अन्नू ने दी मन्नू को क्लीन चिट
प्यार से कहें तो अन्नू उर्फ़ अन्ना हजारे ने मन्नू उर्फ़ मनमोहन सिंह को एक बार फिर क्लीन चिट दे दी है. अन्ना पहले से ही मनमोहन को ईमानदार कहते रहे हैं और उनकी बजाय सोनिया गाँधी को अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार बताते रहे हैं. वृहस्पतिवार को भ्रष्टचार के विरुद्ध और लोकपाल के समर्थन में एक जागरूकता रैली में ठाणे में अन्ना ने कहा, "मनमोहन सिंह एक ईमानदार आदमी हैं. उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है. एक रिमोट कंट्रोल निश्चय ही उनके निर्णयों को प्रभावित करता है, जिससे वे भी संदेह के घेरे में आ गए हैं."
लेकिन ३ जून के एक दिवसीय अनशन की पृष्ठभूमि में टीम अन्ना ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी भ्रष्ट नेताओं की सूची में शामिल किया था. कोयला विभाग के एक बड़े घोटाले में मनमोहन का नाम सीधे तौर पर अरविन्द केजरीवाल ने मीडिया साक्षात्कारों और अपने भाषणों में लिया. इससे यह बात सामने आई थी की टीम अन्ना मनमोहन सिंह को सन्देश का लाभ नहीं देगी और उनके राजनीतिक भ्रष्टाचार को उनकी व्यक्तिगत इमानदारी पर तरजीह देगी. लेकिन अपने मनमोहन हैं ही ऐसे कि सबका मन मोह लें. एक बार फिर अन्ना के मन को मोह लिया है और अन्ना ने उन्हें ईमानदारी का प्रमाण-पात्र भी दे दिया है.
अन्ना के इस यू-टर्न का बचाव करना अब अरविन्द केजरीवाल के बहुत भारी होगा. क्योंकि मनमोहन के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर केजरीवाल ही थे. अन्ना ने भी उन्हीं के प्रभाव में आकर प्रधानमंत्री को निशाना बनाया था. क्या अन्ना पर आजकल केजरीवाल से ज्यादा रामदेव का असर पड़ रहा है? कहने की आवश्यकता नहीं कि किसी का नाम लेकर भ्रष्टाचार और कालेधन के विरुद्ध लड़ाई को पटरी से न उतरने देना, प्रत्यक्ष रूप से रामदेव की ही नीति है. अन्ना का यह यू टर्न हो सकता है कि टीम के विखराव का कारन बने लेकिन मनमोहन के लिए अन्ना के ये वचन संजीवनी से कम नहीं हैं.
इन सवालों के जवाब अभी आने बाकी हैं कि अन्ना ने किस वजह से मनमोहन को एक बार फिर ईमानदारी का तमगा दिया और सोनिया गाँधी को भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराया? क्या टीम अन्ना और मनमोहन में कोई सांठ-गाँठ है और सोनिया गाँधी इससे बेखबर हैं?
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