Thursday, May 28, 2015

माकपा अपने संशोधनवादी चरित्र को छिपाने की कितनी भी कोशिश करे, उसके ख़ुद के दस्तावेज़ उसके संशोधनवादी चरित्र को उजागर कर देते हैं।

माकपा अपने संशोधनवादी चरित्र को छिपाने की कितनी भी कोशिश करे, उसके ख़ुद के दस्तावेज़ उसके संशोधनवादी चरित्र को उजागर कर देते हैं। मसलन संसदवाद की परिभाषा देने के बाद रिपोर्ट के बिन्दु 47 में आगे जोड़ा गया है कि पार्टी को संसदीय और संसदेतर कामों को एक साथ किये जाने की आवश्यकता है। पार्टी के संसदीय कामों के साथ संसदेतर कामों को जोड़कर अपने संशोधनवादी चरित्र को छिपाने की भरपूर कोशिश की है। लेकिन संसदेतर कामों को संसदीय कामों के समतुल्य रखना अपनेआप में संशोधनवाद की निशानी है। कम्युनिज़्म का सिर्फ़ बुनियादी ज्ञान रखने वाला व्यक्ति भी यह जानता है कि एक कम्युनिस्ट पार्टी संसदेतर कामों को ही अपनी मुख्य रणनीति मानती है और संसदीय काम कभी भी संसदेतर कामों के समतुल्य नहीं हो सकते।
http://www.mazdoorbigul.net/archives/7349

माकपा के नये महासचिव सीताराम येचुरी अपने साक्षात्कारों में कहते आये हैं कि मार्क्सवाद ठोस परिस्थितियों को ठोस विश्लेषण करना सिखाता है।अब कोई उन्हें यह बताये कि ठोस...

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