निजी कंपनियों के खर्च का बोझ अब आम उपभोक्ताओं पर! एक और कोयला घोटाला!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कोल पूल प्राइसिंग से एनटीपीसी, अदानी पावर, लैंको इंफ्रा को मिल सकता है।सरकार ने एनटीपीसी में विनिवेश को मंजूरी दे दी है।अगर कंपनी को कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित होती है तो कंपनी को 550-600 करोड़ रुपये का मुनाफा बढ़ सकता है। एनटीपीसी के शेयरों में 15-20 फीसदी की तेजी देखने को मिल सकती है। साथ ही आरईसी, आईडीएफसी और पीएफसी को भी फायदा हो सकता है। इसके अलावा कोल पूल प्राइसिंग से कैपिटल गु्ड्स कंपनियों को भी फायदा मिल सकता है।कोयला उद्योग निजीकरण के रास्ते है।
निजी बिजली कंपनियों के पायदे के लिए यूपीए सरकार ने इससे पहले उन्हें कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल से डिक्री जारी करवा दी थी । अब एक नया घपला शुरु हुआ है , जिसे कोल पूल प्राइसिंग का नाम दिया गया है। नामकरण में माहिर नीति निर्धारक इससे असली मकसद छुपाने में कामयाब हो जाते हैं! आयातित कोयले को घरेलू में मिलाकर उसकी कीमत तय करने [कोल पूल प्राइसिंग] की योजना से एकमात्र निजी कोयला कंपनियों को ही फायदा होना है। कोयला आयात के जरिये बिजली पैदा करने वाली निजी कंपनियों के खर्च का बोझ अब आम उपभोक्ताओं पर डालने की यह योजना ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव के प्रबल विरोध के बावजूद लागू होने जा रही है। बिजली के निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को वक्त बेवक्त दरं में वृद्धि के जरिए करंट तो लगता ही है, लेकिन कंपनियों के आयात खर्च को भी घरेलू बिजली की कीमत में मिलाकर कारपोरेट हित साधने का यह तरीका नायाब ही कहा जायेगा।आयातित कोयले को घरेलू में मिलाकर उसकी कीमत तय करने [कोल पूल प्राइसिंग] की योजना को लेकर ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव के विरोध को केंद्र ने दरकिनार कर दिया है। बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कोल पूल प्राइसिंग पूरे देश के हित को ध्यान में रख कर तैयार किया जा रहा है।कोल पूल प्राइसिंग से देश में बिजली की लागत भी बढ़ेगी। बंदरगाहों से दूरी वाली बिजली परियोजनाओं का खर्चा बढ़ेगा। जाहिर है कि बढ़ी लागतों का बोझ अंतत: ग्राहकों को ही उठाना पड़ेगा। अभी देश में 85 फीसद कोयला घरेलू क्षेत्र से आता है, जबकि 15 प्रतिशत आयातित होता है। आयातित कोयला ज्यादा महंगा है। इन दोनों के दाम मिलाकर कोयले की कीमत तय करने से उन बिजली संयंत्रों को घाटा होगा, जो सिर्फ घरेलू क्षेत्र से कोयला लेते रहे हैं। कोयला कीमत का यह फार्मूला अप्रैल, 2009 के बाद शुरू होने वाले बिजली संयंत्रों पर लागू होगा।पिछले दिनों बिजली मंत्रालय के इस बारे में प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई। लेकिन पिछले दो दिनों के भीतर पश्चिम बंगाल सरकार ने इसका खुलेआम विरोध कर दिया है। वहीं, मुलायम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इससे निजी क्षेत्र को लाभ पहुंचाने का आरोप जड़ दिया है। उड़ीसा और मध्य प्रदेश पहले ही इसका विरोध कर चुके हैं। देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया के निदेशक बोर्ड की बैठक में इस नीति का विरोध किया गया। कंपनी का कहना है कि इससे उसके मुनाफे पर असर पड़ेगा। कोयला मंत्रालय भी बेमन से ही तैयार हुआ है।दूसरी ओर,ललंबे अरसे बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बिजली परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी देना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ महीनों के भीतर मंत्रालय ने 2,629 मेगावाट क्षमता की छह पनबिजली परियोजनाओं को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। तलइपल्ली कोयला ब्लॉक को भी आवश्यक अनुमति मिल गई है। इसके साथ ही बिजली परियोजना से जुड़े एक अन्य पकड़ी-बरवाडीह कोयला ब्लॉक में पुनर्वास संबंधी मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
