मनमोहन ने पहले ही दिन डंके की चोट पर बाजार का जयकारा लगा दिया! भारतीय अर्थ व्यवस्था पर राजनेताओं का वर्चस्व तो अब इमर्जिंग मार्केट और शाइनिंग इंडिया के हित में खत्म ही हो गया।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
मनमोहन सिंह ने धमाके के साथ वित्तमंत्रालय संभाला है। पहले ही दिन पेट्रोल की कीमतों में कटौती करके उद्योग जगत को राहत देने का रास्ता साफ कर लिया। आयकर जटिलताओं को खत्म करने के लिए गार का काम तमाम करने काइंतजाम भी हो गया है। प्रणव दादा के नामांकन के साथ साथ बाजार उछलने लगा तो इसकी वजह दादा को सत्तावर्ग का समर्थन ही नहीं है, बल्कि मनमोहन की पुरानी टीम के अर्थव्यवस्था संभाल लेने की आश्वस्ति है। प्रणव जीते चाहे न जीतें, मंटेक सिंह आहलूवालिया और रंगराजन अपना खेल दिखायेंगे। कोलकाता में मिलीभगत की स्टोरी अभी चल रही है। संगमा भी कांग्रेसी हैं, इसलिए कांग्रेस के दोनों हाथों में लड्डू है। प्रणव ने राजीव गांधी का तख्ता पलटने की जो कोशिश कभी की थी, वह राष्ट्रपति चुनाव में महंगी साबित भी हो सकती है। चूंकि मतदान गोपनीय होना है , इसलिए आखिर तक नहीं कहा जा सकता है कि सोनिया गांधी के दिल में क्या है और वे कौन से पत्ते खेल रही हैं। पर भारतीय अर्थ व्यवस्था पर राजनेताओं का वर्चस्व तो अब इमर्जिंग मार्केट और शाइनिंग इंडिया के हित में खत्म ही हो गया। प्रणव कासमर्थन करके वामपंथ ने दरअसल कारपोरेट साम्राज्यवाद का ही समर्थन किया है। प्रणव हारे तो वामपंथ की फजीहत सबसे ज्यादा होनी है और तब ममतादीदी को प्रधानमंत्री पद से कौन रोक सकता है। इस कथा के खंडन की जरुरत नहीं है। पदों से अब कुछ आना जाना नहीं है, नीति निर्धारण का खेल अहम है, जहां कारपोरेट लाबिइंग अहम है।
कारपोरेट इंडिया और वैश्विक पूंजी के नजरिये से यह अहम मोड़ है इकोनॉमी के लिए क्योंकि प्रणव मुखर्जी ने इकोनॉमी का हाथ ऐसे मोड़ पर छोड़ा है जहां से आगे का रास्ता बेहद मुश्किल है। कई बड़े फैसले लटके हुए हैं। वो सारी चुनौतियां जिनसे प्रणव मुखर्जी नहीं लड़ पाए, अब उनसे प्रधानमंत्री को निपटना होगा।जीएएआर टलने की खबर के बाद रुपये ने जोरदार तेजी दिखाई है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 56.8 पर बंद हुआ। बुधवार को रुपया 57.15 के स्तर पर पहुंचा था।पूरे कारोबार में रुपये में मजबूती का रुझान दिखाई दिया। 57 के स्तर पर खुलने के बाद रुपया इसी स्तर के करीब ही घूमता नजर आया।आखिरी 1 घंटे में जीएएआर 2014 तक टलने की उम्मीद से रुपये में मजबूती बढ़ी और रुपया 5 दिन के बाद 57 के ऊपर बंद होने में कामयाब रहा।सूत्रों के मुताबिक सरकार का मानना है कि रुपये में गिरावट आना डॉलर बॉन्ड जारी करने के लिए जायज वजह नहीं है। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सस्ता कर्ज जुटाना डॉलर बॉन्ड जारी करने की उचित वजह होगी।सरकार का मानना है कि विदेशी कर्ज-जीडीपी रेश्यो को बनाए रखना जरूरी है। डॉलर बॉन्ड जारी करने से विदेशी कर्ज-जीडीपी रेश्यो बिगड़ेगा। वित्तीय घाटे को 5.1 फीसदी के स्तर पर बनाए रखने का लक्ष्य कायम है।2जी स्पेक्ट्रम पर ईजीओएम बैठक 3-4 दिन में हो सकती है, जिसमें स्पेक्ट्रम की कीमत पर फैसला किया जाएगा। साथ ही, सरकार को रिटेल, एविशएन में एफडीआई और डीजल के दाम बढ़ाने से करंट अकाउंट डेफेसिट पर काबू पाने की उम्मीद है।वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभालने के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेशी निवेशकों को मनाने के लिए जुट गए हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक सरकार 2014 जीएएआर तक टाल सकती है।बजट में सरकार ने जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल (जीएएआर) को लागू करने की घोषणा की थी। पहले ही, भारी विरोध को देखते हुए और जीएएआर पर पूरी सफाई न आने से सरकार जीएएआर को 1 अप्रैल 2013 तक टाल चुकी है।