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दिल्ली मुंबई महासत्यानाश गलियारा
बन रहा है बहुत जल्द
जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ
न रुके कदम,जबतक है दम
जोहार
চিদাম্বরেমর যুক্তি ওড়ালেন রাষ্ট্রপতি
Blueprint to build 24 cities: Will India's biggest infra project, DMICDC, worth $100 bn deliver?
पलाश विश्वास
* www.Delhi Mumbai Industrial Corridor.com
दिल्ली मुंबई महासत्यानाश गलियारा
बन रहा है बहुत जल्द
जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ
न रुके कदम,जबतक है दम
जोहार
धरती ही आस
प्रकृति ही विश्वास
जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ
न रुके कदम,जबतक है दम
शहरीकरण और औद्योगीकरण
की सुनामी रची गयी है भयानक
एक नहीं,दो नहीं,पूरे चौबीस
सिंगुर नयी मुंबई बनेंगे
पुणे और नईदिल्ली के बीच
सेज नाम नहीं होगा नाम अब
नये कत्लगाहों की श्रृंखला
अब इंड्रस्ट्रियल कारीडोर
औद्योगिक गलियारा
दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान,
मध्यप्रदेश,गुजरात और
महाराष्ट्र को चीरता जाएगा
महासत्यानाश गलियारा
देहात के सीने पर पूंजी का
परचम लहरायेगा और
सारे खेत होंगे बेदखल
कृषिजीवी भारत के महिषासुर वध
का महाआयोजन यह
महासत्यानाश गलियारा
कहां है कृषिजीवी जगगण के
मसीहा तमाम,कहां हैं राजधानी में
किसानों का मजमा लगाकर
भूमि सुधार की मांग करने वाले लोग
कहां हैं पुरखों,महापुरुषों और मसीहाओं का
नाम जापने वाले लोग
कहां है अंधाधुंध फंडिंग से खड़ा
गांव गांव राज्य राज्य नेटवर्क
कहां हैं मूलनिवासी अखबार के
पन्नो में इस महासर्वनाश की खबर
कहां है राष्ट्रीय सम्मेलनों में खड़ा
राष्ट्रीय जनांदोलन और कारपोरेट चंदे
के भुक्खड़ आंदोलनों के मसीहा तमाम
कहां हैं महाराष्ट्र का शेतकरी संघठना
कहां है अंबेडकरी मिशन और कहां है
पूंजी के खिलाफ लाल परचम
निनानब्वे फीसद की लड़ाई में कोई
नहीं है,कहीं नहीं है कोई
हमारे साथ दोस्तों
जोहार
धरती ही आस
प्रकृति ही विश्वास
जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ
न रुके कदम,जबतक है दम
भारत का विभाजन महज
बंगाल ,पंजाब और कश्मीर का विभाजन
कतई नहीं है दोस्तों
मोहनजोदोड़ो और हड़प्पा
को भी बांट दिया सत्ता वर्चस्व ने
मनुस्मृति अर्थव्यवस्था के लिए
बंट गये भील चार राज्यों में
बंट गये संथाल,हो और गोंड
अलग अलग राज्यों में
कच्छ का रण सिर्फ कोई
सूखा समुंदर नही है
मृत इतिहास सोया है वहां
हड़प्पा और मोहंजोदोड़ो
की समाधियां है वहां
महासत्यानाश गलियारा
फिर महा आक्रमण है
हमारे लोगों के खिलाफ
कृषिजीवी ग्राम्य भारत के खिलाफ
लोक और मातृभाषाओं के खिलाफ
महाशर्म है कि देश बेचनेवाले
भारत के वित्तमंत्री पूंजी के हित में
अर्थसंकट का ठीकरा फोड़ते हैं
भारत के राष्ट्रपति के मत्थे
महाशर्म है कि संसद में
कहीं नहीं हुई कोई चर्चा
किसी ने नहीं मांगा जवाब
न किसी का आया इस्तीफा
न महाभियोग प्रस्ताव
महाशर्म यह कि अब वणिक सभा
में वित्तमंत्री के आरोप खारिज
करने लगे हैं राष्ट्रपति
पिर वहीं पूंजी की शरण में
लोकतंत्र हाशिये पर है
हाशिये पर है संसद
और संविधान
और कानून का राज भी
नर्मदा बांध के लिए
कहीं हुई जनसुनवाई
खनन के लिए कहीं भी किसी ने
इजाजत ली जमीन के मालिकों से
जो खनिज के मालिक भी हैं
सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया
विकास योजनाओं की घोषणा से पहले
पीपीपी माडल में पूंजी निवेश से पहले
बेदखल होते गांवों से किसने पूछा
किसने पूछा बेदखल खेत खलिहानों से
हरियाली क सीने में बुलडोजर
चलने से पहले कहां हुई जनसुनवाई
जलसत्याग्रह के बाद भी
बिना सुनवाई चालू कुड़नकुलम
अब महाराष्ट्र के सीने पर
मुंबई के चेहरे पर दागा जाता
जैतापुर परमाणु संकुल
उनके सुनते हैं हर भाषा में
निकले हैं अखबार
रिपब्लिकनों के सुनते हैं
हैं धड़े दर्जन चार
हर कोई अंबेडकर का वंशज
हर कोई फूले साहूजी महाराज
चारों तरफ नीला परचम
जब चाहे तब शंप
तो लकवा कहां पड़ा है दोस्तों
रेडियेशन में जीने की
तैयारी में हैं लोग दोस्तों
नासिक के प्याज और अंगूर के खेत
जलगांव के केले भूल रहे हैं लोग
विदर्भ में थोक भाव से आत्महत्या
करते मरते खपते शेतकरी किसान
गणपति उत्सव की रौनक
जरा कम नहीं होती
मराठवाड़ा में दुष्काल
पर घर घर गणपति बप्पा
महाराष्ट्र का बंटाधार
सबसे ज्यादा तय है
जिस बंदरगाह के सिरे से
जुड़ने वाला यह
महासत्यानाश गलियारा
सार्वजनिक वह उपक्रम भी
बिक रहा है दोस्तों
गांवों को उजाड़कर
पनवेल नवी मुंबई
हमने देख लिये हैं
अब ईगतरपुरी और नासिक
भी श्मशान बने तो क्या
दादरी नोयेडा द्वारका के नीचे
कितने गंव हुए दफन
किसी को खबर नहीं है
हरियाणा में खेती नहीं
इंडस्ट्री का जोर है
राजस्थान में धर्मोन्माद का जोर
गुजरात में सत्यानाशी विकास माडल
प्रधानमंत्रित्व की दावेदारी
और नरसंहार का सफल प्रयोग
मध्यप्रदेश में भी
धर्मोन्माद की आंधी
में सामाजिक यथार्थ
सिरे से गायब है
बहुत योजनाबद्ध है
महासत्यानाश गलियारा
का यह निजी विदेशी साझा
पूंजी का एकाधिकार वादी आक्रमण
देश भर में कृषि कहीं
प्राथमिकता नहीं है
अर्थव्यवस्था अब
आउटसोर्सिंग है या फिर
क्रय विक्रय योग्य
बुनियादी सेवाएं
विकास का मतलब है
बुनियादी ढांचा
बुनियादी ढांचा का
मतलब मनुस्मृति व्यवस्था
उत्तरआधुनिक नरसंहार संस्कृति
अनंत वधस्थल में तब्दील ग्राम भारत
और जाति व्यवस्था,धर्म और अस्मिताओं
के हजार टुकड़ों में बंटे भारत
का महिशषासुर वध
बीस विकसित राष्ट्रों एवं प्रमुख विकासशील देशों के समूह (जी-20) के शिखर सम्मेलन में भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्यक्रम भी चर्चा का विषय रहा। दरअसल, इस सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं ने खासकर इस तथ्य को ध्यान में रखा कि देश में अपने महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्यक्रम को जारी रखने के प्रति भारत अब भी कटिबद्ध है।
इस कार्यक्रम में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर (डीएमआईसी) के अलावा दो नए बड़े बंदरगाहों की स्थापना करना भी शामिल है।
गौरतलब है, जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन हाल ही में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में समाप्त हुआ है। इस सम्मेलन के एक्शन प्लान में इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्यक्रम को जारी रखने को लेकर भारत द्वारा जताई गई प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया गया है।
सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों ने अपने-अपने ढांचागत सुधार एजेंडे को अब और भी ज्यादा सही ढंग से तय करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस सम्मेलन में शिरकत की थी।
जी-20 के एक्शन प्लान में सभी सदस्य देशों ने तेज विकास की खातिर अपने यहां निवेश को बढ़ावा देने, रोजगार सृजित करने एवं ग्लोबल स्तर पर नए सिरे से संतुलन कायम करने के प्रयासों के तहत ढांचागत सुधारों को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। इसमें भारत द्वारा जताई गई प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया गया है।
भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्यक्रम के तहत जिस दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर की स्थापना होनी है, उसके अंतर्गत दिल्ली एवं मुंबई को हाई स्पीड रेल और रोड लिंक्स से जोड़ा जाएगा। इसमें 100 अरब डॉलर का निवेश होना है।
दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना
दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना राजस्थान में विकास की एक नई इबारत लिखने जा रही है। उद्योग व्यापार जगत के लोगों का कहना है कि इस परियोजना के कारण आने वाले वर्षों में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3 गुना तक बढ़ जाएगा, वहीं इस परियोजना के तहत आने वाले वर्षों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश राजस्थान में होने की संभावना बनी है।
भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी दिल्ली-मुंबई डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के तहत दिल्ली और मुंबई के बीच डेडीकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर की स्थापना की जा रही है, जिसकी कुल लंबाई 1483 किलोमीटर है। यह दादरी, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से होता हुआ उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट तक जाएगा। यह समर्पित कॉरिडोर उच्च गति कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। फ्रेट कॉरिडोर का अधिकतम 39 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरता है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 578 किमी है।
