सन २००४ की ग्यारह जुलाई को मणिपुर की मनोरमा देवी को आसाम रायफल्स के सिपाहियों उन के घर से उठाया था . बाद में उनकी क्षत -विक्षत लाश मिली . उसकी योनि पर भी गोलियों के घाव मौजूद थे . फोरेंसिक जांच से साबित हुआ कि हत्या के पहले उनके साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया था . इस बर्बर बलात्कार और हत्या के विरोध में मणिपुर की १२ साहसी स्त्रियों ने आसाम रायफल्स के मुख्यालय पर पूरी तरह निर्वस्त्र हो कर प्रदर्शन किये .उनके पास बैनर थे , जिस पर लिखा था - इन्डियन आर्मी , रेप अस. जांच के लिए सरकार द्वारा बनाए गए जस्टिस उपेन्द्र आयोग ने सुरक्षा बलों को दोषी पाया . ये जानकारी उन्होंने खुद मीडिया को दी. लेकिन मुसलसल विरोध के बावजूद सरकार ने आयोग की रिपोर्ट दबा रखी है . दोषी सिपाहियोंके खिलाफ आज तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं हुयी है, क्योंकि उनके पास अफ्स्पा का ब्रह्म- कवच मौजूद है . अगर देश
अफ्स्पा के उन्मूलन के लिए आंदोलन नहीं चलाता , तो रेप का प्रतिरोध एक वक्ती भावुकता से ज़्यादा और क्या है ?
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