Friday, July 31, 2015

याक़ूब की सुनवाई, याक़ूब को फांसी…वो साढ़े तीन घंटे – TIMELINE LIVE

याक़ूब की सुनवाई, याक़ूब को फांसी…वो साढ़े तीन घंटे – TIMELINE LIVE

Supreme_Court_of_I_1411603fरात 10 बज कर 47 मिनट – भारत के राष्ट्रपति द्वारा याक़ूब मेमन की फांसी माफ़ करने से इनकार

रात 11 बजे – वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, आनंद ग्रोवर समेत कई और वकील देश के चीफ जस्टिस के निवास पर पहुंचे और उनसे इस मामले में विशेष सुनवाई की अपील की…

रात 1.30 बजे तक – रजिस्ट्रार दो बार चीफ जस्टिस के घर पहुंचे…

2 बजे – यह तय हुआ है कि 2.15 पर सुप्रीम कोर्ट में ही याक़ूब की सुनवाई होगी। यह अपने आप में एक तरह से अकेली घटना है।

2 बज कर 8 मिनट – सुप्रीम कोर्ट में आवाजाही शुरु।

2 बज कर 10 मिनट – वकील आनंद ग्रोवर करेंगे, याक़ूब की पैरवी, जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच में सुनवाई होगी।

2 बज कर 10 मिनट – जस्टिस जे ए राय और जस्टिस जे पी पंत भी शामिल हैं।

2 बज कर 15 मिनट – महाराष्ट्र सरकार और पुलिस को सूचना दी गई। फैसले तक प्रतीक्षा करने का आदेश दिया गया।

2 बज कर 18 मिनट – सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट नम्बर 4 में होगी मामले की सुनवाई।

2 बज कर 25 मिनट – अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

2 बज कर 30 मिनट – सुनवाई के विरोध में प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

2 बज कर 45 मिनट – जज चेम्बर में पहुंचे, अभी तक सुनवाई शुरु नहीं।

2 बज कर 55 मिनट – नागपुर में भी जेल के बाहर प्रदर्शनकारियों की भीड़, जय माता दी- वंदे मातरम के नारे।

3 बजे – सुप्रीम कोर्ट के बाहर, प्रशांत भूषण पर हमला करने वाले संगठन भगत सिंह क्रांति सेना का प्रदर्शन

3 बज कर 10 मिनट – रिफरेंस के लिए बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी खुलवाई।

3 बज कर 20 मिनट – सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फांसी पर रोक की याचिका पर सुनवाई शुरु की।

3 बज कर 25 मिनट – सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नम्बर 4 में याक़ूब मेमन की फांसी पर सुनवाई शुरु। आनंद ग्रोवर और प्रशांत भूषण कर रहे हैं, याक़ूब की पैरवी। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी भी मौजूद।

3 बज कर 35 मिनट – याक़ूब की पैरवी करते हुए, वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि उसको दया याचिका खारिज होने के बाद भी हर हाल में 14 दिन की मोहलत मिलनी चाहिए। लाल किला हमला मामले में भी .ही हुआ था।

3 बज कर 40 मिनट – आनंद ग्रोवर ने जेल मैन्युअल का हवाला दिया और कहा कि याक़ूब का क़ानूनन ही क़ानूनी सलाह के लिए 14 दिन का वक़्त मिले।

3 बज कर 45 मिनट – वकीलों ने न्यायलय से कहा कि याक़ूब के परिवार को भी समय रहते सूचित नहीं किया गया, इसके लिए भी समय दिया जाना चाहिए। साथ ही दया याचिका खारिज की कॉपी मिलने के बाद ही फांसी दी जा सकती है।

3 बज कर 50 मिनट – वकील आनंद ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, "यह अधिकारों का सवाल है। दया याचिका के फैसले को चुनौती देना अधिकार है। हम राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देना चाहते हैं।"

3 बज कर 51 मिनट – आनंद ग्रोवर ने अपना पक्ष रख कर, अपनी बात खत्म की। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार का पक्ष रखना शुरु किया।

3 बज कर 53 मिनट – मुकुल रोहतगी ने कहा, "पहली दया याचिका भी याक़ूब की सहमति से ही थी। उसे अलग कैसे माना जा सकता है। इस तरह सिस्टम कैसे काम करेगा?"