वित्त सचिव के मुताबिक जीएएआर पर ड्राफ्ट 1-2 दिन में जारी किया जा सकता है। हालांकि, वित्त सचिव ने जीएएआर को और टाले जाने से इनकार किया है।सूत्रों के मुताबिक सरकार पी-नोट्स पर भी जल्द सफाई जारी करने वाली है। पी-नोट्स को टैक्स के दायरे से बाहर रख जाएगा। इसके अलावा पुरानी तारीख से आयकर लगाने का भी फैसला टाल सकती है।लिस्टेड कंपनियों के इनडायरेक्ट शेयर ट्रांसफर पर भी टैक्स नहीं लगाने का फैसला किया जा सकता है। दूसरे देशों में ग्रुप कंपनियों को शेयर ट्रांसफर करने पर भी टैक्स नहीं लगाया जाएगा।सरकार ने म्यूचुअल फंड उद्योग को राहत देने का मन बनाया है। सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने सेबी को म्यूचुअल फंड के एंट्री लोड पर फिर से विचार करने को कहने वाली है।2009 में सेबी ने निवेशकों के हित को देखते हुए म्यूचुअल फंड से एंट्री लोड हटाया था। एंट्री लोड हटने के बाद म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर्स की संख्या में भारी कमी आई है।सरकार चाहती है कि निवेशकों पर बोझ डाले बिना म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर्स की आय के लिए दूसरे विकल्प ढूंढे जाएं। वित्त मंत्रालय निवेशकों के साथ सोमवार को बैठक करने वाली है।
मनमोहन ने पहले ही दिन डंके की चोट पर बाजार का जयकारा लगा दिया।अगले 3-4 महीने में कमोडिटी बाजार की तस्वीर बदलने वाली है।कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय ने फॉर्वर्ड कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन अमेंडमेंट (एफसीआरए) बिल को मंजूरी देकर कैबिनेट के पास भेज दिया है।एफसीआरए बिल लागू होने के बाद ना सिर्फ एफएमसी को ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे बल्कि कमोडिटी एक्सचेंज में कमोडिटी फ्यूचर, ऑप्शन और डेरिवेटिव्स की ट्रेडिंग भी की जा सकेगी।माना जा रहा है कि मॉनसून सत्र में एफसीआरए बिल पारित होने की संभावना है। एफसीआरए बिल की मंजूरी से नए कमोडिटी एक्सचेंज खोलने का अधिकार मिल जाएगा। वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक उदारीकरण प्रारंभ करने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की डगमगाती अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाकर उसे तीव्र गति देने के लिए अपने पुराने सहयोगियों को सक्रिय कर दिया है। वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालते ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद में जुट गए हैं। प्रधानमंत्री ने आज अपने आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के साथ वित्त मंत्रालय के सचिवों को साथ बैठक की।
इस बीच भारत की पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल के दामों में 2.46 रुपये प्रति लीटर की कमी की है। दाम में कमी के बाद नई दरें आधी रात से हो गई हैं। पेट्रोल के दाम में ये कमी इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम घटने के चलते हुई है। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का विरोध कर रहीं तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला किया है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल के दाम 2.46-3.22 रुपये प्रति लीटर घटाए हैं। पेट्रोल की कीमतों में कटौती आधी रात से लागू होगी।इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, एचपीसीएल ने दिल्ली में पेट्रोल 2.46 रुपये प्रति, मुंबई में 3.10 रुपये प्रति लीटर, चेन्नई में 3.13 रुपये प्रति लीटर और कोलकाता में 3.07 रुपये प्रति लीटर सस्ता किया है।कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल 71.16 रुपये प्रति लीटर के बजाय 68.7 रुपये प्रति लीटर मिलेगा। मुंबई में पेट्रोल के दाम 76.45 रुपये प्रति लीटर से घटकर 73.99 रुपये प्रति लीटर होगा।कोलकाता में पेट्रोल के लिए 75.81 रुपये प्रति लीटर की जगह 73.35 रुपये खर्च करने होंगे। चेन्नई में पेट्रोल की कीमत 75.40 रुपये प्रति लीटर से घटकर 72.94 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी।इंडियन ऑयल का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने की वजह से पेट्रोल के दाम घटाने का फैसला किया गया है।इंडियन ऑयल के मुताबिक अप्रैल-मई में पेट्रोल की बिक्री से कंपनी को 1053 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। वित्त वर्ष 2013 में डीजल, एलपीजी और केरोसीन की बिक्री से कंपनी को 83000 करोड़ रुपये का घाटा होने की आशंका है।23 मई को ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल 6.28 रुपये प्रति लीटर महंगा किया था। 2 जून को पेट्रोल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी।बीजेपी ने पेट्रोल की कीमतों में मात्र 2.46 पैसे की कटौती करने पर निराशा व्यक्त करते हुए मांग की कि कम से कम 7.50 रुपये प्रति लीटर तक की कमी की जाए। बीजेपी प्रवक्ता तरुण विजय ने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल थी तब सरकार ने यहां घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि कर दी थी लेकिन अब जब पेट्रोलियम की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 80 डॉलर प्रति बैरल है।
वित्त मंत्रालय का कार्यभार अपने हाथ में लेने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को गति देने की कवायद शुरू की और आर्थिक मोर्चे पर निराशा के वातावरण को छांटने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए।। प्रधानमंत्री ने आज पहले ही दिन एक के बाद एक तीन बैठकें कर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को आदेश दिए कि देश में निवेश का माहौल पैदा किया जाए और अर्थव्यवस्था दुरुस्त करने के रास्ते तलाशे जाएं।गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने के बाद प्रणब मुखर्जी ने कल वित्त मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। प्रणब की जगह किसी और को नियुक्त न कर प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्रालय अपने पास रखा और सुबह से ही प्रधानमंत्री इसे लेकर काफी एक्टिव नजर आए। सुबह प्रधानमंत्री ने आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन से मुलाकात की। दोपहर को वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया से मिले तो शाम को उन्होंने वित्त मंत्रालय के तमाम सचिवों को बुला लिया।
कोलकाता की खबरों के मुताबिक गार मामलों में हीरो बन गये वित्त सचिव गुजराल की छुट्टी होने वाली है। प्रणव के खासमखास कौशिक बसु भी रिटायर होकर अध्यापन में खप जायेंगे। जबकि मंटेक और रंगराजन की संगत के लिए वित्त सचिव बनने के आसार हैं सुमित बोस के। गार के काऱण ही विदेशी निवेशकों की आस्था टूटी और प्रणव मुखर्जी आखिरी दम तक कोशिश करके पूंजी पर्वाह को दुरुस्त नहीं कर पाये। वोडाफोन मामले में वित्त मंत्रालय की अति सक्रियता सारी आफत की जड़ बतायी जा रही है। संकेत है कि कारपोरेट इंडिया को खी स्टिमुलस दिये जाने की योजना है और इस पर पर्दा डालने के लिए ही राजस्व घाटे और सब्सिडी की पेंच, तेल कंपनियों के विपरीत अनपेक्षित तरीके से मनमोहन ने आनन फानन पहले ही दिन पेट्रोल की कीमतों में कटौती कर दी, जिसका मकसद मुद्रास्फीति और मंहगाई से राहत देने के अलावा कुछ और है। सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को जैसे लोकलुभावन कहा जाता है, लेकिन इसका असली लक्ष्य दरअसल सरकारी खर्च बढ़ाकर बाजार का विस्तार करना है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जल्द ही वित्त मंत्रालय के दो वित्त राज्य मंत्रियों की जिम्मेदारियों को दोबारा बांट सकते हैं। इससे पूर्णकालिक वित्त मंत्री मिलने तक मंत्रालय का संचालन आसान हो जाएगा। अभी प्रधानमंत्री ही वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं। माना जा रहा है कि इस साल 12 से 14 अक्टूबर के दौरान टोक्यो में होने वाली अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की बैठक से पहले नए वित्त मंत्री को जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।