पांच सौ कर्मचारियों की बलि के बाद मारुति मनेसर में तालाबंदी खत्म!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
पांच सौ कर्मचारियों की बलि के बाद मारुति मनेसर में तालाबंदी खत्म!कंपनी ने सख्त कदम उठाते हुए संयंत्र के करीब एक-तिहाई स्थायी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का निर्णय किया है।हालांकि प्रबंधन ने दो हजार अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई बनाने का भी ऐलान किया है। जिससे मजदूर यूनियनों को खामोश किया जा सके।मनेसर प्रकरण से भारतीय मजदूर आंदोलन की दशा दिशा खूब अभिव्यक्त हो गयी है। अब श्रम कानून बदलने के बाद नजारा क्या होगा, यही देखना बाकी है।मनेसर विवाद से खुले बाजार की अर्थ व्यवस्था में ठेके पर कर्मचारियों को रखने की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगती दीख रही है क्योंकि कंपनी ने कहा कि वह आगे से ठेके पर रखे गए कर्मचारियों से उत्पादन कार्य नहीं कराएगी और ठेके पर रखे गए सभी 1869 कर्मचारियों की 2 सितंबर से जांच करेगी। इनमें से जो कर्मचारी योग्य होंगे उन्हें कंपनी में नियमित तौर पर रखा जाएगा। साथ ही वह करीब 20 फीसदी कर्मचारियों को लघु अवधि करार के तहत गैर-मुख्य गतिविधियों के लिए नियुक्त करेगी।देश की अग्रणी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने हरियाणा के मानेसर संयंत्र में एक महीने की तालाबंदी के बाद 21 अगस्त से फिर उत्पादन शुरू किए जाने की घोषणा की है। एक महीने की तालाबंदी के बाद मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में 21 अगस्त से कामकाज शुरू हो जाएगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि बाजार के मौजूदा नियामकीय ढांचे की समीक्षा की जरूरत है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं वह श्रम कल्याण में बिना किसी वास्तविक योगदान के विकास, रोजगार वृद्धि तथा उद्योगों की राह में आड़े तो नहीं आ रहा है। सिंह ने कहा, ''हमारी सरकार अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है।'' उन्होंने कहा कि सरकार सभी कामगारों की बेहतरी चाहती है और वह ऐसे प्रावधान बनाने पर विचार कर रही है जिससे अंशकालिक तथा पूर्णकालिक दोनों तरह के काम को इन प्रावधानों की दृष्टि से एक ही तरह से देखा जाएगा। प्रधानमंत्री ने यहां 44वें भारतीय श्रम सम्मेलन में कहा, ''यदि इसके लिए कानून में बदलाव की जरूरत होती है तो हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए और इसे वास्तविक स्वरूप देने के लिए खाका तैयार करने के संबंध में काम शुरू करना चाहिए।''
मारुति के अध्यक्ष आर सी भार्गव और प्रबंध निदेशक शिंजो नाकानिशी ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि दो हजार अस्थाई कर्मचारियों का स्थायी किया जाएगा।कंपनी ने पिछले माह 18 जुलाई को हिंसक घटनाओं के बाद मानेसर संयंत्र में 21 जुलाई से तालाबंदी कर दी थी। हिंसक घटना में संयंत्र के मानव संसाधन महाप्रबंधक की मृत्यु हो गई थी। भार्गव ने कहा कि कंपनी के समक्ष कर्मचारियों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है। प्रबंधन ने कुछ कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए और कदम उठाए हैं।
मारुति सुजूकी जैसे घटनाक्रमों को टालने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव की जरूरत है। इसके लिए उद्यमियों के सुझाव भी लिये जाएं। यह बात एनसीआर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष एचपी यादव ने कही। उन्होंने बताया कि श्रम कानूनों में बदलाव और संशोधन के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाना चाहिए जिसमें स्थानीय प्रशासन, श्रम विभाग, औद्योगिक संगठनों/चैम्बरों, श्रमिक संगठन तथा स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।उन्होंने कहा कि फैक्टरी एक्ट 1948 में वर्तमान तथा भविष्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर श्रमिक संगठनों तथा चैम्बर / औद्योगिक संगठनों से सलाह लेकर परिवर्तन संशोधन की आवश्यकता है। चैम्बर की ओर से यह भी सलाह दी गयी कि केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के अनुरूप हरियाणा औद्योगिक शान्ति बल का गठन किया जाना चाहिए। इस सुझाव के ध्यान में रखते हुए मानेसर में हरियाण पुलिस की विशेष बटालियन तैनात की गयी है। चैम्बर की ओर से न्यायिक जाँच की माँग की गयी है क्योंकि लोगों का विश्वास न्यायिक जाँच में ज्यादा होता है। चैम्बर ने मांग की है कि हम सभी को मिलकर मारुति के मानेसर प्लान्ट पुन: शुरू करने के लिए प्रयास करना चाहिये। चैम्बर के अनुसार स्थानीय खुफिया तंत्र को और मजबूत करने की आवश्यकता है। एचएन मकवाना चैम्बर के कार्यकारिणी, सदस्य तथा निदेशक ताईकिशा इण्डिया के अनुसार जापानी कम्पनियां उद्योग को परिवार की तरह चलाती हैं तथा श्रमिकों व प्रबन्धकों में भेदभाव नहीं करती हैं।
