बक्सादुआर के बाघ-8
कर्नल भूपाल लाहिड़ी
अनुवादःपलाश विश्वास
सत्ताइस
अगले दिन सुबह सिंथिया आकर अदिति को सुशीला के मां बाप के साथ मुलाकात के लिए ले गयी।बेटी की मौत की खबर मिलने के बाद लगातार रोने धोने से सुशीला की मां बहुत बीमार हो गयी है।
बरामदे में बैठे सुमन अपनी किताबें वगैरह समेट रहा था।दूर से उसने देखा कि जगरु इधर ही चला आ रहा है।सीढ़ी चढ़कर पास आकर उसने नीची आवाज में कहा, मगन उरांवके संगे करि आइनछि,नोकफांतेर सामने गाछेर नीचे बसाये राइखछि। आपनि कहेन तो उयाक डाकि आनि।
-उसने क्या अपने मुंह से सबकुछ कबूल कर लिया है?
-मुखे किछु कहिबार दरकार होय नाई,उयार शरीले आउर मुखे लिखा आछे सब। देइखलेई समइझते पाइरबेन।
-जाओ,बुला लाओ उसे,सुमन ने कहा।
अब तक दोनों में बरामदे में बैठे बातचीत हो रही थी।जगरु उस आदमी को लेकर लौटा तो उन्हें लेकर घर में घुसकर सुमन ने दरवाजा बंद कर लिया।वह नहीं चाहता, दूसरा कोई उनकी यह बातचीत सुन लें।
दरवाजा बंद करते ही सुमन के पांव पड़कर मगन उरांव ने कहा,बाबू, आमाक बचाओ।सुमन ने उस आदमी को गौर से देखा।वह आदमी छोटे कद का मजबूत पेशीबहुल चेहरे का है। शरीर का रंग घना काला है।दायीं ओर गाल पर और माथे पर जख्मों पर लिउकोप्लास्ट चिपका हुआ है।कमीज उतारो, सुमन ने उस आदमी से कहा।
उसके कमीज उतारते ही सुमन ने देखा,उस आदमी के सीने में ,पेट में बाघ के नख के ताजा जख्म हैं।सुमन ने कहा,तुम दौड़ रहे थे, बाघ ने तुम्हें पीछे से आकर जकड़ लिया! वह आदमी अचरज से सुमन के मुंह की तरफ गूंगे की तरह कुछ देर तक देखता रहा।फिर दोनों आंखें बड़ी बड़ी करके सवाल किया,आपनि कैमने जाइनलेन?
-तुम्हारे शरीर पर लगे बाघ के नख ही यह बता रहे हैं।
-किंतु आमाक सत्यि सत्यि बाघे पकड़े नाई।
-वह भी तुम्हारे शरीर के दाग से समझा जा सकता है।बाघ ने पकड़ा होता तो तुम्हारे कंधे पर या गले में उसके दांत के निशान होते।बाघ का शिकार- वह मनुष्य हो या दूसरा कोई जानवर, हमले के वक्त बाघ पहले ही कूद कर उसके गले या कंधे को दांत से काटकर पकड़ लेता है।तुम्हारे शरीर पर ऐसा कोई चिन्ह है नहीं।।अब बताओ, तुम भाग क्यों रहे थे।
-ता होइले परथम थिकाई कहि,घर के फर्श पर बैठकर मगन ने कहा।शिकारी मचान आउर बकरा बांधिया बाघ शिकारेर चैष्टा कइरतेछिलो।हमी उयाक कहिलाम,जे बाघक मारि चाहेन, वो बाघ बकरा खाये ना,खाली माइनसेक खाय।ये भी कहिछि, हमी जानि वो बाघ कुथाय थाके, राइते कौन जंगले घूमै।शिकारी आमाक कहिलो,रुपया दिबो,आमाक बाघ दिखाये दे।रुपया निया नदीकिनारे जंगले एकटा जगह दिखाये कहिलाम,आइज राइते बाघ इखाने आइसबे।
--कौन सी जगह,जहां सुशीला की डेड बोडी पड़ी थी?
-हां,ठीक पकड़ेच्चेन।
-किंतु तुम्हें कैसे मालूम हुआ कि सुशीला बाघ बनकर वहीं जायेगी?
