Monday, June 11, 2012

नायकों को अधिक महान और कम महान के रूप में विभाजित करना अत्यंत शर्मनाक खेल है

http://hastakshep.com/?p=20609

नायकों को अधिक महान और कम महान के रूप में विभाजित करना अत्यंत शर्मनाक खेल है

नायकों को अधिक महान और कम महान के रूप में विभाजित करना अत्यंत शर्मनाक  खेल है

By  | June 10, 2012 at 8:37 pm | No comments | आपकी नज़र

आंबेडकर और गांधी पर एक निरर्थक बहस

कँवल भारती

कुछ लोगों द्वारा SMS करके वोट करने को कहा जा रहा है कि गांधी के बाद या गांधी से बेहतर कौन भारतीय महान है–डा. आंबेडकर या महात्मा गांधी?  दलितों को अधिक से अधिक सन्देश भेज कर डा. आंबेडकर का चयन करने को कहा जा रहा है. मेरे मोबाइल फ़ोन पर भी बहुत से सन्देश इसी विषय में आये.  मुझे यह सवाल निरर्थक और बेमानी लगा. इस तरह के लोकमत कार्यक्रम केवल भावात्मक होते हैं, जो अपने अहम को ही पुष्ट करते हैं. ये लोकमत इतिहास की उपेक्षा करते हैं.  मान लिया कि लोकमत डा. आंबेडकर के पक्ष  में आता है, तो क्या गांधी का महत्व ख़त्म हो जायेगा, वह महान नहीं रहेंगे या महानता में नीचे के पायदान पर आ जायेंगे?  और यदि लोकमत गांधी के पक्ष में चला जाता है, तो डा. आंबेडकर का महत्व ख़त्म हो जायेगा, वह महान नहीं रहेंगे या महानता से नीचे चले जायेंगे?  यह निहायत बेवकूफी का विवाद है, जिसे, मै समझता हूँ, बेवकूफ लोग ही चला रहे हैं. इन लोगों को इतिहास की बिलकुल भी जानकारी नहीं है.  आंबेडकर और गांधी की लड़ाई आजादी मिलने के बाद ही ख़त्म हो गयी थी. वह इतिहास का विषय है. इसी इतिहास में यह भी दर्ज है कि आंबेडकर को संविधान सभा में भेजने और मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव गांधी का ही था. गाँधी के प्रयास से ही नेहरु ने उन्हें मंत्री मंडल में शामिल किया था. दलित मुक्ति के आन्दोलन में आंबेडकर के साथ गांधी भी शामिल हैं. इतिहास में दोनों महान हैं और दोनों का ही महत्व है. इतिहास के नायकों को अधिक महान और कम महान के रूप में विभाजित करना अत्यंत शर्मनाक  खेल है.

कँवल भारती, लेखक जाने माने दलित चिंतक और साहित्यकार हैं।

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcom

Website counter

Census 2010

Followers

Blog Archive

Contributors