परियोजना के लिए वांछित भूमि अवाप्ति का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। परियोजना में रेल मंत्रालय की चयनित कंपनियों द्वारा रेलवे ट्रैक बिछाने का कार्य इसी वर्ष शुरू किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना का क्रियान्वयन वर्ष 2016 तक होने की संभावना है।
उच्च गति का संपर्क औद्योगिक विकास के लिए प्रचुर अवसर प्रदान करती है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना (डीएमआईसी) क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना के अंतर्गत फ्रेट कॉरिडोर के दोनों तरफ लगभग 150 किमी के बैंड को औद्योगिक गलियारे के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे राजस्थान का उत्तरी भारत के बाजारों एवं उत्पादन क्षेत्रों से भी निर्बाध संपर्क स्थापित हो जाएगा। विकास के लिए राज्य में कुल 5 नोड्स चयनित किए गए हैं। इनमें खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराणा, जयपुर-दौसा, अजमेर-किशनगढ़, राजसमंद-भीलवाड़ा एवं जोधपुर-पाली-मारवाड़ का चयन किया गया है।
फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री (फोर्टी) के पूर्व महासचिव प्रेम बियाणी का कहना है कि इस परियोजना से राजस्थान का निर्यात बढ़ेगा, क्योंकि राजस्थान में कोई भी बंदरगाह नहीं है। इस परियोजना के आस-पास औद्योगिक टाउनशिप विकसित होंगी, जिससे राज्य के लोगों को भारी मात्रा में रोजगार मिलेगा और औद्योगिक विकास होगा। इस परियोजना में त्वरित माल के परिवहन के कारण खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, खनन, कपड़ा और इंजीनियरिंग सामान उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं लॉजिस्टिक सेवाओं का भी विकास होगा। यदि इस परियोजना को समय पर पूरा कर लिया जाता है तो राज्य का जीडीपी 3 गुना तक बढ़ जाएगा।
योजना के प्रथम चरण में अलवर में खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराना निवेश क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। यहां एक नए औद्योगिक शहर का निर्माण प्रस्तावित है जिसमें एक इंटीग्रेटेड टाउनशिप, एक नॉलेज सिटी परियोजना, बड़ी एयरपोर्ट परियोजना तथा नीमराणा एवं भिवाड़ी को जोडऩे के लिए सेंट्रल स्पाइन योजना के रूप में 70 किलोमीटर लंबी सड़क, जो कि विकसित क्षेत्र को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 से जोड़ेगी, प्रस्तावित है।
हाल ही में प्रस्तावित औद्योगिक शहर के ड्राफ्ट मास्टर प्लान की अधिसूचना जारी करने के लिए जनहित से सुझाव एवं टिप्पणी आमंत्रित करने के लिए प्रकाशित की गई है। परियोजना के लिए नियुक्त सलाहकारों द्वारा राजस्थान में प्रस्तावित एयरपोर्ट के विकास हेतु एक उपयुक्त स्थान का चयन अलवर जिले के कोटकासिम के समीप किया गया है। प्रस्तावित परियोजना हवाई अड्डे हेतु डीएमआईसीडीसी लिमिटेड के माध्यम से नागरिक उड्डयन मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय के समक्ष औपचारिक आवेदन प्रस्तुत किया गया। इस परियोजना के लिए रक्षा मंत्रालय से एनओसी प्राप्त भी की जा चुकी है।
परियोजना के लिए भूमि अवाप्ति का काम भी शुरू हो चुका है, जिसके तहत 1506.8 हेक्टेयर भू-अवाप्ति के लिए अधिसूचना जारी कर जनसुनवाई की कार्यवाही भी हो चुकी है।
परियोजना में राज्य सरकार द्वारा जोधपुर-पाली मारवाड़ रोड को दूसरे नोड के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इस नोड के लिए चयनित अर्लीबर्ड परियोजनाओं में - पाली-मारवाड़ हेतु जल आपूर्ति एवं वेस्ट वाटर प्रबंधन, एक नया हवाई अड्डा, मल्टी मॉडल लॉजिस्टक हब एवं चयनित सड़क परियोजना का निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण के साथ ही जोधपुर को पाली से जोडऩे के लिए एक मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का चयन किया गया है।
इस तरह दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरीडोर परियोजना साकार रूप लेकर राजस्थान में विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। औद्योगिक विकास के साथ ही क्षेत्र के समग्र विकास से रोजगार एवं समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस परियोजना को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए राज्य स्तर पर उठाए जाने वाले सभी कदमों की गति को तेज किया है ताकि प्रदेश के नागरिक इसका समुचित लाभ उठा कर आर्थिक उन्नति के रास्ते पर तेज कदम बढ़ा सके।
फोर्टी के अध्यक्ष आत्माराम गुप्ता का कहना है कि इस परियोजना के कारण पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके का भी औद्योगीकरण हो पाएगा। इस परियोजना से आने वाले वर्षो में राज्य में 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है।
जमीन देने के लिए तैयार हुए शिवराज सिंह चौहान
मप्र सरकार ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में डीएमआईसी (दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर) परियोजना के तहत एक अतिरिक्त इनवेस्टमेंट नोड विकसित करने के लिए 127 वर्ग किमी जमीन देने को राजी हो गई है। बशर्ते केंद्र डीएमआईसी के मौजूद नक्शे में ग्वालियर और चंबल क्षेत्र को शामिल करने का प्रावधान कर क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए 2500 से 3000 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता राशि मुहैया कराए जाने का लिखित भरोसा दे।
भूमि मुहैया कराए जाने में देरी से खिन्न केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया परोक्ष तौर पर इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उदासीन रवैए को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। लेकिन सिंधिया की पहल पर करीब ढ़ाई वर्ष बाद मप्र सरकार ने 200 वर्ग किमी जमीन की बजाए नया डीएमआईसी नोड विकसित करने के प्रस्ताव पर 127.26 वर्ग किमी जमीन चिह्न्ति कर गेंद केंद्र के पाले में डाल दी है।
इस संबंध में पूछे जाने पर प्रदेश के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दैनिक भास्कर को कहा 'हम ग्वालियर-चंबल संभाग में डीएमआईसी नोड के लिए जमीन देने को तैयार हैं। बशर्ते केंद्र डीएमआईसी के विस्तार का प्रावधान कर यह सुनिश्चित करे कि इस क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए 2500 से 3000 करोड़ रुपए आवंटन का प्रावधान किया जाएगा। ताकि हम जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू कर सकें।'
यह है मामला
दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर में ग्वालियर-चंबल संभाग में सभी संभावनाओं को देखते हुए सिंधिया ने वाणिज्य मंत्रालय में राज्य मंत्री बनते ही इस क्षेत्र को शामिल किए जाने की दिशा में पहल तेज कर दी। डीएमआईसी के तहत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में इनवेस्टमेंट नोड विकसित किए जा रहे हैं। इसमें मध्य प्रदेश के पीथमपुर-धार-महू और रतलाम- नागदा इनवेस्टमेंट क्षेत्र को शामिल किया जा चुका है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 200 वर्ग किमी बंजर भूमि, पानी, बिजली और आधारभूत ढांचे की उपलब्धता को देखते हुए सिंधिया ने इनवेस्टमेंट नोड विकसित करने के भूमि उपलब्ध कराए जाने की मांग की।
सिंधिया और शिवराज में कई बार हुआ संवाद
सिंधिया ने 30 सितंबर 2009 को शिवराज को पत्र लिखकर कहा कि डीएमआईसी परियोजना के तहत ग्वालियर-मुरैना क्षेत्र या गुना-शिवपुरी क्षेत्र में भूमि मुहैया कराई जाए। इस मसले पर 14 अक्टूबर 2009 को भोपाल में शिवराज से मुलाकात कर मांग दोहराई थी।
डीएमआईसी की तर्ज पर 3 नए इंडस्ट्रियल कोरीडोर
दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कोरिडोर की तर्ज पर सरकार चेन्नेई-बंगलुरु, बंगलुरु-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता इंडस्ट्रियल कोरीडोर बनाने की तैयारी में हैं।दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कोरिडोर के सीईओ अमिताभ कांत के मुताबिक चेन्नेई-बंगलुरु इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पर फीजबिलटी स्टडी पूरी हो गई है। जल्द ही बंगलुरु-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता इंडस्ट्रियल कोरीडोर पर भी स्टडी शुरू हो जाएगी। अमिताभ कांत के मुताबिक दिल्ली-मुंबई इ...