-निजे थिका आसे नाई,हमी खाकी रंगेर कापड़ा पीन्दिया,फारेस्ट गार्ड साजिया, लोभ दिखाये सुशीलाक निया गिछिलाम वोही जगह।
-दुर्घटना की रात सुशीला गारो बस्ती में थी,बस्ती के दूसरे सभी के साथ नाच गाने में शामिल थी।वहां से तो दुर्घटना की जगह बहुत दूर है!
-नजदीक होइले बस्ती के मानुष शिकारीर गुलीर आवाज सुइनते पाइबे।यही खातिर हमी बस्ती थिका दूरे वोही जगह ठीक करछिलाम,जहां गुलि चइलले बस्ती थिका सुना जाइबे ना।
-कैसे बस्ती से उसे इतनी दूर जंगल के रास्ते ले गये!
बस्तीत तभी नाच गाना चइलतेछिलो।आसपासत जंगले छिपा हमी सुशीला पर नजर राइखताछिलाम। चेष्टा कइरतेछिलाम अइन्य कोई देख ना सके,केवल सुशीलार नजर पड़े हमार ऊपर।फारेस्त गार्डेर पोशाक पहिने हमार तरफ जभी सुशीला देइखछे, हमी तभी भागिछि।
थोड़ा दम साधकर मगन कहता रहा,हमी जतो जोरे दौड़ि,वो भी ततो जोरे दौड़ी। दौड़ते दौड़ते नदीकिनारे वोही जगह, जहां शिकारी बसि आछिलो।हमी जैसे ही एकटु धीरे होइछि,सुशीला हमार पीछे से हमला करि संगे संगे बड़ो बड़ो बाघेर नख घुसाये दिलो हमार मुखे,सीनाय आउर पेटे। हमी चिल्लाई,शिकारी आमाक बचाओ, आमाक बचाओ। हमी माटीत पड़ि गिछि,हमार ऊपर सुशीला।हमार चिल्लाचिल्ली सुनि शिकारी सुशीलार पीठे दुमादुम दइटा गुलि माइरलो।
-कितनी दूर से मारी थी गोली?
-एई होइबे दस बारह गज।थोड़ा सा सोचकर मगन ने बताया।
सुमन ने कहा,तो तुमने यह काम रुपये के लोभ में आकर किया!
-ना,ना,कैवल रुपयार लोभे ना।सुशीला एकटा कुच्छित माइनसेर साथे दिन राइत पड़िया थाके, हमी उयाक एकदिन कहिलाम,राइते हमार घरे आना,रुपयो दिबो। आउर वो हमार मुखे थू थू दिलो।तभी मने मने ठीक करछिलाम जे इयार शोध हमी एक दिन निबोई। शिकारीक देखि माथाय बुद्धिटा खेइललो।सोचिलाम,परतिशोध निबार यही तो सुयोग। सुशीलाक शिकारी माइरले दोष शिकारीक होइबे।सांप मइरबे,किंतु लाठीटा टूटबे ना।
-आखिरकार सांप तो मर गया,किंतु तुम्हारी लाठी भी टूटकर टुकड़ा टुकड़ा।अब बस्ती के लोग अगर ये बातें जान लें तो लाठी से पीट पीटकर तुम्हारे शरीर की समस्त हड्डी पसलियां तोड़कर चूर चूर कर देंगे!