मारुति सुजूकी इंडिया जैसी कंपनियों ने अनुबंधित श्रमिकों का खुलकर इस्तेमाल किया है। कंपनी के मानेसर संयंत्र में आधे श्रमिक इसी दर्जे के हैं। इसके बावजूद कंपनियां अक्सर भूल जाती हैं कि उनका सामना इंसानों से है और केवल लागत में कमी करके ही रोजगार के मॉडल को बरकरार नहीं रखा जा सकता। मारुति प्रबंधन के पास भी चेतावनी के तमाम संकेत थे: उदाहरण के लिए, गत 15 महीनों में अनुबंधित और नियमित कर्मियों के वेतन में जबरदस्त अंतर को लेकर शिकायतें सामने आई थीं। नियमित कर्मचारियों को जहां 16,000 से 21,000 रुपये मासिक वेतन मिलता वहीं उतना ही काम करने वाले अनुबंधित कर्मी को महज 7,000 रुपये। दरअसल, अनुबंधित कामगार मारुति की दास्तान में बार बार सामने आते हैं। पिछले साल की हड़ताल अस्थायी कर्मचारियो को नियमित करने को लेकर ही हुई थी ताकि उनको छुट्टी और चिकित्सा भत्ता जैसी सुविधाएं मिल सकें क्योंकि अनुबंधित कर्मचारी छुट्टिïयों के हकदार नहीं हैं। एक ही कार्यस्थल पर ऐसी असमानता श्रम संकट को जन्म देने के लिए पर्याप्त है। अनुबंधित श्रम की समस्या में पुराने कानून ने और अधिक इजाफा कर दिया। इस कानून से कामगारों की मदद की उम्मीद की जाती है। अनुबंधित श्रम (विनियन एवं उत्सादन) अधिनियम, 1970 की धारा 10 के तहत कुछ खास परिस्थितियों में उनको रोजगार दिये जाने पर रोक है। यह सूची खासी लंबी और भ्रामक है और यहां तक कि देश के न्यायालयों को भी हाल में इन पर विरोधाभासी रुख दिखाना पड़ा है। उदाहरण के लिए एक फैसले में कहा गया कि जब भी कोई नया पद सृजित हो तो अनुबंधित श्रमिकों को उसमें समाहित करने में प्राथमिकता देनी चाहिए। जबकि एक अन्य फैसले में कहा गया कि कंपनी ऐसी कोई गारंटी नहीं दे सकती है क्योंकि रोजगार की शर्तों में अनुबंध का पहले ही स्पष्टï उल्लेख होता है। व्यवहार में इस अधिनियम की व्याख्या सभी सेवाओं में नियमित प्रकृति वाले तथा फैक्टरी परिसर में अंजाम दिये जाने वाले अनु़बंधित श्रम को खत्म करने के तरीके के रूप में की जाती है लेकिन सब कुछ इतना सहज नहीं है।
मारुति सुजूकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा, 'हमने तालबंदी हटाने और 21 अगस्त से आंशिक तौर पर उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है। 19 जुलाई को संयंत्र में हुई हिंसा की घटना में संलिप्त पाए गए 500 से अधिक कर्मचारियों को बर्खास्तगी का नोटिस जारी किया गया है। अगर इस वारदात में अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत उजागर होती है तो उन्हें भी नोटिस दिया जा सकता है।' मारुति में मानेसर संयंत्र में 1528 स्थायी कर्मचारी हैं और करीब एक-तिहाई को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। कंपनी मंगलवार को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच 300 कर्मचारियों के साथ उत्पादन शुरू करेगी और करीब 150 कारों के उत्पादन का अनुमान है। इस संयंत्र में मारुति स्विफ्ट और डिजायर कारों का उत्पादन करती है। इन मॉडलों की लंबित बुकिंग करीब 120,000 कारों की है। कंपनी यहां धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाएगी। तालाबंदी से पहले मानेसर संयंत्र में रोजाना करीब 1600 कारों का उत्पादन किया जा रहा था।पिछले महीने तक प्लांट में करीब तीन हजार कर्मचारी काम कर रहे थे। इनमें से 1600 स्थायी कर्मचारी हैं। इनके अलावा प्रबंधन स्तर के 700 अधिकारी भी मानेसर प्लांट से जुड़े हुए हैं। सालाना साढ़े पांच लाख कारें बनाने वाले मारुति सुजुकी के इस प्लांट में स्विफ्ट, स्विफ्ट डिजायर, एसएक्स 4 और कार ए-स्टार का निर्माण होता है। पिछले साल भी इस प्लांट में श्रमिकों के साथ विवाद की तीन घटनाएं हुई थीं, जिसकी वजह से कंपनी को 2500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था।
उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की सुरक्षा के संबंध में हरियाणा सरकार के साथ बातचीत की गई है और सरकार का सहयोग सराहनीय रहा है। उन्होंने बताया कि घर से लेकर संयंत्र तक और रास्ते में भी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। इसके लिए हरियाणा पुलिस त्वरित कार्रवाई बल की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा संयंत्र परिसर में एक सौ निजी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होगी। सुरक्षाकर्मी पूर्व सैन्यकर्मी होगें।मानेसर प्लांट की सुरक्षा का जिम्मा फिलहाल हरियाणा पुलिस के हाथों में है। पिछले हफ्ते ही पुलिस अधिकारियों ने एलान किया था कि प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था जारी रहेगी। इसके लिए प्लांट के भीतर करीब 500-600 पुलिसकर्मियों की एक पूरी बटालियन लगाई गई है।
मुख्य परिचालन अधिकारी एम एम सिंह ने कहा, 'हिंसा की घटना में शामिल ठेके के कुछ श्रमिकों को भी जाने को कहा गया है। ठेके के कार्मिकों को हम गुडग़ांव संयंत्र में स्थायी तौर पर नियुक्त करने का विकल्प देंगे।'
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