Source : Money Control |
दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से बदलेगी देश की तस्वीर
90 अरब डॉलर के दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है। फाइनेंस मिनिस्टर पी चिदंबरम ने बजट भाषण में एलान किया था कि इस प्रोजेक्ट के तहत जल्द ही सात नए शहर बसाए जाएंगे। इनमें दो स्मार्ट सिटी होंगी। पहली स्मार्ट सिटी गुजरात के धोलेरा और दूसरी महाराष्ट्र के शेंद्रा बिदकिन में बनेगी। दो एडिशनल कॉरिडोर बनाने की भी योजना है। इसमें पहला बंगलुरु-चेन्नई और दूसरा बंगलुरु-मुंबई...
Source : NavbharatTimes |
Category : Property
अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को ग्रीन सिग्नल
अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को शुक्रवार को हरी झंडी दे दी और इसकी संभाव्यता रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक इंटर-मिनिस्ट्री ग्रुप का गठन किया है।दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) के बाद यह इस तरह का दूसरा कॉरिडोर होगा। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पर काम चल रहा है।औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) सचिव की अध्यक्षता में इंटर-मिनिस्ट्री ग्रुप (आईएमजी) का गठन किया जाएगा...
Source : NavbharatTimes |
DMIC-Maharashtra
In Maharashtra, the alignment of DFC passes through Dahanu Road, Virar, Vasai Road, Diva and terminates at the Jawaharlal Nehru Port in Navi Mumbai, with about 18% of area of the state within the influence area of DMIC.
Based on the strengths of specific regions in the influence area, four development nodes have been identified in the influence area of DMIC. These include two investment regions and two industrial areas. Preliminary discussions with the State Government agencies also indicate that adequate land is available for the envisaged developments. Proposed project components in each of the nodes are discussed briefly hereafter:
. Node No.17: Dhule-Nardhana Investment Region
. Node No.18: Igatpuri-Nashik-Sinnar Investment Region
. Node No.19: Pune-Khed Industrial Area
. Node No.20: Industrial Area with Greenfield Port at Dighi
Location Map for Proposed Development Nodes in DMIC-Maharashtra
Node-17: Dhule-Nardhana Investment Region
The proposed Dhlule-Nardhana Investment Region would be located close to the intersection of three national highways namelyt NH-6 (Surat-Kolkata), NH-3 (Mumbai-Agra) and NH-211 (Dhule-Solapur). Thus the region is strategically located with respect to connectivity with ports and hinterland. Government of Maharashtra has proposed development of Textile Park at Nardhana, over 600Ha of land parcel. With an abundant supply of raw materials and human resources, this region is also strategically located for the manufacturing of textile products. It is important to note that though this region has good potential in textile/agroprocessing industries, this region has been so far unattractive to industrial investments because of drought prone ness of the region and absence of requisite irrigation infrastructure in the region resulting in unemployment. As part of the successful development of the region under DMIC, there is a need to focus on ensuring requisite irrigation infrastructure for ensuring availability of water through out the year.
Advantages:
. Being located close to the intersection of NH-6, NH-3 and NH-211, this region enjoys advantage of excellent connectivity to ports and hinterland;
. With abundant supply of raw materials and human resources, this region has wide potential for setting up of manufacturing units for textile products
. An Air strip is also located close to the proposed region at Dhule
. This region is served by the major rive basin formed by Tapi River
Proposed Components:
. Export-Oriented Units/ SEZ:This region has the potential for manufacturing of textile based products and agro-based/food processing industries;
. Integrated Logistics Hub will include development of multi-modal logistics infrastructure and value added services;
. Integrated Township, which could be dovetailed to requirements of specific investor groups/ countries;
. Development of Feeder Road Links connecting the identified industrial area with NHDP, Hinterlands;
. Development of Feeder Rail Links to ensure Connectivity to Mumbai-Jalgaon-Indore Rail Link.
Node-18: Igatpuri-Nashik-Sinnar Investment Region
The proposed Igatpuri-Nashik-Sinnar Investment Region would be located close by the Mumbai-Kalyan-Igatpuri-Manmad-Jalgaon trunk road. Prominent Industrial sectors in Nashik include Engineering, Automobile, Aluminium, Raisins, and Steel Furniture.
Advantages:
. Proximity to the major urban center of Nashik.
. Served by NH-3 and NH-50. Widening and Strengthening of NH-3 to four lane dual carriageway being implemented whereas NH-50 has two-lane carriageway configuration. Construction of Nashik-Mumbai Expressway is under implementation.
. Nashik district has significant agricultural base that produces Grapes besides production of Grapes are exported to Middle East, UK, Holland, Germany and SAARC Countries. Existing Wine Park in Nashik district is located at Vinchur.
. Nashik was short listed by the Ministry of Urban Development for receiving funds for Urban Infrastructure improvement under JNNURM Scheme. Approved investment plan for Nashik indicates that the city will receive INR 1797 Crore over next five years.
Proposed Components:
. Export-oriented Industrial Units/ SEZ: This region has the potential for Engineering, Automobile, Aluminium, Raisins, and Steel Furniture Sectors.
. Augmentation of Existing Industrial Estates: As part of development of the industrial area, augmentation of two industrial areas in Nashik district (Nashik and Sinnar) are considered for implementation under DMIC.
. Integrated Agro/Food Processing Zone: In order to take advantage of inherent strengths of the region for Grapes and Wine Production at Vinchur, it is envisaged that an Integrated Agro/Food Processing Zone with horticulture market will be developed as part of the Nashik-Sinnar Investment Region.
. Knowledge Hub/Skill Development Centre: To support the engineering, automobile, wine production/ agro-processing sectors, a Knowledge Hub/skill up gradation centre is proposed to be developed with integrated infrastructure facilities.
. Integrated Logistics Hub: Nashik-Sinnar Region will also include
development of Integrated Logistics Hub with multi-modal logistics
infrastructure and value added services.
. Integrated Township: This region would be provided with an integrated township with residential, institutional, commercial and leisure/recreation infrastructure which could be dovetailed to requirements of specific investor groups/ countries.
. Development of Nashik Airport: Keeping in view of the future prospects for the Nashik Region, it is envisaged that Nashik Airport would be upgraded to cater to domestic/international aircraft under DMIC to develop as the modern airport offering international air connectivity.
. Feeder Road Links: Development of Feeder road linkages connecting the identified industrial area with NHDP, Hinterlands, inter alia, includes following proposals :
- Development of Expressway between Nashik and Indore , integrating with Government of Maharashtra's vision for Mumbai-Nashik Expressway
- Augmentation of NH-50 (Nashik/Sinnar) to four lane dual carriageway.
- Augmentation of Igatpuri-Akola-Sangamner is under progress
- Development of requisite grade separators/flyovers/interchanges and underpasses along the National Highways/ State Highways and access roads for uninterrupted freight and passenger movement to the region would also be included in the development of feeder links.
. Feeder Rail Links:
- Enhanced Connectivity to Mumbai-Manmad Rail Link.
- Ensuring Connectivity with DFFC at Vasai Road Junction
Node-19: Pune-Khed Industrial Area
Pune-Khed (along Pune-Nashik Road) Region located at a distance of 100-150km from the Dedicated Freight Corridor at Vasai Road. It also has direct access to JN Port and Mumbai Port via Karjat-Panvel and Karjat-Kalyan. Prominent industrial sectors in Pune include automobile, engineering goods, chemicals, consumer durables and IT/ITES. It also has high concentration of wine and grape processing industries.
Advantages:
. Proximity to the major urban centre as Pune.
. Pune is one the fast growing metropolitan centre with the thrust in Information Technology, Automobile/ Service Industries
. Served by NH-4 and NH-50. Widening and Strengthening of NH-4 to four lane dual carriageway is completed with an Expressway between Mumbai and Pune (93km) whereas NH-50 has two-lane carriageway configuration.
. Pune district has significant agricultural base that produces Grapes. These grapes are being exported to Middle East, UK, Holland, Germany and SAARC Countries.
. Pune City, with population above 3.7 Mn as per 2001 Census, will receive INR 6072 Crore for urban infrastructure improvement under JNNURM Scheme. These funds would be disbursed over a period of five years.
Proposed Components:
. Export-oriented Industrial Units/ SEZ: This region has the potential for Engineering, Automobile, Electronics & Information Technology.
. Augmentation of Existing Industrial Estates: As part of development of the existing industrial areas, augmentations of two industrial areas near Pune (Chakan and Khed) are considered for implementation under DMIC.
. Integrated Agro/Food Processing Zone: To take advantage of inherent strengths of the region for Grapes and Wine Production in Pune district, it is envisaged that an Integrated Agro/Food Processing Zone with horticulture market will be developed as part of the Pune-Khed Industrial Area.
. Knowledge Hub/Skill Development Centre: To support the engineering, automobile, wine production/ agro-processing sectors, a Knowledge Hub/skill up gradation center is proposed to be developed with integrated infrastructure facilities.
. Integrated Logistics Hub: Pune-Khed Region will also include development of Integrated Logistics Hub with multi-modal logistics infrastructure and value added services.
. Integrated Township: This region would be provided with integrated township with residential, institutional, commercial and leisure/recreation infrastructure which could be dovetailed to requirements of specific investor groups/ countries.
