में घरेलू व्यवसाय में मजबूती की कम ही उम्मीद की जा सकती है।
वहीं जेएलआर के लिए कंपनी अपने चीनी परिचालन पर अधिक निर्भर है। दिसंबर 2012 में उसके व्यवसाय में चीन का योगदान 17 फीसदी से बढ़ कर 21 फीसदी पर रहा। उसके ब्रिटिश व्यवसाय ने 11 फीसदी की बढ़त दर्ज की, यूरोप ने 7 फीसदी जबकि अमेरिकी व्यवसाय में 6 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
हालांकि जेएलआर से शुद्घ लाभ 39.3 करोड़ पौंड से घट कर 29.6 करोड़ पौंड रह गया जो सालाना आधार पर 25 फीसदी की गिरावट है। यह गिरावट उत्पाद और वैरिएंट के समावेश, ऊंची विपणन लागत और प्रतिकूल मौद्रिक उतार-चढ़ाव की वजह से भी दर्ज की गई है। इन बाधाओं को देखते हुए चालू तिमाही में मार्जिन में सुधार आने की संभावना नहीं है। संक्षेप में कहें तो फिलहाल कंपनी द्वारा किसी सकारात्मक बदलाव की उम्मीद नहीं है।
टाटा मोटर्स के जमशेदपुर संयंत्र ने एक मील का पत्थर हासिल किया। कंपनी ने अपने इस विश्वस्तरीय संयंत्र से 20 लाखवें ट्रक का उत्पादन किया। इस संयंत्र में टाटा मोटर्स के मध्यम से लेकर भारी वाणिज्यिक वाहनों की संपूर्ण श्रृंखला का उत्पादन किया जाता है, जिसमें टाटा प्राइमा भी शामिल है। इस अवसर पर टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक कार्ल स्लिम ने कहा कि हमें गर्व है कि जिस संयंत्र से कंपनी ने परिचालन की शुरुआत की थी, उस संयंत्र से आज 20 लाखवें ट्रक का उत्पादन हुआ है। इस संयंत्र में मल्टी-ऐक्सल ट्रक्स, ट्रैक्टर-ट्रेलर्स, टिपर्स, मिक्सर्स और स्पेशल ऐप्लिकेशन व्हीकल समेत 200 ट्रक संस्करणों का विनिर्माण होता है
भारत के अलावा इन वाहनों की बिऋी दक्षिण अफ्रीका, रूस, म्यांमार, दक्षेस क्षेत्र और पश्चिमी एशिया में होती है। जमशेदपुर संयंत्र टाटा मोटर्स का सबसे पहला संयंत्र है जिसकी स्थापना 1945 में भाप से चलने वाले इंजन बनाने के लिए की गई थी। इसके बाद कंपनी ने 1954 में वाणिज्यिक वाहनों के कारोबार में कदम रखा। कंपनी का पिछले 10 साल में बडे पैमाने पर आधुनिकीकरण हुआ है। कार्ल स्लिम ने बताया कि इस संयंत्र में एक विश्वस्तरीय डिजाइन और इंजीनियरिंग सेंटर है। टाटा मोटर्स के मौजूदा और भविष्य की ट्रक श्रृंखलाओं की संकल्पना और एकीकरण की व्हीकल असेंबली, शैसे फेब्रिकेशन और कस्टमाइजेशन इकाई समेत व्यापक सुविधाएं उपलब्ध हैं। टेस्टिंग इकाई में इंजन के प्रदर्शन का परीक्षण, इंडोर और आउटडोर वाहन परीक्षण, एनवीएच (शोर, कंपन और ) परीक्षण, टिकाऊपन परीक्षण और प्रदर्शन से जुडे अन्य पहलुओं का परीक्षण किया जाता है। इस आधुनिक इंजन असेंबली संयंत्र मंण टाटा 697/497 नैचुरली एस्पाइरेटेड और टर्बो चार्ज्ड इंजन का विनिर्माण किया जाता है और इसकी क्षमता प्रतिदिन 200 इंजन आपूर्ति करने की है। इस ट्रक संयंत्र की प्रमुख असेंबली लाइन हर 5 मिनट में एक ट्रक का विनिर्माण करती है। दूसरी लाइन खासतौर पर रक्षा क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार विशेष उद्देश्य वाहनों का विनिर्माण करती है।
वाणिज्यिक और यात्री वाहनों की मांग सुस्त होने के कारण देश की सबसे बड़ी वाहन कंपनी टाटा मोटर्स अपनी रणनीतियों की समीक्षा कर सकती है। घरेलू कारोबार में संघर्ष कर रही है यह कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं में कटौती करते हुए विनिर्माण और नए उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है।
