दीदी ने लिख दी पाती मोदी के नाम
भूमि अधिग्रहण से लेकर तमाम बिलों को पास कराने और बांधित पूंजी प्रवाह के सारे नाले परनाले चालू करने,राष्ट्रहित में लाखों करोड़ की परियोजनाएं चालू करने और राज्यों की मदद की गरज से पहले से चालू योजनाओं को सिरे से खारिज कार्यक्रम को अंजाम देने के लिए संसद से लेकर सड़क तक जनसंहारी नीतियों के खिलाफ गोलबंदी से निपटने की केसरिया कारपोरेट सरकार की असल रणनीति दरअसल क्षत्रपों की घेराबंदी हैं।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
जिन्हें कमर में रस्सी बांधकर जेल जाने का ऐलान कर रहीं थीं,जिन्हें हरिदास पाल बताते हुए दिल्ली में दंगाइयों के हुकूमत के खिलाफ जिहाद छेड़ने के बाद उनके स्पर्श से बाचते रहने का हर जुगत लगा रही थी,मां माटी मानुष सरकार की उन मुखिया ममता बनर्जी ने आखिरकार उन नरेंद्रभाई मोदी को पाती लिख भेजी है कि वे पलक पांवड़े बिछाये बैठी हैं कि कब दिल्ली से बुलावा आता है।
अजब गजब मुसमुस मस्काने का अंदाज निराला है क्षत्रपों का यह मिजाज इन दिनों।
घाटी में पहचान की राजनीति करने वाले मुफ्ती सईद भाजपाई सरकार के मुखिया होंगे तो सैफई में भी खिल गया कमल।
समाजवाद के तरणहार मुलायम लालू मोदी के खेवइया बनकर तैयार की सौदेबाजी का किस्सा खत्म हो तो तुरत लंबित अध्यादेशों को पारित करके देश के विकास के काम में अपना मबहती योगदान दें।
रेवड़िया भी बंटी हैं कि वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक कुल बयालिस फीसद हिस्सा राजस्व का राज्यों को मिलने वाला है।
धड़ से पीएमओ से डिजिटल लेटरो जारी हो गया कि केंद्र राज्य सुनहले अध्याय का शुभारंभ हो चुका है।
भूमि अधिग्रहण से लेकर तमाम बिलों को पास कराने और बांधित पूंजी प्रवाह के सारे नाले परनाले चालू करने,राष्ट्रहित में लाखों करोड़ की परियोजनाएं चालू करने और राज्यों की मदद की गरज से पहले से चालू योजनाओं को सिरे से खारिज कार्यक्रम को अंजाम देने के लिए संसद से लेकर सड़क तक जनसंहारी नीतियों के खिलाफ गोलबंदी से निपटने की केसरिया कारपोरेट सरकार की असल रणनीति दरअसल क्षत्रपों की घेराबंदी हैं।
सबसे अकड़ूं दीदी के तेवर ढीले हो गये हैं। यूपी बिहार के तमाम क्षत्रप नतमस्तक हैं।चारों दिशाओं के बाकी क्षत्रपों के लिए गुल गलुस्तान हैं।
अब दीदी के बाद शायद अम्मा को साधने की बारी है।
कश्मीर घाटी में तो खैर भगवा लहराने लगा है।
बंगाल में भी फिलहाल हर चौथा वोडर भगवा है और बिहार यूपी में अंदरखाने फेंस के इधर उधर भारी सरगर्मी है।
अब यह समझना मुश्किल नहीं है कि शारदा फर्जीवाड़े की जांच का मामला किस अंजाम तक पहुंचने वाला है क्योंकि दसों दिशाओं से घिर गयी दीदी आत्मसमपर्ण के मोड में आ गयी हैं और राज्यसभा में बहुमत से वंचित संघ परिवार को साथियों की सौदेबाजी से निपटकर कहीं संसद के संयुक्त अधिवेशन का जोखिम उठाकर हिंदुत्व के केसरिया कारपोरेट अंजाम शत प्रतिशत हिंदुत्व का एजंडा हासिल करना है।
दीदी अब भी जमान के स्तर पर प्रबल जनसमर्थन की मालकिन हैं और बंगाल से उनको बेदखल करना बहुत टेढ़ी खीर है।बंग विजय के सिपाहसालारों को यह बात समझ में आ ही गयी होगी।