फिर सुमन के पांव पड़कर मगन बोला,हमार भूल होइछे,आमाक आपनि बचाओ।
सुमन ने गंभीर होकर कहा कि आखिरकार तुम्हें बचा सकुंगा या नहीं,नहीं कह सकता, किंतु फिलहाल तुम अगर अपनी हड्डी पसली बचाना चाहते हो तो इस मामले में किसी से एक भी बात मत करना।
उन दोनों के निकलते ही कंधे पर झोला लटकाये सुमन तेज कदमों से नोकमा के घर की तरफ चला। नोकमा से मुलाकात करके उसे अभी अलीपुरदुआर रवाना होना है। अस्पताल से सुशीला की बोडी टेक ओवर होने से पहले उसे पोस्टमार्टम और फारेंसिक रिपोर्ट एकबार देख लेना होगा। कोई गड़बड़ी देखने पर फिर दोबारा पोस्टमार्टम और फारेंसिक जांच करानी होंगी। जरुरत हो तो इस मामले में सुनील सान्याल की मदद भी लेनी होगी।
नोकमा से अलीपुरदुआर जाने की बात करते ही वे बोले,ता होइले तो आपनार संगे हमारओ जाना नागे।आंदाज कइरछिलाम सुशीलाक बोडी आइज ही बस्तीत आइसबे। आपनार कथा सुनि आंदाज करि देरी होइबे।बेकार बस्तीत बसि थाकि लाभ नाई।
मगन की बातें सुनने के बाद उसके मन में जो संदेह ताक झांक करने लगा था, पोस्टमार्टम रपट हाथ में पाकर सुमन ने देखा वह सच निकला है।रपट में लिखा है कि दोनों गोलियां पीठ पर मारी गयी हैं,किंतु शरीर से जो गोलियां मिली हैं,वे शाटगन की हैं या रायफल की और कितनी दूरी से गोली चलायी गयी है,इन सबका कोई उल्लेख नहीं है।
सरकारी अस्पताल के जिस डाक्टर ने पोस्टमार्टम किया,उन्होंने कहा,वह हमारा काम नहीं है,फारेंसिक एक्सपर्ट का काम है। हमारे अस्पताल में कोई फारेंसिक एक्सपर्ट नहीं है, जरुरत हो तो कोलकाता से आते हैं।आप अस्पताल के सुपर से मिल लीजिये।
सुपर ने कहा,इस मामले में मेरे लिए करने को कुछ नहीं है,आप एसपी से कहें। सुनकर एसपी ने व्यंग्य के लहजे से कहा,सुमन बाबू सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका छोड़कर देख रहा हूं,आप प्राइवेट डिटेक्टिव की भूमिका अदा करने लगे हैं।
-जंगल के लोगों को समुचित न्याय मिले,इसके लिए मैं कोई भी भूमिका निभाने को तैयार हूं। मैं चाहता हूं कि सारे कंक्लुसिव एविडेंस का उल्लेख पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हो।लिखा रहे कि राइफल या स्टेनगन नहीं, शाटगन की गोली से विक्टिम की मौत हुई है।यह भी लिखा होना चाहिए कि शाटगन से सिर्फ दस बारह गज की दूरी से दो दो बार गोली चलायी गयी।
-आपके कहने से ही लिख दिया जायेगा क्या?
-मेरे कहने से नहीं,फारेंसिक एक्सपर्ट के कहने पर।और मैं हंड्रेड परसेंट सरटेइन,वे डेड बोडी की परीक्षा करके ये बातें ही लिखेंगे।
सुनील सान्याल ने कहा,सुमनबाबू जैसा आपने कहा है,फारेंसिक एक्सपर्ट से बोडी की अच्छी तरह जांच करे लें।असुविधा हो तो कहिये,कोर्ट से आर्डर निकाल लाता हूं।
-देखिये सुनील बाबू,बात बात पर कोर्ट आर्डर की धमकी न दें। बहुत कोशिश के बावजूद एसपी सुरिंदर सिंह अपना गुस्सा दबा न सके।
-धमकी नहीं,रिमाइंडर।आपको याद दिलाना चाहता हूं,आप लोगों में मनुष्यों की आस्था भले खत्म हो गयी हो,लेकिन जुडिशियरी पर मनुष्यों ने विश्वास अभी खोया नहीं है।
सुमन ने कहा,और एक बात है।विक्टिम के शरीर से जो बुलेट मिली हैं,उनकी बैलेस्टिक एक्सपर्ट से जांच करा लीजिये कि फारेस्ट डिपार्टमेंट के शिकारी की बंदूक की गोलियों से उनका मैच होता है या नहीं।
एसपी के आफिस से निकलते निकलते सुनील सान्याल ने कहा,हस्पिटल सुपर से कहिए,समस्त इंवेस्टीगेशन कंप्लीट न होने तक डेड बोडी रिलीज न करें।
भीतर ही भीतर एसपी गुस्से से उबलने लगे।दोनों लोग महा धुरंधर हैं।सिर्फ कानून ही नहीं, टेक्नीकल मामूली सी मामूली बातें भी जानते हैं।जिस तरह ये लोग लामबंद हो गये हैं,फारेस्ट डिपार्टमेंट के शिकारी को बचा पाना शायद मुश्किल होगा!
