Sunday, November 29, 2015

यही है कयामत का मंजर और हमारे स्वर्गवास का इंतजाम कयामत का मंजर यहींच अरुंधति जो कह रही हैं वह सच है और इस अपकर्म में संसदीय पक्ष विपक्ष,रंगबिरंगी तमाम विचारदाराएं शामिल है जो दरअसल वंश वर्चस्व का अंग्रेजी हुकूमत का तोहफा है और इसीको हम लोकतंत्र समझ रहे हैं और धर्म और जातिकी अस्मिताओं को इसी खुशफहमी में मजबूत कर रहे हैं। सध्याच्या परिस्थितीसाठी असहिष्णू हा शब्दही अपुरा – अरूंधती रॉय महात्मा फुले यांच्या पुण्यतिथीच्या निमित्ताने अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषदेतर्फे देण्यात येणारा यंदाचा

यही है कयामत का मंजर और हमारे स्वर्गवास का इंतजाम

कयामत का मंजर यहींच

अरुंधति जो कह रही हैं वह सच है और इस अपकर्म में संसदीय पक्ष विपक्ष,रंगबिरंगी तमाम विचारदाराएं शामिल है जो दरअसल वंश वर्चस्व  का अंग्रेजी हुकूमत का तोहफा है और इसीको हम लोकतंत्र समझ रहे हैं और धर्म और जातिकी अस्मिताओं को इसी खुशफहमी में मजबूत कर रहे हैं।

सध्याच्या परिस्थितीसाठी असहिष्णू हा शब्दही अपुरा – अरूंधती रॉय

महात्मा फुले यांच्या पुण्यतिथीच्या निमित्ताने अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषदेतर्फे देण्यात येणारा यंदाचा

यावेळी रॉय म्हणाल्या, 'संपूर्ण उपखंडात रसातळाला जाण्याची स्पर्धाच सुरू झाली आहे आणि त्यात भारताचा उत्स्फूर्त सहभाग आहे. सगळ्या शिक्षणसंस्था, महत्त्वाच्या संस्थांमध्ये सरकारच्या मर्जीतील माणसे भरली जात आहेत. देशाचा इतिहासच बदलण्याचे प्रयत्न केले जात आहेत. धर्मातून बाहेर गेलेल्यांना आरक्षणाची लालूच दाखवून चालणारा 'घर वापसी'चा प्रकार क्रूर आहे. डॉ. आंबेडकरांच्या तत्त्वांचा त्यांच्याच विरोधात वापर करण्यात येत आहे. बाजीराव-मस्तानी चित्रपटावरून मोठा वाद होतो. मात्र पेशव्यांच्या काळात दलितांवर झालेल्या अन्यायाची चर्चाही होत नाही.' -

पलाश विश्वास

Starving Sudanese child being stalked by a vulture. Image courtesy: Kevin carter


महात्मा फूले के 125वें पुण्य स्मरण पर अरुंधति रॉय को समता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ... रॉय ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि एनडीए सरकार हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही है। ... इस समारोह में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने अरूंधति राय का विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया।


अरुंधति राय के ताजा बयान को मीडिया विवादास्पद बता रहा है।असहिष्णुता के खिलाफ राष्ट्रीय पुरस्कार पहले ही लौटा चुकी अरुंधति ने सीधे कहा है कि राजग सरकार सीधे ब्राह्मणवाद लागू करने पर उतारु है और मौजूदा हालात बयां करने के लिए असहिष्णुता काफी नहीं है।जलाने मारने काटने के इस क्तेआम को असहिष्णुता कहना काफी नहीं है।


