Friday, May 18, 2012

Fwd: जेल से कविता: किस किस को कैद करोगे



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/5/18
Subject: जेल से कविता: किस किस को कैद करोगे
To: abhinav.upadhyaya@gmail.com


दो अंकों में वृद्धि दर की हत्यारी उड़ान पर निकली व्यवस्था जनता के गीतों से डरती है. वो उन गीतों से डरती है जो जनता को अपने समय की असलियत बताते हैं. इसीलिए महाराष्ट्र में दलितों के बीच गीतों के जरिए उनकी मुक्ति के विचार ले जानेवाले कबीर कला मंच के साथियों को पिछले साल भूमिगत होना पड़ा, क्योंकि पुलिस उनकी गिरफ्तारियां करने लगी थी. मंच के कई कलाकार अभी जेल में हैं. कबीर कला मंच ने बाबा साहेब आंबेडकर की नए सिरे से व्याख्या करते हुए क्रांतिकारी आंदोलन और दलित आंदोलन को एक साथ चलाए जाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने यह भी दिखाया कि कैसे बाबा साहेब के विचार भी दरअसल दलितों की मुक्ति के लिए एक क्रांतिकारी आंदोलन की तरफ ही ले जाते हैं, जिसे अधिकतर दलित और आंबेडकरवादी आंदोलनों ने संसदीय दायरे में सीमित कर रखा है. फिल्मकार आनंद पटवर्धन की फिल्म जय भीम कॉमरेड इसी घटना के विरोध के साथ खत्म होती है और कई दूसरे कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर आनंद ने कबीर कला मंच बचाव समिति का गठन भी किया है. नीचे हम जो गीत पोस्ट कर रहे हैं, वह कबीर कला मंच के एक कलाकार अशोक डेंगले ने जेल में लिखा है. आवाज कामायनी बली महाबल की है.

जेल से कविता: किस किस को कैद करोगे



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