फोन उठाकर पर्सनल एसिस्टेंट से कहा ,हस्पीटल सुपर को लाइन पर लीजिये। उसके बाद डीएफओ को।
घर के रास्ते सुनील सान्याल ने सुमन से कहा,आप लेकिन अच्छे क्रिमिनल लइयार हो सकते थे!
सुमन ने हंसकर कहा, हो सकते थे, कहकर अतीत बनाकर आपने तो मेरा भविष्य ही मिट्टी कर दिया।मैं तो सोच रहा था कि आपका चेला बनकर यहां थोड़ा बहुत कामकाज शुरु करुं।
-ऐसा क्या,कब से?
- हो सकता है,इसी महीने से।पर्मानेंटली अलीपुरदुआर शिफ्ट करने की सोच रहा हूं।
-पर्मानेंटली शिफ्ट? मामला थोड़ा खुलकर बतायें तो!
पूरा मामला सुनने के बाद सुनील सान्याल ने कहा, इतनी सारी घटनायें घट गयीं। मुझे एक खबर तक नहीं दी!
-आपको और कितना परेशान करता,कहिये तो!
-परेशान? परेशान माने?
-माने एक और कानूनी लड़ाई का बोझ आपके कंधे पर लादना।वैसे भी आप पर कम बोझ लादा नहीं गया है!
-बोझ कम है या ज्यादा,यह आपके सोचने की बात नहीं है।फिर मैं कितना बोझ ढो सकता हूं या कितना बोझ ढोने को तैयार हूं- वह भी मेरा मामला है।उसे लेकर आपको चिंता नहीं करनी चाहिए।जाने दीजिये, आपने कहा है,जयंती के फारेस्ट रेंजर ने आपको कोई नोटिस जारी किया है।वह नोटिस साथ लाये हैं?
-लाया हूं।
घर पहुंचकर मुझे दे दीजिये।पढ़कर देखता हूं कि किस कानून के तहत फारेस्ट डिपार्टमेंट आपको जंगल से खदेड़ना चाहता है!
दोपहर को भोजन परोसते हुए सुनील सान्याल की पत्नी प्रतिमा ने सुमन और जास्टिन मोमिन से कहा, आज रात यहीं ठहर ही सकते थे।इस वक्त जल्दीबाजी में वैसा कुछ पका नहीं सकी, सोचा था कि रात को कुछ अच्छा सा बनाकर खिलाती।
-इतने आइटम परोस दिये,फिरभी कह रही हैं कि वैसा कुछ नहीं पकाया।ठीक है,बाकी सारा न हो तो अगली दफा होगा।सुमन ने कहा।
-तो अगली दफा क्या खायेंगे,अभी कहकर जाइये।
-हां,तब मेनू में होगा,भरौली मछली तीखा और सरसों पिसा के साथ कई मछली। साथ में ढेंकी साग,सरसों की चटनी के साथ।सुपर।
-तो वादा कर रहे हैं,अगली दफा जब आयें तो थोड़ा वक्त निकालकर आइयेगा।
- वादा करता हूं।अगली दफा आपके हाथों बना खाना खाने के लिए ही अलीपुरदुआर आने वाला हूं!
भोजन के बाद सुनील सान्याल ने कहा,देंखें नोटिस का वह कागज।
नोटिस पर एक बार नजर डालकर कहा,यही उनका कानूनी ज्ञान है! इसी ज्ञान से वे आपको बस्ती से खदेड़ देंगे?अपना काला कोट पहनकर,नोटिस का कागज कोट की जेब में डालकर सुनील सान्याल ने कहा,चलिये, एकबार डीएफओ आफिस चलते हैं।एक साथ रेडी होकर निकलें, वहीं से सीधे बस्ती को निकल जाना।
दीवार पर पालिश किये हुए काठ के पैनल लगे डीएफओ के सुसज्जित चैंबर में,उनके टेबिल के सामने पंक्तिबद्ध कुर्सियों में से एक पर बैठे एमएलए अनंत राय। सुमन,सुनील सान्याल और जास्टिन मोमिन के चैंबर में घुसते ही डीएफओ विमलेंदु मुखर्जी ने कहा, आइये,आइये सुमनबाबू! अरे सुनीलबाबू,क्या खबर है? बैठिये,अब बताइये, किसलिए आये हैं?
