Wednesday, July 11, 2012

विजयी बहुगुणा का गुणा गणित

http://visfot.com/index.php/permalink/6735.html

विजयी बहुगुणा का गुणा गणित

By  

इसे राजनीति तो शायद नहीं कहेंगे लेकिन शायद नये दौर की सियासत यही है कि आप विधायक दल के नेता बनकर मुख्यमंत्री पहले बन जाते हैं विधायक बाद में बनते हैं. उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा विधायक बन गये हैं. बहन रीता बहुगुणा जोशी के आशिर्वाद से पहले उन्होंने हरीश रावत से मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए उनकी दावेदारी छीनी, फिर उन्होंने विपक्ष से सितारगंज की सीट छीन ली. अब वे सितारगंज के नए सितारे हैं.

अपने देश में एक अजीबोगरीब राजनीतिक परंपरा चल निकली है. जब किसी मुख्यमंत्री को उप चुनाव लड़ना होता है तो वह विपक्षी पार्टी के किसी किसी विधायक को पटाता है, उससे सौदेबाजी करता है और फिर उससे इस्तीफ़ा दिलाकर खाली हुई सीट से चुनाव लड़ता है. किसी मुख्यमंत्री को अपना पुरुषार्थ और इक़बाल दिखाने का यह सबसे धमाकेदार अंदाज़ माना जाता है. विजय बहुगुणा ने भी यही किया. उनकी किस्मत झारखण्ड के शिबू सोरेन जैसी नहीं है जो अपने लिए मुख्यमंत्री बनने के बाद भी एक सुरक्षित सीट तक नहीं तलाश सके. बेटे, बहू तक ने उनके लिए सीट नहीं खाली की. जिस सीट पर वे लड़े, वहां नकार दिए गए, फलत: मुख्यमंत्री का पद ऐसे चला गया जैसे उधार का माल महाजन वसूल ले.

लेकिन, हेमवती नंदन बहुगुणा के राजपुत्र विजय बहुगुणा ने तो भाजपा से सीट ले ली. उसके विधायक किरण मंडल ने बहुगुणा के लिए विधायकी छोड़ दी थी. जिस विधायकी के लिए आजकल नेता तन-मन-धन-धर्म सबकुछ छोड़ देते हैं उस विधायकी को किरण मंडल ने क्यूँ छोड़ दिया? वे कांग्रेस के होते तो भी एक बात होती कि पार्टी के लिए उन्होंने सीट छोड़ दी. लेकिन इस पारदर्शी और गतिशील लोकतंत्र में उस सौदेबाज़ी को पराक्रम के रूप में पेश किया जाता रहा है. सालों पहले उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह ने भी यही किया था जब उन्हें रामप्रकाश गुप्त की जगह लेने के लिए दिल्ली से लखनऊ भेजा गया था. उन्होंने भी लखनऊ के पास की हैदरगढ़ की सीट को कांग्रेस के सुरेन्द्र अवस्थी उर्फ़ पुत्तू अवस्थी से खाली कराया था.

आज क्या बहुगुणा ने वैसा ही करके क्या भाजपा से ऐतिहासिक बदला लिया है? ऐसा शायद नहीं हो लेकिन लोकतान्त्रिक मर्यादा को तार-तार करने वाली राजनाथ की परंपरा को तो जरूर आगे बढ़ाया है. ऐसा करके उन्होंने अपने को पुरुषार्थी और पराक्रमी मुख्यमंत्री साबित कर दिया है! कहा जा रहा है की भाजपा के प्रकाश पन्त को हराकर उन्होंने उत्तराखंड में अब तक सबसे अधिक अंतर (39,954 मतों) से जीतने वाले विधायक का रिकार्ड बनाया है. इस पुरुषार्थ के बदौलत वे तभी तक राज कर सकेंगे जब तक हरीश रावत का पुरुषार्थ नहीं जागता है. या सब कुछ होने के बावजूद मुख्यमंत्री न बनने के अभिशाप से कांग्रेस हाईकमान रावत को मुक्त नहीं कर देता है.

बहुगुणा की इस जीत के गुणा गणित का फलितार्थ यह है कि राज्य विधानसभा में भाजपा और कमजोर होकर 31 से 30 के आंकड़े पर आ गई है जबकि कांग्रेस 32 से आगे बढ़कर 33 के आंकड़े पर पहुंच गई है. मुंबई हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बहुगुणा की नई राजनीतिक पारी निश्चित रूप से अब धमाकेदार रहनेवाली है. अपनी शुरूआती पारी से उन्होंने साबित कर दिया है कि वे सिर्फ कानूनी दांव पेंच में ही माहिर नहीं रहे हैं बल्कि राजनीतिक गुणा गणित के भी माहिर खिलाड़ी हैं.

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcom

Website counter

Census 2010

Followers

Blog Archive

Contributors