. Development of Pune International Airport: it is envisaged that DMIC will take in to consideration the development plan being prepared for Pune International Airport and facilitate provision of requisite funding for viable implementation.
. Feeder Road Links: Development of feeder road linkages connecting the identified industrial area with NHDP, Hinterlands, inter alia, includes following development proposals :
- Provision of connectivity to NH-50 (Pune- Nashik/Sinnar), NH-4 (Chennai) and NH-9 (Hyderabad/Vijayawada).
- Widening and Strengthening of NH-50 to four-lane dual carriageway.
- Augmentation of Pune-Ahmed Nagar Link.
- Development of requisite grade separators/flyovers/interchanges and underpasses along the National Highways/ State Highways and access roads for uninterrupted freight and passenger movement to the region would also be included in the development of feeder links.
. Feeder Rail Links:
- A high speed rail link is already available between Mumbai and Pune
- It is further recommended that Vasai Road-Karjat-Pune BG Link be upgraded to the standards of Dedicated Freight Corridor (high speed and high axle load double/triple stacked container trains) so as to enable movement of double stacked high speed container trains between JN Port, Pune and to cater to other traffic to/from Ahmedabad and Delhi side. These developments are expected to contribute enormous benefits to the Port / Hinterland Traffic from Pune Region.
Node-20: Industrial Area at Dighi Port
The proposed Industrial Area with development of Greenfield Port Dighi, located in Raigad district, is close to Janjira-Murud Beach along west coast of Maharashtra. It is important to note that Dighi has a distinctive advantage for development to panamax size vessels and large bulk carriers.
Advantages:
. Proximity to Mumbai, the financial capital of India.
. Will be served by NH-3, NH-8, NH-17 and NH-4/ NH-4B. These highway links are also the prominent linkages for Jawaharlal Nehru Port. Widening and Strengthening of NH-4 , NH-4B and NH-8 to four-lane dual carriageway is completed, whereas work is under progress in the case of NH-17 and NH-3.
. Greater Mumbai City, with population above 16.4 Mn as per 2001 Census, will receive INR 16,507 Crore for urban infrastructure improvement under JNNURM Scheme. These funds would be disbursed over a period of 5 years.
. These sites offer opportunities for developing Greenfield ports through private sector participation. . Can be suitably linked with Mumbai-Delhi and Mumbai-Howrah Dedicated Freight Corridors.
Proposed Components:
. Greenfield Port at Alewadi/ Dighi Port: It is envisaged that development of Greenfield Ports at Alewadi and (or) Dighi Port would be considered under DMIC. These ports are proposed to be developed with Container Terminals. Selection of specific port or both the ports would be carried out during the detailed feasibility stage.
. Export-oriented Industrial Units/ SEZ: This region has the potential for chemical, engineering, paints, pharmaceuticals and port based industrial activities (ship repairing/ship building etc).
. Integrated Logistics Hub: Industrial Area with Greenfield Port will also include development of Integrated Logistics Hub with Container Freight Station and multi-modal logistics infrastructure with value added services.
. Integrated Township: This region would be provided with integrated township with residential, institutional, commercial and leisure/recreation infrastructure which could be dovetailed to requirements of specific investor groups/ countries.
. Development of 3000MW Power Plant: There is a possibility of developing 3000MW power plant in Raigad district. Adequate land and resources are available in this region for developing power plant. However, detailed evaluation will be carried out during the detailed feasibility stage.
. Feeder Road Links: Development of feeder road linkages connecting the identified industrial area with NHDP, Hinterlands, inter alia, includes following development proposals.
- Augmentation of Linkages connecting Alewadi and Dighi Ports with the National Highway Network (NH-3, NH-4, NH-17, NH-8).
. Feeder Rail Links:
- Connectivity to Dedicated Freight Corridor and Hinterland can be provided though appropriate rail linkages.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कारीडोर (डीएमआईसी) परियोजना को राज्य औद्योगिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए इस परियोजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.
मुख्यमंत्री यादव ने डीएमआईसी परियोजना पर प्रस्तुतीकरण के मौके पर कहा कि जवाहर लाल नेहरु पोर्ट मुंबई से शुरु होकर दादरी ग्रेटर नोएडा तक 1483 किमी लम्बी इस परियोजना के तहत सात निवेश तथा 13 औद्योगिक क्षेत्र चिन्हित किये गये हैं, जिसमें एक निवेश तथा एक औद्योगिक क्षेत्र उत्तर प्रदेश में पड़ता है.
उन्होंने कहा कि निवेश का पहला स्थान ग्रेटर नोएडा तथा दूसरा मेरठ-मुजफ्फरनगर में पड़ता है. निवेश क्षेत्र के दोनों ओर 150-200 किमी तक के क्षेत्र को मालगाड़ियों के लिए अलग मार्ग (डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर) के रुप में चिन्हित किया गया है.
यादव ने कहा कि प्रस्तावित पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर के खुर्जा में मिलने के कारण इस परियोजना का महत्व और भी बढ़ जाता है. इससे इस पूरे क्षेत्र का तेजी से विकास होगा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कृषि एवं अन्य उत्पाद आसानी से जवाहर लाल नेहरु पोर्ट मुंबई तक पहुंच सकेंगे.
अखिलेश ने बताया कि डीएमआईसी परियोजना के तहत राज्य के दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र में पड़ने वाले कारीडोर के विकास के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा प्रारम्भिक चरण में जिन परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है, इनमें बोडाकी रेलवे स्टेशन का विकास, नोएडा ग्रेटर नोएडा में मेट्रो रेल का विकास दादरी-तुगलकाबाद-बल्लभगढ रेलवे स्टेशन का विकास, नोएडा-ग्रेटर नोएडा-फरीदाबाद एक्सप्रेसवे आटो मार्ट का विकास, उर्जा संयंत्र की स्थापना, लाजिस्टिक पार्क टाउनशिप का विकास आदि शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि डीएमआईसी परियोजना का प्रदेश को पूरा लाभ मिल सके, इसके लिए हरसंभव कदम उठाये जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरुआत में यूपीएसआईडीसी तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पास उपलब्ध भूमि पर प्रस्तावित हाईटेक इन्ट्रीग्रेटेड औद्योगिक टाउनशिप का विकास शुरु किया जाए. इसके बाद आवश्यकतानुसार किसानों की सहमति से उनको हितधारक बनाते हुए भूमि प्राप्त करने का प्रयास किया जाए.
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566 करोड़ रुपए से चमकेंगे MP के चार बड़े शहर
Posted on February 23, 2013
भोपाल। प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए बजट में चारों प्रमुख शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के आसपास इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए गए हैं। औद्योगिक अधोसंरचना विस्तार के लिए 566 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें चारों प्रमुख शहरों समेत 14 प्रोजेक्ट शामिल किए गए हैं। भोपाल और इंदौर में प्रस्तावित मेट्रो ट्रेन की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के लिए भी बजट में दो करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जिले की सड़कों व रेलवे ओवर ब्रिज के लिए भी मोटी रकम रखी गई है। चारों शहरों में इंटरनल सिक्युरिटी सिस्टम के लिए होस्टल प्रस्तावित है। ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना होगी। इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर भोपाल-इंदौर, भोपाल-बीना, जबलपुर कटनी, सतना सिंगरौली, मुरैना-ग्वालियर एवं शिवपुरी-गुना आदि इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर विकसित होंगे। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर परियोजना (डीएमआईसी) के प्रथम चरण में पीथमपुर-धार-महू इन्वेस्टमेंट रीजन का विकास होगा।
09 Jun 2013
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को यहां कहा कि औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में छह निवेश क्षेत्र चिन्हित किये हैं। राज्य सरकार की केंद्र से यह मांग होगी कि इन छह निवेश क्षेत्रों को ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (ईडीएफसी) के दोनों ओर विकसित की जाने वाली अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा परियोजना में शामिल किया जाए ताकि प्रोजेक्ट के तहत उनकी फंडिंग भी हो सके।
पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने तीन अप्रैल को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र भेजकर वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के दोनों ओर विकसित किये जा रहे दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर की तर्ज पर ईडीएफसी के समानांतर भी औद्योगिक गलियारा विकसित करने की मांग की थी। केंद्र ने उनकी पहल को स्वीकार करते हुए ईडीएफसी के दोनों ओर अमृतसर से कोलकाता तक औद्योगिक गलियारा विकसित करने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इससे उप्र, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पिछड़े राज्यों में बुनियादी ढांचे के विकास के साथ औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। उन्होंने बताया कि 1840 किमी की कुल लंबाई वाले ईडीएफसी का 57 प्रतिशत हिस्सा उप्र के 19 जिलों से होकर गुजरेगा। ंयह पश्चिमी उप्र में सहारनपुर को पूर्वांचल में चंदौली से जोड़ेगा। प्रदेश में इसकी लंबाई 1049 किमी होगी। ईडीएफसी के दोनों ओर 150 किमी की चौड़ाई में अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे का निर्माण किया जाएगा जिससे आसपास के क्षेत्र में हथकरघा, हस्तशिल्प, कालीन उद्योग और ग्रामोद्योग के विपणन और निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी। साथ ही, खाद्य प्रसंस्करण, उर्वरक, तापीय ऊर्जा, सीमेंट, स्टील व अन्य विनिर्माण उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ईडीएफसी के लिए एक साल में राज्य सरकार ने रेल मंत्रालय को जमीन उपलब्ध करायी है। पूर्वी औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन की समस्या नहीं होगी क्योंकि ज्यादातर स्थानों पर पहले से भूमि उपलब्ध है। परियोजना के लिए यथासंभव गैर उपजाऊ और ऊसर भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा। औद्योगीकरण और निवेश को बढ़ावा देने के मकसद से औरैया में 6000 हेक्टेयर और झांसी में 5000 हेक्टेयर पर राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव है। राज्य सरकार ने इस परियोजना में तेजी लाने के लिए विश्व बैंक से विचार विमर्श शुरू कर दिया है। क्रेडिट रेटिंग कंपनी क्रिसिल के माध्यम से अंतरिम रिपोर्ट भी तैयार करायी गई है। बुंदेलखंड में सीमेंट प्लांट और सुल्तानपुर में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिन पर विचार हो रहा है। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने कहा कि अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे को अमली जामा पहनाने के सिलसिले में गठित अंतर मंत्रालयीय समूह से उनकी यह मांग होगी कि वह परियोजना के बारे में सभी संबंधित राज्यों से चर्चा करे।
----- इनसेट -----
चिन्हित किये गए निवेश क्षेत्र 1-पश्चिमांचल निवेश क्षेत्र-मुजफ्फरनगर, मेरठ, मोदीनगर, बेगराजपुर में 2000 हेक्टेयर पर प्रस्तावित
2-ब्रज इंडस्ट्रियल जोन-चोला, अलीगढ़, मथुरा, खुर्जा में 2000 हेक्टेयर पर प्रस्तावित
3-इटावा-औरैया-कन्नौज इंडस्ट्रियल जोन 6000 हेक्टेयर पर प्रस्तावित
4-कानपुर में लॉजिस्टिक हब 6000 हेक्टेयर पर प्रस्तावित
5-इलाहाबाद-नैनी-बारा निवेश क्षेत्र 3000 हेक्टेयर पर प्रस्तावित
6-मुगलसराय-वाराणसी-मीरजापुर निवेश क्षेत्र
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इन जिलों से गुजरेगा ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर
ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर प्रदेश में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, फतेहपुर, कौशाम्बी, इलाहाबाद, मिर्जापुर और चंदौली जिलों से गुजरेगा। इसके तहत 40 नये रेलवे स्टेशन विकसित किये जाएंगे।
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किसानों को राहत देने की होगी कोशिश
विद्युत दरें बढ़ाये जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली विभाग जबर्दस्त घाटे में चल रहा है। राज्य सरकार उसे घाटे से उबारने के हरसंभव उपाय कर रही है। कोयले की समस्या के बावजूद हम बिजली का उत्पादन बढ़ाने और आपूर्ति सुधारने में जुटे हैं। विद्युत दरें बढ़ाने का ज्यादा बोझ उन पर पड़ेगा जो बिजली का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। सरकार की यह कोशिश होगी कि गरीबों और किसानों पर अतिरिक्त भार न पड़े।
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कानून व्यवस्था पर नहीं उठायी जा सकती अंगुली
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून व्यवस्था पर सरकार बहुत काम कर रही है। कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर अंगुली नहीं उठायी जा सकती है। जो अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं, उन पर कार्यवाही हो रही है। उन्होंने फिरोजाबाद की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पुलिस ने जब केस खोला तो उसमें कौन शामिल थे, आप सबको पता है।
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कंपनियों को नहीं था अंदाज
छात्रों को लैपटॉप वितरण की सुस्त रफ्तार पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कंपनियों को मालूम नहीं था कि उप्र में उन्हें इतनी बड़ी संख्या में लैपटॉप की आपूर्ति करनी होगी। जैसे-जैसे लैपटॉप आ रहे हैं, हम उन्हें बांट रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर (डीएमआईसी) के तीन अर्ली बर्ड प्रोजेक्ट के साथ ही सूबे के दूसरे औद्योगिक प्रोजेक्ट में निवेश को आकर्षित करने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक रंजन 11 सितंबर को दिल्ली में जापान के आर्थिक व्यापार एवं उद्योग मंत्री तोशीमित्सू मोटेगी को सूबे में जापानी निवेश से जुड़ी संभावनाओं की जानकारी देंगे।
जानकार बताते हैं कि दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर प्रोजेक्ट में जापान भी सहयोग कर रहा है। जापान के आर्थिक व्यापार एवं उद्योग मंत्री यहां आने पर इस प्रोजेक्ट के प्रगति की जानकारी लेंगे।
इसी लिहाज से केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने डीएमआईसी से जुड़े राज्यों के अधिकारियों की मोटेगी के साथ 11 सितंबर को बैठक रखी है। इसमें केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा भी उपस्थित रहेंगे।
यूपी से अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक रंजन व विभाग के प्रमुख सचिव डा. एसपी सिंह इस बैठक में शामिल होंगे।
यूपी के अधिकारी वहां मंत्री के सामने डीएमआईसी के यूपी के हिस्से में प्रस्तावित तीन अर्ली बर्ड प्रोजेक्ट को फोकस करेंगे।
इसमें इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप ग्रेटर नोएडा, मल्टी माडल ट्रांजिट हब बोड़ाकी व मल्टी माडल लाजिस्टिक हब दादरी के प्रस्ताव शामिल हैं। इस पर जल्द काम शुरू होगा।
प्रदेश की ओर से यह भी बताया जाएगा कि इन प्रोजेक्ट के अलावा भी जापान कहां-कहां और किन-किन क्षेत्रों में निवेश कर सकता है। आईआईडीसी ने बैठक की तैयारियों को लेकर सोमवार को बैठक भी की।
मेगा लेदर क्लस्टर की प्रगति परखी
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक रंजन ने सोमवार को संडीला व कानपुर के मेगा लेदर क्लस्टर को समयबद्ध ढंग से क्रियान्वित कराने को लेकर उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की।
इस मौके पर विभाग के प्रमुख सचिव एसपी सिंह, लघु उद्योग निर्यात प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव मुकुल सिंघल व यूपीएसआईडीसी के अधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने उन्नाव की ट्रांस गंगा परियोजना के बारे में उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी ली।
पाली में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का प्रस्ताव
दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के तहत जोधपुर-पाली मारवाड़ नोड में राज्य सरकार ने सिविल एयरपोर्ट को 'अर्ली बर्ड' प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया है। उसमें जोधपुर में नागौर रोड और पाली जिले में रोहट के नजदीक नए सिविल एयरपोर्ट बनाने के अलावा जोधपुर के वर्तमान एयरपोर्ट के विस्तार का प्रस्ताव भेजा है। डीएमआईसी(दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर) की जापानी विशेषज्ञों की टीम और नियुक्त होने वाले कंसल्टेंट प्रस्तावित दोनों जगह और सिविल एयरपोर्ट देखने के बाद किसी एक की मंजूरी देंगे। इसके अलावा संभागीय आयुक्त आरके जैन ने पाली के मांडावास में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव डीएमआईसी के एमडी को भेजा है। उनका मानना है कि वहां एयरपोर्ट बनने से पाली,जालोर व बालोतरा के लिए नजदीक रहेगा,लेकिन वाया जैतपुर जोधपुर से करीब 70 किमी दूर होगा।
जोधपुर-पाली कॉरीडोर के लिए जोधपुर व पाली कलेक्टर से मांगे गए प्रस्तावों को मंजूर कर राज्य सरकार ने डीएमआईसी के एमडी अमिताभ कांत को 'अर्ली बर्ड' प्रस्ताव बनाकर भेजा है। उसमें सिविल एयरपोर्ट के लिए जोधपुर से 35 किमी दूर रोहट के निंबली ब्राह्माणान गांव में, नागौर रोड पर प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट और मौजूदा एयरफोर्स स्टेशन पर संचालित सिविल एयरपोर्ट का विस्तार करने का प्रस्ताव भेजा है। कलेक्टर सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि नागौर रोड पर प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिए जेडीए पांच हजार बीघा जमीन चिह्नित कर चुका है और एयरपोर्ट अथॉरिटी के विशेषज्ञ भी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की लिए हरी झंडी दे चुके हैं,लेकिन एनओसी के लिए फाइल रक्षा मंत्रालय लंबित है। इसकी मंजूरी मिलने और एयरपोर्ट बनाने में समय लग सकता है। इस वजह से वर्तमान सिविल एयरपोर्ट का विस्तार किया जा सकता है। इसके लिए नगर निगम से अतिरिक्त जमीन मांगी गई है। वहीं पाली कलेक्टर ने रोहट के नजदीक 8707.08 बीघा जमीन चिह्नित कर सिविल एयरपोर्ट वहां बनाने का प्रस्ताव भेजा है।
ड्राई पोर्ट भी प्रस्तावित