-सुमनबाबू को जो नोटिस आपने भेजा है,उस विषय पर बातें करनी हैं,सुनील सान्याल ने बैठते बैठते कहा।
-नोटिस मैंने नहीं भेजा है,जयंती के रेंजर ने भेजा है।सिगरेट की राख ऐशट्रे में झाड़कर निर्विकार गले से विमलेंदुबाबू न कहा।
-आपका भेजा हो या फिर जयंती के रेंजर का भेजा हो,बात एक सी है।नोटिस फारेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से जारी किया गया है,सही है न?
-सही है।
-किंतु सुमनबाबू को जो नोटिस दिया गया है,वह तो गलत है।
-क्यों?
-कारण,फारेस्ट ऐक्ट की जिस धारा की मदद से आप सुमनबाबू को खदेड़ना चाहते हैं,वहां लिखा है कि जो जंगल के आदिवासी नहीं हैं,वे जंगल में स्थाई तौर पर वास नहीं कर सकते।अर्थात आप उसे ही खदेड़ सकते हैं जो रिजर्व फारेस्ट इलाके में स्थाई तौर पर रह रहे हैं।यहां सवाल यह है कि आपने कैसे यह तय कर लिया कि सुमनबाबू स्थाई तौर पर रिजर्व फारेस्ट एरिया में रह रहे हैं? मुझे क्या आप बता सकते हैं कि स्थाई तौर पर वास करने की संज्ञा क्या है? वास के स्थितिकाल, वासस्थान के प्रकार और मालिकाना, आजीविका और आजीविका के प्रकार- किस आधार पर आप कह रहे हैं कि सुमनबाबू जंगल में स्थायी तौर पर रह रहे हैं?
-सुमनबाबू बाकायदा घर बाड़ी बनाकर पिछले छह महीने से गारो बस्ती में रह रहे हैं।
-मिथ्या,संपूर्ण मिथ्या।बस्ती के जिस घर में सुमनबाबू ने अस्थाई तौर पर आश्रय लिया है,उसके मालिक सुमनबाबू नहीं है,बस्ती के लोग हैं।गारो बस्ती के सभी लोगों ने मिलकर अपनी मेहनत और अपने रुपयों से यह घर बनाया है।
बगल की कुर्सी में बैठे नोकमा को दिखाकर सुनील सान्याल ने कहा,यहीं तो गारो बस्ती के मुखिया जास्टिन मोमिन यहां बैठे हैं,उन्हीं से पूछ लीजिये।फिर आप कह रहे हैं, पिछले छह महीने से वे बस्ती में रह रहे हैं।आप शायद नहीं जानते कि इन छह महीने में कम से कम तीन महाने उन्होंने हाजत में बिताये हैं।इसका मतलब तो यह हुआ कि गारो बस्ती में सुमनबाबू की रिहाइश का स्थितिकाल तीन महीने से ज्यादा नहीं है।
थोड़ा थमकर सुनील सान्याल ने कहा- विमलेंदुबाबू, आप यह नोटिस वापस ले लीजिये, वरना मैं सुमनबाबू से कहुंगा कि वे आपके खिलाफ मुकदमा दायर कर दें और आप यह भी जानते होंगे कि अमूमन मेरे मुवक्किल मुकदमा हारते नहीं है।
-आप क्या मुझे धमका रहे हैं?
-मैं आपको कतई धमका नहीं रहा हूं,नोटिस देकर आप ही अन्यायपूर्वक सुमनबाबू को धमका रहे हैं।
दोनों के बीच मुठभेड़ के हालात देखकर सुमन ने विषय बदलना चाहा। कहा, विमलेंदुबाबू, आपका शिकारी कहां है? क्या नाम है उनका?
-सुबोध पाल,क्यों कहिये तो?
-सुबोध बाबू को एक खबर देनी थी।
-कौन सी खबर?