फिलहाल एस एस पलानीमणिक्कम वित्त राज्य मंत्री (राजस्व) और नमो नारायण मीणा वित्त राज्य मंत्री (व्यय, बैंकिंग और बीमा) का प्रभार संभाल रहे हैं।प्रधानमंत्री कार्यालय में वित्त मामलों के प्रभारी बी वी आर सुब्रमण्यम की भूमिका काफी अहम हो जाएगी और वह वित्त मंत्रालय व प्रधानमंत्री के बीच कड़ी का काम करेंगे।सुब्रमण्यम भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1987 बैच के अधिकारी हैं। प्रधानमंत्री के भरोसेमंद होने के साथ ही वह उनके काफी नजदीक भी हैं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के पहले कार्यकाल के दौरान वह प्रधानमंत्री के निजी सचिव थे। जब तक वित्त मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास रहेगा, तब तक प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ही नीतिगत मसलों को संभालेंगे।
प्रणब मुखर्जी और पी ए संगमा ने 19 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए गुरुवार को नामांकन पत्र दाखिल किये। इसके साथ ही दोनों के बीच राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले की जमीन तैयार हो गयी है, जिसमें संप्रग के दावेदार मुखर्जी जीत की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं।
अर्थ व्यवस्था के नये इंतजाम के अंतरराष्ट्रीय मायने भोपाल गैस त्रीसदी मामले में यूनियन कार्बाइट को राहत देने वाले ताजा अदालती फैसले से समझा जा सकता है। अमेरिका की एक अदालत ने भोपाल में मिट्टी और पानी को प्रदूषित करने के लिए यूनियन कार्बाइड कम्पनी पर आरोप लगाने वाला मुकदमा खारिज कर दिया।यह मुकदमा कम्पनी के खिलाफ लम्बित कम से कम दो मामलों में से एक था। कम्पनी पर वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी का आरोप है, जिसमें लगभग 22,000 लोग मारे गए थे।अमेरिका के जिला न्यायाधीश जॉन कीनन ने मैनहट्टन में 26 जून को दिए अपने आदेश में कहा कि यूनियन कार्बाइड और इसके पूर्व अध्यक्ष वारेन एंडरसन उस स्थान पर पर्यावरणीय क्षति या प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, जिसका दावा भोपाल के लोग कर रहे हैं।'ब्लूमबर्ग' के अनुसार, न्यायाधीश कीनन ने अपने समक्ष लम्बित एक सम्बंधित मामले पर इस फैसले के सम्भावित असर के बारे में सभी पक्षों से अपने विचार सौंपने के लिए कहा. यह मामला भोपाल संयंत्र के पास की सम्पत्ति के मालिकों द्वारा दायर किया गया है।
नब्बे के दशक में जब डा सिंह ने वित्त मंत्री रूप के आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी उस दौर में उनके सहयोगी रहे अर्थशास्त्रियों को उन्होंने फिर से देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में मदद करने के लिए लगाया है। प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मनोनीत किए जाने की वजह से वित्त मंत्री के पद से उनके इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री ने यह महत्वपूर्ण मंत्रालय एक बार फिर स्वयं संभाला है।सिंह ने वित्त मंत्रालय का प्रभार लेने के पहले दिन योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन और प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पुलक चटर्जी के साथ आर्थिक स्थिति रुपये में आ रही गिरावट बढ़ती महंगाई और निवेश धारणा मजबूत बनाने पर चर्चा की।
