ताज़ा आलेख/ समाचार
- हम गाँव को बिखरने नहीं देंगे- जयंत चौधरी
- मुलायम को क्लीन चिट देने वाले मौलाना आये निशाने पर
- The arbitrary raid of the house of Prof. GN SaiBaba, CRPP Condemns
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिरादरियों का भाईचारा
- क्या गोवा के कैथोलिक सांस्कृतिक दृष्टि से हिन्दू हैं?
- मुजफ्फरनगर की सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ निंदा और प्रदर्शनों का दौर जारी
- THE HINDUTVA PROJECT IN WESTERN UTTAR PRADESH OF INDIA
- SP and BJP have brought back the politics of riots full fledged
- Protest demonstration against Muzaffarnagar communal violence
- रालोद अध्यक्ष चै. अजित सिंह को बागपत जाते समय गिरफ्तार
- आजम और सपा में दंगों पर हो रही है नूरा कुश्ती- रिहाई मंच
- हिंदी विश्वविद्यालय में 15 सितंबर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कविता महोत्सव
- Let us understand there is no uniform Hindu culture
- दिविवि छात्रसंघ चुनाव में अंतिम दिन जोरदार चुनाव प्रचार
- "WE NEED TO STOP SOMEWHERE" : Aman Chaupal organised at Rainbow School with Kiran Nazish
- साम्प्रदायिक हिंसा को जातीय हिंसा बता कर जाँच को प्रभावित करने की कोशिश में मुलायम
त्वरित टिप्पणी
मुस्लिम प्रत्याशी अब भी पलट सकता है बाजी
-----------------------------------------------------------
अब यह स्पष्ट हो गया है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष-2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी होंगे, इसलिए अधिकाँश लोगों की नज़र अब कांग्रेस हाईकमान की ओर टिक गई है, कि कांग्रेस नरेंद्र मोदी के मुकाबले किसे उतारेगी? हालांकि, अधिकाँश लोगों का यही मानना है कि कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी होंगे। समय-समय पर कांग्रेस की ओर से ऐसे बयान भी आते रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए आदर्श प्रत्याशी बताया था, इस सब के बावजूद सवाल यह उठता है कि नरेंद्र मोदी के मुकाबले राहुल गांधी टिक पायेंगे या नहीं?
यूपीए सरकार की मुखिया कांग्रेस के सामने कई चुनौतियाँ हैं। सब से पहले तो वह लगातार सत्ता में है। लगातार सत्ता में रहने वाले दल के विरुद्ध राजनैतिक वातावरण का होना स्वाभाविक ही है, इसके अलावा पिछले दिनों में बहुत कुछ ऐसा भी हुआ है, कि जिससे आम आदमी सीधे प्रभावित हो रहा है। आतंकवाद एक बड़ी समस्या है। कांग्रेस को लेकर आम धारणा बन चुकी है कि कांग्रेस आतंकवाद को पूरी तरह कभी ख़त्म नहीं कर पायेगी। सीमा पर चीन और पाकिस्तान की हरकतों को लेकर भी आम आदमी के अंदर गुस्सा है। भ्रष्टाचार और महंगाई को लेकर समाज का हर वर्ग त्रस्त है, साथ ही, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों की बयानबाजी ने आग में घी डालने जैसा ही काम किया है। कुल मिलाकर आम जनमानस कांग्रेस के पक्ष में नहीं है, लेकिन चुनाव की नीति अलग होती है, इसलिए नाराजगी का चुनाव से बहुत अधिक लेना-देना नहीं रहेगा। इसके विपरीत भाजपा के साथ यही सब बातें फिलहाल सकारात्मक हैं। भाजपा लंबे अर्से से सत्ता में नहीं है। हिंदुत्व को चुनाव में मुददा बनायेगी और हिंदुत्व के ब्रांड बन चुके नरेंद्र मोदी को प्रत्याशी बना ही चुकी है। यूपीए सरकार की गलतियों के अलावा भाजपा भावनात्मक रूप से भी आम जनमानस के अधिक करीब है, इसलिए हाल-फिलहाल भाजपा पूरी तरह से कांग्रेस पर भारी है, ऐसा अलग-अलग हुए सर्वे में भी साफ़ हो चुका है, इसके बावजूद कांग्रेस के पास अब भी भाजपा को मात देने का विकल्प है।
तमाम नियम-कानून के बावजूद चुनाव में भावनाओं और जाति-धर्म की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है, इस बार और ज्यादा रहने की संभावना है, लेकिन फिलहाल की स्थिति के अनुसार इस सब का लाभ भाजपा को अधिक मिलने की संभावना है, क्योंकि इस बार भाजपा का परंपरागत वोट बड़ी संख्या में भाजपा की ओर लौटने की संभावना है, साथ ही भाजपा की लड़ाई अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दलों से होगी, जिससे कांग्रेस का नुकसान होना स्वाभाविक ही है, लेकिन कांग्रेस हर राज्य में भाजपा की प्रतिद्वंदी बन जाये, तो भाजपा पर पुनः भारी पड़ सकती है, इसके लिए कांग्रेस को प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी को लेकर पुनः मंथन करना पड़ेगा।
भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के बनने से माना जा रहा है, कि हिन्दुओं का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में होगा, तो मुस्लिमों का ध्रुवीकरण कांग्रेस के, ऐसा ही हुआ, तो कांग्रेस लाभ नहीं ले पायेगी, क्योंकि पश्चिमी भारत में भाकपा, माकपा और उत्तर भारत में सपा, बसपा, जद यू और राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियाँ भाजपा को कड़ा मुकाबला देंगी। कांग्रेस को अब ऐसी रणनीति पर काम करना है, जिससे यह सब पार्टियाँ मुकाबले से बाहर हो जायें और वह खुद इन सबकी जगह आ जाये, इतना होना अधिक कठिन भी नहीं है। कांग्रेस को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी अपने किसी निर्विवाद मुस्लिम नेता को बना देना चाहिए। कांग्रेस अगर किसी मुस्लिम नेता को प्रत्याशी बना दे, तो देश भर में लोकसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा, जिसका लाभ भाजपा से अधिक कांग्रेस को मिलेगा, साथ ही राज्य स्तरीय और छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों का भी प्रभाव कम होगा, जिसका लाभ दोनों राष्ट्रीय दलों को होगा और देश हित में भी रहेगा, क्योंकि छोटे दलों के कारण गठबंधन की सरकार बनाना मजबूरी बन जाता है। गठबंधन की सरकार में छोटे-छोटे दल मनमाने मंत्रालय झपट लेते हैं और उन मंत्रालयों में खुलकर मनमानी करते हैं। चूँकि गठबंधन से सरकार चलाने की बेबसी के चलते प्रधानमंत्री का ऐसे मंत्रियों पर कोई दबाव नहीं होता, इसीलिए गठबंधन सरकारों के आने के बाद से भ्रष्टाचार और मनमानी भी बढ़ी है, इस सब पर रोक लगाने का कांग्रेस के पास पर्याप्त अवसर है। कांग्रेस और देश के हित में कांग्रेस हाईकमान को अब मुस्लिम प्रत्याशी चुन लेना चाहिए।
- बीपी गौतम
राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक मुद्दों और आम आदमी के सवालों पर सार्थक *हस्तक्षेप* के लिये देखें हिंदी समाचार पोर्टल
http://hastakshep.com/
अमलेन्दु उपाध्याय
http://www.facebook.com/amalendu.a
https://www.facebook.com/hastakshephastakshep
https://plus.google.com/u/0/b/106483938920875310181/
No comments:
Post a Comment