-बस्ती का जो आदमी फारेस्ट गार्ड की पोशाक पहनकर सुशीला को ललचाकर नदीकिनारे उस स्पाट तक ले गया था,जहां आपके सुबोधबाबू ने दस गज दूरी पर खड़े अपनी डबल बैरेल बंदूक से दो दो गोली मारकर सुशीला की हत्या कर दी, वह आदमी बस्ती लौट आया है। बस्ती के सभी लोगों ने देखा है कि उसके चेहरे और सीने पर बाघ के नख के ताजा जख्म हैं।सुबोधबाबू को कहिये,थाने में जाकर इम्मीडियेटली सरेंडर कर दें।इतना कहकर ही सुमन चैंबर से बाहर जाने के लिए कुर्सी छोड़कर उठ गया।
चैंबर का दरवाजा धकेलकर सुमन आफिस से बाहर निकलने को हुआ तो अनंत राय ने कहा,तो सुमनबाबू, इसबार आप विधानसभा चुनाव में खड़े हो रहे हैं?
-यह खबर आपको किसने दी? घूमकर खड़े होकर सुमन ने पूछा।
-अरे महाशय,मुझे आपकी सारी खबरें मालूम हैं!
-सारी खबरें जब मालूम हैं,तो फिर पूछ क्यों रहे हैं? अनंत राय के जबाव का इंतजार किये बिना चैंबर के दरवाजे से बाहर निकल गया सुमन।उसके पीछे पीछे सुनील सान्याल और जास्टिन मोमिन।
तीनों के दफ्तर से निकल जाने के बाद विमलेंदु मुखर्जी ने अनंत राय से कहा, देख लिया ना,यह आदमी कितना डेंजरस है!
-मैंने पहले ही देख लिया है,आपको सावधान भी किया है।यह आदमी अदरक पानी पीकर हमारे पीछे पड़ गया है।इम्मीडियेटली इसका कोई बंदोबस्त न कर सकें तो हमारी क्या दुर्दशा होगी,एकमात्र भगवान ही जानते हैं।
विमलेंदु मुखर्जी ने जोर जोर से दो तीन बार कालिंग बेल का बटन दबाया। पिओन चैंबर में घुसते ही गंभीर गले से कहा, सुबोधबाबू को बुलाओ।जल्दी!
सुबोध पाल ने विमलेंदु मुखर्जी की सारी बातें से सुन ली।इसके बाद चैंबर से निकलकर जल्दबाजी में एक जीप में बैठकर तेज गति से डीएफओ आफिस के गेट से होकर निकल गये।
बस से उतरकर गारो बस्ती जाते हुए जंगलके संकरे रास्ते पर साथ साथ पैदल चलते हुए जास्टिन मोमिन ने पूछा,वोई जे लोकटार कथा आपनि डीएफओ के कहिछेन, जे देइखछे शिकारीक सुशीलाक बंदूक दिया गुली चलाइते,उयार नाम कि? कोन बस्तीत रहे ?
-उसका नाम धाम अभी तुम्हें मैं नहीं बता सकता।सुशीला के मर्डर केस में वही मूल साक्षी है।मर्डर के वक्त वह स्पाट पर था,शिकारी को उसने अपनी आंखों से गोली चलाते हुए देखा है। इसलिए मुकदमे के स्वार्थ में उसका परिचय फिलहाल गोपनीय रखना है।इस मामले के बारे में लोगों को मालूम हो गया तो हो सकता है कि बस्ती के लोग उसे पीट पीटकर मार ही दें।तब सुशीला के मर्डरर को कभी सजा नहीं मिलेगी।मैं यह नहीं चाहता।तुम भी निश्चय ही नहीं चाहते।
-आउर वोई नोटिसटार मामला?आपनार कि मने होय कि उयारा नोटिस वापस निबे? नोकमा ने पूछा।
- मुझे तो लगता है कि ले लेंगे।फारेस्ट कानून की जिस धारा को सुनील सान्याल ने मुद्दा बना दिया है,उसे वे लोग आसानी से खारिज नहीं कर सकते।नोटिस वापस न हुआ, तो मुकदमा होगा।फिर उस मुकदम में फारेस्ट डिपार्टमेंट की हार तय है।
-खबरटा मिलले बस्तीर माइनसे जे कि परिमाण खुशी होइबे,आपनाक कह ना पाऊं।आउर सिंथिया,वो तो खुशीत पागल हया नाइचते नाइगबे।
-अदिति भी बहुत खुश होगी।जब से बस्ती छोड़ने की चर्चा हो रही है,उसका मन बहुत उदास है।
-हमार इच्छा होय, दौड़ाइया जाई,दौड़ाइया उयादेर खुशीर खबरटा दिई- यह कहकर सुमन से कुछ कदम आगे बढ़ गये थे जास्टिन मोमिन।तभी एक के बाद एक दो गोलियों की आवाज।चौंककर नोकमा ने पीछे मुड़कर देखा, सुमन उफ् कहकर पेट हाथ से दबाकर बैठ गया।तभी आसपास जंगल में शाल की सूखी पत्तियों को दबाने की मड़ मड़ आवाज।नोकमा के दौड़कर उसे जा पकड़ते ही सुमन बेहोश होकर उनपर गिर पड़ा सुमन।मुंह में दो अस्पष्ट शब्द,ब्लाडी काउवर्ड!