बाजार की नजर आने वाले बजट पर है। निवेशकों को इंतजार है कि इस बार सरकार बजट में उनके हित के लिए कौन से फैसले लेती है। हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि बजट से भी बाजार पर ज्यादा असर होने वाला नहीं है।कोल पूल प्राइसिंग से एनटीपीसी, अदानी पावर, लैंको इंफ्रा को मिल सकता है। साथ ही आरईसी, आईडीएफसी और पीएफसी को भी फायदा हो सकता है। इसके अलावा कोल पूल प्राइसिंग से कैपिटल गु्ड्स कंपनियों को भी फायदा मिल सकता है।सरकार ने एनटीपीसी में विनिवेश को मंजूरी दे दी है। सूत्रों का कहना है कि एनटीपीसी का ओएफएस यानि ऑफर फॉर सेल 145 रुपये से 150 रुपये के भाव पर गुरुवार को खुल सकता है। सरकार एनटीपीसी में 9.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। इस विनिवेश के जरिए सरकार की 12,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। कोल पूल प्राइसिंग से एनटीपीसी को काफी फायदा मिल सकता है। अगर कंपनी को कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित होती है तो कंपनी को 550-600 करोड़ रुपये का मुनाफा बढ़ सकता है। एनटीपीसी के शेयरों में 15-20 फीसदी की तेजी देखने को मिल सकती है।कोयले की कमी के चलते पिछले 3 साल से एनटीपीसी का प्रदर्शन कमजोर रहा है। हालांकि अब कंपनी को कोयले की अच्छी आपूर्ति मिल सकती है और कंपनी के प्रदर्शन में सुधार हो सकता है।
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के रिसर्च एनालिस्ट रुपेश सांखे के मुताबिक निवेशकों को एनटीपीसी के ऑफर फॉर सेल में पैसा लगाना चाहिए। अगर एनटीपीसी का ओएफएस फ्लोर प्राइस 150-145 रुपये प्रति शेयर पर तय किया जाएं तो निवेशकों को काफी फायदा मिल सकता है।
155 रुपये प्रति शेयर पर भी एनटीपीसी का शेयर आकर्षक नजर आ रहा है। फिलहाल शेयर 1.5 के प्राइस टू बुक वैल्यू पर मिल रहा है। शेयर में जितनी नकारात्मकता थी वो खत्म हो गई है और अब शेयर में मौजूदा स्तरों से 20 फीसदी की तेजी आने का अनुमान है। 140-145 रुपये के स्तर से शेयर में गिरावट की जोखिम ना के बराबर होगी।
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के रिसर्च एनालिस्ट राहुल मोदी का कहना है कि एनटीपीसी के ऑफर फॉर सेल के लिए 145 रुपये प्रति शेयर का भाव आकर्षक लग रहा है। ओएफएस के बाद कंपनी के फंडामेंटल में बदलाव देखा जाएगा।
गौरतलब है कि देश का कोयला उद्योग निजीकरण के रास्ते है। कोयला ब्लाकों के आवंटन मे घपले को लेकर सीएजी की रिपोर्ट से शुरू गहमागहमी के बीच इस विषय पर आम लोगों की नजर नहीं है और जो खास हैं, वे इस तरफ नजर जाने नहीं देना चाहते हैं। भारत सरकार के आंकड़े गवाह हैं कि 67 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से होता है। कैप्टिव उपयोग के लिए कोयला खानों के आवंटन के मामले में पक्ष औऱ विपक्ष की जो नीति है, उससे साफ है कि बिजली उत्पादक कंपनियों को उनकी जरूरत लायक कोयला खानों का आवंटन किया जा सकता है। मतलब कोयले की मांग और पूर्ति के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियों की भूमिका कम से कम। दूसरे शब्दों में कोयला उद्योग का निजीकरण। सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियों में भी निजी कंपनियों का जलवा है। कोयला