अपने भाई और युवा हमारे समय के बेहतरीन कवि नित्यानंद गायेन के सौजन्य से।आज वरिष्ठ कवि -लेखक विष्णुचन्द्र शर्मा जी का जन्मदिन है ! उन्हें ढेरों शुभकामनाएं .
आज उनकी एक कविता
आज उनकी एक कविता
अंतरंग यात्रा
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मेरी पृथ्वी
एक अंतरंग यात्रा है ,
जहाँ हर आदमी
एक लहर -दर -लहर
नृत्यरत है !
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मेरी पृथ्वी
एक अंतरंग यात्रा है ,
जहाँ हर आदमी
एक लहर -दर -लहर
नृत्यरत है !
मेरी पृथ्वी की कोई
सरहद नहीं है !
कोई पारपत्र नहीं चाहिए
सिर्फ़ स्वर शब्दों को
ध्वनि ब्रह्मांड को उदात्त बनती और
धीरे -धीरे खोलती
और खोलती चली जाती है
और लय में बाँध देती है
हमें तुम्हें !
सरहद नहीं है !
कोई पारपत्र नहीं चाहिए
सिर्फ़ स्वर शब्दों को
ध्वनि ब्रह्मांड को उदात्त बनती और
धीरे -धीरे खोलती
और खोलती चली जाती है
और लय में बाँध देती है
हमें तुम्हें !
-विष्णुचंद्र शर्मा
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