Thursday, August 6, 2015

‘आधार’ के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 11 अगस्त को

'आधार' के आधार पर सुप्रीम कोर्ट 


का फैसला 11 अगस्त को 


Supreme-Court

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की सभी नागरिकों को आधार कार्ड मुहैया कराने की महत्वाकांक्षी परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपने के केंद्र के आग्रह पर गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली। अदालत इस पर मंगलवार को फैसला सुनाएगी। न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि वह इस बारे में निर्णय करेगी कि क्या केंद्र द्वारा उठाए गए सवालों को वृहद पीठ को भेजा जा सकता है या नहीं।

अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस अदालत की पहले की व्यवस्थाओं के आलोक में इस सवाल पर विचार की आवश्यकता है कि क्या निजता का अधिकार संविधान के खंड तीन में प्रदत्त मौलिक अधिकार का हिस्सा है और यदि ऐसा है तो निजता के अधिकार की रूपरेखा क्या है। केंद्र की ओर से ही अतिरिक्त महान्यायवादी पिंकी आनंद ने पीठ को वे सवाल सौंपे जिन्हें मंगलवार को सुविचारित व्यवस्था के लिए वृहद पीठ को सौंपा जा सकता है।

सुश्री आनंद ने कहा कि इससे पहले भी वृहद पीठ यह व्यवस्था दे चुकी है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। हालांकि बाद में इससे कम संख्या वाली पीठ ने कहा कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकार है जो वृहद पीठ के फैसले के विपरीत है। न्यायमूर्ति चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ इन सभी सवालों पर विचार करके मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगी।

केंद्र ने बुधवार को भी आधार कार्ड को चुनौती देने वाली याचिकाएं वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध किया था। केंद्र का कहना था कि दो या तीन जजों की पीठ इस सवाल पर फैसला नहीं कर सकती है। केंद्र ने इस संबंध में एके गोपालन, मेनका गांधी और बैंकों के राष्ट्रीयकरण जैसे ऐतिहासिक मामलों में दी गई व्यवस्थाओं का भी हवाला दिया था। इस मामले को वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध करते हुए अटार्नी जनरल ने कहा कि इससे आठ जजों की पीठ और बाद में छह जजों की पीठ के इस दृष्टिकोण पर असर नहीं पड़ेगा कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है।

इससे पहले सरकार ने नागरिकों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार कार्ड को जरूरी बनाने पर जोर देने के कारण उसके, भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि यह अनिवार्य नहीं है। अतिरिक्त महान्यायवादी पिंकी आनंद ने अदालत को सूचित किया कि उसके पहले के आदेशों के मद्देनजर राज्यों और संबंधित प्राधिकारियों से कह दिया गया है कि वे विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता पर जोर नहीं दें।

अदालत वेतन, भविष्य निधि के भुगतान, विवाह और संपति के पंजीकरण सहित अनेक गतिविधियों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के कुछ राज्यों के फैसलों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। एक याचिकाकर्ता मैथ्यू थामस की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमणियम ने एक अर्जी दायर कर केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक व निर्वाचन आयोग सहित विभिन्न प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया था।

उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार और दूसरे प्राधिकारी पहले के उन आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं जिनमें कहा गया था कि किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह के लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए या आधार कार्ड नहीं होने के कारण उसे परेशान नहीं होना चाहिए।

- See more at: http://www.jansatta.com/national/supreme-court-reserves-order-on-referring-aadhaar-matter-to-larger-bench/35019/#sthash.6fN4RXu2.dpuf

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcom

Website counter

Census 2010

Followers

Blog Archive

Contributors