3 बज कर 55 मिनट – 2014 में दया याचिका खारिज होने पर उसे चुनौती क्यों नहीं दी? राष्ट्रपति के पास और भी बहुत काम हैं…याचिका डेथ वारंट से पहले आनी चाहिए थी। इस मामले का शत्रुघ्न चौहान मामले से कोई सम्बंध नहीं है। – मुकुल रोहतगी, अटॉर्नी जनरल

4 बजे – ये 4-5 साल का समय लेने की कोशिश है। इस तरह से तो किसी को भी फांसी दी ही नहीं जा सकेगी।

4 बज कर 15 मिनट – सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ख़त्म। बेच आपस में कर रही है फैसले पर विमर्श।

4 बज कर 17 मिनट – जज ने फैसला लिखना शुरु किया।

4 बज कर 20 मिनट – तीनों जजों ने फैसला सुनाना शुरु किया।

4 बज कर 25 मिनट – इस याचिका में कुछ भी नया नहीं – जस्टिस दीपक मिश्रा (फैसला सुनाते वक़्त)

4 बज कर 30 मिनट – याक़ूब अपने भाई की दया याचिका से मुकरा नहीं, 13 जुलाई को ही डेथ वारंट की जानकारी दी जा चुकी थी। – जस्टिस दीपक मिश्रा

4 बज कर 32 मिनट – याचिकाकर्ता याक़ूब मेमन को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त मौके दिए गए – जस्टिस दीपक मिश्रा।

4 बज कर 40 मिनट – रिव्यू पेटीशन पर क़ानून के मुताबिक आधे घंटे की जगह 10 दिन तक चर्चा की गई।

4 बज कर 50 मिनट – याक़ूब मेनन की दया याचिका खारिज, फांसी बरक़रार। जज दीपक मिश्रा ने कहा, "धमाकों को 22 साल हो गए हैं, कब तक न्याय रुका रहेगा।"

5 बजे – वरिष्ठ वकील और याक़ूब की पैरवी कर रहे आनंद ग्रोवर ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में भूल हुई है। मैं उम्मीद करता हूं कि जल्दी ही या भविष्य में इस ग़लती को अदालत समझेगी और सुधारेगी।"

5 बज कर 10 मिनट – आनंद ग्रोवर – अपराधी को अधिकार है कि वह अपने मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य के आधार पर दया याचिका दाखिल कर, फांसी की सज़ा से छूट पाए। शत्रुघ्न चौहान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह छूट दी थी, लेकिन याक़ूब के मामले में यह छूट नहीं दी।

5 बज कर 12 मिनट – आनंद ग्रोवर की अहम टिप्पणी, "अगर आपको लगता है कि किसी वकील को किसी अपराधी या आतंकी ठहरा दिए गए व्यक्ति की पैरवी नहीं करनी चाहिए, तो फिर इसके लिए देश में तानाशाही चाहिए। करते रहिए ऐसे ही, तानाशाही आ जाएगी…"

5 बज कर 20 मिनट – याक़ूब मेमन के शव को मुंबई में घर पर रख कर, फिर पास के बड़े कब्रिस्तान में सुपुर्द ए ख़ाक़ किया जाएगा।

6 बज कर 30 मिनट – नागपुर में याक़ूब मेमन को फांसी।

7 बज कर 1 मिनट – याक़ूब को मृत घोषित किया गया।

yakub-memon-lवरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि इस मामले में दया याचिका के खारिज होने के बाद जेल मैन्युअल के मुताबिक भी याकूब को फांसी से पहले 14 दिन का समय मिलना चाहिए था। साथ ही इस मामले में कई अहम दस्तावेज अदालत के सामने पेश नहीं किए गए हैं।


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcom

Website counter

Census 2010

Followers

Blog Archive

Contributors