जाल में परिंदा बेतरह फंसा है और अब कायदे से जाल समेटने की बारी है कि परिंदा फिर खुले आसमान में डैना विस्तार कर ही न सकें।
मालूम हो कि मुकुल राय अब तक शारदा फर्जीवाड़े में शामिल तमाम अभियुक्तों के मुताबिक अव्वल राजनीतिक हस्ती हैं,जिसके चेहरे के खुलासे के लिए सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में उच्चस्तरीय साजिश की गहराई मापने की यह पैमाइश है। ताज्जुब की बात यह है कि सीबीआई ने गिरफ्तारी किये बिना मुकुल बाबू को उनके सहयोग के आदार पर बरी कर दिया।जबकि बाकी अभियुक्त इस मामले में दायर सीबीआई के चार्जसीट में हैं।
अब दीदी की समझ में यह बात आ गयी कि मुकुल राय के बचाव में खड़े कपिल सिब्बल दरअसल उनके बचाव के लिए नहीं है और सोनिया गांधी फिलहाल इस हाल में हैं कि कांग्रेसी जमाने की तरह इस विपदा महामारी से उनको पाक साफ बचाकर निकालें।
मुकुल राय के बेटे ने तोपखाना चालू कर दिया है दीदी के खिलाफ तो मुकुल राय के सहयोगी एक एक करके बगावत पर उतारु है।कोलकाता नगर निगम चुनाव में भाजपा पूरी तैयारी के साथ उतर रही हैं और खुद मोदी मैदान में होंगे।
ऐसे हासलात में नगरनिगम में भ्रष्टाचार के आरोप में विधानसभा में ही धरने पर बैछ गये मुकुल राय के खासम खास विधायक,जिन्हें दीदी ने पत्रपाठ निलंबित कर दिया।शो काज और निलंबन का सिलसिला शुरु हो गया है।संगठन मेंनई भूमिकाएं बांटने के बावजूद कहा नहीं जा सकता कि कौन कब किस वक्त बगावत का झंडा बुलंद कर दें।
तृणमूल संगठन पर जिनकी सबसे जबर्दस्त पकड़ है,वह मुकुल राय दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और दीदी एक एक करके उनके नाखुन तोड़ रही हैं।अब मुकुल की संघियों के साथ क्या तालमेल है,इसका कोई अंदाजा नहीं है।कौन कौन और संघियों के गुड बुक में है,यह भी किसी को मालूम नहीं है।
इसी परिदृश्य में राज्य पर केंद्रीय अनुदान मिलने के बावजूद भारी कर्ज से निजात पाने के खातिर दीदी ने आखिरकार मोदी को लिख ही दी पाती।
मीडिया की खबरों के मुताबिक बहरहाल,मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर तत्काल कर्ज माफी की मांग की है। इसके लिए उनसे मिलने का समय मांगा है। दीदी ने फेसबुक पर अपने ताजा पोस्ट में कहा है कि उनकी सरकार लोग पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के जमाने से केंद्र से लगातार कर्ज माफी की मांग करती आ रही है, लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं निकला है, जबकि साढ़े तीन वर्ष गुजर चुके हैं।
दीदी को शिकायत है कि वाम राजकाज के दौरान वाम सरकार द्वारा लिये गये कर्ज के एवज में प्रत्येक वर्ष ऋण के रूप में 28 हजार करोड़ रुपये का भुगतान उन्हें करना पड़ रहा है.।
दीदी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलने का समय मांगा है, ताकि इन मुद्दों पर बातचीत हो सके।
गौरतलब है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दीदी ने अभी तक उनसे मुलाकात नहीं की है और न ही प्रधानमंत्री द्वारा बुलायी गयी किसी बैठक में शामिल हुई हैं।
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