उत्पादन से लेकर अनेक कामों को आऊटसोर्स किया जा चुका है। कुल मिलकर सरकार के नियंत्रण वाला कोयला उद्योग तेजी से निजीकरण के रास्ते चल पड़ा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता और सपा सुप्रीमो मुलायम इस योजना के खिलाफ लामबंदी कर रहे थे। सिंधिया ने कहा, 'आयातित व घरेलू कोयले को मिलाकर उनकी कीमत तय करने का फार्मूला पूरे देश के हित में बनाया जा रहा है। इसमें पूरी कोशिश की जाएगी कि सभी राज्यों के साथ एक समान व्यवहार हो। इसके बावजूद सभी राज्यों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। इसका मकसद पावर प्लांटों को ज्यादा से ज्यादा कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करना है ताकि बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सके। इसके लिए विस्तृत व अंतिम नीति बनाने के लिए बिजली, कोयला और वित्त मंत्रालय गंभीरता से काम कर रहे हैं।' सिंधिया ने कहा, 'आयातित व घरेलू कोयले को मिलाकर उनकी कीमत तय करने का फार्मूला पूरे देश के हित में बनाया जा रहा है। इसमें पूरी कोशिश की जाएगी कि सभी राज्यों के साथ एक समान व्यवहार हो। इसके बावजूद सभी राज्यों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। इसका मकसद पावर प्लांटों को ज्यादा से ज्यादा कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करना है ताकि बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सके। इसके लिए विस्तृत व अंतिम नीति बनाने के लिए बिजली, कोयला और वित्त मंत्रालय गंभीरता से काम कर रहे हैं।'
पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी और बहु ब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मामला हो या लोकपाल विधेयक का, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने हमेशा कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर दबाव बनाया है। ममता बनर्जी ने सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के फैसले का, जिसके मुताबिक कोयले की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुताबिक होंगी, जिसके परिणामस्वरूप कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाएगी,का भी विरोध करती रही है।जबतक उनकी पार्टी केंद्र सरकार में रही, उनके विरोध का असर जरुर होता रहा। पर यूपीए से बाहर होने के बाद उन की तो सुनवाई हो ही नहीं रही है, इस पर तुर्रा यह कि सहयोगी समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह के ऐतराज को धता बताकर भी केंद्र सरकार निजी बिजली कंपनियों के हक में काम कर रही है। कोयला ब्लाकों के ाबंटन में जो कालिख लगा हुा है , सत्ता के चेहरे पर, उससे भी शर्म नहीं आयी! पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले ही कोयला मंत्रालय और बिजली मंत्रालय को पत्र भेज दिया है, जिसमें इस फैसले को वापस लेने की मांग की गई है, क्योंकि कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी से राज्य की बिजली इकाइयों पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन अब हाल यह है कि बंगाल के बाहर ज्यादातर समुद्रतटवर्ती इलाकों में लगी निजी बिजली कंपनियों की युनिटों के खातिर बंगाल में दीदी को कोयला की ज्यादा कीमत की वजह से बिजली दरों में इजाफा करना पड़ेगा। दीदी इसी का विरोध कर रही थींष पर केंद्र ने न उनकी और न मुलायम की सुनवाई की। मुलायम के विरोध की वजह भी एक सी है।
Unique
Hits
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Census 2010
Followers
Blog Archive
-
▼
2013
(5606)
-
▼
February
(449)
- दिल्ली तक शरणार्थियों के लिए लड़ेंगे प्रफुल्ल पटेल!