हमने राजस्थान के बीकानेर जिले में प्रेम करने के अपराध में एक दलित युवक की निर्मम हत्या पर भंवर मेघवंशी की रपट लगायी और उसके साथ की जो तस्वीरें नत्थी की है,उनसे हमारी आत्मा भी लहूलुहान हो गयी।वीभत्सता की मनुष्यता और प्रकृति विरोधी इस वारदात की तस्वीरें साझा करना बहुत कष्टकर रहा है।लेकिन सच चाहे जैसा हो सामाजिक यथार्थ है।जब मनुष्यअब सामाजिक प्राणी नहीं ही रहा है,तो उसकी संवेदनाएं भी मर गयी हैं।सच कहने पर उसकी प्रतिक्रिया प्रतिक्रियावादी होती है।लेकिन सच कहना मनुष्य होने के नाते हमारा कार्यभार है।

अरुंधति ने सच कहा है जैसे हम लगातार कहते रहे हैं कि यह सोचना ही होगा कि अगर हम हिंदू समाज हैं,अगर हिंदुत्व हमारी साझा विरासत और संस्कृति है तो एकच रक्त के विज्ञान को खारिज करते हुए जाति वर्ण वर्चस्व के तहत लाखों अस्मिताओं के तहत बंटा क्यों है यह हिंदू समाज।

जाति व्यवस्था को बनाये रखना ही ब्राह्मणवाद है,मनुस्मृति शासन और मुक्तबाजार की अर्थव्यवस्था है।


हम इसे लगातार कह रहे हैं।अगर हम जाति को संबोधित करते हैं और जातियों को गाली दिये बिना हमारा अमृत वचन बेजुबान है तो इसका मतलब फिर वही है कि हम हरहालत में जाति को बनाये रखना चाहते हैं और इसीलिए हम जाति को मजबूत कर रहे हैं।


यह बहुत बड़ी त्रासदी है कि किन्हीं मजबूत जातियों का महागठबंधन सनातन हिंदू धर्म के झंडेवरदारों को हरा देता है।इसका सीधा मतलब है कि जनता की आस्था और उनकी समस्याओं,रोजमर्रे की जरुरतों,उनके वजूद से इस धर्म का कोई नाता नहीं है।


असल हिंदू हो जो वह जरुर अरुंधति के कहे का मतलब बूझ लें कि धर्म का राजकाज से कोई मतलब नहीं है।


भक्ति आंदोलन के मनीषियों ने मध्यकाल में ही इस दैवी सत्ता को खारिज करके रोशनी फैलायी है और कटकटेला अंधियारे के कारोबार ने उस रोशनी को धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद में ओ3म स्वाहा कर दिया है और उत्तरआधुनिक हिंदू धर्म को जाति और अस्मिताओं के शिकंजे में दबाकर रखा है।


संसद का अधिवेशन अंबेडकर स्मृति पारायण की वैदिकी रस्मअदायगी में तब्दील है तो राजकीय संविधान दिवस और संविधान संकल्प भी जाति उन्मूलन के एजंडे से दूर है जबकि हिंदुत्व के पुनरूत्थान के लिए उन्नीसवीं सदी का वह नवजागरण चाहिए जिसने सतीप्रथा,बहुविवाह,बाल विवाह का निषेध करते हुए स्त्री शिक्षा और विधवा विवाह जैसे क्रांतिकारी कार्यक्म को अंजाम दिया।


उधर महात्मा ज्योतिबा फूले,सावित्री बाई फूले और हरिचांद ठाकुर गुरुचांद ठाकुरसमेत तमाम अछूत पिछड़े मनीषियों ने इसी कार्यक्रम को भारतीय यथार्थ बना दिया।


इस लिहाज से नवजागरण के साथ सात किसान आदिवासी आंदोलन का वह सिलसिला दरअसल भारतीय इतिहास का स्वर्णकाल है और वर्तमान परिदृश्य अंधकार युग।


हमने अपने वीडियो टाक में पिछले दिनों विश्व साहित्य के मार्फत यह बताया है कि यह सिलिसिला 1170 में कैंटरबुरी के आर्कविशप की हत्या के साथ शुरु हुआ।