संभागीय आयुक्त आरके जैन ने डीएमआईसी के एमडी को भेजे प्रस्ताव में बताया है कि पाली जिले में 195 किमी लंबी डीएमआईसी रेलवे लाइन निकल रही है और पाली मारवाड़ में ड्राई पोर्ट भी प्रस्तावित है। जोधपुर में बड़े एयरपोर्ट की सुविधा नहीं होने से अहमदाबाद, दिल्ली व जयपुर उतरना पड़ता है। इस वजह से मांडावास में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाना उपयुक्त होगा।
विस्तार में एयरफोर्स की बाधा
वर्तमान सिविल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए चिह्नित भूमि का मामला एयरफोर्स द्वारा जमीन मांगने से अटक गया है। एयरफोर्स ने भी अपने स्टेशन के विस्तार के लिए 450 बीघा जमीन निगम से मांगी है,जबकि एयरपोर्ट अथॉरिटी सिविल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 268 बीघा जमीन चाहता है। जोधपुर कलेक्टर सिद्वार्थ महाजन ने बताया कि एयरफोर्स व एयरपोर्ट अथॉरिटी की बैठक बुलाकर कोई रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा। इंटरनेशनल एयरपोर्ट तो जोधपुर में बनना तय है और इसके लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।
जापानी उद्योगों का केंद्र बनता नीमराणा
दिल्ली जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 पर पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करने वाले नीमराणा फोर्ट के लिए देश-दुनिया में प्रसिद्ध ऐतिहासिक नीमराणा कस्बे में इन दिनों जापानी उद्यमियों की चहल पहल देखते ही बनती है। जापान के उद्यमियों द्वारा यहां लगाए जा रहे उद्योगों के कारण यह क्षेत्र कमोबेश जापानी उद्योगों का केंद्र बनता जा रहा है।
राजस्थान औद्योगिक विनियोजन निगम (रीको) के माध्यम से अलवर जिले के नीमराणा में पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न चरणों में औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित किया गया है। जिसमें सामान्य औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही निर्यात संवद्र्धन औद्योगिक पार्क (ईपीआईपी) और मजराकाढ़ में जेट्रो (जापान एसटर्नल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन) और राजस्थान सरकार की पहल से स्थापित 'जापानी जोनÓ विशेष उल्लेखनीय है। इन औद्योगिक क्षेत्रों में देश विदेश की कई जानी मानी कंपनियों ने अपनी इकाइयां लगाई हैं और कई नए उद्योग आ रहे हैं।
करीब 1200 एकड़ में फैले इस जापानी-जोन के लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में जापानी उद्यमियों ने इकाइयां लगाई हैं। शेष 30 प्रतिशत हिस्से के भी शीघ्र भर जाने की आशा है। जापानी उद्यमियों की ओर से यहां 28 औद्योगिक इकाइयां लगाई गई है, जिनमें एयरकंडीशनर के क्षेत्र में दुनिया की नंबर एक कंपनी डेकन एयर कंडीशन की यूनिट है। इस पर करीब 600 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है।
इसी प्रकार निसान इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने यहां 240 करोड़ रुपये का निवेश कर अपनी इकाई लगाई है। इनके अलावा 400 करोड़ रुपये के निवेश से मित्सुई केमिकल प्राइवेट लिमिटेड, 160 करोड़ रुपये की लागत से यूनीयार्च हाईजेनिक प्राईवेट लिमिटेड, 120 करोड़ रुपये के निवेश से एसीआई मित्सुई प्राईम एडवांस कंपोजिट प्राइवेट लिमिटेड, 155 करोड़ रुपये के निवेश से ऑटोपाट्र्स की कंपनी मिकुनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं 100 करोड़ रुपये के निवेश से लगाई गई एनवाईके लॉजिस्टिक इंडिया लिमिटेड के साथ ही डिस्किंग, मित्सुबिशी, डिकीकलर, टीकुकी, हैवेल्स आदि प्रमुख हैं।
इस केंद्र से नीमराणा में 21.5 अरब रुपये के निवेश के साथ ही 3,000 से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही यहां आवास एवं अन्य योजनाओं का तेजी से विकास होगा। नीमराना में नियोन स्टील की एक यूनिट भी निर्माणाधीन है जिस पर 300 करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है। इस स्टील कंपनी की दुनिया भर में 150 इकाइयां है। निकट भविष्य में हीरो होंडा जैसी बड़ी कंपनियां भी यहां निवेश कर सकती हैं।
दिल्ली-जयपुर के बीच स्थित नीमराणा, दिल्ली से मात्र 122 किलोमीटर दूर है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के साथ ही दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर (डीएमआईसी) और दिल्ली-मुंबई मालवाहक रेल गलियारा का हिस्सा होने के कारण नीमराणा का भविष्य काफी उज्जवल है। नीमराणा में रीको के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक आरसी जैन बताते हैं कि नीमराना फेज-1 और फेज-2 के बाद अब 'गिलोटÓ में फेज-3 में भी कई बड़े उद्योग आ रहे हैं।
नीमराणा में अन्य देश के उद्यमी भी बड़े पैमाने पर निवेश करने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। हाल ही 15 अफ्रीकी देशों के 25 सदस्य दल ने नीमराणा का दौरा किया है। इसी प्रकार ताइवान की 3700 कंपनियों के संगठन 'टीमाÓ के प्रतिनिधि भी नीमराना में 'ताइवानी जोनÓ की स्थापना की संभावनाएं तलाश रहे हैं। नीमराणा के निकट एक कारगो एयरपोर्ट बनाने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है। यह हवाई अड्डा अजरका और कोटकासिम के मध्य बनाना प्रस्तावित है।
Economic and Political Weekly
Commentary: Why Is the Left More Divided Than the Right?
http://www.epw.in/commentary/why-left-more-divided-right.html
रउरेमन कर घर-परिवार आउर देस-दुनिया में खुसहाली बनल रहे,
नदी-पोखरा, खेत-खलिहान आउर जंगल कर सुंदरइ हमिन कर जिनगी के
भरल-पूरल बनाले रखे, एहे कामना हय. हिरदा से ढेइरे धइनबाद. जोहार!
जोहार! आप सभी बंधु-बांधवों, गोतिया और संगी-साथियो को करम परब की हार्दिक शुभकामनाएं.
हम उत्पीड़ित देशज-आदिवासी समुदायों के लिए करमा पर्व का आज क्या अर्थ है? सिर्फ एक आराधना? नहीं. हमारे लिए आज के विश्व में इसका महत्व हमारे अस्तित्व के संघर्ष के ...See More
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Offbeat Street
Raghu, with you as bedfellow economy will be sizzling hot!
Rajan has put 'sex' back into the limp Sensex. Funny how quickly Rajan has been slotted as a much-panted-after sex symbol, says Shobhaa De.
Blueprint to build 24 cities: Will India's biggest infra project, DMICDC, worth $100 bn deliver?
By Ullekh NP, ET Bureau | 15 Sep, 2013, 11.50AM IST
Seated in his Delhi office Amitabh Kant says with a tinge of sarcasm: "I am not here to build a mall." The chief executive of the $100-billion Delhi-Mumbai Industrial Corridor Development Corporation (DMICDC), India's biggest-ever infrastructure project, is piqued about "some people" saying that the project is "not on the fast track".
Several government officials ET Magazinespoke to say DMICDC — which in its first phase will set up six cities each of 40-50 sq km and one of 153 sq km — has to be "expedited" so that it spurs manufacturing growth in the country and helps the country ride out the bad times. Once completed, the mega project is expected to generate 2.15 lakh direct jobs and 6.18 lakh indirect jobs in the country.The first phase of a $100-bn blueprint to build 24 cities by 2040 entails erecting seven of them by 2019.
Editor's Pick
ET SPECIAL:
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The deadline for the first phase is 2019. While Kant finds such statements laughable empty talk, Vinayak Chatterjee, founder and chairman of Feedback Infra, which advises infrastructure companies, makes a point: "Well, it [DMICDC] can't go as fast as his political bosses expect it to because it is a complex project and it is a conceptually sound one. It has to proceed at an appropriate pace."
In its first phase, DMICDC, which falls under the industry ministry and envisages creating 24 new cities in the country by 2040, will build cities around the high-speed 1,483-km-long dedicated freight corridor (DFC), a fast-progressing railway network funded by the Japanese government. DFC doesn't face issues with buying land because it will mostly use the land owned by Indian Railways.
Challenges too Many
Aaj Tak
मोदी जैसे ही पीएम उम्मीदवार घोषित किए गए, देशभर में बीजेपी कार्यकर्ता जश्न में डूब गए...http://aajtak.intoday.in/gallery/narendra-modi-anointed-bjp-pm-candidate-13-5799.html
Of course, Kant, unlike tainted Kalmadi, is an accomplished IAS officer and wouldn't want to put his reputation as a doer on the line (see Man of Action). "My team and I have to go into the details of each project and make sure that we meet all international standards in setting up new cities. I will say that, in scale, this is the biggest city-building exercise ever in the world," he argues. And yes, there are problem areas, he concedes.
Clearly, the biggest problem for DMICDC — like any major infrastructure project in India — is acquisition of land which, in this case, has to be done by the states that are covered in the programme: Haryana, Gujarat, Madhya Pradesh, Rajasthan, Maharashtra and Uttar Pradesh.
"Many states didn't have the relevant laws to meet the demands of a project as intricate and complex as this one," maintains Kant, emphasising that "though it is generally seen as a project, in reality it is a vast programme, driven by individual special purpose vehicles [SPVs]". SPVs have been created to ward off legal hurdles that may arise at a later stage due to political expediencies in a region. SPVs will have the power to charge a user fee on the infrastructure built in a new city (see Seven Integrated Cities).