इसके साथ ही उन्होंने वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु वित्त सचिव आरएस गुजराल आर्थिक मामलो के विभाग के सचिव आर गोपालन वित्तीय सेवाएं विभाग के सचिव डीके मित्तल व्यय सचिव सुमित बोस और विनिवेश सचिव हलीम खान के साथ अर्थव्यवस्था पर विचार-विमर्श किया।प्रधानमंत्री ने इन अधिकारियों ने कहा कि कुछ ऐसे मसले हैं जिनका यथाशीघ्र समाधान किए जाने की आवश्यकता है जबकि कुछ के दीर्घकालिक स्तर पर हल किया जाना है। उन्होंने कहा कि ऐसे संकेत तत्काल जाने चाहिए कि हम व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। हमे तत्काल पहल करने की जरूरत है। सब हमारी ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।गौरतलब है कि मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री काल में ही वर्ष 1991 में उनके द्वारा उठाए गए कदमों की बदौलत देश गंभीर आर्थिक संकट से उबरा और तेजी से पटरी पर लौटा था।
प्रधानमंत्री के सामने इस समय सबसे बड़ी समस्या देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की है जो वर्ष 2011-12 की अंतिम तिमाही में पिछले एक दशक के निचले स्तर 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसके अलावा डॉ. सिंह के समक्ष यूरो जोन के संकट से कैसे निपटा जाए और देश के शेयर बाजारों में निवेशकों का विश्वास फिर से कैसे बहाल हो इसके उपाय भी ढूंढने होंगे।प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक डॉ. सिंह ने यह संकेत दिया है कि पहले वह परिस्थितियों को समझेंगे और उसके बाद कदम उठाएंगे। अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने के क्या कदम उठाये जा सकते हैं इस बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि इंतजार करो और देखों। सूत्रों का यह भी कहना है कि वित्त मंत्रालय में जल्दी ही बड़ा बदलाव भी नजर आएगा। मनमोहन सिंह के अगले सप्ताह नार्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय का दौरा करने की उम्मीद है जहां वह कनिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर स्थिति की जानकारी लेंगे।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव और उनके मताहतों से कल मिलेंगे। शुक्रवार को प्रधानमंत्री की कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात का कार्यक्रम है। इस बैठक में प्रधानमंत्री देश में खेती उत्पादन की स्थित का जायजा लेंगे। इस वर्ष मानसून सामान्य की तुलना में कमजोर नजर आ रहा है जिससे कृषि उत्पादन में गिरावट की चिंताए सातने लगी हैं। इसकी वजह से सरकार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का दबाव बढ़ने लगा है जिससे सब्सिडी का बोझ बढ़ सकता है।
डॉ. रंगराजन ने बाद में बताया कि प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात में अर्थव्यवस्था के बारे में विचार विमर्श किया गया। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के देश के अगले राष्ट्रपति के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का उम्मीदवार चुने जाने और वित्त मंत्री के पद से कल इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री ने वित्त विभाग अपने पास ही रखा है।
पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आज 19 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन भरा। इस मौके पर प्रणव मुखर्जी के साथ कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद मौजूद थे।
तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर यूपीए के सभी दलों के नेता भी प्रणव मुखर्जी के साथ मौजूद थे। यही नहीं जनता दल यूनाइटेड के शरद पावर भी प्रणव मुखर्जी के साथ पहुंचे। प्रणव मुखर्जी ने नामांकन के 4 सेट दाखिल किए जिसमें से एक में शरद पवार ने भी प्रस्तावक के रूप में हस्ताक्षर किए।