- ममता दीदी की शुरु की हुई परियोजनाएं खटाई में!महंगा...
- Torture in police station & prison (correctional h...
- Rape of human rights,Human Rights defender getting...
- हम अंबेडकर विचारधारा के मुताबिक देश की उत्पादक व स...
- मोदीवादी छद्म धार्मिक राष्ट्रवाद
- जमीन अधिग्रहण खत्म हो मेधा पाटकर
- पेंशन बिल यानी कामगारों की तबाही पीयूष पंत
- एक मामूली ‘गालिब’ की कहानी, जो असदउल्ला खां नहीं ...
- रिहाई मंच ने शिंदे से पूछे सात सवाल
- सुरक्षा-सुविधा की गारंटी दीजिये रेलमंत्री
- मजदूरों को एक सिरे से देश का घाटा कराने और असुविधा...
- वर्धा विश्विद्यालय में यौन उत्पीड़न
- पूरे देश की अर्थव्यवस्था अब चिट फंड में तब्दील!
- Ex-IAF chief SP Tyagi named! Tough most task for C...
- বধ্যভূমিতে দাঁড়িয়ে শপথ,দ্বিতীয় মুক্তযুদ্ধের প্রথম ...
- THE CENTRE CANNOT HOLD - New Delhi’s dilemma over ...
- गुमशुदा बच्चों की फिक्र
- ममता, सिंगूर आंदोलन का उपहास उड़ाने के कारण फिल्म प...
- ऑस्कर: ‘आरगो’ और ‘लाइफ ऑफ पाई’ का धमाल, डे-लूइस सर...
- हिन्दू भी आतंकवादी होता है?
- बंगाल में हिन्दुओं का कत्लेआम !इस दुष्प्रचार के भय...
- बंगाल में हिंदुओं के नरसंहार का यह दुष्प्रचार!
- Threat to Indian Constitution is more serious from...
- সিরাজসিকদাররচনা জাতীয় মুক্তিযুদ্ধে কৃষকের ওপর নির্...
- এবার পশ্চিমবঙ্গ ? জামাত-রাজাকারদের শাস্তি নিয়ে যখন...
- बजट के खेल से हमें क्या? हमारी आंखें बंद हैं, श्रद...
- स्टालिन के असम्मान और सिंगुर की चर्चा के बहाने `का...
- শাহবাগের প্রজন্ম আন্দোলনে যে বাঙ্গালী জাতিসত্তার ন...
- रेल बजट: यात्री किराया व मालभाड़ा बढ़ाने को रेलवे मजबूर
- [Marxistindia] Sangharsh Sandesh Yatra flagged off
- दिल्ली के अधिकांश अख़बार कर रहे हैं भूमाफियाओं की ...
- पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक दंगा
- সেন্সরের কোপে `কাঙাল মালসাট`, ফ্যাতাড়ুদের মহাবিপদ...
- State’s monitoring of PDS unsatisfactory: Activists
- वे अचानक स्मृति शेष हो गए
- सोनी सोरी को रिहा करो!
- Fwd: PRESS CONFERENCE: Observations, Analysis of t...
- रेलबजट पर रेलमंत्री दगड़ मुखाभेंट
- Rail Budget: Will Railway Minister Pawan Bansal bi...
- Tata's old pillars suffer erosion in brand value, ...
- $8.8 bn missing link in exports figures: How gover...
- Are Muslim voters in Gujarat really supporting Nar...
- Budget 2013: Government’s strained finances will b...
- कश्मीर का इतिहास भूगोल फिर से लिखेगा ♦ हिमांशु कुमार
- ஆப்கான் உளவுத்துறை அலுவலகம் மீது இன்று காலை தலிபான...
- Workshop: UID, National Population Register (NPR) ...
- कचरे से रेडियोधर्मी तत्वों के रिसाव से एक बार फि...
- অবাধ পুঁজির খেলায় যে ছাড় প্রতিবছর দেওয়া হয় রাজস্ব...
