Tuesday, June 12, 2012

Fwd: [INDIAN JUSTICE PARTY] किस दुनिया में रहते हो कॉमरेड?



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From: Nilakshi Singh <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/6/13
Subject: [INDIAN JUSTICE PARTY] किस दुनिया में रहते हो कॉमरेड?
To: INDIAN JUSTICE PARTY <indianjusticeparty@groups.facebook.com>


किस दुनिया में रहते हो कॉमरेड? वामपंथी समूह...
Nilakshi Singh 11:44am Jun 13
किस दुनिया में रहते हो कॉमरेड?

वामपंथी समूह क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन और इंकलाबी मजदूर सभा के नेता जाति के सवाल पर दलित बुद्धिजीवियों का क्या महत्व मानते हैं, उन्होंने अपने लेख 'दो पेज भी नहीं लिख सकते दलित बुद्धिजीवी' में बताया है.
उन्होंने लिखा है, 'आज अपने देश में बहुत सारे लोग जो खुद को मार्क्सवाद के समर्थक या मार्क्सवाद से सहानुभूति रखने वाले कहते हैं, वे मार्क्सवाद की जड़ खोदने में लगे हुए हैं...'
यह बात तो सही है, लेकिन आपके पास सही मार्क्सवादी होने का कौन सा प्रमाणपत्र है? अभी तो इस मुल्क में पिछले कई दशकों में कोई बड़ा सामाजिक प्रयोग भी नहीं हुआ है. क्या आप भी उसी श्रेणी में तो नहीं आते जिन्होंने मार्क्सवाद को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन उसकी आंखें धुंधली हैं. उन्हें नहीं पता है कि भारतीय क्रांति के सम्पूर्ण कार्यक्रम का सही लेखा-जोखा क्या है? उसका रास्ता कौन सा है?
क्या आप यह काम कर पाए, यदि नहीं तो आप यह दावा कैसे कर सकते हैं कि बाकी दुनिया में नकली मार्क्सवादी हैं और आप असली हैं? खुद को पाक-साफ घोषित करने से कोई पाक-साफ नहीं हो जाता है. इससे व्यक्तिवाद का खतरा बढ़ता है. आप कहां-कहां पर मार्क्सवाद को खारिज करते जा रहे हैं, इसका आपको अंदाज भी नहीं है.
आप लिखते हैं, '...हम सारे दलित बुद्धिजीवियों को चुनौती देते हैं कि वे आज के अपने ज्ञान के आधार पर भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन के इतिहास पर दो पृष्ठ की रूपरेखा प्रस्तुत करके दिखाएं... हम इन्हें चुनौती देते हैं कि केवल जाति के मुद्दे पर भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में जो अलग-अलग सोच मौजूद रही है, वे उसकी ऐतिहासिक रूपरेखा प्रस्तुत करके दिखाएं.'
कौन दलित बुद्धिजीवी आपकी बात सुन रहा है और आपके कहने से भारत में कम्युनिस्ट के इतिहास की दो पृष्ठ की रूपरेखा लिखकर दिखाएगा. आपकी कूवत क्या है? पूरे भारतीय समाज में और सामाजिक आंदोलनों में और जाति के सवाल पर आप आज कहां खड़े हैं, इसका आकलन यदि आप करेंगे तो आपका सारा दंभ निकल जाएगा, जो मार्क्सवाद की चार किताबें पढ़ लेने भर से पैदा हो गया है. यह आपके लेखन में भी दिख रहा है. जाति के सवाल पर आपकी समझ भी क्या है? इसका आपको अंदाजा नहीं है, इस सच्चाई को आप छू भी नहीं पाए हैं. इसके लिए कार्यक्रम के निर्माण की तो आप बात छोड़ ही दीजिए.
आपके लेखन से जो झलक रहा है, वह अपने आप में कोई मार्क्सवादी नजरिया नहीं है. मार्क्सवाद सर्वहारा की मुक्ति का दर्शन है और केवल आप ही उसके वाहक हैं, यह हम कैसे मान लें?
पूरी जाति व्यवस्था, ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खिलाफ जाति विरुद्ध संगठनों का निर्माण करना होगा जो टोटल सिस्टम के खिलाफ बनेंगे न कि किसी एक विशेष जाति के खिलाफ. शेष समाज में विभिन्न वर्गों की लड़ाइयों के साथ इसको जोड़ना होगा. इस रूप में यह लड़ाई वर्ग संघर्ष का हिस्सा है. इस काम को छोड़कर आप कहीं भी आगे नहीं जा सकते, न ही किसी व्यापक परिवर्तन या वर्ग संघर्ष की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. यह भी समाज का एक बड़ा हिस्सा है जिसे आप आज दरकिनार किए हुए हैं. इसको एजंडे में लाना होगा. कॉमरेड हमारा आपसे यही कहना है.

http://www.janjwar.com/janjwar-special/27-janjwar-special/1821-2011-08-11-13-12-39

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