सुमन का सारा शरीर ताजा गर्म खून में बहने लगा था।उस लहूलुहान शरीर को कंधे पर उठाकर जास्टिन मोमिन भागा।जितनी जल्दी हो,उन्हें अस्पताल पहुंचना होगा। वे जान की बाजी लगाकर दौड़ते रहे और चीख कर कहते रहे,सुमनबाबू,पराणडा जोर करि पकड़ि राखेन,जाइते दिबेन ना,किछुतेई जाइते दिबेन ना।अदिति दीदीमणिर कथा सोचि पकड़ि राखेन,बस्तीर मानुषगुलार कथा सोचि पकड़ि राखेन!
बहुत तेज दौड़ लगायी थी जस्टिन मोमिन ने,किंतु आखिरकार मृत्यु के साथ रेस में वे हार गये।लगातार खून बहने से रक्तहीन पीला शरीर लेकर जब तक वे अस्पताल पहुंचे,तब तक उसमें प्राण नहीं था।
सुनील सान्याल खबर पाकर दौड़े आये।आकर सुमन के अभी अभी ठंडा हो गये हाथ अपने हाथ में लेकर कहा,तुम्हारे सीने से अंतिम निःश्वास के साथ आखिरी जो दो शब्द निकले,उसमें थी अंतर की घृणा।तुम्हारी वह घृणा गुप्तघातक को संबोधित थी- किंतु हम सभी तुम्हारी उस घृणा के पात्र हैं। हमने जो समाज रचा है,जिस समाज को हम पाल पोष रहे हैं,उसी काउवर्ड समाज ने ही घात लगाकर तुम्हारी हत्या की है।इस काउवर्ड समाज में तुम्हारे जैसे साहसी मनुष्य के जिंदा रहने का हक नहीं है।अतीत में भी ऐसे लोग जिंदा नहीं बचे,भविष्य में भी नहीं बच पायेंगे।
खबर मिलने पर समस्त बस्तीवासी दौड़े चले आये।उनके साथ अदिति और सिंथिया भी। अदिति सुमन की सफेद चादर में लिपटी देह से लिपटकर बहुत देर तक रोती रही।रुलाई से भीगी आवाज में वह बार बार कहती रही,आप जंगल छोड़कर बार बार जाना चाहते थे,मैंने आपको जाने नहीं दिया- मैं ही आपकी मृत्यु के लिए जिम्मेदार हूं।आप इसतरह मुझे चकमा देकर निकल गये,अब मैं अकेली कहां जाऊं,क्या करुं?
सिंथिया ने उसे सांत्वना देते हुए कहा,सुमनबाबू पलाइछे,हमी परथम थिकाई जाइनताम, वो पलाइबे।पलाउक,किंतुक हमी आछि, गारो बस्तीर आउर सभी आछे। हमरागुला मिलि आपनार देखभाल कइरबो।
सुनील सान्याल की पत्नी प्रतिमा अस्पताल के कारीडोर के एक कोने में खड़ी अपनी साड़ी के आंचल से निःशब्द आंखों को पोंछ रही थी।आगे बढ़कर निस्तब्ध शांत सुमन के माथे पर स्नेह से हाथ फेरकर रुंध गले से बोली,इस तरह कोई वादा तोड़ता है? क्यों कहा था कि ,इसके बाद अगली दफा जब आउंगा,काफी वक्त हाथ में लेकर आउंगा? यही है आपका हाथ में काफी समय लेकर आना?
