Tuesday, August 27, 2013

स्वास्थ्य सेवा में निजी पूंजी के लिए अस्पतालों को मरीजों की छुट्टी कर देने का हक।अस्पतालों के लिए सेवा शर्तें भी कड़ी।

स्वास्थ्य सेवा में निजी पूंजी के लिए अस्पतालों को मरीजों की छुट्टी कर देने का हक।अस्पतालों के लिए सेवा शर्तें भी कड़ी।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


बंगाल में स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने और निजी पूंजी निवेश के लिए निजी अस्पतालों के अब यह अधिकार दिया जा रहा है कि पैसे का भुगतान न होने पर मरीज की तुरंत छुट्टी कर दी जाये। मरीजों के दाखिले और इलाज की शिकायतों को लेकर जो हंगामा होता रहता है, उसे भी मरीज की छुट्टी का ाधार बनाया जा सकता है।इलाज पूरी होने से पहले ही अस्पतालों को मरीज की छुट्टी कर देने का हक होगा। प्रस्तावित स्वास्थ्य विधि यानी क्लिनिकल एस्टाब्लिशमेंट रुल 2013 केतहत राज्य सरकार अस्पतालों को यह छूट देने जा रही है। गौरतलब है कि जिलों की सेहत सुधारने के लिए सरकारी अस्पतालों में निजी मेडिकल कालेज खोलने की इजाजत पहले ही दी जा चुकी है।


पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य अधीक्षक विश्वरंजन सतपथी ने बता दिया है कि पूजा से पहले यह नई स्वास्थ्य विधि लागू हो जायेगी। अस्पतालों में हंगामा तोड़फोड़ आदि वारदातों से परेशान निजी अस्पतालों के जाहिर है कि इस नये बंदोबस्त से भारी राहत मिली है।बदतमीजी करने वाले मरीज को संबंधित चिकित्सक ही अस्पताल से बाहर करने के अधिकारी होंगे। पहले बिना पैसे लिये दाखिला न करेने की वजह से कई नामी अस्पतालों में भारी हंगामा की वारदातें हुई हैं। इसके मद्देनजर नई स्वास्थ्यविधि के तहत पैसा न चुकानेपर मरीज का इलाज पूरी किये बिना छुट्टी कर देने से कारपोरेट अस्पतालों की लंबित मांग पूरी की जा रही है।


इसके साथ ही अस्पतालों के लिए सेवा शर्तें भी कड़ी की जा रही हैं।मसलन अस्पतालों को अपने यहां उपलब्ध सेवाओं का ब्यौरा सार्वजनिक करना होगा।इसके साथ ही अस्पताल में कार्यरत स्थाई अस्थाई चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की पूरी तालिका भी देनी होगी।स्वास्थ्य विभाग केवेबसाइट में ये सारे तथ्य दर्ज रहेंगे।इसके साथ ही ऐलोपैथी ,आयुर्वेदिक या होम्योपैथी के लिए खोले गये अस्पतालों में दूसरी विधा की दवाएं लिखने पर निषेध होगा। यानी आयुर्वेदिक और होम्योपैथी चिकित्सक ऐलोपैथी दवाएं नहीं लिख सकेंगे।अस्पतालों में स्वीकृत पद्धति से बाहर चिकित्सकों की नियुक्ति भी निषिद्ध होगी। इससे हथौरामार चिकित्सा की परंपरा पर रोक लग सकेगी और खास तौर पर देहात में झोला छाप डाक्टरों के किसी भी दवा को आजमाने के रिवाज पर भी अंकुश लगेगा।


चिकित्सा शिविरों के लिए भी अनुमति लेने की बाध्यता होगी शिविर में शामिल डाक्टरों का ब्यौरा देना होगा।जूनियर डाक्टरों के दूसरे अस्पतालों में लगाने पर भी रोक होगी। किसी हाउस स्टाफ या पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी से पार्ट टाइम सेवा लेने की स्थिति में संबद्ध मेडिकल कालेज या अस्पताल के प्रबंधन सेअ अनापत्ति पत्र लेना अनिवार्य होगा।


विदेशी विशेषज्ञों के टेली मेडिसिन पर भी रोक लगने जा रही है।इसाज में जटिलता की सारी जिम्मेवारी संबद्द असपताल कीमानी जायेगी।विदेशी या देश के अन्य राज्यों के चिकित्सकों की सलाह अस्पताल ले सकेंगे लिकिन ऐसे चिकित्सक नूस्खा लिख नहीं सकेंगे।



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