आरबीआई ने पांचवी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़ी अनिश्चितताओं और घरेलू आर्थिक हालात बिगड़ने के बावजूद देश का फाइनेंशियल सिस्टम मजबूत है।आरबीआई के मुताबिक घरेलू बैंकों के पास पर्याप्त कैपिटल है। लेकिन, आरबीआई को बैंकों की एसेट क्वालिटी को लेकर चिंता है। साथ ही, बैंकों पर लिक्विडिटी का दबाव बढ़ा है।वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का असर देश पर भी नजर आएगा। छोटी अवधि में घरेलू अर्थव्यवस्था का आउटलुक खराब है और सुधार की उम्मीद नहीं है। वित्त वर्ष 2013 में विकास पर दबाव बना रहेगा।
मॉनसून औसत से खराब रहने पर ग्रोथ और कम हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई दर में कमी आई है, लेकिन महंगाई में उछाल आने का खतरा बना हुआ है। फॉरेक्स मार्केट और शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव नजर आ रहा है।आरबीआई का कहना है कि वित्तीय घाटे की वजह से सरकार राहत पैकेज नहीं दे सकती है।
सरकार के आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने सलाह दी है कि फॉरेक्स मार्केट में सट्टेबाजी के चलते ही रुपये में भारी गिरावट है और इस पर रोक लगाकर इसको कंट्रोल किया जा सकता है। मुनाफे के लिए करेंसी बाजार में सट्टेबाजी मुमकिन है।कौशिक बसु ने आरबीआई का नाम लिए बगैर इमर्जिंग मार्केट के सेंट्रल बैंकों की काबीलियत पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इमर्जिंग मार्केट के सेंट्रल बैंकों को करेंसी में सट्टेबाजी का ज्यादा पता नहीं है।
देश के शेयर बाजारों में गुरुवार को मामूली तेजी रही। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 23.00 अंकों की तेजी के साथ 16990.76 और निफ्टी 7.25 अंकों की तेजी के साथ 5149.15 पर बंद हुए। बंबई स्टाक एक्सचेंज [बीएसई] का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 17.82 अंकों की तेजी के साथ 16985.58 पर और नेशनल स्टाक एक्सचेंज [एनएसई] का 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी 7.05 अंकों की तेजी के साथ 5148.95 पर खुले।
नये समीकऱण के मुताबिक योजना आयोग ने बिहार सरकार की विशेष पैकेज की मांग को मान लिया है। इस बारे में आयोग ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है, जिस पर केंद्र सरकार आखिरी फैसला करेगी। दूसरी तरफ, राज्य सरकार ने इस पैकेज के इस्तेमाल के बारे में आयोग को विस्तृत रिपोर्ट सौंप दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज पत्रकारों को बताया, 'विशेष पैकेज के मुद्दे पर हमें आयोग से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। हमने आयोग से राज्य में विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए 12वीं योजना के तहत 20 हजार करोड़ रुपये की मांग की है। इसके तहत हमें हर साल 4,000 करोड़ रुपये की रकम चाहिए। इस बारे में हमें आयोग से सकारात्मक संकेत मिले हैं। हालांकि, आयोग ने यह साफ नहीं किया है कि वे इस मद में हमें कितनी सहायता दे पाएंगे। लेकिन बड़ी बात यह है कि हमें सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।' मुख्यमंत्री ने बताया, 'इस बारे में आयोग अपने सुझावों को केंद्रीय कैबिनेट के सामने रखेगा, जो इस बारे में आखिरी फैसला करेगी।'
Unique
Hits
Thursday, June 28, 2012
मनमोहन ने पहले ही दिन डंके की चोट पर बाजार का जयकारा लगा दिया! भारतीय अर्थ व्यवस्था पर राजनेताओं का वर्चस्व तो अब इमर्जिंग मार्केट और शाइनिंग इंडिया के हित में खत्म ही हो गया।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Census 2010
Followers
Blog Archive
-
▼
2012
(5805)
-
▼
June
(689)
- Bull Shit Marxist Ideology!The Marxists Committed ...