असहिष्णुता और शुद्धता संशोधन आंदोलन का खुलासा मर्डर इन द कैथेड्रल में और शेक्सपीअर के नाटकों में खूब हुआ है।


विडंबना यह है कि हम आजाद भारत में इसीको,इस औपनिवेसिक विरासत को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद  बता रहे हैं क्योंकि रियासतें और जमींदारियां खत्म हुई नहीं है और न भारत में भूमि सुधार लागू हुआ है।


इसके उलट जलजंगल जमीन और नागरिकता से बेदखली का एफोडीआई यह मुक्तबाजार उन्माद है जिसके तार पूंजी बाजार से जुड़े हैं और गाय,गोबर, माटी से इसका कोई संबंध नहीं है।


इसीलिए हम एकच रक्त के भारत तीर्थ पर खून की नदियां बहाने वाले त्त्वों के हाथों खिलौना बने हुए हैं और राष्ट्र का विवेक जब भी बोलता है,उसके खिलाफ अविराम घृणा अभियान चला रहे हैं।


अरुंधति जो कह रही हैं वह सच है और इस अपकर्म में संसदीय पक्ष विपक्ष,रंगबिरंगी तमाम विचारधाराएं शामिल है जो दरअसल वंश वर्चस्व  का अंग्रेजी हुकूमत का तोहफा है और इसीको हम लोकतंत्र समझ रहे हैं और धर्म और जाति की अस्मिताओं को इसी खुशफहमी में मजबूत कर रहे हैं।


हिंदुत्व जीने और मरने वाले लोग इस देश में बहुसंख्य है जबतक वे इस हकीकत का सामना ना करें कयामत का यह मंजर बदलने वाला नहीं है।

'सध्याच्या परिस्थितीचे वर्णन करण्यासाठी असहिष्णू हा शब्दही अपुरा ठरावा. सर्व प्रशासकीय व्यवस्थांमध्ये हिंदुत्वाचे भाट असून दलित, आदिवासी, मुस्लिम यांना दहशतीखाली ठेवण्यात येत आहे,' असा आरोप प्रसिद्ध लेखिका अरूंधती रॉय यांनी शनिवारी केला.
महात्मा फुले यांच्या पुण्यतिथीच्या निमित्ताने अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषदेतर्फे देण्यात येणारा यंदाचा महात्मा फुले समता पुरस्कार रॉय यांना देण्यात आला. यावेळी समता परिषदेचे संस्थापक अध्यक्ष छगन भुजबळ, महापौर दत्तात्रय धनकवडे, आमदार पंकज भुजबळ, जयदेव गायकवाड, दीप्ती चवधरी, विचारवंत हरी नरके, माजी महापौर चंचला कोद्रे, समीर भुजबळ, कृष्णकांत कुदळे, राजू घाटोळे आदी उपस्थित होते. पुरस्काराची एक लाख रुपयांची रक्कम आणि पुस्तकांच्या मानधनातून मिळालेले दोन लाख रुपये असा तीन लाख रुपयांचा निधी रमाबाई मिशनला देण्याचे रॉय यांनी जाहीर केले.

बढ़ावा दे रही मोदी सरकार : अरुंधति राय

Webdunia Hindi - ‎Nov 28, 2015‎

पुणे। जानी-मानी लेखिका अरूंधति रॉय ने शनिवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार 'हिन्दू राष्ट्रवाद' के नाम पर 'ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही' है और 'असहिष्णुता' जैसा शब्द उस 'डर' को बताने के लिए नाकाफी है जिसमें अभी अल्पसंख्यक समुदाय जी रहा है। रॉय के इस बयान पर दंक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर उन्हें 'राष्ट्र विरोधी' करार दिया । यहां एक कार्यक्रम में रॉय की मौजूदगी से नाराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने हंगामेदार प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में रॉय को समाज सुधारक ...