सुमन जैसे लोग जब मारे जाते हैं,माने जब उनकी हत्या कर दी जाती है,तब हमारे देश के अखबारों में खबरें छपती हैं।सुमन के मामले में इसका कोई अपवाद न था। अगले दिन सुबह के अखबार में चौथे पेज पर खबर छपकर आयी- कुख्यात समाजविरोधी सुमन चौधरी की मृत्यु।
सुमन चौधुरी कोलकाता में समाजविरोधी गतिविधियों में लिप्त हो गये थे। उसके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हो चुका था।गिरफ्तारी टालने के लिए वह बक्सा के जंगल में छुपा हुआ था और वहीं बैठकर समाजविरोधी गतिविधियां चला रहा था।
यह भी सुना जा रहा है कि अदिति नाम की किसी महिला से उसके लंबे समय से अवैध संबंध रहा है।सुमन चौधरी ने उसे कोलकाता से लेकर जंगल की बस्ती में रखा हुआ था। कल संध्या को बक्सा के जंगल में अज्ञात हमलावर की गोली से सुमन चौधुरी की मौत हो गयी।संदेह किया जा रहा है कि इसके पीछ बक्सा के जंगल में आदिवासी गुटों के बीच आपसी विवाद है।
खबर के साथ सुमन और अदिति की हंसती हुई युगल छवि।
हजारों हजार जंगल के मनुष्यों की शोभायात्रा में,बस्तीवालों के कंधे पर बैठे सुमन की असंख्य तस्वीरों में से एक भी नहीं,अदिति के साथ सुमन की विरल अंतरगता की छवि।
अखबार के तीसरे पेज पर एक और खबर।उसका शीर्षक है- बक्सादुआर जंगल में शिकारी के हाथों नरभक्षी बाघ की मृत्यु।
खबर में विस्तार से कहा गया, पिछले काफी दिनों से एक बाघ ने बक्सा जंगल में उत्पात मचाया हुआ था।उस बाघ ने हाल में अक्षय तमांग और सुंदर भाटिया नाम के दो फारेस्ट गार्डों पर हमला करके उनकी हत्या कर दी थी।इसके बाद उस बाघ को नरभक्षी घोषित कर दिया।
उस बाघ को मारने के लिए फारेस्ट डिपार्टमेंट के विख्यात शिकारी सुबोध पाल को नियुक्त किया गया।पिछले बुधवार की रात उन्होंने उस बाघ को साहसिकता के साथ गोली दागकर मार दिया।इसके लिए सरकार ने उन्हें पचास हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा कर दी है।
खबर के साथ सुबोध पाल की बंदूक हाथ में लिये तस्वीर भी छपी।
सुबह अस्पताल में सुमन के डेड बोडी पर फूल चढ़ाने आये राजाभातखाओवा के एमएलए अनंत राय।पिछले दिन,यानी जिस दिन सुमन की मृत्यु हुई, अजीब संजोग से कहते हैं कि उनका जन्म दिन था, इसलिए उन्होंने पिछली शाम को कई सौ मोतीचूर के लड्डू बांट दिये।
सुमन की डेडबोडी अभी अस्पताल के मुरदाघर में है।उसी ठंडाघर में ठीक पास के रैक में ही सोया है उसकी कल्पना का वाइल्ड फ्लावर।लाश काटने के घर में अगल बगल सोये दो निस्प्राण शरीर दीर्घ प्रतीक्षा में हैं।यह प्रतीक्षा मिलन आकांक्षा की नहीं है,चीरफाड़ के लिए है।
किंतु गोलीबिद्ध,हिमशीतल,निस्प्राण उन दोनों शरीरके मन में एक गंभीर संदेह है कि चीरफाड़ के बाद भी कोई उनकी मौत की असल वजह बता भी पायेगा या नहीं।
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