To tide over difficulties in acquiring land, Madhya Pradesh came out with a legislation that allows for making land buys less cumbersome, says PK Dash, principal secretary at the state's commerce and industry department.
"We have found difficulties in procuring land in the Indore region because it is already industrialised and land is very scarce. Which is why we had to find state land for DMICDC. In other places though we have found success. Overall, the scenario in the state is positive [for the project]," he adds.
Gujarat has been extremely prompt with acquiring land, says Kant. The Narendra Modi government, which also brought in a new law to facilitate land buys for the purpose, has allocated a huge chunk of land for the new city in Dholera, a port town in the Gulf of Khambhat. The final phase will see Dholera becoming a new 550-sq-km city.
According to a DMICDC official, land acquisition efforts were toughest in Uttar Pradesh. Madhya Pradesh, Maharashtra and Rajasthan were much more proactive in procuring land, he said requesting anonymity. ET Magazine couldn't independently verify this statement.
Gujarat Always First?
Aaj Tak
गूगल सर्च पर न. 1 बने मोदी, ओबामा को पछाड़ा http://bit.ly/1eedHUP
Jagdish Salgaonkar, programme director and regional managing director of Aecom Technology Corp, a Los Angeles-based technical and management services provider, has previously been closely associated with the London Olympics and the Thames Tunnel project. He says he is excited to work in the first city that DMICDC is expected to complete — Dholera in Gujarat. "Projects like these are unique," says Salgaonkar, explaining why he chose to return to India after working on global projects for nearly 30 years.
He also dwells at length on why slowness isn't actually slowness at all. "People think programme management is just another layer of costs. It's not," he declares. A finance ministry official who asked not to be named contends that cities can no longer be built in a hurry. "One needs to build the baseinfrastructure before you invite private participation," she says.
That's clearly what DMICDC has done. Once states acquire the land for a city project, DMICDC creates an SPV to set up base infrastructure or trunk infrastructure — such as water, power connections, drainage system, broadband network, roads and so on. Only then will industry be invited to invest in projects, says Kant.
Well, there is more to it than meets the eye. Explains Salgaonkar: "In Dholera we also focus on interface management." He adds that this is not a waste of time, but about cutting costs. In Dholera, there was a plan to build two water treatment plans — one for industrial water and another for domestic water. By way of innovation, Salgaonkar and team eliminated the need for one of them which, according to him, saved hundreds of crores of rupees.
How Planning Helps
"Had it not been for programme management, you would have never known you had overspent. What we do is to maximise the link between one discipline and another," Salgaonkar says referring to how, typically, companies that secure individual bids for a project end up spending more for want of an interface between them.
Birth of Smart Cities
Edward Glaesar, author of Triumph of the City: How Our Greatest Invention Makes Us Richer, Smarter, Greener, Healthier, and Happier, who is also working on a paper comparing urban patterns in the US and India, says that the future of India depends on its cities. Our cities have to be smart, and that is what we are planning in Dholera, says Salgaonkar.
The city becomes smart when its roads, sewers, power supply, water, ICT, flood control systems and so on are constantly monitored from a command and control centre. In these cities, sensors will alert the control room if there is anything amiss about each system, he adds. Sensors will also send messages when a car parks on the highway for a longer time, as part of efforts to make cities safe.
In Dholera, for phase I, DMICDC will have to build 550 km of roads, 1,500 km of sewers, and flood control pipes, amongst other infrastructure. "We will start doing it soon and in a very methodical manner," says Kant adding that the plan includes housing for workers so as to eliminate growth of slums and global standard roads — S2H — that ensure that dust doesn't end up accumulating on roads, resulting in major pollution. He hopes to start buildinginfrastructure in Dholera by mid-2014.
For his part, Aamer Azeemi, managing director at Cisco Consulting Services (Asia-Pacific region), which has won the global bid to create the digital master plan of four cities in the first phase of the DMICDC programme, says they have to closely study services that people require in new cities. He and his team have categorised services required across segments: industries, residents and people who maintain the city. Their plan also includes an estimate of the skills people will require in these cities. Besides Cisco, IBM is another company doing the digital master plan for DMICDC's new cities.
Man of Action
Amitabh Kant, the Uttar Pradesh-born, 1980 batch Kerala cadre IAS officer with a taste for art and culture, is highly rated among his peers. This St Stephen's alumnus is the chief architect of the successful "Incredible India" advertising campaign meant to attract high-end tourists to India. But he knows that DMICDC, a different ball game, is his toughest assignment yet.
In militant trade union-infested Kerala of the 1990s Kant structured the first Indian airport on private-public partnership — in Kozhikode — where he had been a district collector. In that northern Kerala city-district where Portuguese explorer Vasco da Gama first landed in India, he also embarked on a drive to clean up and get rid of illegal encroachments. "They used to say if Gama were to return to Kozhikode in the early 1990s, some 500 years after his original visit, the city would have looked the same to him. It was a feat considered impossible and Kant proved that impossible was possible," says noted filmmaker PT Kunhimohammed. Later, as managing director of the Kerala State Development Corporation, he was instrumental in building a second bridge connecting the Cochin mainland and the Willingdon Island, the first build-operate-transfer bridge in the state. The feather in his cap, of course, was giving Kerala — as well as India — a makeover from a beach-and-Taj Mahal-focused, budget-tourist destination to the high-end traveller's dream, showcasing the country's culture, heritage and specific attractions. Says V Sunil, global partner of advertising hot shop Wieden+Kennedy, who has done several Incredible India ad campaigns for the government: "Kant has got the taste, cosmopolitanism and speed. There are very few people like him and E Sreedharan [who headed the Delhi Metro] who can make such miracles happen in India. I am glad that the government picked him up for the post. He has tremendous energy. He is a great leader and he is also ambitious. He works like a top-notch private-sector executive."
"Planning is crucial in these projects. What you see as waste of time isn't really waste," the finance ministry official agrees. Kant says he doesn't want to set the DMICDC project to the lower standards of typical Indian projects — most of which are done by the central and state public works department which have often come under attack for not ensuring longevity of projects.
L1 & Old Mindset
For building cities such as the one conceived by DMICDC, a great amount of detailed engineering is needed, which in turn entails working with the best engineering companies, insists Kant. That clearly means one can't often settle for the lowest bidder.
"In India everyone wants to get work done at the lowest cost. Nobody wants to look at the lifecycle cost of a project. You pay peanuts you will get monkeys. To bring in quality players is a big challenge," says he, adding that it is very important that we "ring-fence the city SPV through very strong shareholder agreements and state support agreements".
"The shareholder agreement", according to him, "must envisage that the planning, development and the power to levy user fees are vested with that SPV". It should also offer legal protections against tampering of plans. "What is created [trunk infrastructure] must generate revenues for the city."
Officers at DMICDC contend that even drafting of the request for proposal (initial bidding) so as to get the best agencies from across the world has been a Herculean task. "All those who are working for us have been selected through a global bidding exercise," observes Kant.
Hurdles Remain; Hopes, too
Kant, 56, sees the new land acquisition law creating a lot of problems for the states. This, he fears, may raise the cost of projects, too. "Land is a complex issue. It is very difficult to get land of this size and scale. States are finding it hard to get land and the financial resources to buy land," he says. He recommends a central funding to help states get the finances to buy land for such infrastructure projects.
He says it is extremely tough to get DMICDC's plans notified in every state. "This is because state urban planners have all become regulators and they are used to merely sanctioning plans; the concept of compact, dense vertical cities based on transit oriented development is alien to the Indian urban planner. And for the urban and the town planners in states we need to carry out a big education campaign and expose them to best practices around the world," declares the DMICDC chief executive.
A Gujarat government official agrees. "DMICDC, according to our government, is all set to be a game changer for our state and the rest of the country. We need to adapt fast and learn international urban planning standards to speed up its execution," he says asking not to be named because he is not authorised to speak to the media.
Ireena Vittal can't agree more. She, as a partner with McKinsey, had co-authored a seminal report called "India's Urban Awakening: Building Inclusive Cities, Sustaining Economic Growth". She calls DMICDC a "critical catalyst project".
According to her, the project symbolises the reinvention of an investment method practiced by Englishmen around railway networks. "This is an amazing opportunity to revive industrial activities, especially manufacturing," she says adding that unlike India's horizontal cities, these new ones are meant to make smart use of resources such as water, land and energy. Besides, we need cities that are home to multiple industrial sectors, unlike Detroit, which depended merely on one industry, points out Vittal. "DMICDC, as far as I know, has taken into account all this," she adds. And we don't need urban sprawls like Chandigarh, but new, vertical cities, she elaborates.
Meanwhile, there have also been calls to tweak environmental clearance guidelines. According to Kant and the Gujarat government official, environmental clearances have to take into cognizance the industrial needs of the country.
Says Kant: "The process of environment clearance requirements for new industrial townships needs to be clearly spelt out in the Indian context. These committees lack a multi-diciplinary perspective; after all we are not just in the business of creation of infrastructure, but also in the operation, maintenance and running of new cities."
