---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/7/10
Subject: अरुण फरेरा की जेल डायरी
To: abhinav.upadhyaya@gmail.com
एक अंडरट्रायल के बतौर, आपको ख़ुद से कहना होता है कि मुक़दमा ठीक-ठाक चल रहा है, सारे गवाह [आपके ख़िलाफ़] नाकाम हो गए हैं, और आपको छूटना ही छूटना है। अगर आपको सज़ा हो जाती है, तो ऊँची अदालतो पर आपको अपनी उम्मीद टिकाए रखनी होती है। और इस मामले में, भारतीय न्यायिक व्यवस्था की अंतहीन देरियाँ वास्तविक वरदान होती हैं। उच्चतम न्यायालय पहुँचने तक उम्मीद बची रहती है। इस वक़्त तक आप महसूस करने लगते हैं कि आपकी सज़ा अंत की ओर पहुँच रही है, और इसे अब ख़त्म हो जाना चाहिए। फिर आप छूटों और माफ़ी के लिए आगे ताकते रहते हैं।
आप अपनी लिखान पर आख़िरी निर्णय के इस पेचीदा, फिर भी उम्मीद-भरे दौर के इंतज़ार में प्रवेश करते हैं। लिखान हर लंबी सज़ा पाए मुज़रिम की जेल न्यायिक विभाग द्वारा तैयार की गई समीक्षा-फ़ाइल के लिए प्रचलित एक शब्द है। यह दस्तावेज़ राज्य सरकार को क़ैदी की सज़ा की समीक्षा और समय-पूर्व रिहा करने के आदेश हासिल करने के लिए भेजा जाता है। इसमें जेल में क़ैदी के व्यवहार की रिपोर्ट और उन छूटों का हिसाब होता है जिनके लिए वह योग्य है। इसमें जेल, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की अनुशंसाएँ भी होती हैं। चूंकि, सरकार के समय-पूर्व रिहाई के नियम काफ़ी जटिल हैं, इसलिए कोई क़ैदी विरले ही आकलन कर पाता है कि अंततः उसके लिखान में क्या होगा।
मंत्रालय को निर्णय लेने में सालों लग जाते हैं। तब तक आप कुछ अंदाज़ा लगाते हैं कि आप अंततः कब अपनी रिहाई की अपेक्षा कर रहे हैं। और तब आप उल्टी गिनती शुरू करते हैं, घर जाने के बचे हुए दिनों में निशान लगाने लगते हैं।
पूरी जेल डायरी पढ़िए
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/7/10
Subject: अरुण फरेरा की जेल डायरी
To: abhinav.upadhyaya@gmail.com
एक अंडरट्रायल के बतौर, आपको ख़ुद से कहना होता है कि मुक़दमा ठीक-ठाक चल रहा है, सारे गवाह [आपके ख़िलाफ़] नाकाम हो गए हैं, और आपको छूटना ही छूटना है। अगर आपको सज़ा हो जाती है, तो ऊँची अदालतो पर आपको अपनी उम्मीद टिकाए रखनी होती है। और इस मामले में, भारतीय न्यायिक व्यवस्था की अंतहीन देरियाँ वास्तविक वरदान होती हैं। उच्चतम न्यायालय पहुँचने तक उम्मीद बची रहती है। इस वक़्त तक आप महसूस करने लगते हैं कि आपकी सज़ा अंत की ओर पहुँच रही है, और इसे अब ख़त्म हो जाना चाहिए। फिर आप छूटों और माफ़ी के लिए आगे ताकते रहते हैं।
आप अपनी लिखान पर आख़िरी निर्णय के इस पेचीदा, फिर भी उम्मीद-भरे दौर के इंतज़ार में प्रवेश करते हैं। लिखान हर लंबी सज़ा पाए मुज़रिम की जेल न्यायिक विभाग द्वारा तैयार की गई समीक्षा-फ़ाइल के लिए प्रचलित एक शब्द है। यह दस्तावेज़ राज्य सरकार को क़ैदी की सज़ा की समीक्षा और समय-पूर्व रिहा करने के आदेश हासिल करने के लिए भेजा जाता है। इसमें जेल में क़ैदी के व्यवहार की रिपोर्ट और उन छूटों का हिसाब होता है जिनके लिए वह योग्य है। इसमें जेल, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की अनुशंसाएँ भी होती हैं। चूंकि, सरकार के समय-पूर्व रिहाई के नियम काफ़ी जटिल हैं, इसलिए कोई क़ैदी विरले ही आकलन कर पाता है कि अंततः उसके लिखान में क्या होगा।
मंत्रालय को निर्णय लेने में सालों लग जाते हैं। तब तक आप कुछ अंदाज़ा लगाते हैं कि आप अंततः कब अपनी रिहाई की अपेक्षा कर रहे हैं। और तब आप उल्टी गिनती शुरू करते हैं, घर जाने के बचे हुए दिनों में निशान लगाने लगते हैं।
पूरी जेल डायरी पढ़िए
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