- अभी मंहगाई की मार कहां पड़ी है? गैर राजनीतिक गैर ...
- BOOKS: EXTRACT The Night Shastri Died And Other St...
- Grrr over GAAR and then purr Hint of course correc...
- CM takes Left on board in debt-relief fight Foe sa...
- हिन्दू फासीवाद का हिडेन एजेण्डा By राम पुनियानी 27...
- कलाम का सलाम सोनिया के नाम
- गोली मारने के बाद यहां स्कूली बच्चे भी माओवादी बना...
- बाजार तो उठा पर, आम आदमी को मिलेगा क्या?
- Nitish-Modi Spat: Debating Secularism
- Justice Sachar Committee Report Findings CPI(M)’s ...
- Sachar Committee Report
- Sachar Committee Report
- Sachar Committee From Wikipedia, the free encyclop...
- सच्चर रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई
- फुटबाल टूर्नामेंट, सानिया मिर्जा और नैनीताल!
- सच्चर कमेटी की सिफारिशें और कार्यान्वयन
- सच्चर कमेटी की रिपोर्ट और मुसलमान
- Baba aur Shobhakantji ke saath meri aur Savita ki ...
- उद्योग जगत को स्टिमुलस देने का पक्का इंतजाम,गार का...
- FM Manmohan Makes Investor Richer by Rs 1.17 trill...
- Fwd: [New post] अर्थ के अनर्थ की तहकीकात
- Fwd: Michel Chossudovsky: The US-NATO Military Cru...
- Fwd: [New post] पश्चिम एशिया : फिलिस्तीन के यहूदीक...
- Fwd: Today's Exclusives - Indian stocks shoot up a...
- Fwd: [Please vote Lenin Raghuvanshi as reconciliat...
- Fwd: Debating Secularism ISP IV June 2012
- Fwd: [New post] अर्थजगत : नव उदारवाद और विकास के अ...
- Fwd: कृपया सम्बंधित विषय पर नई -नई जानकारियों के स...
- Fwd: [Please vote Lenin Raghuvanshi as reconciliat...
- Fwd: आणा -पखाणा अर राजनीति
- Fwd: Jagadishwar Chaturvedi updated his status: "य...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए बे...
- मनमोहन ने पहले ही दिन डंके की चोट पर बाजार का जय...
- यूरोकप, पुलिनबाबू मेमोरियल फुटबाल टूर्नामेंट, सानि...
- देशद्रोह कैदियों के पक्ष में लखनऊ में धरना
- 'कविता तय करेगी, बल्ली बिक गया या निखर आया'
- जंगल में कोसी कहीं हंस रही होगी !
- Sinking Into Murky Water With Russia By Raminder Kaur
- Upper caste youths stop dalit's ghurchari
- To Be or Not To Be By Peter G Cohen
- An open letter to RSS Sarsanghchalak, Shri Mohan B...
- Surjeet Singh crosses over to India after 31 years...
- Unarmed major who disarmed Pak soldiers and saved ...
- Pranab Mukherjee files nomination for Presidential...
- SBI cuts interest rate for exporters by half a per...
- Govt takes back 3 mines from utilities, and asks C...
- সিঙ্গুর কাণ্ড, পঞ্চায়েত আইন সংশোধন নিয়ে বিতর্কে সু...