The odds are immense and Kant knows that DMICDC is his biggest challenge yet. "But this can result in a paradigm shift in the quality of infrastructure that is created. So it is very important that we do this to perfection."
Then he beams and counsels: "After all we don't make cities every day. Have patience. 2019 is still a few years away."
"All this is time consuming. We try to make sure that white spaces don't occur between various projects," he notes. He goes on to compare the first phase of Dholera with existing Indian cities. "Mumbai is just a 26-sq km city and Greater Mumbai a 150-sq km. Which means in Dholera we are adding one big Mumbai. This is no mean feat," he says.
Once the trunk infrastructure — which is an eight-layered one — is built, the new cities will invite industry to invest for building vertical infrastructure. In fact, building trunk infrastructure is not a commercially viable option for any industry which is why builders first go for vertical expansion and do shoddy work at base infrastructure — roads, water treatment, power supply, etc, says the finance ministry official.
"In the cities that we build, no one will have to dig up to place optical fibre. All such infrastructure will already be in place," says Kant. "These new cities won't just be new, they will also be smart."
The genesis of the idea called DMICDC lies in the need to develop industries around DFC and that makes a lot of sense, points out Chatterjee. On Tuesday, nine projects of the first phase were approved by the DMIC Trust, a body that gives the go-ahead for individual DMICDC projects once it secures all other regulatory nods. It is headed by the Department of Economic Affairs secretary Arvind Mayaram.
"People who criticise the so-called slowness of the work in progress don't understand how intricate and highly complex this is. In fact, I don't want to do what Kalmadi did," thunders Kant, referring to the sloppy construction work undertaken for the 2010 Commonwealth Games. Suresh Kalmadi, a former Congress leader and Union minister, was later arrested for causing major losses during the event.
News/Updates
DMIC
Delhi Mumbai Industrial Corridor
* Delhi-Mumbai Industrial Corridor is a mega infra-structure project of USD 90 billion with the financial & technical aids from Japan, covering an overall length of 1483 KMs between the political capital and the business capital of India, i.e. Delhi and Mumbai.
A MOU was signed in December 2006 between Vice Minister, Ministry of Economy, Trade and Industry (METI) of Government of Japan and Secretary, Department of Industrial Policy & Promotion (DIPP). A Final Project Concept was presented to both the Prime Ministers during Premier Abe's visit to India in August 2007.
Finally Government of India has announced establishing of the Multi-modal High Axle Load Dedicated Freight Corridor (DFC) between Delhi and Mumbai, covering an overall length of 1483 km and passing through the six States - U.P, NCR of Delhi, Haryana, Rajasthan, Gujarat and Maharashtra, with end terminals at Dadri in the National Capital Region of Delhi and Jawaharlal Nehru Port near Mumbai. Distribution of length of the corridor indicates that Rajasthan (39%) and Gujarat (38%) together constitute 77% of the total length of the alignment of freight corridor, followed by Haryana and Maharashtra 10% each and Uttar Pradesh and National Capital Region of Delhi 1.5 % of total length each. This Dedicated Freight Corridor envisages a high-speed connectivity for High Axle Load Wagons (25 Tonne) of Double Stacked Container Trains supported by high power locomotives. The Delhi - Mumbai leg of the Golden Quadrilateral National Highway also runs almost parallel to the Freight Corridor. This corridor will be equipped with an array of infrastructure facilities such as power facilities, rail connectivity to ports en route etc. Approximately 180 million people, 14 percent of the population, will be affected by the corridor's development.
This project incorporates Nine Mega Industrial zones of about 200-250 sq. km., high speed freight line, three ports, and six air ports; a six-lane intersection-free expressway connecting the country's political and financial capitals and a 4000 MW power plant. Several industrial estates and clusters, industrial hubs, with top-of-the-line infrastructure would be developed along this corridor to attract more foreign investment. Funds for the projects would come from the Indian government, Japanese loans, and investment by Japanese firms and through Japan depository receipts issued by the Indian companies.
This high-speed connectivity between Delhi and Mumbai offers immense opportunities for development of an Industrial corridor along the alignment of the connecting infrastructure. A band of 150 km (Influence region) has been chosen on both sides of the Freight corridor to be developed as the Delhi-Mumbai Industrial Corridor. The vision for DMIC is to create strong economic base in this band with globally competitive environment and state-of-the-art infrastructure to activate local commerce, enhance foreign investments, real-estate investments and attain sustainable development. In addition to the influence region, DMIC would also include development of requisite feeder rail/road connectivity to hinterland/markets and select ports along the western coast.
It is also envisaged that the alignment of the proposed corridor will have nine junction stations for exchange of traffic between the existing railway system and the DFC. The junctions are:
• Vasai Road: To cater to traffic to/from Mumbai, other than J.Nehru Port
• Gothangam: For traffic to/from Hazira Complex, Jalgaon-Udhna
• Makarpura (Vadodara): For traffic to/from Ahmedabad, Vadodara and Vadodara -Godhra Routes
• Amli Road (Sabarmati): For traffic to/from ICD-Sabarmati, ViramgamSabarmati Route, Ahmedabad, Rajkot and Bhavnagar Divisions of Western Railway
• Palanpur: For traffic to/from Kandla/ Mundra Ports and Gandhidham Area
• Marwar Junction: For Traffic from/to Jodhpur area (and lCD-Jodhpur)
• Phulera: For traffic to/from Jaipur- Tundla and Jaipur-Sawai Madhopur Routes'
• Rewari: For traffic to/from Rewari-Hissar-Ludhiana/Bathinda Routes'
• Pirthala (Tughlakabad): For traffic to/from Tughlakabad (and ICDTughalakabad)
Delhi-Mumbai Industrial Corridor is to be conceived as a Model Industrial Corridor of international standards with emphasis on expanding the manufacturing and services base and develop DMIC as the 'Global Manufacturing and Trading Hub'. The Government is considering this ambitious project to establish, promote and facilitate Delhi-Mumbai industrial corridor to augment and create social and physical infrastructure on the route which is world class and will help spurring economic growth of the region.
Integrated Corridor Development Approach for DMIC
High impact/ market driven nodes - integrated Investment Regions (IRs) and Industrial Areas (IAs) have been identified within the corridor to provide transparent and investment friendly facility regimes. These regions are proposed to be self-sustained industrial townships with world-class infrastructure, road and rail connectivity for freight movement to and from ports and logistics hubs, served by domestic/ international air connectivity, reliable power, quality social infrastructure, and provide a globally competitive environment conducive for setting up businesses. An Investment Region (IRs) would be a specifically delineated industrial region with a minimum area of over 200 square kilometers (20,000 hectares), while an Industrial Area (IAs) would be developed with a minimum area of over 100 square kilometers (10,000 hectares). 24 such nodes - 9 IRs and 15 IAs spanning across six states have been identified after wide consultations with the stakeholders i.e the State Governments and the concerned Central Ministries. It is proposed that 6 IR and 6 IAs would be taken up for implementation in the First Phase during 2008-2012 and rest of the development would be phased out in the next 4 years. The nodes identified for Phase-1 are:
Short listed Investment Regions (IRs):
• Dadri – Noida - Ghaziabad Investment Region in Uttar Pradesh as General Manufacturing Investment Region;
• Manesar – Bawal Investment Region in Haryana as Auto Component/ Automobile Investment Region;
• Khushkhera – Bhiwadi – Neemrana Investment Region in Rajasthan as General Manufacturing/ Automobile/ Auto Component Investment Region;
• Pitampura – Dhar – Mhow Investment Region in Madhya Pradesh
• Bharuch – Dahej Investment Region in Gujarat as Petroleum, Chemical and Petro Chemical Investment Region (PCPIR);
• Igatpuri – Nashik-Sinnar Investment Region in Maharashtra as General Manufacturing Investment Region;
Short listed Industrial Areas (IAs):
• Meerut – Muzaffarnagar Industrial Area in Uttar Pradesh, Engineering/ Manufacturing;
• Faridabad – Palwal Industrial Area in Haryana, Engineering & Manufacturing;
• Jaipur – Dausa Industrial Area in Rajasthan, Marble/Leather/Textile;
• Neemuch – Nayagaon Industrial Area in Madhya Prdaesh
• Industrial Area with Greenfield Port at Alewadi/ Dighi in Maharashtra, Greenfield Port Based
Organizational Structure & Project Implementation Framework:
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Industries in DMIC States
Investment Potential in DMIC States
Status of existing/Proposed National Highway Development Measures
Nodes - DMIC States
Delhi Mumbai Industrial Corridor Development Corporation(DMICDC)
http://delhimumbaiindustrialcorridor.com/
BBC World News
US and Russia agree #Syria chemical weapons deal in Geneva.
http://www.bbc.co.uk/news/world-middle-east-24091633
Syria's chemical weapons must be destroyed or removed by mid-2014, under an agreement between the #US and #Russia. ...See More
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Sunday, September 15, 2013
दिल्ली मुंबई महासत्यानाश गलियारा बन रहा है बहुत जल्द जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ न रुके कदम,जबतक है दम जोहार চিদাম্বরেমর যুক্তি ওড়ালেন রাষ্ট্রপতি Blueprint to build 24 cities: Will India's biggest infra project, DMICDC, worth $100 bn deliver? Raghu, with you as bedfellow economy will be sizzling hot!
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