- Fwd: RNI Exclusive in Hindi for free use: "Uttar P...
- Fwd: [গুরুচন্ডা৯ guruchandali] বাংলাদেশ সরকার বলে,...
- मजदूर महाबदं से खुलेंगे नये रास्ते
- आदिवासियों के लिए नहीं आकाशवाणी
- खामोश होतीं भारत की भाषाएं
- माओवाद का विकल्प नहीं बन पायी सरकार
- A NOVELIST IN THE ASHRAM - Between Gandhi and Ambe...
- Trinamul eye-opener on ear - Arrested suspects our...
- Sec 144 for Kejriwal protest? Court asks Delhi pol...
- आहत आस्थाओं का देश
- असुरक्षा बोध से पनपी सियासत
- यौन हिंसा की जड़ें
- आतंकवाद के नाम पर किसी तबके पर निशाना ठीक नही: अखिलेश
- क्या दीदी ने टाटा मोटर्स को हरी झंडी दे दी?
- লোক দেখানো হৈ হাঙ্গামা যাই হোক না, সংস্কার কর্মসুচ...
- My Daughter Attacked
- সব ধর্মের মৌলবাদের বিরুদ্ধে সক্রিয় হন বন্ধুরা: বাং...
- The Origins of Communalism Book Review by Aria Thaker
- Fwd: Rihai Manch statement on UPA govt intention t...
- Fwd: James Petras: Israel's Coming "Civil War": Th...
- Fwd: [भीमसागर] हम एक अनुसूचित जाति के रूप में संवै...
- HYDERABAD BLASTS Terror Returns Till more evidence...
- Terror Returns Till more evidence is forthcoming, ...
- What next, hand in boiling oil? Brutality in name ...
- “हाँ” और “ना” के हाशिये पर खड़ा है “बलात्कार का आर...
- जाति एवं भ्रष्टाचार
- JATI EVAM BHRASHTACHAR डॉ. उदित राज
- Dalits ‘barred’ from taking part in temple function
- No to begging yes to dignity By Vidya Bhushan Rawat
- More Questions for Sri Lanka to Answer about War C...
- TIED IN A KNOT- Cross-region Marriages in Haryana ...
- विश्लेषण : सोन्याचे मोल?
- NORTHEAST NEWS
- नागरिकता प्राप्तीमा कठिनाइ
- गोर्खाल्याण्ड राज्य गठनको मांगको समर्थनमा गोजमुमो ...
- ਮਾਂ-ਬੋਲੀ ਪੰਜਾਬੀ ਲਈ ਜਲੰਧਰ 'ਚ ਲਾਮਿਸਾਲ ਮਾਰਚ
- आनंद बल्लभ उप्रेती का आकस्मिक निधन
- Ultra vires regulations- does association with a b...
- ஹைதராபாத்தில் குண்டு வைத்தவர்கள் ‘ஸ்லீப்பர் செல்’ ...
- संकट में है कहने की आज़ादी और इंसान!महामहिम का भी ...
- অথ সিংহ কথা
- Fwd: [Right to Education] Appeal to join Demostrat...
- बुड्या मरणु बि नी!: याने एक अभिनव आन्दोलनs जड़नाश
- फिर बिगड़ेंगे प्रणव और दीदी के रिश्ते
- Only an impeachment may break the presidential imm...
- কপ্টার চুক্তির ফ্যাক্টশিটে ইতিমধ্যেই প্রণব মুখার্জ...
- ওপার বাংলাঃ প্রতিবাদে প্রজন্ম আন্দোলন, বাংলাদেশে প...
- Attack on CPI(M) MPs
- Fwd: Rihai Manch press note on IPS Singhal's arres...
- Fwd: BOLLYWOOD CINE REPORTER Latest Issue 20.02.20...
- ਬਰਤਾਨੀਆ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕੈਮਰੂਨ ਨੇ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਮੱ...
-
▼
February
(449)
No comments:
Post a Comment