अरुंधति ने कहा, ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही मोदी सरकार, फिर से लिख रही है इतिहास

एनडीटीवी खबर - ‎20 hours ago‎

पुणे: दुनिया भर में मशहूर भारतीय लेखिका अरुंधति रॉय ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार 'हिंदू राष्ट्रवाद' के नाम पर 'ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही' है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 'असहिष्णुता' जैसा शब्द उस 'डर' को बताने के लिए नाकाफी है जिसमें अभी अल्पसंख्यक समुदाय जी रहा है। रॉय के इस बयान पर दंक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर उन्हें 'राष्ट्र विरोधी' करार दिया। रॉय के खिलाफ एबीवीपी ने किया प्रदर्शन पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में रॉय की मौजूदगी से नाराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ...

लेखिका अरुंधति रॉय का बड़ा आरोप, हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही है मोदी सरकार

Rajasthan Patrika - ‎13 hours ago‎

पुणे। पुणे। प्रसिद्ध लेखिका और असहिष्णुता के विरोध में राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने वाली अरुंधती रॉय ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपानीत एनडीए सरकार हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही है। रॉय ने कहा कि जिस 'डर' के साए में अल्पसंख्यक जी रहे हैं उसे बताने के लिए 'असहिष्णुताÓ शब्द नाकाफी है।अरुंधति ने कहा कि लोगों की हत्या, उन्हें जिंदा जलाना और ऐसी ही बातों के लिए असहिष्णुता पर्याप्त शब्द नहीं है। ...rai 1. गौरतलब है कि अरुंधति रॉय उन लेखकों में शामिल हैं जिन्होंने हाल ही में देश में 'बढ़ती असहिष्णुताÓ के खिलाफ पुरस्कार लौटाया है।

हिन्‍दू राष्‍ट्रवाद के नाम पर देश में ब्राह्मणवाद फैला रहा केंद्र: अरुंधति‍ रॉय

Nai Dunia - ‎9 hours ago‎

देश में असहिष्‍णुता पर चल रही बहस के बीच लेखक अरुंधति रॉय ने इसे एक नया मोड़ दे दिया है। एक विवादित बयान देते हुए उन्‍होंने कहा कि जिस डर में भारत में अल्‍पसंख्‍यक जी रहे ... उन्‍होंने इसके साथ ही केंद्र सरकार पर देश में हिन्‍दू राष्‍ट्रवाद के अंतर्गत ब्राह्मणवाद फैलाने का आरोप भी लगाया। उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत के सामाजिक सुधारों को महान हिन्‍दू विचार के ... देश में दलित, पिछड़ों, मु‍स्लिमों और ईसा‍इयों को बांटने की कोशिश कर रही है। 55 वर्षीय बुकर प्राइज विजेता अरुंधति रॉय यहां पर महत्‍मा फुले समता परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में महत्‍मा ज्‍योतिबा फुले अवॉर्ड लेने पहुंची थी।

ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही मोदी सरकार: अरूंधति रॉय

ABP News - ‎13 hours ago‎

... एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने उन्हें ''राष्ट्रविरोधी, पाकिस्तान समर्थक और भारतीय सेना विरोधी'' करार दिया . बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया . एबीवीपी ने आयोजकों को एक ज्ञापन सौंपकर कहा कि रॉय ने अपने ''राष्ट्र विरोधी'' रवैये से सभी भारतीयों की संवेदनाएं आहत की हैं . इस मौके पर एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि भाजपा को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने ऐसे नेताओं को काबू में लाना चाहिए जो ''असहिष्णु बातें'' करते हैं. Tags : modi govt narendra modi Intolerance arundhati roy.

हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही एनडीए सरकार

दैनिक जागरण - ‎10 hours ago‎

पुणे। प्रसिद्ध लेखिका और असहिष्णुता के विरोध में राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने वाली अरुंधती रॉय ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपानीत एनडीए सरकार हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि जिस 'डर' के साए में अल्पसंख्यक जी रहे हैं उसे बताने के लिए 'असहिष्णुता' शब्द नाकाफी है। अरुंधति ने कहा कि लोगों की हत्या, उन्हें जिंदा जलाना और ऐसी ही बातों के लिए असहिष्णुता पर्याप्त शब्द नहीं है। हमें इन सबको बताने के लिए एक नया शब्द गढऩा पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा देश के समाज सुधारकों का महिमामंडन महान हिंदुओं के तौर ...

हिंदू राष्ट्र के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही है मोदी सरकार: अरुंधती रॉय

नवभारत टाइम्स - ‎18 hours ago‎

अरुंधति रॉय (फाइल फोटो). फोटो शेयर करें. पुणे जानी-मानी लेखिका अरुंधती रॉय का मानना है कि मोदी 'हिंदू राष्ट्रवाद' के नाम पर 'ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही' है। रॉय ने कहा कि 'असहिष्णुता' जैसा शब्द उस 'डर' को बताने के लिए नाकाफी है जिसमें अभी अल्पसंख्यक समुदाय जी रहा है। रॉय के इस बयान पर दंक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें 'राष्ट्र विरोधी' बताया। अरुंधती ने यह आरोप भी लगाया कि बीजेपी देश के समाज सुधारकों का महिमामंडन 'महान हिंदुओं' के तौर पर करने की कोशिश कर रही है और डॉ. भीमराव अंबेडकर को भी हिंदू करार दे रही है, जबकि उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ ...

हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही मोदी सरकार: अरूंधति रॉय

आईबीएन-7 - ‎15 hours ago‎

पुणे। जानीमानी लेखिका अरूंधति रॉय ने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही है और असहिष्णुता जैसा शब्द उस डर को बताने के लिए नाकाफी है जिसमें अभी अल्पसंख्यक समुदाय जी रहा है। रॉय के इस बयान पर दंक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर उन्हें राष्ट्र विरोधी करार दिया है। एक कार्यक्रम में रॉय की मौजूदगी से नाराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने हंगामेदार प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में रॉय को समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा ...

मोदी राज में ब्राह्मणवाद लाने, इतिहास पुनर्लेखन के प्रयास:अरूंधति

खास खबर - ‎55 minutes ago‎

मोदी राज में ब्राह्मणवाद लाने, इतिहास पुनर्लेखन के प्रयास:अरूंधति. Published : 29-11-2015. arundhati royaccuse modi govt of bringing brahminism,rewritting of history -. पुणे। बुकर पुरस्कार से सम्मानित भारतीय लेखिका अरूंधति रॉय ने पुणे में आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार हिंदू राष्ट्रवाद के नाम परब्राह्मणवाद को बढावा दे रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि असहिष्णुता जैसा शब्द उस डर को बताने के लिए नाकाफी है जिसमें अभी अल्पसंख्यक समुदाय जी रहा है। रॉय के इस बयान पर दंक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर उन्हें राष्ट्र विरोधी करार दिया। पुणे में आयोजित एक ...

''हिंदू राष्ट्रवाद की आड़ में ब्राह्मणवाद फैला रही मोदी सरकार''

Nai Dunia - ‎Nov 28, 2015‎

पुणे। अब मशहूर लेखिका अरुंधती राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। उनका आरोप है कि हिंदू राष्ट्रवाद की आड़ में मोदी सरकार ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देने में जुटी है। बकौल अरुंधती, "मौजूदा समय में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जिस तरह के भय के माहौल में जी रहे हैं, उसको परिभाषित करने के लिए "असहिष्णुता" जैसे शब्द पर्याप्त नहीं हैं। समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले पुरस्कार से सम्मानित होने के मौके पर शनिवार को अरुंधती राय ने उपरोक्त टिप्पणी की। अपने संबोधन में उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि सत्ताधारी पार्टी समाज सुधारकों को महान हिंदू के रूप में महिमा ...


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