Monday, February 2, 2015

पहले हिन्दू राष्ट्र, आप चुप!, फिर घर वापसी, आप फिर चुप!, फिर आपके एक राज्यमंत्री द्वारा संविधान से ’समाजवादी धर्म निर्पेक्ष शब्दों को गोल करने को उचित ठहराया जाना. आप फिर भी चुप. सारा देश जानता है कि आप जैसे शक्तिशाली नेता के भरोसे जीत कर आये आप के पिछ्लग्गू, बिना आपकी मौन सहमति के बिना यह विघटनात्मक दुस्साहस नहीं कर सकते.



मोदी जी,
धुआँधार भाषणों की बौछार कर पहले ही जनमन में धराशायी हो चुकी कांग्रेस सरकार को गद्दी से उतार कर स्वयं सत्तारूढ़ होना आपकी उपलब्धि भले ही हो, देश की विशेष उपलब्धि नहीं है. आपको गद्दीनशीन हुए साल भर भी नहीं बीता है कि आपके और आपके चेलों के हावी होने से देश पर जो संकट आने वाला है उस से देश का हर जागरूक नागरिक चिन्तित है. पहले हिन्दू राष्ट्र, आप चुप!, फिर घर वापसी, आप फिर चुप!, फिर आपके एक राज्यमंत्री द्वारा संविधान से 'समाजवादी धर्म निर्पेक्ष शब्दों को गोल करने को उचित ठहराया जाना. आप फिर भी चुप. सारा देश जानता है कि आप जैसे शक्तिशाली नेता के भरोसे जीत कर आये आप के पिछ्लग्गू, बिना आपकी मौन सहमति के बिना यह विघटनात्मक दुस्साहस नहीं कर सकते.
बराक--बराक-- बराक सम्बोधन से अपने आप को गौरवान्वित समझ कर आपने अमरीकी कंपनियों को देश के कानून से ऊपर बना दिया. भोपाल गैस कांड में तो वारेन एंडरसन पर मुकदमा तब भी चला था. अब किसी अमरीकी कम्पनी की लापरवाही से ऐसी ही दुर्घटना होने पर उन्हें जिम्मेदार भी नहीं माना जा सकेगा. बेचारी जनता को भी आपकी तरह ही तीन बार बराक, बराक, बराक कह कर चुप रह जाना पडेगा.
कोहरा छँट रहा है. असलियत सामने आने लगी है. आप बादलों की गरजते भले ही रहें, लोग धीरे- धीरे यह अनुभव करने लगे हैं कि आप में वह पानी नही है जिसकी आशा में मनमोहनी कुशासन से पथरायी जनता ने क्या पता? सोच कर आपका वरण किया था.

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