टाटा मोटर्स ने पिछली तिमाही में एकल आधार पर दिसंबर, 2008 के बाद पहली बार शुद्ध घाटा किया है। ट्रकों और यात्री कारों की मांग में सुस्ती और बाजार में तगड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण कंपनी के मुनाफे पर असर पड़ा। टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक रवींद्र पिशरोदी ने कहा, '3-4 साल पहले हमने अपने लिए दृष्टिï तैयार किया था और उस समय हमें उम्मीद थी कि अगले 4-5 वर्षों में हमारा कारोबार दोगुना हो सकता है। अभी तक हम उसी दृष्टिïपत्र पर चल रहे हैं लेकिन अब इसमें बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। संयंत्र, बुनियादी ढांचा और कर्मचारी सभी मामले में हमने काफी विस्तार कर लिया है और अब इस पर रोक लगाने की जरूरत है।Ó
बाजार में मांग सुस्त होने के कारण विशेषकर जमशेदपुर संयंत्र में उत्पादन में भी कटौती करनी पड़ी। जमशेदपुर संयंत्र कंपनी का सबसे पुराना संयंत्र है जहां मुख्य रूप से मझोले और भारी ट्रकों का उत्पादन किया जाता है। कंपनी को इस साल इस संयंत्र में 4 बार उत्पादन रोकना पड़ा क्योंकि अप्रैल से जनवरी की अवधि में कुल बिक्री में करीब 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। टाटा मोटर्स ट्रक बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है और इसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 62 फीसदी है। देश के कुछ भागों में लौह अयस्क की खनन गतिविधियां बंद होने के कारण आम आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार सुस्त हो गई और महंगे कर्ज के कारण ट्रकों की बिक्री धीमी पड़ गई।
रक्षा क्षेत्र में टाटा समूह लगातार अपनी पैठ मजबूत कर रहा है।
समूह की प्रमुख कंपनी टाटा मोटर्स ने आज बारूदी सुरंग रोधी वाहन पेश करते हुए युद्ध के मैदान में काम आने वाले वाहनों के बाजार में कदम रख दिया। टाटा संस ने भी अपनी पैठ मजबूत करते हुए टाटा समूह ने भी युद्धक हेलीकॉप्टर तैयार करने के लिए इटली की रक्षा और वैमानिकी कंपनी फिनमेकैनिका की इकाई अगस्तावेस्टलैंड के साथ हाथ मिला लिए।
टाटा मोटर्स के भारतीय कारोबार के प्रबंध निदेशक पी एम तैलंग ने कहा, 'हम सभी तरह के रक्षा उपकरणों पर काम करना चाहते हैं। अपने पारंपरिक कारोबार को और मजबूत बनाते हुए हम खास तौर पर रक्षा क्षेत्र के लिए वाहन और उपकरण तैयार करेंगे।'
उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी इसके लिए समय आने पर उचित साझेदारों का चयन करेगी और समूह की दूसरी कंपनियों की क्षमता का भी पूरा लाभ उठाएगी। टाटा मोटर्स 1958 से ही भारतीय रक्षा बलों और अर्द्धसैनिक बलों के लिए उत्पाद बना रही है। लेकिन उसने युद्ध के मैदान में काम आने वाले वाहन बनाना हाल ही में शुरू किया है।
उड़ेगा हेलीकॉप्टर
टाटा संस ने जिन ए डब्ल्यू 119 हेलीकॉप्टरों को असेंबल करने के लिए इतालवी कंपनी के साथ करार किया है, वैसे 190 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के ठेके उसे पहले ही मिल चुके हैं। इनकी असेंबलिंग हैदराबाद में की जाएगी। दुनिया भर के खरीदारों के लिए हैदराबाद का संयंत्र ही केंद्र का काम करेगा।
टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए उम्मीद जताई कि यह साझा उपक्रम अभी और परवान चढ़ेगा। पहले चरण में हैदराबाद संयंत्र में साल में 30 हेलीकॉप्टर तैयार किए जाएंगे।
फिनमेकैनिका ने कहा कि इस साझे उपक्रम के तहत बनाए जाने वाले ये हेलीकॉप्टर निगरानी करने में खासे काम आएंगे, जिस श्रेणी के लिए भारतीय सेना जल्द ही ठेका देने वाली है। उसने बताया कि ऐसे 197 हेलीकॉप्टर भारत में खरीदे जाने हैं।
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