Monday, July 15, 2013

Vidya Bhushan Rawat शेखर कपूर द्वारा संचालित ' प्रधानमत्री' ए बी पी न्यूज़ का मुख्या कार्यक्रम नज़र आ रहा है लेकिन ऐसा लगता है यह 'पटेल' को भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का मुख्य प्रणेता दिखने की कोशिश है. रियासतों के विली नीकरण में पटेल का जिस प्रकार से महिमामंडन किया गया है वो इतिहास और स्कुलो की पुस्तको में पहले से मौजूद है लेकिन जिन्ना को एक विलन के तौर पर प्रस्तुत करना दिखाता है की हम अपने पूर्वाग्रहों के साथ ही रहना चाहते हैं।

शेखर कपूर द्वारा संचालित ' प्रधानमत्री' ए बी पी न्यूज़ का मुख्या कार्यक्रम नज़र आ रहा है लेकिन ऐसा लगता है यह 'पटेल' को भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का मुख्य प्रणेता दिखने की कोशिश है. रियासतों के विली नीकरण में पटेल का जिस प्रकार से महिमामंडन किया गया है वो इतिहास और स्कुलो की पुस्तको में पहले से मौजूद है लेकिन जिन्ना को एक विलन के तौर पर प्रस्तुत करना दिखाता है की हम अपने पूर्वाग्रहों के साथ ही रहना चाहते हैं। जिस तरीके से पटेल को जोधपुर के महाराज हनुमंत सिंह से बात करते हुए दिखाया गया वोह ऐसा लगता है जैसे महराजा पटेल के घर का कोई नौकर हो. सवाल यह है के इन महाराजाओं ने द्स्थ्खत करने के बावजूद क्या हुआ? रजा महाराजा तो आज भी हमारे देश पर हावी हैं और उनकी संसद मे लगातार मौजूदगी रही है. दूसरी बात, क्या देश के विभाजन के बाद केवल पटेल को ही चिंता थी और बाकी लोगो इस सन्दर्भ में कोई बात नहीं कर रहे थे. क्या रियासतों का भारत में विलय इतनी बड़ी बात थी जबकि कुछ एक को छोड़ दें तो अधिकांश स्थानों पर जनता ने भारत में ही विलय स्वीकार करना था और रजो को इस बात का पता था और वे केवल मोल भाव कर रहे थे. अगर पटेल की इतनी महारथ थी तो फिर कश्मीर का मसला क्यों लटक के रह गया। प्रधानमंत्री कार्यक्रम दिखाते हुए शेखर बार बार हिंदुस्तान और पाकिस्तान कह रहे थे और यह सब जान बुझकर ताकि गरम मौहौल में और भी गर्माहट लाई जाये. हम सब इसे देखेंगे लेकिन मुझे तो यही लगता है के जिस तरीके से मोदी और उनकी टीम पुरे देश के अन्दर माहोल को साम्प्रादायिक करने में लगी है यह सीरियल भी उसी कड़ी का हिस्स्सा हो सकता है। अभी आरोप लगाने का वक्त नहीं है लेकिन पहले एपिसोड के कंटेंट्स देखकर लगता है की भारत की आज़ादी शायद हिंदुत्व के योध्हाओ के जरिये आयी और पटेल को उसका प्रमुख स्तम्भ बनाया जा रहा है शायद चुनावी दंगल के लिए अभी और कुछ नए सीरियल और प्रोग्राम तय हों और महामना मोदी की शान में कुच्छ और चैनल नतमस्तक हों आखिर पैसे की जरुरत तो सबको है और पत्रकारों को तो शायद आजकल ज्यादा हो गइ है क्योंकि वे अब 'मिशन' की पत्रकारिता कर रहे हैं और इस समय सबसे बड़ा मिशन २ ० १ ४ का है और उसमे हिंदुत्व का विजयी परचम लहराना उनका सपना दिखाई दे रहा है इसलिए कम्पटीशन तो जबरदस्त है और मोदी का गान भी होगा और पटेल का महात्म्य भी सुनेंगे उसके अलावा रामलीला, हनुमान चालीसा, शिव पुराण सभी दोबारा नए भेष में आयेंगे ताकि भारत के महान राष्ट्र बन सके। मोदी के सपनो का भारत जैसे आज के उनके भाषण में था . उन्होंने भारत की शिस्खा व्यवस्था का मज़ाक किया बताया विश्विद्यालय पैसे उगाह रहे है लेकिन येही तो मोदी का प्यारे अमेरिका का मॉडल है जहाँ पैसा हे सब कुछ है. खैर, मोदी को शिक्षा व्यवस्था सुधरने का ठेका सरस्वती शिशु मंदिरों को देना चाहिए ताकि बच्चे 'आध्यात्मिक' बन सके और नास्तिको से दूर रहे। आखिर विश्व को भारत अपना आध्यात्मवाद ही तो सबसे ज्यादा बेच रहा है।। वैसे भी हिंदुत्व का पूरा चिंतन अमिताभ बच्चन ने बहुत अच्छे से बताया है ' राम राम जपना पराया माल अपना '... अब अमित जी तो गुजरात के एम्बेसडर हैं ही और देश पर उनका बहुत बड़ा एहसान होगा यदि यह गीत वो बार बार गायें ताकि जो सोये हुए हैं उनकी आँखे तो खुल जाये।

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