- প্রাকৃতিক বিপর্যয়ে নিহত শতাধিক বাংলাদেশ
- রাষ্ট্রপতি পদে মনোনয়ন পেশ প্রণব-সাংমার, অনুপস্থিত ...
- यशवंत सिन्हा ने किया समर्पण, जमानत मिली
- संगमा ने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया
- दिग्गजों की मौजूदगी में राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्...
- भारत में ज्यादातर राजनीतिक दल ‘‘सामंती’’ बन गए हैं...
- अमेरिकी अदालत ने भोपाल गैस कांड में यूनियन कार्बाइ...
- अबु जंदल की पहचान पर उठ रहें सवाल
- Fwd: Inhuman torture by BSF upon a DALIT and subse...
- यूरोकप, पुलिनबाबू मेमोरियल फुटबाल टूर्नामेंट, सानि...
- तो प्याज की परतें खुलने लगी हैं कि हवाओं में तापदा...
- Fwd: [All India Secular Forum] Report of the Gujar...
- Fwd: Fire in Mantralaya.....
- Fwd: [Buddhist Friends] "The Hindutva forces - Rag...
- Fwd: [New post] एड्रिएन रिच की कविताएं
- Fwd: Poorest people bail out some of the richest -...
- Fwd: कुरेड़ी फटेगी ; कथा संग्रह गढवाली कथा माल़ा क...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) हिन्दुत्व नहीं है, हिन्दू धर्म
- Fwd: [New post] घटनाक्रम : जून 2012
- Fwd: रिहाई(?) ने बताई मीडिया की सच्चाई
- Fwd: [New post] पत्र : अंग्रेजी का कमाल
- Fwd: भग्यान अबोध बंधु बहुगुणा क दगड भीष्म कुकरेती ...
- Fwd: [samakalika malayalam vaarikha] http://kerala...
- Fwd: Raghuvanshi: BJP manipulates Christian candid...
- Fwd: [विश्वप्रसिद्ध टेलीफिल्म ‘रूट्स’ का प्रदर्शन]...
- Appease Feuding Mail Champion Duo of Indian Tennis...
- प्रणव के विदा होते ही रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शर्त ल...
- Pranab`s Exit from North Block exposes the Bottoml...
- Pulin Babu Memorial Football Tournament uttarakhand
- Re: Subscribe now for Rs. 500
- Fwd: [ASMITA THEATRE GROUP ( ASMITA ART GROUP, Del...
- Fwd: TaraChandra Tripathi shared देवसिंह रावत's photo
- नीतीश-मोदी विवाद: धर्मनिरपेक्षता पर बहस का सबब -रा...
- विदा होते वित्तमंत्री प्रणव का देश को अबाध विदेशी ...
- Fwd: [Nainital Lovers] नैनी झील में माइनस में जल स...
- Fwd: [New post] नैट पर समयांतर : www.samayantar.com
- Fwd: क्या आप दैनिक गढवाली -कुमाउनी समाचार पत्र हेत...
- Fwd: [PVCHR] New Event Invite: Observing Internati...
- Fwd: [National Consultation :Testimonial campaign ...
- Fwd: Tony Cartalucci: CONFIRMED - US CIA Arming Te...
- Fwd: Today's Exclusives - Cement Cartel: A lesson ...
- अलविदा प्रणव दा
- कश्मीर में खिली उम्मीद की कली
- शून्य शिखर पर कुछ ना सूझै
- मुसीबत बन गया मातृ संगठन
- ‘जनता के दोस्त थे तरुण शेहरावत’
- मलबा बन के रह गई है भीमताल की झील
- राष्ट्रपति चुनाव या 2014 का 'सेमीफाईनल'
- Rape victim's kin torch houses of five accused, ad...
- Documentary on Hindu Rashtra
- THE HARD TIMES MUST GO - India needs drastic refor...
- Finally, feels like monsoon Season’s wettest & coo...
-
▼
June
(689)
No comments:
Post a Comment