Monday, May 20, 2013

माओवाद के नाम पर रमन सिंह की पुलिस ने बच्चों सहित आठ आदिवासियों को गोलियों से भून दिया

माओवाद के नाम पर रमन सिंह की पुलिस ने बच्चों सहित आठ आदिवासियों को गोलियों से भून दिया


गंगालुर थाने के बाहर शव के पास खड़े आदिवासीगंगालुर थाने के बाहर शव के पास खड़े आदिवासी

राजा रमन सिंह ने अभी अभी एक इंटरव्यू में कहा था कि माओवादी समस्या का समाधान बंदूक से निकली गोलियों से नहीं निकाला जा सकता। अभी उनका बयान सूखा भी नहीं था कि पुलिस ने अपनी गोलियों से माओवादियों के नाम पर निर्दोषों के खून से छत्तीसगढ़ को तर कर दिया। वह भी उस दिन की रात में जिस दिन गुजरात से आयात करके लाये गये नरेन्द्र मोदी राजा रमन सिंह की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे और छत्तीसगढ़ को गुजरात से आगे जाने की भविष्यवाणी कर रहे थे।

और किसी मामले में आगे जाए न जाए लेकिन निर्दोषों का खून बहाने के मामले में छत्तीसगढ़ जरूर आगे चला जाएगा। शनिवार की शाम जब नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के एक छोर पर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के गढ़ राजनांदगांव में प्रदेश की विकास गाथा का गुणगान कर रहे थे। ठीक उसी रात छत्तीसगढ़ के दूसरे छोर पर स्थित बीजापुर जिले के गंगालुर थाना क्षेत्र के एक गांव में पुलिस ने नक्सलियों को मारने के नाम पर मासूम ग्रामीणों का कत्लेआम कर दिया।

पुलिस द्वारा बताई जा रही इस कथित मुठभेड़ में जहां तीन मासूम समेत आठ लोग मारे गए, वहीं पांच अन्य ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घायलों में दो नाबालिग स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। पुलिस गोलीबारी के बाद से 22 ग्रामीण लापता बताए जा रहे हैं। लापता 22 ग्रामीणों का भी अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों एवं महिलाओं ने रविवार को गंगालूर थाने का घेराव किया। घेराव के लिए थाने पहुंचे ग्राम प्रमुख तारम लखमू एवं तारम बुधरू ने बताया कि मारा गया कोई भी नक्सली नहीं है। सभी गांव के लोग बीज पंडूम (कृषि से जुड़ा स्थानीय त्योहार) मना रहे थे, तभी वहां पुलिस वालों ने धावा बोल दिया और बिना कुछ कहे हम लोगों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। गोलीबारी में मरने के भय से कुछ तो जमीन पर लेट गए और 22 लोग गांव छोड़कर भाग गए, जिनका अब तक कोई सुराग नहीं लग सका है। पुलिस की गोली से ही तीन बच्चों समेत आठ लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इसी आपाधापी में पुलिस की आपसी गोलीबारी में ही एक आरक्षक की मौत हुई। ग्राम प्रमुख ने यह भी बताया कि पुलिस फायरिंग में दो बालक रैनू उम्र दस वर्ष, पूनम समलू उम्र पंद्रह वर्ष समेत तारम छोटू, तारम आयतू एवं सोनी तारम गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिन्हें बीजापुर अस्पताल में उपचारार्थ भर्ती करवाया गया है।

ग्राम प्रमुखों ने बताया कि मृतकों में एक को पुलिस अपने साथ उठाकर ले गई, जिसे जबरन नक्सली बताया जा रहा है। मृत समस्त आठों ग्रामीणों का शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है। इधर, पुलिस का दावा है कि उनकी मुठभेड़ नक्सलियों से हुई थी। वे गांव में बैठक कर रहे थे। गोलीबारी में ग्रामीण पांडू, बहादुर, जोगा, कोमू, पूनेम सोमू, लखमू, पांडू एवं कारम मासा मारे गए। इनमें से पुलिस कारम मासा को नक्सली बता रही है। बीजापुर कलेक्टर मोहम्मद अब्दुल केशर हक ने मामले की दण्डाधिकारी जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही सभी बिंदुओं पर जांच प्रक्रिया शुरू होगी।

मुआवजे में पांच-पांच लाख
करीब एक वर्ष भी नहीं बीते जब पुलिस ने ऐसे ही मुठभेड़ में दो बच्चों समेत कुछ ग्रामीणों को मारा था। बच्चे स्कूल ड्रेस में थे। उस मामले की अभी न्यायायिक जांच चल ही रही है। इस नये मामले में की जांच के लिए भी मुख्यमंत्री घोषणा कर दी है। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने मामले की न्यायिक जांच का ऐलान करते हुए कहा है कि न्यायमूर्ति व्हीके अग्रवाल को इसका जिम्मा सौंपा गया है। चुनावी सीजन है, शायद इसीलिए सीएम ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए देने की घोषणा भी की है।

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